गुरुवार, 11 जुलाई 2013

Gateway of India and Taj Hotel गेटवे ऑफ़ इन्डिया और ताज होटल

EAST COAST TO WEST COAST 34                                                                   SANDEEP PANWAR
छत्रपति शिवाजी रेलवे टर्मिनल से गेटवे जाने के लिये हमने एक बार टैक्सी का सहारा लिया। बोम्बे में छोटी दूरियाँ तय करने के लिये दो/तीन बन्दों को टैक्सी सबसे सस्ती व उत्तम सेवा प्रतीत होती है। वैसे बोम्बे में ऑटो भी चलते है लेकिन टैक्सी व ऑटो के किराये में बहुत ज्यादा अन्तर ना होने के कारण टैक्सी को ही वरीयता देनी चाहिए। हम कुछ ही देर में गेट वे आफ़ इन्डिया के पास वाले चौराहे पर जा पहुँचे। यहाँ पर कई साल पहले हुई पाकिस्तानी फ़रीकों की शांतिप्रिय घटना जिसे हम लोग आतंकवादी घटना कहते है, के कारण सुरक्षा व्यवस्था कुछ ज्यादा ही चौकस कर दी गयी है। गेट वे इन्डिया जाने के लिये अब हर किसी को पोलिस (पुलिस) जाँच से गुजरकर ही आगे जाना पड़ता है। हम भी अपनी जाँच कराकर ही आगे बढ़ पाये।


गेटवे आफ़ इन्डिया समुन्द्र तट के ठीक सामने अपोलो बन्दरगाह (गोदी) क्षेत्र में बनाया गया है। इस इमारत के चारों और देखते हुए चल रहे थे एक जगह शिवाजी महाराज की विशाल मूर्ति लगी थी तो दूसरी और विवेकानन्द जी की मूर्ति भी लगी हुई थी। हम सीधे इस विशाल दरवाजे तक पहुँचे, वहाँ पहुँचने से पहले ही इसकी भव्यता दूर से ही दिखायी दे रही थी। इस गेट की ऊँचाई लगभग 26 मीटर/85 फ़ुट है। छत्रपति शिवाजी मार्ग यहाँ आकर समाप्त होता है। यह मार्ग CST रेलवे स्टेशन से आरम्भ होता है।

इतिहास अनुसार सन 1911 में ब्रिटिश राजा जोर्ज और रानी मेरी के भारत आगमन के अवसर पर इस दरवाजे का निर्माण कराने की शुरुआत हुई, सन 1914 में जोर्ज विटलेट का नक्शा इस दरवाजे के मंजूर हुआ,  इस दरवाजे का सम्पूर्ण निर्माण सन 1924 में जाकर ही पूरा हो पाया था। बहुत ज्यादा गहराई में देखने की जरुरत भी नहीं है अगर कोई भी आंगन्तुक थोड़ा सा भी ध्यान से देखे तो यह पता लगाना बहुत मुश्किल कार्य नहीं है कि यह दरवाजा भारतीय हिन्दू व मुस्लमान शिल्प शैली के मिश्रण से बनाया गया है। कुछ भी हो देखने में यह दरवाजा बहुत शानदार दिखता है।

हमारी इच्छा थी कि इसके चारों ओर घूम कर चारों कोणों से इसके फ़ोटो लिये जाये। लेकिन इस पर अन्दर जाने की रोक तो कई साल पहले ही लगायी जा चुकी है। चारों ओर घूमने का मार्ग भी बेरिकेट लगाकर अवरुद्ध कर दिया गया है जिस कारण हम सिर्फ़ सामने के ही फ़ोटो ले पाये, मैंने विशाल से ऐलीफ़ैन्टा द्धीप जाकर एक दिन बिताने की इच्छा जाहिर की थी लेकिन वहाँ जाने के लिये मैं सपरिवार ही जाना चाहता हूँ। इस यात्रा में मैं केवल गेटवे व ताज होटल तक ही जाने का इच्छुक था। यहाँ से ऐलीफ़ैन्टा द्धीप कई किमी की समुन्द्री दूरी पार करने पर आता है। वैसे वह द्धीप बोम्बे के दूसरे इलाके की जमीन से ज्यादा नजदीक है लेकिन यह मुख्य पर्यटक स्थल होने के कारण यहाँ से आने-जाने की सुविधा आसानी से उपलब्ध हो जाती है।

यहाँ पर दो बार आतंकवादी हमला (आतंकवादी कुछ राजनीति पार्टी के दामाद है उनके लिये इन गद्धार देशद्रोही नेताओं के मुँह से हमेशा तरफ़दारी की बाते ही निकलती है, सबसे बड़ा मजाक तो तथाकथित मानवाधिकार आयोग या ऐसे ही कुछ संगठन है जिनको सिर्फ़ हिन्दू विरोध के अलावा और कुछ सूझता ही नहीं है। आज वर्तमान में सबसे गन्दी गाली धर्मनिरपेक्ष शब्द बनकर रह गया है। जो बन्दा अपने आप को धर्मनिरपेक्ष कहता है वह हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा गद्धार या विरोधी है। मेरी बात पर यकीन नहीं तो ऐसे दोगले के सामने हिन्दू धर्म की व अन्य धर्म की बुराई करके देख लो, दो मिनट में पता लग जायेगा कि हिन्दू धर्म की माँ-बहिन करते समय चुप रहेगा, और जैसे दूसरे धर्म की माँ-बहिन एक होने लगेगी तो वह धर्मनिरपेक्षता शब्द रुपी गाली लेकर तर्क-वितर्क करने लग जायेगा।) हो चुका है कसम से दोनों बार दुनिया के सबसे कथित रुप से शांति प्रिय धर्म के लोग उसमें शामिल पाये गये है। उनको सजा भी हो चुकी है। 

पहला हमला सन 2003 में हुआ था जब बोम्बे में लयबद्ध (क्रमवार) सुनियोजित तरीके से मार्च के महीने में दीवाली मनाकर बड़े-बड़े बम फ़ोड़े गये थे जिनसे मात्र सैंकड़ों बोम्बे वासियों के प्राण-पखेरु उनके उड़ गये थे। बम इतने शक्तिशाली थे के अच्छे खासे स्वस्थ जिन्दे लोगों के शरीर पलक झपकते ही चिथड़ों में बदल गये थे। इस घटना के बाद सन 2008 के अक्टूबर माह में आतंकवादियों (शांतिप्रिय धर्म के लोगों की टीम) की पूरी टीम 10/11 सदस्यों ने बोम्बे शहर में जमकर हवाई फ़ायरिंग की होगी वो गोली आसमान से धरती की ओर आते समय आम जनता पर गिरी तो उनसे लगभग 200 के करीब लोग मौत की नीन्द सो गये थे। इन दो घटनाओं के अलावा ऐसी बहुत सी घटनाएं है जो देश भर(दुनिया भर) में कथित रुप से शांतिप्रिय धर्म के लोगों द्धारा समय-समय पर की जाती रहती है, जिनसे हर घटना में कुछ 10-20 मौत जरुर हो जाती है। 

सामने ही ताज होटल भी दिखायी देता है हम ताज होटल के अन्दर नहीं गये। हो सकता है कि आतंकवादी घटना के बाद होटल में जाने के लिये सख्त सुरक्षा जाँच से होकर जाना पड़ता हो। हमने गेटवे के सामने वाले मैदान से ही ताज होटल का दीदार किया और वहाँ से वापिस लौट चले। ्वापिस चलते ही सबसे पहले विवेकानद जी की विशाल मूर्ति दिखायी दी। यहाँ कुछ संदेश लिखा हुआ था इसके बाद आगे बढ़ते ही बोट समुन्द्र के पानी में खड़ी हुई दिखायी दी। हो सकता है कि इन्ही में से कुछ बोट ऐलीफ़ैन्टा द्धीप तक जाती हो। यहाँ से आगे चलते ही महाराष्ट्र के गोरिल्ला युद्ध के महावीर छत्रपति शिवाजी की घोड़े पर सवार एक मूर्ति दिखायी देती है। बाहर आते ही हमने रेलवे स्टेशन तक पहुँचाने के लिये एक बार फ़िर टैक्सी की सवारी की। (क्रमश:)
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के आंध्रप्रदेश इलाके की यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
15. महाराष्ट्र के एक गाँव में शादी की तैयारियाँ।
16. महाराष्ट्र की ग्रामीण शादी का आँखों देखा वर्णन।
17. महाराष्ट्र के एक गाँव के खेत-खलिहान की यात्रा।
18. महाराष्ट्र के गाँव में संतरे के बाग की यात्रा।
19. नान्देड़ का श्रीसचखन्ड़ गुरुद्धारा
20. नान्देड़ से बोम्बे/नेरल तक की रेल यात्रा।
21. नेरल से माथेरान तक छोटी रेल (जिसे टॉय ट्रेन भी कहते है) की यात्रा।
22. माथेरान का खन्ड़ाला व एलेक्जेन्ड़र पॉइन्ट।
23. माथेरान की खतरनाक वन ट्री हिल पहाड़ी पर चढ़ने का रोमांच।
24. माथेरान का पिसरनाथ मन्दिर व सेरलेक झील।
25. माथेरान का इको पॉइन्ट व वापसी यात्रा।
26. माथेरान से बोम्बे वाया वसई रोड़ मुम्बई लोकल की भीड़भरी यात्रा।
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के बोम्बे शहर की यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
27. सिद्धी विनायक मन्दिर व हाजी अली की कब्र/दरगाह
28. महालक्ष्मी मन्दिर व धकलेश्वर मन्दिर, पाताली हनुमान।
29. मुम्बई का बाबुलनाथ मन्दिर
30. मुम्बई का सुन्दरतम हैंगिग गार्ड़न जिसे फ़िरोजशाह पार्क भी कहते है।
31. कमला नेहरु पार्क व बोम्बे की बस सेवा बेस्ट की सवारी
32. गिरगाँव चौपाटी, मरीन ड्राइव व नरीमन पॉइन्ट बीच
33. बोम्बे का महल जैसा रेलवे का छत्रपति शिवाजी टर्मिनल
34. बोम्बे का गेटवे ऑफ़ इन्डिया व ताज होटल।
35. मुम्बई लोकल ट्रेन की पूरी जानकारी सहित यात्रा।
36. बोम्बे से दिल्ली तक की यात्रा का वर्णन











ताज टावर



विवेकानद मूर्ति


शिवाजी महाराज की मूति

अच्छा तो अब बोम्बे को अलविदा करते है।

3 टिप्‍पणियां:

प्रवीण गुप्ता - PRAVEEN GUPTA ने कहा…

बहुत ही सुन्दर चित्र और लेखन, धन्यवाद वन्देमातरम

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

परिस्थितियों से जूझने का नगर, मुम्बई..

संजय भास्‍कर ने कहा…

bahut hi badhiya yatra bhai

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