गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014

Pura Mahadev Temple पुरा महादेव (परशुराम) मन्दिर व शादी समारोह

 इस यात्रा के दोनों लेख के लिंक नीचे दिये गये है।

01- गुफ़ा वाले बाबा का मन्दिर व कुल देवता और साम्प्रदायिक दंगे

02- पुरा महादेव मन्दिर व शादी समारोह के बाद घर वापसी

GUFHA WALA BABA TEMPLE AND PURA MAHADEV TEMPLE-02
बडौत शहर से नेक टिमकिया गाँव जाने के लिये सराय व बालैनी (बागपत-मेरठ रोड़ पर) होकर जाना होता है। बडौत से सराय जाने वाली सड़क अच्छी हालत में है। इस मार्ग पर वाहन बहुत कम दिखाई देते है। टेडे-मेडे मार्ग पर खेतों के बीच यात्रा करने में अलग मजा आता है। मैं इस मार्ग पर पहली बार यात्रा कर रहा था इसलिये मुझे मालूम नहीं था कि यह सीधा सराय जाकर मिलता है या उससे पहले, किसी और सड़क में जुड़ जाता है। जब यह सड़क बिनौली से सराय जाने वाली सड़क में मिली तो समझ में आया कि सराय जाने के लिये सीधे हाथ जाना पडेगा। इस मोड़ से थोड़ा आगे चलते ही सराय कस्बे में आगमन हो गया। हम सीधे चले जा रहे थे कि तभी मेरी नजर सड़क किनारे पत्थर वाले बोर्ड़ पर गयी। उस बोर्ड़ पर पुरा महादेव 6 किमी लिखा था। चालक को तुरन्त कहा, "रुक जा।" चालक बोला क्या हुआ? हुआ कुछ नहीं, उल्टे हाथ वाली सड़क पुरा महादेव मन्दिर जा रही है। चलो पुरा महादेव होकर चलेंगे। आज सोमवार का दिन भी है। लगता है महादेव स्वयं हमें बुला रहे है।

जय भोले नाथ, पुरा महादेव पौराणिक शिवलिंग स्थल

मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

Gufha wale baba - kul devta and communal violence गुफ़ा वाले बाबा का मन्दिर व कुल देवता और साम्प्रदायिक दंगे

 इस यात्रा के दोनों लेख के लिंक नीचे दिये गये है।

01- गुफ़ा वाले बाबा का मन्दिर व कुल देवता और साम्प्रदायिक दंगे

02- पुरा महादेव मन्दिर व शादी समारोह के बाद घर वापसी

GUFHA WALA BABA TEMPLE AND PURA MAHADEV TEMPLE-01
आज 25-11-2013 की यात्रा बहुत ज्यादा लम्बी नहीं है। आज आपको अपने गाँव की यात्रा कराते है। दिल्ली व आसपास के अधिकतर लोगों के तार गाँव से जुड़े हुए है। अपनी जड़ भी उत्तर प्रदेश राज्य में मेरठ मण्ड़ल के अंतर्गत आने वाले बागपत जिले की एक तहसील बडौत कस्बे से यमुना नदी की ओर मात्र 15 किमी चलने पर मेरा गाँव आता है। आजकल लोग अपने पूर्वजों को याद नहीं करते। नकली देवी-देवताओं के पीछे जी जान से लगे लोग अधिक संख्या में देखने को मिलेंगे। अपने कुल में प्रत्येक अच्छे कार्य के शुभारम्भ से पहले कुल देवता के यहाँ हाजिरी लगाने की परम्परा रही है।


शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2014

Colourful programme in Bikaner stadium बीकानेर स्टेडियम में रंगारंग कार्यक्रम

बीकानेर लडेरा गाँव व स्टेडियम यात्रा के सभी लिंक नीचे दिये गये है।
BIKANER LADERA CAMEL FESTIVAL-03
रात को बीकानेर के करणी सिंह स्टेडियम में लडेरा से सम्बंधित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है। मैं और राकेश वहाँ जायेंगे तब राघवेन्द्र भाई से मुलाकात होगी। फ़ाटक खुल चुका है चलो पहले राकेश भाई के घर चलते है। घर से बाइक लेकर स्टेडियम जायेंगे। स्टेडियम के कार्यक्रम देखेंगे और वापिस आ जायेंगे। राकेश घर आकर बोला, जाट भाई मैं कल आपके साथ शायद वापिस नहीं जा पाऊँगा? मैं दो-चार दिन बाद जाऊँगा। राकेश के पिताजी गाँव में रहते है। हो सकता है राकेश उनके पास जाना चाहता हो। मेरे व अपना, वापसी का टिकट राकेश ने अपनी आईड़ी से ही बुक किया था। मैंने राकेश से कहा कि अगर तुम कल नहीं जाना चाहते तो मैं आज रात की ट्रेन से ही दिल्ली वापिस जाऊँगा।



बुधवार, 19 फ़रवरी 2014

Bikaner-Ladera Camel festival बीकानेर-लडेरा ऊंट महोत्सव स्थल

BIKANER LADERA CAMEL FESTIVAL-02
बीकानेर से गंगानगर जाने वाले हाईवे पर लगभग 30 किमी जाने पर, सीधे हाथ मुड़ने के बाद लडेरा गाँव की दूरी 15 किमी बाकि थी। इस मोड से 11 किमी आगे मालासर आता है। मालासर से लडेरा ऊँट उत्सव स्थल मात्र 4 किमी है। जब लडेरा की दूरी 0 किमी सामने आयी तो हम उलझन में पड़ गये कि ऊँट उत्सव कहाँ गायब हो गया? राकेश के बड़े भाई कार चला रहे थे। वह पहले भी लडेरा उत्सव देखने आये हुए है इसलिये भटकने की आवश्यकता नहीं थी। कार एक पेड़ की छाँव में रोक दी। राजस्थान में सर्दी के मौसम में भी दिन गर्म होते है जबकि राते ठन्ड़ी होती है। मैं अपनी जैकेट अभी तक पहने हुए था, लेकिन बाहर का गर्मागर्म मौसम देखकर ,मैंने अपनी जैकेट कार में ही छोड़ दी।


गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014

Delhi to Bikaner (Ladera camel festival) दिल्ली से बीकानेर (लडेरा गाँव, ऊँट उत्सव)


BIKANER LADERA CAMEL FESTIVAL-01
आज दिनांक 14-01-2014 को बीकानेर के लडेरा गाँव में होने वाले ऊँट उत्सव देखने चलते है। दो साल पहले राजस्थान घूमने गया था। उस यात्रा में जोधपुर, जैसलमेर के साथ बीकानेर के कई स्थल देखे गये थे। उस यात्रा के दौरान कोई उत्सव आदि देखने को नहीं मिला था। बीते वर्ष बीकानेर के रहने वाले राकेश बिश्नोई से ब्लॉग के जरिये मुलाकात हुई, जो आज एक अच्छी खासी दोस्ती में बदल गयी है। वैसे तो मैं ज्यादा दोस्त नहीं बनाया करता, क्योंकि अपने जैसे मिजाज के इन्सान कम ही टकराते है, लेकिन वर्तमान में जितने भी है। सभी घुमक्कड़ है या घुमक्कड़ी को चाहने वाले है। जब राकेश मेरे साथ किन्नर कैलाश की खतरनाक ट्रेकिंग करने गया था तो उसी यात्रा में राकेश ने बताया था कि बीकानेर के पास लडेरा गाँव में रेत के टीलों पर ऊँट उत्सव होता है। 


सोमवार, 10 फ़रवरी 2014

Srinagar to New Delhi by air श्रीनगर से दिल्ली तक हवाई यात्रा

श्रीनगर सपरिवार यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे दिये गये है।
01- दिल्ली से श्रीनगर तक की हवाई यात्रा का वर्णन।
02- श्रीनगर की ड़ल झील में हाऊस बोट में विश्राम किया गया।
03- श्रीनगर के पर्वत पर शंकराचार्य मन्दिर (तख्त ए सुलेमान) 
04- श्रीनगर का चश्माशाही जल धारा बगीचा
05- श्रीनगर का मुगल गार्ड़न-निशात बाग
06- श्रीनगर का मुगल गार्ड़न-शालीमार बाग
07- श्रीनगर हजरतबल दरगाह (पैगम्बर मोहम्मद का एक बाल सुरक्षित है।)
08- श्रीनगर की ड़ल झील में शिकारा राइड़ /सैर
09- अवन्तीपोरा स्थित अवन्ती स्वामी मन्दिर के अवशेष
10- मट्टन- मार्तण्ड़ सूर्य मन्दिर  व ग्रीन टनल
11- पहलगाम की सुन्दर घाटी
12- कश्मीर घाटी में बर्फ़ीली वादियों में चलने वाली ट्रेन की यात्रा, (11 किमी लम्बी सुरंग)
13- श्रीनगर से दिल्ली हवाई यात्रा के साथ यह यात्रा समाप्त

SRINGAR FAMILY TOUR- 13
आज दिनांक 05-01-2014 को श्रीनगर यात्रा समाप्त हो रही थी। सुबह जल्दी निकल कर खीर भवानी मन्दिर जाया जा सकता था। खीर भवानी मन्दिर मैंने अभी तक देखा नहीं है। इस मन्दिर परिसर में पेड़ों का झुन्ड़ है वहाँ आसमान में देखने पर भारत का नक्शा बना हुआ दिखायी देता है। बताते है कि यह नक्शा सालों से ऐसा ही है। पेडों की टहनियाँ, इस नक्शे वाली जगह नहीं बढ पाती है। इस मन्दिर को देखने के लिये श्रीनगर के तुल्लामुला में जाना पड़ता है। यह मन्दिर रंगने देवी का बताया जाता है। इस मन्दिर में मई-जून महीने में आने वाले ज्येष्ठ अष्टमी को वार्षिक मेला लगता है। 



शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2014

Kashmir Railway-Banihal-Srinagar-Baramula कश्मीर रेलवे (बनिहाल-श्रीनगर-बारामूला)

श्रीनगर सपरिवार यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे दिये गये है।
01- दिल्ली से श्रीनगर तक की हवाई यात्रा का वर्णन।
02- श्रीनगर की ड़ल झील में हाऊस बोट में विश्राम किया गया।
03- श्रीनगर के पर्वत पर शंकराचार्य मन्दिर (तख्त ए सुलेमान) 
04- श्रीनगर का चश्माशाही जल धारा बगीचा
05- श्रीनगर का मुगल गार्ड़न-निशात बाग
06- श्रीनगर का मुगल गार्ड़न-शालीमार बाग
07- श्रीनगर हजरतबल दरगाह (पैगम्बर मोहम्मद का एक बाल सुरक्षित है।)
08- श्रीनगर की ड़ल झील में शिकारा राइड़ /सैर
09- अवन्तीपोरा स्थित अवन्ती स्वामी मन्दिर के अवशेष
10- मट्टन- मार्तण्ड़ सूर्य मन्दिर  व ग्रीन टनल
11- पहलगाम की सुन्दर घाटी
12- कश्मीर घाटी में बर्फ़ीली वादियों में चलने वाली ट्रेन की यात्रा, (11 किमी लम्बी सुरंग)
13- श्रीनगर से दिल्ली हवाई यात्रा के साथ यह यात्रा समाप्त

SRINGAR FAMILY TOUR- 12
दिनांक 04-01-2014, आज गुलमर्ग जाने का कार्यक्रम पहले ही निर्धारित था, लेकिन 31 दिसम्बर को दिन भर हुई भारी बर्फ़बारी के चलते फ़्लाइट कैंसिल हो जाने से हम नये साल पर एक दिन की देरी से यहाँ पहुँच पाये। अंतिम दिन हमने कश्मीर रेलवे व खीरभवानी मन्दिर देखने के लिये बचाया हुआ था। सुबह उठे तो देखा कि बाहर का तापमान माइनस में है। सुबह 10 बजे ही हाऊसबोट से बाहर आ पाये। हमारे हाऊसबोट से सम्बंधित शिकारा वाला व कार चालक, रात में स्वर्ग सिधारी पडौस की महिला को कब्रिस्तान लेकर गये हुए थे। तभी एक अन्य शिकारा सड़क की ओर जाता हुआ दिखायी दिया। हमें खडे देखकर उसने कहा, क्या आप सड़क पर जाओगे? हाँ। शिकारा हमें लेकर सड़क पर आ गया। शिकारे वाले ने हमें सड़क किनारे लाने के 30 रु चार्ज लिया।

बुधवार, 5 फ़रवरी 2014

Pahalgam-A beautiful valley पहलगाम की सुन्दर घाटी

श्रीनगर सपरिवार यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे दिये गये है।
01- दिल्ली से श्रीनगर तक की हवाई यात्रा का वर्णन।
02- श्रीनगर की ड़ल झील में हाऊस बोट में विश्राम किया गया।
03- श्रीनगर के पर्वत पर शंकराचार्य मन्दिर (तख्त ए सुलेमान) 
04- श्रीनगर का चश्माशाही जल धारा बगीचा
05- श्रीनगर का मुगल गार्ड़न-निशात बाग
06- श्रीनगर का मुगल गार्ड़न-शालीमार बाग
07- श्रीनगर हजरतबल दरगाह (पैगम्बर मोहम्मद का एक बाल सुरक्षित है।)
08- श्रीनगर की ड़ल झील में शिकारा राइड़ /सैर
09- अवन्तीपोरा स्थित अवन्ती स्वामी मन्दिर के अवशेष
10- मट्टन- मार्तण्ड़ सूर्य मन्दिर  व ग्रीन टनल
11- पहलगाम की सुन्दर घाटी
12- कश्मीर घाटी में बर्फ़ीली वादियों में चलने वाली ट्रेन की यात्रा, (11 किमी लम्बी सुरंग)
13- श्रीनगर से दिल्ली हवाई यात्रा के साथ यह यात्रा समाप्त

SRINGAR FAMILY TOUR- 11
दिनांक 03-01-2014, आज के दिन सबसे पहले अवन्तीपोरा मन्दिर के खण्ड़हर देखे, उसके बाद मटटन का मार्तण्ड़ सूर्य मन्दिर देखा। अन्त में पहलगाम पहुँच ही गये। पहलगाम के टैक्सी स्टैन्ड़ से पहले ही बर्फ़ के कारण वाहनों की लाईन लगी थी, जिस कारण हम भी कार से उतर गये। चालक से कह दिया कि तुम कार खड़ी करने लायक जगह देखकर रुक जाओ। हम तीन दिन से बर्फ़ ही बर्फ़ देखते घूम रहे थे। इतनी बर्फ़ देख ली थी कि बर्फ़ से मन भरने लगा था। आगे बढने की बजाय हमने लिददर नदी पार कर, वहाँ के नजारे देखने का निर्णय लिया। सड़क छोड़ते ही थोड़ा ढलान पर उतरना होता है जिस कारण आधी-अधूरी बनी सड़क पर पड़ी बर्फ़ पर फ़िसलने के ड़र से थोड़ा सम्भल कर उतर रहे थे। ढलान अभी समाप्त हुई भी नहीं थी कि पीठ पीछे से एक जीप आ गयी। जीप वाला बार-बार होर्न देने लगा। उस मार्ग पर इतनी भी जगह नहीं बची थी कि पैदल यात्री उस गाड़ी से बच सके। गाड़ी को आगे निकलने के लिये हमें बर्फ़ में घुसना पड़ा। 


सोमवार, 3 फ़रवरी 2014

Mattan- Martand Sun Temple मट्टन- मार्तण्ड़ सूर्य मन्दिर

श्रीनगर सपरिवार यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे दिये गये है।
01- दिल्ली से श्रीनगर तक की हवाई यात्रा का वर्णन।
02- श्रीनगर की ड़ल झील में हाऊस बोट में विश्राम किया गया।
03- श्रीनगर के पर्वत पर शंकराचार्य मन्दिर (तख्त ए सुलेमान) 
04- श्रीनगर का चश्माशाही जल धारा बगीचा
05- श्रीनगर का मुगल गार्ड़न-निशात बाग
06- श्रीनगर का मुगल गार्ड़न-शालीमार बाग
07- श्रीनगर हजरतबल दरगाह (पैगम्बर मोहम्मद का एक बाल सुरक्षित है।)
08- श्रीनगर की ड़ल झील में शिकारा राइड़ /सैर
09- अवन्तीपोरा स्थित अवन्ती स्वामी मन्दिर के अवशेष
10- मट्टन- मार्तण्ड़ सूर्य मन्दिर  व ग्रीन टनल
11- पहलगाम की सुन्दर घाटी
12- कश्मीर घाटी में बर्फ़ीली वादियों में चलने वाली ट्रेन की यात्रा, (11 किमी लम्बी सुरंग)
13- श्रीनगर से दिल्ली हवाई यात्रा के साथ यह यात्रा समाप्त

SRINGAR FAMILY TOUR- 10
दिनांक 03-01-2014 की घुमक्कड़ी की चर्चा हो रही है। आज सबसे पहले अवन्तीपोरा मन्दिर के अवशेष देखे। इसके बाद फ़िर से अपनी कार में बैठकर आज की मंजिल पहलगाम की ओर चल दिये। अवन्तीपोरा से कुछ आगे जाते ही सड़के के दोनों किनारे पर पेड़ ही पेड़ दिखाई देने लगे। सड़क के किनारे ग्रीन टनल का बोर्ड़ भी लगा देखा। ठन्ड़ के मौसम में चारों और बर्फ़ ही बर्फ़ दिखाई दे रही थी। हरियाली कही नहीं मिली। पेडों पर एक भी पत्ता नहीं बचा था। पेडों के बीच से निकलती सड़क से गुजरते हुए ऐसा अहसास हो रहा था जैसे हम किसी सुरंग से निकल रहे हो। इसका पेडों की सुरंग का नाम ट्री टनल होना चाहिए था क्योंकि इसका नाम “ग्रीन टनल” पूरे वर्ष अपने नाम के अनुसार जम नहीं पाता है। 


शनिवार, 1 फ़रवरी 2014

Sandeep Panwar's Life book Jan 2014 संदीप पवाँर की जीवनी-जनवरी २०१४

नोट- फ़रवरी माह में आने वाले मुख्य त्यौहार व उत्सव मेले आदि का विवरण नीचे दिया गया है।

01-15     सूरज कुन्ड़ मेला। दिल्ली फ़रीदाबाद सीमा पर।

04     बसन्त पंचमी

07-11 Auto expo at  NOIDA

14    वैलनटाइन दिवस VALENTINE’S DAY

08-10 शेखावटी महोत्सव

09-12 गोवा कार्निवल

12-14 जैसलमेर मरु उत्सव

14    गुरु रविदास जन्मदिन
14    Valentine day

15-23 विश्व पुस्तक मेला, प्रगति मैदान, दिल्ली

17-27 ताज महोत्सव

19    फ़रवरी शिवाजी महाराज का जन्म दिन

24    स्वामी दयानन्द सरस्वती जी का जन्मदिन

27    महाशिवरात्रि

27-06 मार्च मन्ड़ी, हिमाचल, महाशिवरात्रि उत्सव

मेरे साथ JANUARY 2014 में घटित होने वाला मुख्य घटनाक्रम निम्नलिखित है।



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