शनिवार, 30 नवंबर 2013

Let;s go to Lahul spiti, Kinnaur bike trip आओ किन्नौर व लाहौल-स्पीति, बाइक से घूमने चले।

किन्नौर व लाहौल-स्पीति की बाइक यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे दिये है।
11- सतलुज व स्पीति के संगम (काजिंग) से नाको गाँव की झील तल
12- नाको गाँव की झील देखकर खतरनाक मलिंग नाला पार कर खरदांगपो तक
13- खरदांगपो से सुमडो (कौरिक बार्ड़र) के पास ममी वाले गियु गाँव तक (चीन की सीमा सिर्फ़ दो किमी) 
14- गियु में लामा की 500 वर्ष पुरानी ममी देखकर टाबो की मोनेस्ट्री तक
15- ताबो मोनेस्ट्री जो 1000 वर्ष पहले बनायी गयी थी।
16- ताबो से धनकर मोनेस्ट्री पहुँचने में कुदरत के एक से एक नजारे
17- धनकर गोम्पा (मठ) से काजा
18- की गोम्पा (मठ) व सड़क से जुड़ा दुनिया का सबसे ऊँचा किब्बर गाँव (अब नहीं रहा)
20- कुन्जुम दर्रे के पास (12 km) स्थित चन्द्रताल की बाइक व ट्रेकिंग यात्रा
21- चन्द्रताल मोड बातल से ग्रामफ़ू होकर रोहतांग दर्रे तक
22- रोहतांग दर्रे पर वेद व्यास कुन्ड़ जहां से व्यास नदी का आरम्भ होता है।
23- मनाली का वशिष्ट मन्दिर व गर्म पानी का स्रोत

KINNAUR, LAHUL SPITI, BIKE TRIP-01                        SANDEEP PANWAR

हिमाचल प्रदेश में किन्नौर व लाहौल-स्पीति नाम के दो जिले इतने खूबसूरत है जिन्हे देखने की तमन्ना लोगों के दिल में बसी रहती है। मेरे साथ राकेश बिश्नोई अगस्त माह में बस से किन्नर कैलाश की यात्रा करके आये थे। उसी यात्रा के दौरान हमने तय कर लिया था कि बहुत जल्द यहाँ का कार्यक्रम बाइक से बनाना है। किन्नर कैलाश यात्रा के समय मैंने राकेश को बोला भी था कि चलो बाइक से चलते है यदि मौसम ने साथ दिया तो लाहौल-स्पीति होते हुए मनाली से वापिस आ जायेंगे। उस यात्रा में बरसात का ड़र था। लाहौल-स्पीति के पहाड़ अपने खूँखार रुप के लिये जग-जागिर है। जैसे ही सितम्बर आया, पहाड़ों में बारिश समाप्त हुई, हमने अपनी बाइक यात्रा की तैयारी शुरु कर दी।

बुधवार, 27 नवंबर 2013

BENEFITS OF BICYCLE/ Cycling पैड़ल साईकिल चलाने के लाभ

SANDEEP PANWAR
दोस्तों अब तक आपने मुझे अधिकतर मोटर बाइक की यात्रा करते हुए ही देखा है, जबकि आप यह भी जानते ही है कि मुझे अपनी सेहत बनाये रखने के लिये पैड़ल साईकिल चलाना सबसे अच्छा लगता है मैं अपनी दैनिक यात्रा में मोटर बाइक का प्रयोग बहुत ही जरुरी कार्य के लिये करता हूँ मेरी नीली परी को स्टार्ट किये कभी-कभी तो महीना भर से ज्यादा भी हो जाता है। वैसे मैंने पैड़ल साईकिल से अब तक कुछ गुनी चुनी लम्बी यात्राएँ ही की है जैसे दिल्ली से शाकुम्बरी माता (सहारनपुर से आगे), देहरादून के आसपास के सारे दर्शनीय स्थल भी मैंने साईकल पर ही देख ड़ाले थे। लोनी से सोनीपत व लोनी से बहादुरगढ़ व लोनी से पालम हवाई अडड़े तक साईकल यात्रा बहुत सालों पहले कर चुका हूँ। आज से कोई 20-22 साल पहले एक बन्दे को आम साईकिल (बिना गियर) से भारत के पहाड़ी राज्यों के भ्रमण करते हुए एक अखबार से जरिये पता लगा था। आजकल तो लोग साईकिल में भी गियर का लाभ उठाते है जबकि मेरी पसन्द साधारण साईकिल ही है। कुछ दोस्त कहते है कि चलों संदीप भाई साईकिल से लम्बी यात्रा करने चलते है। उन्हें मेरा जवाब होता है अभी साईकिल से यात्रा करने का समय नहीं है क्योंकि साईकिल से यात्रा करने में खर्चा व समय ज्यादा लगता है मैं अभी इन दोनों चीजों को बचाना चाहता हूँ। वैसे साईकिल से एक धमाकेदार चक्कर लगाने की इच्छा जरुर है, लेकिन अभी नहीं? लेकिन कब? यह किसी को बताना भी नहीं है। 
फ़ोटो नेट की देन है।

सोमवार, 25 नवंबर 2013

Bhagsu Naag भागसू नाग में स्नान व दिल्ली वापसी

करेरी-कांगड़ा-धर्मशाला यात्रा के लिंक नीचे दिये है।

01- आओ करेरी झील धर्मशाला देखने चले।
02- धर्मशाला से करेरी गाँव की ट्रेकिंग भयंकर बारिश के बीच।
03- करेरी गाँव के शानदार नजारे, और भूत बंगला
04- धर्मशाला की ड़ल लेक।
05- धर्मशाला के चाय बागान के बीच यादगार घुमक्कड़ी।
06- कुनाल पत्थरी माता मन्दिर, शक्ति पीठ माता के 52 पीठ में से एक।
07- नगरकोट कांगड़ा का मजबूत दुर्ग / किला
08- मैक्लोड़गंज के भागसूनाग स्विमिंग पुल के ठन्ड़े पानी में स्नान  Back to Delhi

KARERI-KANGRA-DHARAMSHALA-07

धर्मशाला स्थित राकेश के कमरे से अपना सभी सामान लेकर मैक्लोडगंज जाने के लिये तैयार हो गये। आज का अन्तिम कार्यक्रम भागसूनाग स्विमिंग पुल में जमकर नहाना था। कमरे से बाहर निकलते ही हल्की-हल्की बून्दाबान्दी शुरु हो गयी। हमने भी सोचा कि आज इन्द्र देवता कितना भी जोर लगा ले, हम नहाये बिना मानने वाले नहीं है। भागसू नाग जाने से पहले हमने अपना सभी सामान उसी भोजनालय में रख दिया जहाँ हमने दो बार खाना खाया था। धर्मशाला से बस में बैठकर मैक्लोड़गंज पहुँचे।

शनिवार, 23 नवंबर 2013

Nagarkot/ Kangra Fort नगरकोट कांगड़ा दुर्ग किला

करेरी-कांगड़ा-धर्मशाला यात्रा के लिंक नीचे दिये है।

01- आओ करेरी झील धर्मशाला देखने चले।
02- धर्मशाला से करेरी गाँव की ट्रेकिंग भयंकर बारिश के बीच।
03- करेरी गाँव के शानदार नजारे, और भूत बंगला
04- धर्मशाला की ड़ल लेक।
05- धर्मशाला के चाय बागान के बीच यादगार घुमक्कड़ी।
06- कुनाल पत्थरी माता मन्दिर, शक्ति पीठ माता के 52 पीठ में से एक।
07- नगरकोट कांगड़ा का मजबूत दुर्ग / किला
08- मैक्लोड़गंज के भागसूनाग स्विमिंग पुल के ठन्ड़े पानी में स्नान  Back to Delhi

KARERI-KANGRA-DHARAMSHALA-07


कुनाल पत्थरी माता मन्दिर से वापसी में बस में सवार होकर कांगड़ा का किला देखने के लिये चल दिये। धर्मशाला से कांगड़ा तक लगातार ढ़लान है जिस कारण वाहनों को लगातार ब्रेक मारने पड़ते है। यहाँ कांगड़ा जाते समय सड़क किनारे उल्टे हाथ (दिल्ली से जाओगे तो सीधे हाथ) आयेगा। जिस बस में बैठे थे उस बस के ब्रेक कुछ ज्यादा चू-चू, चिरड़-चिरड़ कर रहे थे कि बस वाले को हार्न बजाने की जरुरत ही नहीं थी। हमारी बस कांगड़ा में उस तिराहे पर पहुँची जहाँ पठानकोट से मन्डी वाला मार्ग धर्मशाला वाले मार्ग में मिलता है। हमारी बस यहाँ काफ़ी देर खडी रही कि तभी मनु भाई की नजर सामने वाली दुकान पर गयी, उस दुकान में गर्मागर्म समौसे तले जा रहे थे। मनु बस से नीचे उतर कर सबके लिये एक-एक समौसा ले आया। हमने बस में ही गर्म-गर्मा समौसे को चट कर ड़ाला।



गुरुवार, 21 नवंबर 2013

Dharamshala- Kunal Pathri Mata Shaktipeeth Temple कुनाल पत्थरी शक्ति पीठ मन्दिर-धर्मशाला

करेरी-कांगड़ा-धर्मशाला यात्रा के लिंक नीचे दिये है।

01- आओ करेरी झील धर्मशाला देखने चले।
02- धर्मशाला से करेरी गाँव की ट्रेकिंग भयंकर बारिश के बीच।
03- करेरी गाँव के शानदार नजारे, और भूत बंगला
04- धर्मशाला की ड़ल लेक।
05- धर्मशाला के चाय बागान के बीच यादगार घुमक्कड़ी।
06- कुनाल पत्थरी माता मन्दिर, शक्ति पीठ माता के 52 पीठ में से एक।
07- नगरकोट कांगड़ा का मजबूत दुर्ग / किला
08- मैक्लोड़गंज के भागसूनाग स्विमिंग पुल के ठन्ड़े पानी में स्नान  Back to Delhi

KARERI-KANGRA-DHARAMSHALA-06

हिमाचल के खूबसूरत शहर धर्मशाला के बेहद नजदीक माता का शक्तिपीठ मन्दिर होगा। ऐसा मैंने कभी पढा होगा, याद नहीं आ रहा है। हम पैदल ही यहाँ के चाय बागान देखते हुए आगे बढ़ते गये तो एक मोड़ पर इस मन्दिर का प्रवेश द्वार दिखायी दिया। वैसे राकेश हमारे साथ था जिसने पहले भी इस मन्दिर में कई बार दर्शन किये हुए है। मन्दिर के बाहर कुछ गाय बैठी हुई थी जिनके फ़ोटो मैंने इससे पहले वाले लेख में लगाये थे। मन्दिर प्रागंण में घुसते ही एक बोर्ड़ पर नजर गयी।


बुधवार, 20 नवंबर 2013

Dharamshala- Tea Garden धर्मशाला के मनमोहक चाय बागान

करेरी-कांगड़ा-धर्मशाला यात्रा के लिंक नीचे दिये है।

01- आओ करेरी झील धर्मशाला देखने चले।
02- धर्मशाला से करेरी गाँव की ट्रेकिंग भयंकर बारिश के बीच।
03- करेरी गाँव के शानदार नजारे, और भूत बंगला
04- धर्मशाला की ड़ल लेक।
05- धर्मशाला के चाय बागान के बीच यादगार घुमक्कड़ी।
06- कुनाल पत्थरी माता मन्दिर, शक्ति पीठ माता के 52 पीठ में से एक।
07- नगरकोट कांगड़ा का मजबूत दुर्ग / किला
08- मैक्लोड़गंज के भागसूनाग स्विमिंग पुल के ठन्ड़े पानी में स्नान  Back to Delhi


KARERI-KANGRA-DHARAMSHALA-05

धर्मशाला में दोपहर का भोजन करने के उपराँत शहर से 6 किमी नीचे राकेश के कमरे पर पहुँच गये। अब तक बारिश लगभग रुक चुकी थी। कमरे पर पहुँचते ही हमने अपने-अपने बैग को उतार फ़ैंका। इस यात्रा में सबसे ज्यादा तंग टैन्ट के कारण हुए थे। टैन्ट की पूरी कीमत राकेश ने चुकायी थी। टैन्ट का वजन 6 किलो का था, जिसे टैन्ट लाधकर चलना पड़ता था उसकी नानी याद आती थी। लेकिन अपनी टोली भी पक्की हिम्मत वाली वाली थी कोई हार मानने को तैयार नहीं होता था। वो अलग बात है कि जब तक सिर ओखली में नहीं दिया जाता था तब तक ही ड़र लगता था। कमरे पर पहुँचने के बाद मनु व उसका दोस्त धर्मशाला के चाय बागान देखने निकल गये। उन्होंने हमें बहुत कहा कि चलो लेकिन मैंने मना कर दिया कि नहीं मैंने पालमपुर के चाय बागान देखे है, जाओ तुम जाओ। वे दोनों बागान देखने चले गये।


शनिवार, 16 नवंबर 2013

Dharamshala- Dal lake धर्मशाला की ड़लझील

करेरी-कांगड़ा-धर्मशाला यात्रा के लिंक नीचे दिये है।

01- आओ करेरी झील धर्मशाला देखने चले।
02- धर्मशाला से करेरी गाँव की ट्रेकिंग भयंकर बारिश के बीच।
03- करेरी गाँव के शानदार नजारे, और भूत बंगला
04- धर्मशाला की ड़ल लेक।
05- धर्मशाला के चाय बागान के बीच यादगार घुमक्कड़ी।
06- कुनाल पत्थरी माता मन्दिर, शक्ति पीठ माता के 52 पीठ में से एक।
07- नगरकोट कांगड़ा का मजबूत दुर्ग / किला
08- मैक्लोड़गंज के भागसूनाग स्विमिंग पुल के ठन्ड़े पानी में स्नान  Back to Delhi


KARERI-KANGRA-DHARAMSHALA-04

करेरी से लौटते समय हम उसी पुल तक पहुँच गये थे जहाँ कल करेरी की दो बहनों का अंतिम संस्कार किया गया था। आज उनकी जगह केवल राख का ढेर बचा था। आज शाम तक या कल सुबह को गाँव के लोग इस राख को भी पानी में बहा देंगे। आज पुल के पास कोई नहीं था बारिश भी नहीं हो रही थी कुछ देर पुल पर रुककर विश्राम किया। पुल पर आने के लिये हमने कल वाला सड़क का मार्ग नहीं चुना था। आज हमने जंगल के बीच से होकर जाने वाली पैदल पगड़न्ड़ी का उपयोग किया था। सड़क के मुकाबले यह बहुत छोटा मार्ग निकला। लेकिन चढ़ाई में यह बुरी तरह थकाने वाला मार्ग साबित होता होगा।



शुक्रवार, 15 नवंबर 2013

Karei Villege करेरी गाँव के खूबसूरत पल व भूत बंगला

करेरी-कांगड़ा-धर्मशाला यात्रा के लिंक नीचे दिये है।

01- आओ करेरी झील धर्मशाला देखने चले।
02- धर्मशाला से करेरी गाँव की ट्रेकिंग भयंकर बारिश के बीच।
03- करेरी गाँव के शानदार नजारे, और भूत बंगला
04- धर्मशाला की ड़ल लेक।
05- धर्मशाला के चाय बागान के बीच यादगार घुमक्कड़ी।
06- कुनाल पत्थरी माता मन्दिर, शक्ति पीठ माता के 52 पीठ में से एक।
07- नगरकोट कांगड़ा का मजबूत दुर्ग / किला
08- मैक्लोड़गंज के भागसूनाग स्विमिंग पुल के ठन्ड़े पानी में स्नान  Back to Delhi


KARERI-KANGRA-DHARAMSHALA-03

करेरी गाँव की लड़कियाँ अपनी चिता में स्वाहा हो गयी। हम करेरी गाँव की ओर बढ़ने लगे। इस पुल से करेरी जाने के दो मार्ग है। पहला मार्ग पुरातन पैदल पगड़न्ड़ी वाला मार्ग ही है। जौंक के आतंक के कारण हम पगड़न्ड़ी वाले मार्ग पर जाने से बचना जा रहे थे। पगड़न्ड़ी वाला मार्ग आगे जाकर सड़क वाले मार्ग में मिल जाता है जहाँ एक दर्रे नुमा जगह से दोनों मार्ग फ़िर से अलग हो जाते है। सड़क वाला मार्ग लगभग दो किमी का है जबकि पगड़न्ड़ी वाला मार्ग आधा किमी के आसपास तो होगा ही। सड़क मार्ग पर जौंक मिलने की सम्भावना नहीं के बराबर थी लेकिन हम सड़क पर भी हर थोड़ी दूर में अपने पैरों को देख रहे थे कि कोई चाची चिपकी तो नहीं?



बुधवार, 13 नवंबर 2013

Dharamshala to Bridge धर्मशाला से करेरी मार्ग वाले पुल तक

करेरी-कांगड़ा-धर्मशाला यात्रा के लिंक नीचे दिये है।

01- आओ करेरी झील धर्मशाला देखने चले।
02- धर्मशाला से करेरी गाँव की ट्रेकिंग भयंकर बारिश के बीच।
03- करेरी गाँव के शानदार नजारे, और भूत बंगला
04- धर्मशाला की ड़ल लेक।
05- धर्मशाला के चाय बागान के बीच यादगार घुमक्कड़ी।
06- कुनाल पत्थरी माता मन्दिर, शक्ति पीठ माता के 52 पीठ में से एक।
07- नगरकोट कांगड़ा का मजबूत दुर्ग / किला
08- मैक्लोड़गंज के भागसूनाग स्विमिंग पुल के ठन्ड़े पानी में स्नान  Back to Delhi


KARERI-KANGRA-DHARAMSHALA-02

करेरी गाँव धर्मशाला शहर से लगभग 20-25 किमी दूर है। करेरी गाँव सड़क से जुड़ चुका है। लेकिन वाहन मिलने की सभावना नहीं के बराबर होती है। यदि धर्मशाला से करेरी तक की दूरी वाहन से तय की जाये तो यही दूरी बढकर 40 किमी तक पहुँच सकती है। बस से धर्मशाला उतरने के बाद राकेश बोला, जाट भाई हम चार लोग है जहाँ तक पक्की सड़क है वहाँ तक कार कर लेते है। ना भाई कार वाला ज्यादा पैसे माँगेगा। एक बार पता कर लेते है। मैंने कहा "तुम्हे कार में जाने की ज्यादा इच्छा है तुम्ही कार का किराया पता कर आओ।" राकेश और मनु टैक्सी वालों के पास बात करने चले गये। मनु का दोस्त और मैं वही लेंटर के नीचे खड़े रहे। कार वाले ने उस जगह तक पहुँचाने के 1500 रु माँग लिये, जहाँ तक गाड़ी जा सकती थी। यह दूरी यदि किसी ऑटो या बस से तय की जाये तो मुश्किल से 200 रु भी नहीं लगने वाले। मैंने कहा, यहाँ से शेयरिंग आधार पर चलने वाली सूमो या अन्य छोटी गाडियाँ उस ओर जरुर चलती होगी, जहाँ से ट्रेकिंग शुरु होती है। चलो उसका पता करते है।



सोमवार, 11 नवंबर 2013

Let,s go to Dharamshala आओ धर्मशाला चले

करेरी-कांगड़ा-धर्मशाला यात्रा के लिंक नीचे दिये है।

01- आओ करेरी झील धर्मशाला देखने चले।
02- धर्मशाला से करेरी गाँव की ट्रेकिंग भयंकर बारिश के बीच।
03- करेरी गाँव के शानदार नजारे, और भूत बंगला
04- धर्मशाला की ड़ल लेक।
05- धर्मशाला के चाय बागान के बीच यादगार घुमक्कड़ी।
06- कुनाल पत्थरी माता मन्दिर, शक्ति पीठ माता के 52 पीठ में से एक।
07- नगरकोट कांगड़ा का मजबूत दुर्ग / किला
08- मैक्लोड़गंज के भागसूनाग स्विमिंग पुल के ठन्ड़े पानी में स्नान  Back to Delhi


KARERI-KANGRA-DHARAMSHALA-01


हिमाचल के शहर धर्मशाला तो मैं पहले भी एक बार अपनी बाइक पर गया हूँ, जब मैं और विशेष मलिक नीली परी पर सन 2007 में हिमाचल के भ्रमण पर गये थे। उस यात्रा के दौरान हम जितनी देर भागसूनाग आने-जाने में लगायी थी, बारिश ने उतने समय हमारा साथ नहीं छोड़ा था। इस वर्ष एक बार फ़िर धर्मशाला के ऊपरी इलाके में ट्रेकिंग करने का कार्यक्रम तय हुआ। इस यात्रा में मेरे साथ एक नया साथी पहली बार यात्रा पर जा रहा था। कुछ दिन पहले ही राकेश बिश्नोई नाम से एक अन्जान बन्दे का फ़ोन आया था कि जाट भाई मैं बीकानेर का रहने वाला राकेश बिश्नोई बोल रहा हूँ। क्या आपका जल्द ही कोई ट्रेकिंग करने का इरादा है? मैंने कहा हाँ, है तो। मैं धर्मशाला के ऊपरी पहाड़ों पर स्थित दर्रों को पार कर दूसरी ओर चम्बा घाटी में उतरना चाहता हूँ। 



सोमवार, 4 नवंबर 2013

Indian Hill Railway-Shimla Toy Train भारतीय पहाड़ी रेल- शिमला कालका (नैरोगेज/ खिलौना गाड़ी) यात्रा

किन्नर कैलाश यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे दिये गये है।

KINNER KAILASH TREKKING-12                                         SANDEEP PANWAR

शिमला की खिलौना रेल में शिमला से कालका तक की इस यात्रा में मैंने जी भर कर फ़ोटो लिये है। शिमला स्टेशन से दोपहर बाद 02:30 मिनट पर कालका के लिये एकमात्र पैसेंजर सवारी गाड़ी चलने का समय निर्धारित है। मैं ट्रेन चलने से कोई सवा घन्टे पहले ही स्टेशन पहुँच चुका था। इस सवारी गाड़ी में आरक्षित डिब्बे भी होते है। मुझे इसकी जानकारी नहीं थी। शिमला से कालका तक का किराया मात्र 20 रु है जबकि बस से कालका तक जाने में 90 रु का टिकट लेना पड़ता है। अगर कालका का बस स्टैन्ड़ कालका के रेलवे स्टेशन के नजदीक होता तो मैं कभी भी बस से शिमला आना या जाना पसन्द नहीं करुँगा। मैंने टिकट लेना चाहा, लेकिन टिकट खिड़की तो एक घन्टा पहले ही खुलने वाली थी। सवारी गाड़ी का टिकट लेने वालों की काफ़ी भीड़ जमा हो चुकी थी। स्टेशन पर प्लेटफ़ार्म पर खड़ी ट्रेन में भी काफ़ी सीटों पर सवारियाँ कब्जा जमा चुकी होगी। सीजन के दिनों में सवारी गाड़ी में जाने वालों की काफ़ी भीड़ होती है जिस कारण seat मिलने की सम्भावना कम हो जाती है।

शिमला से चले कालका

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