UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-03 SANDEEP PANWAR
आज के लेख में ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की यात्रा करायी जा रही है वैसे मैं इस जगह कई साल पहले जा चुका हूँ लेकिन अपने दोस्त यहाँ पहली बार गये थे। जैसा कि आपको पहले लेख में पता लग ही चुका है कि प्रेम सिंह अपने साथियों के साथ महाशिवरात्रि से दो दिन पहले ही दिल्ली से इन्दौर के बीच चलने वाली इन्टर सिटी ट्रेन से यहाँ पहुँच गये थे। इन्दौर तक उनकी रेल यात्रा मस्त रही। दोपहर के एक बजे उनकी ट्रेन इन्दौर पहुँच गयी थी। यहाँ स्टेशन से बाहर निकलते ही उन्होंने सबसे पहले पेट पूजा करने के लिये केले व समौसा का भोग लगाया, उसके बाद स्टेशन के बाहर से ही ओमकारेश्वर जाने वाली मिनी बस में बैठकर ओमकारेश्वर पहुँच गये। मैंने उन्हे कहा था कि अगर तुम्हे इन्दौर से बड़वाह पातालपानी होकर ओमकारेश्वर रोड़ की ओर अकोला तक जाने वाली मीटर गेज वाली छोटी ट्रेन मिल जाती है तो यह सुनहरा मौका मत छोड़ना, लेकिन अफ़सोस उन्हे वह रेल नहीं मिल पायी।
बस ने उन्हे ओमकारेश्वर मन्दिर के नजदीक उतार दिया था। वहाँ से उन्होंने मन्दिर की ओर जाते समय रात ठहरने के लिये कमरा भी देखना शुरु कर दिया था। जाते-जाते उन्होंने कई कमरे देखे थे, इसलिये कमरा देखते समय यह निश्चित हो चला था कि आज यहाँ ज्यादा भीड़ नहीं है जिससे कमरे आसानी से मिल जायेंगे। ओमकारेश्वर में देखने लायक कई स्थान है यहाँ दो मुख्य मन्दिर ममलेश्वर व ओमकारेशवर तो है ही इसके अलावा नर्मदा पर बना हुआ बाँध भी पहाड़ी के ऊपर से देखना अच्छा अनुभव रहता है। नर्मदा नदी नाव से पार कर दूसरी ओर जाना व पुल से नर्मदा पार करना भी कम रोमांचक नहीं रहता है।
नर्मदा नदी को इस क्षेत्र में माँ का दर्जा दिया गया है बताते है कि दुनिया में यह अकेली ऐसी नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है। मार्च के माह में यहाँ पर बहुत कम मात्रा में पानी दिखायी दे रहा है। जबकि हम दिसम्बर माह में यहाँ आये थे तब यहाँ भरपूर पानी था। हो सकता है कि बाँध में पानी रोक कर रखा गया हो। पहले दिन इन्होंने मन्दिरों के दर्शन किये थे अगले दिन प्रेम सिंह एन्ड़ पार्टी ने दूसरे मन्दिर के भी दर्शन किये साथ ही मुख्य मन्दिर के दुबारा दर्शन किये थे। रात को एक गेस्ट हाऊस में उचित दर 300 रुपये में कमरा लिया गया। अगली सुबह जल्दी नहा धोकर इनकी टोली ओमकारेश्वर भ्रमण पर रवाना हो गयी थी।
ओमकारेश्वर में एक छोटा सा पर्वत है उसकी परिक्रमा भी की जाती है ये ठहरे भोले के पक्के भक्त, परिक्रमा किये बिना कैसे मानने वाले थे? मैंने इस पर्वत की 11 किमी की परिक्रमा नहीं की थी। परिक्रमा करते समय इन्होंने यहाँ बहुत कुछ देख ड़ाला था। जिसे देख कर मेरा मन कर रहा है एक बार फ़िर यहाँ की यात्रा कर ही ड़ालू। यहाँ इन्होंने लेटे हुए हनुमान जी के मन्दिर की यात्रा भी की थी जिसका फ़ोटो यहाँ लगाया गया है। दोपहर तक इन्होंने यहाँ पर देखने लायक अधिकतर स्थान देख ड़ाले थे। दोपहर बाद इन्होंने उज्जैन के लिये प्रस्थान कर दिया था। यहाँ से उज्जैन 150 किमी के आसपास रह जाता है। कई घन्टे की बस यात्रा के बाद इन्होंने उज्जैन में प्रवेश किया था।
उज्जैन पहुँचकर मन्दिर के ठीक सामने वाली मुख्य गली में से कटने वाली छोटी सी गली में कमरा ले लिया था। उस कमरे का किराया मात्र 500 रुपये था। जो महाशिवरात्रि वाले दिन 1000 रुपये का हो गया था। लेकिन हमने महाशिवरात्रि को दोपहर से पहले ही कमरा खाली कर दिया था। अब चलते है उज्जैन के प्रातापी महाराजा वीर विक्रमादित्य जिसके बारे में प्रचलित कहानी राज विक्रम और भूत बेताल के बारे में कौन नहीं जानता है? उसी विक्रम बेताल (भूत) के दरबार के बारे में आगामी लेख में बताया जा रहा है। उज्जैन में हमने बहुत कुछ देखा था एक-एक करके सभी स्थानों का दर्शन कराया जायेगा। (उज्जैन यात्रा अभी जारी है)
उज्जैन यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे दिये गये है।
05- हरसिद्धी शक्ति पीठ मन्दिर, राजा विक्रमादित्य की आराध्य देवी।
06- उज्जैन का चार धाम मन्दिर व बिजली से चलने वाली झाकियाँ।
07- राजा भृतहरि की गुफ़ा/तपस्या स्थली।
08- गढ़कालिका का प्राचीन मन्दिर
09- शराब/दारु पीने वाले काल भैरव का मन्दिर
10- श्रीकृष्ण, सुदामा, बलराम का गुरुकुल/स्कूल संदीपनी आश्रम।
11- उज्जैन की महान विभूति सुरेश चिपलूनकर जी से मुलाकात व उज्जैन से जबलपुर प्रस्थान
06- उज्जैन का चार धाम मन्दिर व बिजली से चलने वाली झाकियाँ।
07- राजा भृतहरि की गुफ़ा/तपस्या स्थली।
08- गढ़कालिका का प्राचीन मन्दिर
09- शराब/दारु पीने वाले काल भैरव का मन्दिर
10- श्रीकृष्ण, सुदामा, बलराम का गुरुकुल/स्कूल संदीपनी आश्रम।
11- उज्जैन की महान विभूति सुरेश चिपलूनकर जी से मुलाकात व उज्जैन से जबलपुर प्रस्थान
7 टिप्पणियां:
हमारा भी पूरा दर्शन कराने का आभार..
प्रेमसिँह एँड पार्टी कहाँ झोड मे बाड दी भाई जी...
JAI MAA NARMADA, OM NAMAH SHIVAAY
भाई मजा आ गया।याञा मे ओर फोटो तो बिलकुल बढिया आई है।लेटे हुऎ हनुंमान जी को परणाम।
किसी खजाने से कम नहीं होता आपका ब्लॉग...
आपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियाँ ( 6 अगस्त से 10 अगस्त, 2013 तक) में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।
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Thank you sirji
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