UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-08 SANDEEP PANWAR
हमारी गाड़ी आगे बढ़ते हुए जिस स्थान पर पहुँची उसे गढ़कालिका मन्दिर कहा जाता है। जिस समय हम यहाँ पहुँचे उस समय दोपहर की आरती चल रही थी। आरती में कई आरती बोली जाती है जिस कारण मैं आरती समाप्त होने के समय ही आरती के पास जाता हूँ। मैंने मन्दिर के चारों ओर घूम-घूम कर मन्दिर को अच्छी तरह देख ड़ाला था। यह मन्दिर भी मराठा शैली का बना हुआ मिला। मराठों के शासन काल में ही इस मन्दिर का निर्माण किया गया होगा। इस मन्दिर को महाशिवरात्रि के कारण फ़ूलों से इतना अच्छी तरह सजाया गया था कि मैं उस सजावट को देखता ही रह गया था। मन्दिर की आरती समाप्त होने के बाद हमारे साथियों ने वहाँ से आगे चलने का इरादा किया। एक भक्त यहाँ भी मन्दिर में ही कही अटका हुआ था। उसे लेने के लिये फ़िर से एक बन्दा भेजा गया।
इस मन्दिर के बाहर काफ़ी खुला व चौड़ा स्थान बना हुआ है जहाँ गाडियाँ खड़ी की जाती है। हम सोच रहे थे कि हमारी गाड़ी इसी मार्ग से आगे बढ़ जायेगी जिस ओर हम जा रहे थे लेकिन जब गाड़ी वाला हमें लेकर वापिस मुड़ा तो हमने उसे टोका कि अरे-अरे मनोज भाई कहाँ जा रहे हो? आगे क्यों नहीं जा रहे हो? मनोज ने कहा आगे कुछ नहीं है आगे केवल गाँव ही गाँव मिलेंगे। अब कहां जाना है? अब हम दारू पीने वाले काल भैरव मन्दिर की ओर जा रहे है। क्या कहा दारू पीने वाले काल भैरव, अरे ऐसा भी है क्या? हाँ है। चलो ठीक है अब दारु वाले महाराज की जय
गढ़कालिका मन्दिर से आगे बढ़ने के बाद कुछ दूर तक हमारी गाड़ी खेतों के बीच से होकर चलती रही लेकिन हमें एक बार फ़िर से क्षिप्रा नदी पार करके उसके दूसरी ओर जाना पड़ा। हमारी गाड़ी एक पुल के जरिये नदी पार कर आगे बढ़ती रही। आगे चलते रहने पर सड़क के किनारे सीधे हाथ पर एक बड़ी ऊँची दीवारों वाली सरकारी इमारत दिखायी दी। चालक मनोज ने बताया था कि यह उज्जैन की जेल है यह प्राचीन जेल है जिसे सुधार करके वर्तमान रुप दे दिया गया है। इसे आजकल उज्जैन सेन्ट्रल जेल भी कहते है। (उज्जैन यात्रा अभी जारी है).
उज्जैन यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे दिये गये है।
05- हरसिद्धी शक्ति पीठ मन्दिर, राजा विक्रमादित्य की आराध्य देवी।
06- उज्जैन का चार धाम मन्दिर व बिजली से चलने वाली झाकियाँ।
07- राजा भृतहरि की गुफ़ा/तपस्या स्थली।
08- गढ़कालिका का प्राचीन मन्दिर
09- शराब/दारु पीने वाले काल भैरव का मन्दिर
10- श्रीकृष्ण, सुदामा, बलराम का गुरुकुल/स्कूल संदीपनी आश्रम।
11- उज्जैन की महान विभूति सुरेश चिपलूनकर जी से मुलाकात व उज्जैन से जबलपुर प्रस्थान
06- उज्जैन का चार धाम मन्दिर व बिजली से चलने वाली झाकियाँ।
07- राजा भृतहरि की गुफ़ा/तपस्या स्थली।
08- गढ़कालिका का प्राचीन मन्दिर
09- शराब/दारु पीने वाले काल भैरव का मन्दिर
10- श्रीकृष्ण, सुदामा, बलराम का गुरुकुल/स्कूल संदीपनी आश्रम।
11- उज्जैन की महान विभूति सुरेश चिपलूनकर जी से मुलाकात व उज्जैन से जबलपुर प्रस्थान
3 टिप्पणियां:
पुष्पों की सजावट तो भव्य लग रही है।
आयॅ समाजी ने इतने मनदिर देख डाले वो भी एक दिन मे।वाह भई वाह।
उज्जैन तो मंदिरों का शहर है ...यहाँ कई प्रसिध्य मंदिर तुमने नहीं देखे ....यहाँ का हरे रामा हरे कृष्णना मंदिर भी बहुत फेमस है
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