EAST COAST TO WEST COAST-32 SANDEEP PANWAR
बस से उतरने के बाद हम दोनों गिरगाँव चौपाटी देखने के लिये सड़क पार करने लगे। यहाँ सड़क पर बहुत ज्यादा संख्या में पुलिस बल देखकर मन में शंका हुई कि दिल्ली की तरह यहाँ भी बम आदि का विस्फ़ोट तो नहीं हो गया है। दिल्ली की तरह बोम्बे में आतंकवादी घटना घटित होना दैनिक क्रिया जैसा प्रतीत होने लगता है। हमने जैसे ही सड़क पार की तो सामने ही नाना-नानी पार्क के नाम से एक छोटा सा पार्क दिखायी दिया। हम अभी दो बड़े-बड़े पार्क देखते हुए आये थे इसलिये इस छोटे से पार्क को बाहर सड़क से ही सरसरी तौर पर देखते हुए आगे बढ़ते चले गये। नाना-नानी पार्क से आगे बढ़ते ही चौपाटी दिखायी देने लगती है। वैसे बस से आते समय समुन्द्र किनारे काफ़ी दूर तक का साफ़ नजारा दिखायी देता रहता है।
बस से उतरने के बाद हम दोनों गिरगाँव चौपाटी देखने के लिये सड़क पार करने लगे। यहाँ सड़क पर बहुत ज्यादा संख्या में पुलिस बल देखकर मन में शंका हुई कि दिल्ली की तरह यहाँ भी बम आदि का विस्फ़ोट तो नहीं हो गया है। दिल्ली की तरह बोम्बे में आतंकवादी घटना घटित होना दैनिक क्रिया जैसा प्रतीत होने लगता है। हमने जैसे ही सड़क पार की तो सामने ही नाना-नानी पार्क के नाम से एक छोटा सा पार्क दिखायी दिया। हम अभी दो बड़े-बड़े पार्क देखते हुए आये थे इसलिये इस छोटे से पार्क को बाहर सड़क से ही सरसरी तौर पर देखते हुए आगे बढ़ते चले गये। नाना-नानी पार्क से आगे बढ़ते ही चौपाटी दिखायी देने लगती है। वैसे बस से आते समय समुन्द्र किनारे काफ़ी दूर तक का साफ़ नजारा दिखायी देता रहता है।
जैसे ही सड़क छोड़कर चौपाटी की रेत पर पहला कदम रखा तो लगा कि सच में राजस्थान के जैसलमेर के रेत के टीले वाली रेत पर टहल रहे हो। चौपाटी में देखने लायक बहुत ज्यादा कुछ नहीं है सिर्फ़ आधा-पौना किमी रेत पर चलने में जो आनन्द आता है वह अपने आप में विशेष अनुभव वाली बात है। चौपाटी के ठीक सामने वाला समुन्द्र तट देखकर बहुत निराशा हाथ लगी। मुझे उम्मीद थी कि चौपाटी पर जिस तरह शाम को मेले जैसा माहौल होता है उसे देखते हुए यहाँ का समुन्द्र तट काफ़ी साफ़-सुथरा बनाया गया होगा। समुन्द्र किनारे की रेत तो एकदम चकाचक बनाकर रखी गयी है लेकिन उसके विपरीत समुन्द्री पानी वाली जगह पर ढ़ेर सारा कचरा देखकर मेरा मन वहाँ रुकने का नहीं हुआ।
मैं अब तक आधा दर्जन से ज्यादा जगहों के समुन्द्र तट देख चुका हूँ जिनमें से बोम्बे के समुन्द्र तट मुझे अब तक से सबसे ज्यादा गंदे समुन्द्र तट दिखायी दिये है। मैंने जगन्नाथपुरी उड़ीसा का समुद्र तट भी देखा है लेकिन वहाँ पर ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे देखकर उसकी तुलना बोम्ब से की जा सके। बोम्बे में समुन्द्र तट पर नहाने का आनन्द उठाना बहुत मुश्किल कार्य लगता है। चौपाटी को साफ़ रखने में मुम्बई महानगर पालिका का बड़ा अहम रोल है लेकिन लगता है कि समुन्द्र किनारे की गन्दगी को हटाने में नगर पालिका भी बेबस हो गयी है।
चौपाटी पर शाम के समय मेले जैसा माहौल रहता होगा, कोई अप्रिय घटना घटित ना हो उसके लिये यही एक पुलिस चौकी भी बनायी गयी है। चौपाटी का लगभग पूरा चक्कर लगाने के बाद हमने वहाँ से आगे चलने की सहमति दिखायी और वहाँ से आगे चल दिये। आगे चलते ही पुलिस वालों ने हमें रोक लिया। हमने रोकने का कारण पूछा तो बताया गया कि अभी मुख्यमंत्री महोदय व विदेशियों का एक समूह यहाँ से निकलने वाला है इसलिये सड़क पर वाहनों को रोक दिया गया है। हम तो पैदल थे लेकिन हमें भी उन मंत्रियों के चक्कर में 10-15 मिनट तक वही खड़े रहना पड़ा। थोड़ी देर बाद काफ़िला वहाँ से निकल गया तो हमें आगे बढ़ने की इजाजत मिल सकी।
गिरगाँव चौपाटी से आगे बढ़ते ही लोकमान्य बालगंगाधर तिलक पार्क चौपाटी का स्थान ले लेता है, जहाँ चौपाटी पर सुनहरी रेत की भरमार है उसके बिल्कुल विपरीत चौपाटी से सटा हुआ यह पार्क एकदम हरा भरा है। यहाँ की हरियाली देखकर मन कर जाता है कि कुछ देर छाँव में आराम किया जाये। लेकिन घुमक्कडों को आराम करने की फ़ुर्सत ही कहाँ होती है? पार्क को देखते हुए आगे की ओर बढ़ चले। सड़क पार एक फ़ुटओवर ब्रिज दिखायी दे रहा था।
लोकल रेलवे को पार करने के लिये यह फ़ुट ओवर ब्रिज बनाया गया है। मैंने विशाल से कहा चल भाई इस पैदल पुल के ऊपर चलते है वहाँ रुककर कुछ देर तक आने-जाने वाली लोकल व लम्बी दूरी की ट्रेन देखेंगे, उसके साथ ही दो-चार फ़ोटो-सोटो भी ले लेंगे। विशाल का चेहरा देखने से लगता था कि वह रेलवे पैदल पुल पर जाने का इच्छुक नहीं लग रहा था। हम दोनों पुल के ऊपर जा पहुँचे, वहाँ काफ़ी देर तक आने-जाने वाली ट्रेन को देखते रहे उसके बाद वापिस सड़क पर आये। अब हमें नरीमन पॉइन्ट जाना था।
नरीमन पॉइन्ट तक पहुँचने के लिये मरीन ड्राइन पर कार/बस यात्रा करने का मौका नहीं चूकना चाहिए। यहाँ चौपाटी से नरीमन पॉइन्ट की दूरी लगभग 4-5 किमी के करीब रही होगी। बस की बजाय विशाल ने यहाँ पर भी कार से चलने को वरीयता प्रदान की। अब तक जितनी भी जगह किराया दिया गया था सभी का भुगतान विशाल ही करता आ रहा था। मैंने एक बार भी उसे यह नहीं कहा कि अब किराया मैं दूँगा। सोचा था कि शाम को एक बार ही लुहार वाली चोट कर हिसाब चुकता कर दूँगा। एक टैक्सी में बैठकर नरीमन पॉइन्ट के लिये निकल पड़े। कार में विशाल हर बार मुझे आगे बैठने का मौका देता था और कहता था संदीप भाई मैंने बोम्बे बहुत बार देखा है अगर आप आगे वाली सीट पर बैठकर नजारे नहीं देखोगे तो फ़िर मेरा आपके साथ आना बेकार जायेगा। विशाल ने बोम्बे घूमाने में मेरा पूरा ध्यान रखा, मेरे पास खजाने में इस नेक कार्य के लिये कोई शब्द नहीं है।
कार में बैठकर वीडियो बनाता हुआ मैं आगे वाली सीट का भरपूर लुत्फ़ उठाता चला गया। थोड़ी देर में गले के हार जैसी मरीन ड्राइव का मस्त सफ़र कब बीत गया पता ही नहीं लगा। जब विशाल बोला चलो संदीप भाई यह देखो यह नरीमन पॉइन्ट है जैसे ही कार रुकी तो विशाल ने कार वाले को भाड़ा चुकता किया उसके बाद पैदल ही नरीमन पॉइन्ट पर कुछ देर बिताने के इरादे से आखिरी किनारे की ओर चल दिये। यहाँ आखिरी किनारे पर पहुँचकर ऐसा लगा था कि जैसे हम सारा बोम्बे/मुम्बई पीछे छोड़ आये है। यहाँ से रानी के गले जैसा नेक्लस हार सरीखा प्रतीत होता मरीन ड्राइव बहुत लुभावना दिखायी दे रहा था। मरीन ड्राइव से यहाँ तक की यात्रा के बाद यहाँ से दिखायी देने वाला नजारा आज भी आँखों में बसा हुआ है।
जब नरीमन पॉइन्ट पर रुके हुए हमें आधा घन्टा हो गया तो हमने वहाँ से गेटवे आफ़ इन्डिया की ओर जाने का इरादा कर लिया। पहले सोचा कि कार से चलते है, लेकिन मुझे बोम्बे की बसों में यात्रा करने में अच्छा लग रहा था। दिल्ली की भीड़भरी बसों के मुकाबले बोम्बे की बसे भीड़ रहित दिखायी दे रही थी। यहाँ एक कार दिखायी दी जिस पर सुहाना सफ़र लिखा हुआ देखकर मुझे आगरा वाले दोस्त रितेश गुप्ता की याद आ गयी। रितेश भाई के परिवार के साथ मैंने आगरे का ताजमहल सपिवार ही देखा था। सुहाना सफ़र रितेश भाई के ब्लॉग का नाम है जैसे अपने ब्लॉग का नाम तो वैसे भी जाटदेवता है विशाल भाई के ब्लॉग का नाम ट्रेवल इन्डिया है। सुहाना सफ़र के कार चालक भी मस्त इन्सान थे उनसे हम काफ़ी देर तक बातचीत करते रहे, जैसे ही गेटवे की तरफ़ जाने वाली बस आयी, हमने अपने सुहाना सफ़र वाली कार के चालक को राम-राम कर दी और भाग कर बेस्ट की बस में जा घुसे। (क्रमश:)
16. महाराष्ट्र की ग्रामीण शादी का आँखों देखा वर्णन।
17. महाराष्ट्र के एक गाँव के खेत-खलिहान की यात्रा।
18. महाराष्ट्र के गाँव में संतरे के बाग की यात्रा।
19. नान्देड़ का श्रीसचखन्ड़ गुरुद्धारा
20. नान्देड़ से बोम्बे/नेरल तक की रेल यात्रा।
21. नेरल से माथेरान तक छोटी रेल (जिसे टॉय ट्रेन भी कहते है) की यात्रा।
22. माथेरान का खन्ड़ाला व एलेक्जेन्ड़र पॉइन्ट।
23. माथेरान की खतरनाक वन ट्री हिल पहाड़ी पर चढ़ने का रोमांच।
24. माथेरान का पिसरनाथ मन्दिर व सेरलेक झील।
25. माथेरान का इको पॉइन्ट व वापसी यात्रा।
26. माथेरान से बोम्बे वाया वसई रोड़ मुम्बई लोकल की भीड़भरी यात्रा।
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के बोम्बे शहर की यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
27. सिद्धी विनायक मन्दिर व हाजी अली की कब्र/दरगाह
28. महालक्ष्मी मन्दिर व धकलेश्वर मन्दिर, पाताली हनुमान।
29. मुम्बई का बाबुलनाथ मन्दिर
30. मुम्बई का सुन्दरतम हैंगिग गार्ड़न जिसे फ़िरोजशाह पार्क भी कहते है।
31. कमला नेहरु पार्क व बोम्बे की बस सेवा बेस्ट की सवारी
32. गिरगाँव चौपाटी, मरीन ड्राइव व नरीमन पॉइन्ट बीच
33. बोम्बे का महल जैसा रेलवे का छत्रपति शिवाजी टर्मिनल
34. बोम्बे का गेटवे ऑफ़ इन्डिया व ताज होटल।
35. मुम्बई लोकल ट्रेन की पूरी जानकारी सहित यात्रा।
36. बोम्बे से दिल्ली तक की यात्रा का वर्णन
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के आंध्रप्रदेश इलाके की यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
15. महाराष्ट्र के एक गाँव में शादी की तैयारियाँ।
04. विशाखापट्टनम का कब्रगाह, और भीम-बकासुर युद्ध स्थल।
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के महाराष्ट्र यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
16. महाराष्ट्र की ग्रामीण शादी का आँखों देखा वर्णन।
17. महाराष्ट्र के एक गाँव के खेत-खलिहान की यात्रा।
18. महाराष्ट्र के गाँव में संतरे के बाग की यात्रा।
19. नान्देड़ का श्रीसचखन्ड़ गुरुद्धारा
20. नान्देड़ से बोम्बे/नेरल तक की रेल यात्रा।
21. नेरल से माथेरान तक छोटी रेल (जिसे टॉय ट्रेन भी कहते है) की यात्रा।
22. माथेरान का खन्ड़ाला व एलेक्जेन्ड़र पॉइन्ट।
23. माथेरान की खतरनाक वन ट्री हिल पहाड़ी पर चढ़ने का रोमांच।
24. माथेरान का पिसरनाथ मन्दिर व सेरलेक झील।
25. माथेरान का इको पॉइन्ट व वापसी यात्रा।
26. माथेरान से बोम्बे वाया वसई रोड़ मुम्बई लोकल की भीड़भरी यात्रा।
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के बोम्बे शहर की यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
27. सिद्धी विनायक मन्दिर व हाजी अली की कब्र/दरगाह
28. महालक्ष्मी मन्दिर व धकलेश्वर मन्दिर, पाताली हनुमान।
29. मुम्बई का बाबुलनाथ मन्दिर
30. मुम्बई का सुन्दरतम हैंगिग गार्ड़न जिसे फ़िरोजशाह पार्क भी कहते है।
31. कमला नेहरु पार्क व बोम्बे की बस सेवा बेस्ट की सवारी
32. गिरगाँव चौपाटी, मरीन ड्राइव व नरीमन पॉइन्ट बीच
33. बोम्बे का महल जैसा रेलवे का छत्रपति शिवाजी टर्मिनल
34. बोम्बे का गेटवे ऑफ़ इन्डिया व ताज होटल।
35. मुम्बई लोकल ट्रेन की पूरी जानकारी सहित यात्रा।
36. बोम्बे से दिल्ली तक की यात्रा का वर्णन
2 टिप्पणियां:
शुभकामनायें प्रियवर-
बड़ा अजब लगता है जब रेगिस्तान में और समुद्र के किनारे पायी जाने वाली रेत एक जैसी होती है।
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