शनिवार, 24 मार्च 2012

KILBURY किलबरी (नैनीताल के भ्रमण पर)


भीमताल, नौकुचियाताल, सातताल देखने के लिये यहाँ क्लिक करे।

NAINA/ CHINA PEAK से लौटने पर मैं ठीक उसी जगह पर आ बैठा जहाँ से इस जगह की ऊँचाई तीन किमी बाकि रह जाती है। अन्तर सोहिल का फ़ोन आया कि अब हम नैनीताल में झील के पास आ चुके है, इसके जवाब में मैंने कहा कि ठीक है आ जाओ अभी तुम मुझसे कई किमी दूरी पर हो, पैदल आओगे या गाडी से। अन्तर सोहिल ने कहा कि हमने एक इण्डिका नैनीताल घूमने के लिये कर ली है। कार सुनते ही अपना माथा ठनका कि यार ये कैसे मानव है जो ऐसी शानदार जगह पर भी कार में बन्द होकर रह जाना चाहते है। उन्हें एक बार अच्छी तरह समझा दिया कि जो सडक नैनी झील के साथ चलती हुई चढाई पर चढती जाती है आगे जाकर बलखाती हुई यह नैना पीक जाने वाले पैदल मार्ग व किलबरी जाने वाले की ओर चली जाती है तुम्हे उसी पर आना है एक बार कार के चलाने वाले को भी समझा दिया ताकि वो कहीं ओर ले जा कर ना पटक दे। जहाँ मैं बैठा हुआ था वहाँ चाय वाली दुकान के सामने मोड के ठीक सामने सडक पर बैठने लायक एक जुगाड पर मैंने अपना धुना रमा दिया था। मैं सोच रहा था कि ये लोग लगभग आधे घन्टे में आ जायेंगे। लेकिन जब ये पौने घन्टे तक भी ना फ़टके तो अपनी खोपडी घूमने लगी कि लगता है कि किसी और जगह जा पहुँचे है। एक बार फ़िर से फ़ोन लगाया तब जाकर पता लगा कि बस आने ही वाले है।

सामने जो चैक पोस्ट दिखाई दे रहा है, चाय की दुकान पर बैठ कर लिया गया फ़ोटो है।

शनिवार, 17 मार्च 2012

NAINA PEAK / CHINA PEAK नैना पीक / चाइना पीक


भीमताल, नौकुचियाताल, सातताल देखने के लिये यहाँ क्लिक करे।

नैनीताल का स्नोव्यू पोइन्ट SNOW VIEW POINT तो देख लिया, जबकि मैं इस स्थल को देखने के लिये नहीं आया था, मैं तो नैना पीक NAINA PEAK इसे चाइना पीक CHINA PEAK भी कहते है इसकी समुन्द्र तल से ऊँचाई 2615 मी है को देखने की इच्छा थी। वापसी में नैना पीक की ओर आते समय सडक किनारे दो तीन लोग एक मोड पर कुकडी यानि कि भूट्टे भून-भून के उस पर काला नमक व नीम्बू लगा कर बेच रहे थे। जिन लोगों ने इस प्रकार के आग में भूने हुए भूट्टे खाये होंगे उनके मुँह में तुरन्त पानी आ गया होगा। मैंने 15 रुपये वाला एक बडा सा भूट्टा देशी भाषा में बोले तो कुकडी खाने के लिये ली। हमारे गाँव में तो इसे कुकडी ही बोले है आप लोगों के यहाँ कुछ और बोलते होंगे। मैं स्वाद ले-ले कर कुकडी खाता रहा, साथ ही पैदल चलने में भी लगा रहा। मुश्किल से दो किमी भी नहीं चला था कि एक मोड पर एक बोर्ड दिखाई दिया जिस पर लिखा था कि नैना देवी पैदल मार्ग दूरी मात्र तीन किमी। अरे केवल तीन किमी जबकि मैं समझा था कि नैना देवी अभी 5-6 किमी तो होगा ही। जहाँ से यह पैदल मार्ग शुरु होता है ठीक वही पर उल्टे हाथ की ओर एक चाय की दुकान है, मैंने कुछ देर उस दुकान पर बैठने की सोची। दुकान वाले ने मुझसे पूछा कि नैना पीक जाओगे। मैंने कहा हाँ क्यों मार्ग बन्द है क्या? मैंने मार्ग बन्द होने के बारे में इसलिये कहा क्योंकि मुझे वहाँ बैठे-बैठे लगभग आधा घन्टा हो गया था लेकिन कोई भी उस पैदल मार्ग से जाना वाला दिखाई नहीं दिया था। चाय वाले ने बताया कि आज मौसम साफ़ नहीं है इसलिये आज अभी तक दो तीन लोग ही ऊपर गये है। चाय वाले ने बातों बातों में बताया कि यह पैदल मार्ग यहाँ से नहीं बल्कि नीचे से ही यहाँ तक आया है। जब मैंने कहा कि मैं भी नीचे से ही पैदल ही आया हूँ तो वो मानने को तैयार नहीं था जब उसको कैमरे से फ़ोटो दिखाये तो उसकी बोलती बन्द। एक जवान फ़ौजी अपनी नई नवेली फ़ौजन के साथ वहाँ आया, फ़ौजी तो नैना पीक जाना चाहता था लेकिन फ़ौजन को तीन किमी की पैदल चढाई के नाम से ही साँप सा सूंघ गया था।

चाय की दुकान व सडक के मोड के किनारे बोर्ड।

शनिवार, 10 मार्च 2012

NAINITAL SNOW VIEW POINT नैनीताल शहर के भ्रमण पर


भीमताल, नौकुचियाताल, सातताल ये तीनों ताल भीमताल के ओशो आश्रम में रहते हुए आराम से देख डाले थे। पहले दिन में भीमताल व नौकुचियाताल दोनों एक साथ देख लिये गये थे दूसरे दिन सातताल देख लिया गया था। इन तीनों तालों को देखने के लिये मैंने तो पैदल ही भ्रमण किया था। लेकिन सभी लोग ऐसा नहीं कर पाते है अत: जिसे जैसा अच्छा लगे वो उसी प्रकार इन स्थलों पर जरुर घूम कर आये। यह तो मैंने पहले ही बता दिया था कि ओशो आश्रम वालों ने जब यह कहा था कि बिना गाऊन पहने कोई सभा में नहीं आयेगा। अपुन ठहरे घुमक्कड प्रजाति के प्राणी ओशो के भक्त-वक्त तो थे नहीं जिससे कि मेरे ऊपर उनके प्रवचन का तनिक मात्र भी कुछ प्रभाव पडता। ले दे के जाटॊं के एकमात्र देव है महादेव अत: जब कभी मौका मिलता है तो उनके कुछ आसान से (मेरे लिये आसान है सभी के लिये नहीं) ठिकाने पर मैं जयराम जी की करने चला जाता हूँ।
                                    इस यात्रा की शुरुआत देखने के लिये यहाँ चटका लगाये

मार्ग में एक घर की छत के बीच से निकला हुआ पेड है।

सोमवार, 5 मार्च 2012

SATTAL or SAT TAL सात ताल


भीमताल, नौकुचियाताल, देखने के लिये यहाँ क्लिक करे।

पहले लेख में मैंने बताया था कि अब सातताल मुश्किल से 200 मी की दूरी पर ही है, अब वहाँ से आगे। यहाँ से सडक के किनारे सीधे हाथ की ओर एक पैदल मार्ग नीचे की ओर जाता दिखाई दे रहा था। जबकि सडक दूसरी ओर मुड गयी थी चूंकि पहाडों में ऐसा होता ही है कि पैदल मार्ग सडक मार्ग के मुकाबले काफ़ी छोटा होता है अत: यहाँ भी मैंने सडक छोड कर पैदल मार्ग पर चलना शुरु किया ही था कि मुझे एक ऊँचे से पत्थर पर कुछ लोग रस्सी बांधकर चढने में लगे हुए थे। यहाँ पर राक क्लाईमिंग की जा रही थी। कुछ देर तक उनको देखने के बाद, मैंने फ़िर से अपनी मंजिल की ओर चलना शुरु कर दिया था। यह पैदल मार्ग मुझे एक बैरियर के किनारे ले आया था। यहाँ बैरियर से इस स्थान पर आने वाले वाहनों से शुल्क लिया जा रहा था। मेरे पास तो वाहन था ही नहीं अत: मैं तो अपनी ग्यारह नम्बर की गाडी से आगे की ओर चलता रहा। अरे हाँ एक बात तो रह ही गयी थी कि इस बैरियर पर आते ही मैं सातताल झील के किनारे आ गया था। यहाँ बैरियर से ही सडक झील के किनारे-किनारे ही होकर आगे जा रही है। कुछ आगे जाने पर मैंने देखा कि कोई 20-25 स्कूल/कालेज या किसी संस्थान के युवक-युवती इस झील में अपनी-अपनी नाव लेकर झील की सैर करने की तैयारी करने में लगे थे। मैं कुछ दूर तक इन्हें देखता रहा उसके बाद मैं आगे की ओर चलता रहा।

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