तीन-तीन खीरे जैसे केले खा कर हम इस गार्डन के टिकट घर पर जा पहुँचे। पिंजौर गार्डन के मुख्य द्धार पर ही हम खडे थे। यहाँ अंदर जाने के लिये बीस रुपये का टिकट लेना पडता है। हमनें चार लिये, चंडाल चौकडी के लिये चार ही चाहिए थे। अन्दर जाने का और रास्ता नहीं था। यह गार्डन चंडीगढ़ से मात्र 22, पंचकूला से 15 किलोमीटर दूर है। यह अम्बाला जिरकपुर से कालका जाने वाले मार्ग पर आता है। चंडी मंदिर भी इसी रास्ते में आता है।
लो जी कर लो आप भी इस गार्डन के दर्शन जी।
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ऐसा ही शानदार है ये गार्डन
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इस गार्डन को यदविन्दर गार्डन भी कहा जाता है, नवाब फ़िदैल खान द्धारा इसका नमूना बनाया गया था। कई अंग्रेज अफ़सर भी यहाँ रहे थे। जो लोग कश्मीर का मुगल गार्डन नहीं देख सकते है, उनके लिये ये उसकी लगभग वैसी ही नकल है। इसे भी कभी मुगल गार्डन कहा जाता था। यह लगभग एक सौ एकड जमीन पर बना हुआ है, चारों तरफ़ ऊंची-ऊंची दीवार है, यह आयताकार बना हुआ है, हर दीवार में दरवाजा है, हर कोने में एक सीढियों वाला जीना बना हुआ है, हम भी उस जीने पर जा पहुँचे थे। जीने से ऊपर जाकर एक अलग नजारा नजर आता है। इस गार्डन का अपना एक छोटा सा नन्हा सा चिड़ियाघर, पौधों की नर्सरी, जापानी बगीचा और पिकनिक लॉन आदि-आदि है।