लेह बाइक यात्रा-
पहले दिन सवा चार सौ किलोमीटर बाइक चलाने के बाद भी, रात में माता के दर्शन पैदल किये, उसके बाद भी सिर्फ़ तीन घंटे सोये, हम सब घर जाने के लिये उतावले थे। सब नहा धोकर, सुबह साढे नौ बजे अपने प्यारे घर की और चल दिये। आज उस मार्ग से नहीं जाना था जिससे कल आये थे। आधे घंटे बाद हम जम्मू-श्रीनगर हाइवे पर आ गये थे। जम्मू की ओर जाते समय, हमें जम्मू बाईपास से जाना था, लेकिन मेरे दोनों बाइक वाले साथी कुछ ज्यादा ही तेजी से जा रहे थे, बाईपास को देखा ही नहीं, और घुस गये जम्मू सिटी की भीड में, जबकि मैं बाईपास से होता हुआ सीधा सांबा जा निकला, व यहाँ एक भंडारे पर भोले का प्रसाद दाल मखनी व तंदूरी रोटी ग्रहण किया। जब तक उन दोनों ने जम्मू पार ही किया था। अब तय हुआ कि कठुआ या पठानकोट पार करने के बाद उस मोड पर मिलंगे, जहाँ से एक मार्ग चम्बा, धर्मशाला, मण्डी की ओर जाता है व दूसरा जालंधर, लुधियाना, अम्बाला, दिल्ली की ओर, लेकिन पठानकोट में फ़िर गडबड हो गयी। ये चारों पठानकोट से जालंधर वाले मार्ग पर ना आकर, सीधे हाथ अमृतसर की ओर चले गये।
हम जब भी घर से बाहर होते है, तो हमेशा इस बोर्ड पर लिखी बात ध्यान में रखते है। आप भी रखो,
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