आज आपको सोमनाथ मन्दिर में महाशिवरात्रि वाले
दिन दर्शन करने की मजेदार घटना के बारे में बताता हूँ-
महाशिवरात्रि वाले दिन हम सुबह चार बजे ही उठ
गये थे, नहा धोकर मन्दिर की ओर चल पड़े। वैसे हमारा कमरा मन्दिर से
मात्र 100 मी की दूरी पर ही था, लेकिन
हम बनारस में महाशिवरात्रि के दिन होने वाली भीड़ देख चुके थे इसलिये हम दिन
निकलने से पहले ही मन्दिर में प्रवेश कर लेना चाहते थे। बनारस वाली यात्रा में
मेरे साथ प्रेम सिंह था जो इस यात्रा व गौमुख से केदारनाथ पद यात्रा में साथ ही
चला था। जैसे ही हम मन्दिर के बाहरी प्रवेश दरवाजे पर पहुँचे तो देखा कि अरे बाप
रे इतनी सुबह-सुबह 5 बजे भी लोग लाईन में लग गये है। जब तक हम लाईन में पहुँचे
तो हमारे से पहले लगभग 100 लोग वहाँ पहले से ही मौजूद थे। हमने पहले वहाँ का जायजा
लिया उसके बाद पता लगा कि अभी लाईन वाइन नहीं लगी हुई है। गेट खुलने का समय सुबह
ठीक साढ़े पाँच बजे का था। इसलिये हमें ज्यादा देर वहाँ खड़ा भी नहीं रहना था।
यहाँ पर मन्दिर का बाहरी दरवाजा शिवलिंग से लगभग 200 मीटर की दूरी पर है। शिवलिंग से कोई 50 मीटर पहले एक और दरवाजा है वहाँ से आगे सभी को नंगे पैर
जाना पड़ता है। हम कल शाम को यहाँ के तौर तरीके देख आये थे कि कहाँ चप्पल निकालनी
है। किधर से जाना है किधर से आना है। चूंकि हमारा कमरा मन्दिर के सामने ही था
इसलिये हम चारों बिना चप्पल के ही मन्दिर तक चले आये थे।
सूर्योदय वाले स्थान से मन्दिर |
सोमनाथ का नवनिर्मित मन्दिर |