EAST COAST TO WEST COAST-07 SANDEEP PANWAR
16. महाराष्ट्र की ग्रामीण शादी का आँखों देखा वर्णन।
17. महाराष्ट्र के एक गाँव के खेत-खलिहान की यात्रा।
18. महाराष्ट्र के गाँव में संतरे के बाग की यात्रा।
19. नान्देड़ का श्रीसचखन्ड़ गुरुद्धारा
20. नान्देड़ से बोम्बे/नेरल तक की रेल यात्रा।
21. नेरल से माथेरान तक छोटी रेल (जिसे टॉय ट्रेन भी कहते है) की यात्रा।
22. माथेरान का खन्ड़ाला व एलेक्जेन्ड़र पॉइन्ट।
23. माथेरान की खतरनाक वन ट्री हिल पहाड़ी पर चढ़ने का रोमांच।
24. माथेरान का पिसरनाथ मन्दिर व सेरलेक झील।
25. माथेरान का इको पॉइन्ट व वापसी यात्रा।
26. माथेरान से बोम्बे वाया वसई रोड़ मुम्बई लोकल की भीड़भरी यात्रा।
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के बोम्बे शहर की यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
27. सिद्धी विनायक मन्दिर व हाजी अली की कब्र/दरगाह
28. महालक्ष्मी मन्दिर व धकलेश्वर मन्दिर, पाताली हनुमान।
29. मुम्बई का बाबुलनाथ मन्दिर
30. मुम्बई का सुन्दरतम हैंगिग गार्ड़न जिसे फ़िरोजशाह पार्क भी कहते है।
31. कमला नेहरु पार्क व बोम्बे की बस सेवा बेस्ट की सवारी
32. गिरगाँव चौपाटी, मरीन ड्राइव व नरीमन पॉइन्ट बीच
33. बोम्बे का महल जैसा रेलवे का छत्रपति शिवाजी टर्मिनल
34. बोम्बे का गेटवे ऑफ़ इन्डिया व ताज होटल।
35. मुम्बई लोकल ट्रेन की पूरी जानकारी सहित यात्रा।
36. बोम्बे से दिल्ली तक की यात्रा का वर्णन
घर पहुँचते-पहुँचते घनघोर अंधेरा हो गया
था इसलिये सड़कों व गलियों में बिजली की लाईटे अपनी भरपूर रोशनी से शहर को जगमगा रही थी। रात में नारायण जी के घर पहुंचे, नारायण जी का
घर हाईवे से ज्यादा दूरी पर नहीं है लेकिन बाई पास उनके घर से कई किमी दूरी पर है। अपने यहाँ उत्तर भारत में एक परम्परा है कि किसी दोस्त-जान पहचान वाले के यहाँ
पहली बार जाते समय कुछ मीठा साथ ले जाना अच्छा माना जाता है ताकि मेजबान और जजमान में मिठास बढ़ती रहे। शायद आंध्रप्रदेश में मीठे की रस्म थोड़ा हटकर है इसलिये नारायण जी से घर घुसने से पहले ही इस बात को बता दिया गया था अब नारायण जी ने एक नई मुश्किल बता दी कि उन्हें व उनकी अर्धांगिनी को मधुमेह है जिससे वे मीठे से परहेज करते है। खैर रस्म अदायगी रुप में वहां की थोड़ी सी मिठाई लेकर नारायण जी के घर पहुँचे। अगली सुबह अरकू
घाटी देखने जाना था।
नारायण जी का घर
बेहद ही खूबसूरत बना हुआ है। शायद 250\300 गज में बना हुआ होगा। कार से उतरकर नारायण
जी के घर के अन्दर प्रवेश किया। नारायण जी धर्मपत्नी ने हमारा स्वागत किया, नारायण
जी ने पहले ही बता दिया था कि उनकी श्रीमती को बहुत कम हिन्दी आती है इसलिये वे ज्यादा
बाते नहीं कर पायी। घर आते समय ही नारायण जी
भोजन बनाने के लिये कह दिया था। शायद उन्होंने साँभर बड़ा बनाने के लिये कहा
था। घर का बना सांभर बड़ा पहली बार खाने जा रहा था इसलिये मन में थोड़ा सा असमंजस था
कि दिल्ली में मिलने वाला साँभर बड़ा और विशाखापट्टनम में घर का बना बड़ा-साँभर स्वाद
में कितना अन्तर लिये हुए होगा? लेकिन जैसे ही मैंने साँभर बड़ा
खाना शुरु किया तो मेरे आश्चर्य का ठिकाना ही नहीं रहा कि घर में बना भोजन भी इतना
स्वादिष्ट हो सकता है। मैंने अपनी क्षमता से भी ज्यादा खाना खा गया।
सुबह जल्दी उठना
क्योंकि विशाखापट्टनम से अरकू जाने वाली एकमात्र रेलगाड़ी सुबह ६:४० मिनट पर चलती है।
यदि यह रेलगाड़ी निकल गयी तो फ़िर बसो के जरिये वहाँ जाना पडेगा, जबकि असली
आनन्द रेलगाड़ी यात्रा करने में ही आयेगा इसलिये मैंने पहले ही इस सवारी रेल (क्सप्रेस
नहीं) में अपनी सीट आरक्षित करा दी थी। लेकिन सोते समय जब मैंने नारायण को रेल वाली
बात बतायी तो उन्होंने कहा, "संदीप भाई आप कल सुबह मेरे
साथ मेरी कार में अरकू घाटी देखने जा रहे हो।" इसलिये रेल वाली बात दिमाग से निकाल
दो, और हाँ यदि रेल से गये तो फ़िर दिन भर में सिर्फ़ अरकू वैली
ही देख पायेंगे। जबकि मैं आपको वोरा गुफ़ा भी दिखाने ले जाऊँगा। ठीक है जी जैसी आपकी
इच्छा, वैसे भी मेरी आदत है कि मैं अपने से छोटों की भी उचित
बात मान लेता हूँ जबकि नारायण जी तो मुझसे लगभग 20 वर्ष ज्यादा अनुभवी होने के साथ-साथ ज्ञानी
भी ठहरे, इसलिये उनकी दिल की इच्छा को हल्की बात मानकर कैसे टाला
जा सकता था?
रात को नहाकर सो गया दिल्ली में फ़रवरी माह
में भी ठन्ड़ अपने चर्म पर रहती है। जबकि विशाखापट्टनम में समुन्द्र किनारा होने के
कारण साधारण तापमान रहता है। अगली सुबह सवेरे 5 बजे नारायण जी जगाने के
लिये मेरे पास आये, मैंने कहा जी बस 10-12 मिनट प्रतीक्षा
कीजिए, मैं नहा-धोकर आता हूँ। नारायण जी मुझसे पहले ही तैयार हो चुके थे। मैं भी
फ़टाफ़ट तैयार हुआ और नारायण जी की कार में सवार होकर अरकू घाटी की ओर चल दिया।
विशाखापट्टनम से चलते समय उजाला नहीं हुआ था इसलिये जब बाई पास आया तो नारायण जी
ने मुझे उसके बारे में बताया, यहाँ से आगे हम सीधे चलते गये। सुबह का समय होने के
कारण सड़क पर इक्का-दुक्का मानव दिखायी दे रहा था। विशाखापट्टनम से अरकू की दूरी
लगभग 120 किमी के आसपास है इसलिये वहाँ तक पहुँचने में दो से
तीन घन्टे का समय आसानी से लग जाता है। शुरु का आधा मार्ग मैदानी है जबकि बाकि
आखिरी का आधा मार्ग पूरा का पूरा पहाड़ी है जिस पर गाड़ी दौड़ायी नहीं बल्कि चलायी ही
जा सकती है।
अरकू से पहले एक जगह एक पहाड़ी पर सुन्दर
का भोजनालय देखा तो चाय-नाश्ता करने के लिये नारायण जी ने कार उधर घुमा दी, लेकिन
सुबह सवेरे वहाँ कुछ भी उपलब्ध नहीं था। इसलिये दो चार फ़ोटो लेकर वहाँ से आगे चल
दिये। बीच-बीच में जहाँ कही कुछ देखने का मन होता कार एक तरह खड़ी कर उसे देखने लग
जाते। नारायण जी अपने दोनों कैमरे साथ लाये थे एक मेरे पास व एक उनके पास था हम
दोनों फ़ोटो लेते रहते और आगे बढ़ते जाते थे। आगे जाकर एक जगह नारायण जी ने कार सड़क
से हटकर खाई की तरफ़ बनी पगड़न्ड़ी पर मोड़ दी। दो सी मीटर जाने पर कहा चलो कैमरा लेकर
तुम्हे अरकू वैली की रेलवे लाईन की सुरंग दिखाता हूँ। अपने-अपने कैमरे लेकर हम
रेलवे लाइन तक पहुँचे, फ़ोटो लेने के बाद फ़िर से आगे बढ़ चले। अरकू पहुँचते समय अपने
वाहन का जमकर लाभ उठाते हुए हम अरकू पहुँच ही गये।
अरकू पहुँचकर एक बार फ़िर नारायण जी ने कार
सीधे हाथ बने मार्ग पर घूमा दी। अबकी बार कार एक पार्क/बगीचे/गार्ड़न के सामने जाकर
रुकी। यहाँ टिकट लेकर नारायण जी बोले चलो संदीप भाई यहाँ का बेहद ही सुन्दर गार्ड़न
दिखाता हूँ। इस गार्ड़न में रात को ठहरने के लिये पेड़ों पर बने लकड़ी के घर भी
उपलब्ध है जो प्रति रात्रि मात्र 500 रुपये के शुल्क पर मिल जाते है। यहाँ
बरसात के सीजन को छोड़ दे तो कमरे मिलने में कोई परेशानी नहीं आयेगी। गार्ड़न के
बाहर गाड़ी खड़ी कर उसमें से कैमरे निकाल कर हम गार्ड़ देखने चल दिये। इस गार्ड़न में
बहुत किस्म के पेड़ पौधे लगाये गये है। फ़ूलों की भी यहाँ ढ़ेर सारी नस्ले है। हम
पूरे गार्ड़न में घूमे जिसमें लगभग दो घन्टे का समय तो लगा ही होगा। चलिये आप भी
फ़ोटो देखिए, तब तक हम आगे एक झरने तक चलने की तैयारी करते है। (क्रमश:)
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के आंध्रप्रदेश इलाके की यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
15. महाराष्ट्र के एक गाँव में शादी की तैयारियाँ।
04. विशाखापट्टनम का कब्रगाह, और भीम-बकासुर युद्ध स्थल।
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के महाराष्ट्र यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
16. महाराष्ट्र की ग्रामीण शादी का आँखों देखा वर्णन।
17. महाराष्ट्र के एक गाँव के खेत-खलिहान की यात्रा।
18. महाराष्ट्र के गाँव में संतरे के बाग की यात्रा।
19. नान्देड़ का श्रीसचखन्ड़ गुरुद्धारा
20. नान्देड़ से बोम्बे/नेरल तक की रेल यात्रा।
21. नेरल से माथेरान तक छोटी रेल (जिसे टॉय ट्रेन भी कहते है) की यात्रा।
22. माथेरान का खन्ड़ाला व एलेक्जेन्ड़र पॉइन्ट।
23. माथेरान की खतरनाक वन ट्री हिल पहाड़ी पर चढ़ने का रोमांच।
24. माथेरान का पिसरनाथ मन्दिर व सेरलेक झील।
25. माथेरान का इको पॉइन्ट व वापसी यात्रा।
26. माथेरान से बोम्बे वाया वसई रोड़ मुम्बई लोकल की भीड़भरी यात्रा।
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के बोम्बे शहर की यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
27. सिद्धी विनायक मन्दिर व हाजी अली की कब्र/दरगाह
28. महालक्ष्मी मन्दिर व धकलेश्वर मन्दिर, पाताली हनुमान।
29. मुम्बई का बाबुलनाथ मन्दिर
30. मुम्बई का सुन्दरतम हैंगिग गार्ड़न जिसे फ़िरोजशाह पार्क भी कहते है।
31. कमला नेहरु पार्क व बोम्बे की बस सेवा बेस्ट की सवारी
32. गिरगाँव चौपाटी, मरीन ड्राइव व नरीमन पॉइन्ट बीच
33. बोम्बे का महल जैसा रेलवे का छत्रपति शिवाजी टर्मिनल
34. बोम्बे का गेटवे ऑफ़ इन्डिया व ताज होटल।
35. मुम्बई लोकल ट्रेन की पूरी जानकारी सहित यात्रा।
36. बोम्बे से दिल्ली तक की यात्रा का वर्णन
4 टिप्पणियां:
संदीप बाबू बहुत खूबसूरत स्थान के बारे में आपने बताया, धन्यवाद....इसी तरह से सैर कराते रहो..वन्देमातरम..राम राम
दोनों स्थान रेल से ही देखा है, आनन्द आ गया।
संदीप भाई अरकू वैली के बारे मे टी वी मे देख कर जिज्ञासा हुई सो सबसे पहले आपके लेख ढुढ़ कर पढे बहुत अच्छा लगा अब मै अरकू वैली देखने अवशय जाऊ गा धन्यवाद 4 जनवरी 2018
अरकू वैली का आपका लेख पढ़ कर मुझे भी अरकूँ जाने का निश्चय किया है धन्यवाद 4 जनवरी 2018
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