ROOPKUND-TUNGNATH 15 SANDEEP PANWAR
रुपकुन्ड़ तुंगनाथ की इस यात्रा के सम्पूर्ण लेख के लिंक क्रमवार दिये गये है।
01. दिल्ली से हल्द्धानी होकर अल्मोड़ा तक की यात्रा का विवरण।
02. बैजनाथ व कोट भ्रामरी मन्दिर के दर्शन के बाद वाण रवाना।
03. वाण गाँव से गैरोली पाताल होकर वेदनी बुग्याल तक की यात्रा।
04. वेदनी बुग्याल से पत्थर नाचनी होकर कालू विनायक तक की यात्रा
05. कालू विनायक से रुपकुन्ड़ तक व वापसी वेदनी बुग्याल तक की यात्रा।
06. आली बुग्याल देखते हुए वाण गाँव तक की यात्रा का विवरण।
07. वाण गाँव की सम्पूर्ण (घर, खेत, खलियान आदि) सैर/भ्रमण।
08. वाण से आदि बद्री तक की यात्रा।
09. कर्णप्रयाग व नन्दप्रयाग देखते हुए, गोपेश्वर तक की ओर।
10. गोपेश्वर का जड़ी-बूटी वाला हर्बल गार्ड़न।
11. चोपता से तुंगनाथ मन्दिर के दर्शन
12. तुंगनाथ मन्दिर से ऊपर चन्द्रशिला तक
13. ऊखीमठ मन्दिर
14. रुद्रप्रयाग
15. लैंसड़ोन छावनी की सुन्दर झील
16. कोटद्धार का सिद्धबली हनुमान मन्दिर
लैंसड़ोन पहुँचने से पहले ही सेना के जवान सड़को
पर दिखायी देने लगे। सुरक्षा की दृष्टि से हमने जवानों के फ़ोटो नहीं लिये। सेना के
जवान धीमी-धीमी चलती हमारी बाइकों को ध्यान से देख रहे थे। वैसे शक्ल से तो हम
नक्कसली व आतंकवादी नजर नहीं आ रहे थे। लेकिन यह सब हमारी खुद ही सोच है सेना के
जवान ही असलियत बता सकते है कि हम कैसे दिखते है? यहाँ एक जवान की छाती पर 302 नम्बर का चप्पा चिस्पा किया हुआ था। उसका नम्बर
देखकर हमने बाइक रोकी और उसके साथियों से कहा कि कैदी नम्बर 302 को खुला छोड़ा हुआ है, हमारी बात सुनकर वे हसने
लगे, और बोले कि खुला कहाँ छोड़ा है? इसे चारों और से घेर कर चल रहे है भागने नहीं
देंगे। खैर उनको हसता छोड़कर हमारी बाइके आगे बढ़ती रही।
आगे जाने पर उल्टे हाथ एक बड़ी सी दुकान से ठीक
सामने से लैंसडोन में घूमने लायक स्थानों का मार्ग अलग हो जाता है। यहाँ मामला
इतना पेचीदा है कि यह पहचान करने में बड़ी मुश्किल आती है कि हम किस मार्ग आगे
जाये। वैसे शुक्र है कि वहाँ पर बोर्ड़ भी लगे हुए है लेकिन हर थोड़ी दूरी पर
घुमावदार मार्ग मुड़कर अन्य मार्गों में मिल जाते है जिससे आगे बढ़ने में समस्या आनी
लाजमी है। हमने लैसडोन के देखने लायक स्थानों के बारे में पता किया तो हमें बताया
गया कि यहाँ देखने लायक एक झील व पहाड़ की चोटी है। पहाड़ की चोटो से कैसे नजारे
दिखेंगे यह हम अंदाजा लगा चुके थे इसलिये पहाड़ की चोटी पर जाने की योजना पर पानी
फ़ेर दिया। झील नजदीक ही थी, झील के सामने एक बड़ा सा विशाल मैदान था मैंने उसमें
अपनी बाइक खड़ी कर दी। जबकि मनु मुझसे आगे था इसलिये वो आगे चला गया।
दोनों ने अपनी बाइक खड़ी कर लैसडोन की सुन्दर सी
लेकिन छोटी सी झील के किनारे पहुँच गये। हमने प्रवीण गुप्ता मुज्जफ़र नगर के रहने
वाले बन्धु की यात्रा के जरिये यहाँ की काफ़ी जानकारी पहले से ही मालूम थी। झील के
किनारे भी सेना के जवान कुछ कार्य करने में लगे पड़े थे। इसलिये हमें वहाँ बहुत
ज्यादा घूमने का मौका ही नहीं मिला। लेकिन जितना मौका हमें मिला उसमें हमने सारी
झील देखने की पूरी कोशिश की थी। झील देखने के बाद हमारा वहाँ कोई काम नहीं था।
इसलिये हम अपनी बाइक की ओर चलने लगे। कुछ ही देर में बाइक के पास पहुँच गये। एक
बार फ़िर बाइक पर सवार होने की बारी थी। अपनी-अपनी बाइक पर सवार होकर कोटद्धार के
लिये प्रस्थान कर गये। चूंकि अब शान का समय भी होने जा रहा था इसलिये हमें ज्यादा
से ज्यादा मार्ग तय करने की चिंता सताने लगी। हम अंधेरा होने से पहले उत्तरप्रदेश
में प्रवेश कर लेना चाहते थे।
आखिरकार हमारी बाइके उसी मार्ग में पुन: आकर
मिल गयी, जिसे छोड़ कर हम लैसडोन की ओर आये थे। अब जैसे ही कोटद्धार आया तो शहर की
आबादी देखकर बाइक की गति सीमित करनी पड़ी। कोटद्धार तक भारतीय रेल भी आती है अत:
यदि किसी को दिल्ली से कोटद्धार तक बाइक से आना हो तो उसका भारतीय रेल स्वागत काती
है। कोटद्धार पार करने के बाद सिद्धबली नाम मशहूर मन्दिर सड़क किनारे दिखायी दे
गया। अगर मन्दिर सड़क से कुछ किमी हटकर होता तो शायद हम वहाँ जाने की भी नहीं
सोचते। लेकिन यहाँ तो मन्दिर सड़क के एकदम किनारे ही था बस एक नदी का छॊटा सा/लम्बा
सा पुल पार करना होता है। इस पुल को पार करते हुए हम मन्दिर के ठीक सामने जा
पहुँचे। (क्रमश:)
रुपकुन्ड़ तुंगनाथ की इस यात्रा के सम्पूर्ण लेख के लिंक क्रमवार दिये गये है।
01. दिल्ली से हल्द्धानी होकर अल्मोड़ा तक की यात्रा का विवरण।
02. बैजनाथ व कोट भ्रामरी मन्दिर के दर्शन के बाद वाण रवाना।
03. वाण गाँव से गैरोली पाताल होकर वेदनी बुग्याल तक की यात्रा।
04. वेदनी बुग्याल से पत्थर नाचनी होकर कालू विनायक तक की यात्रा
05. कालू विनायक से रुपकुन्ड़ तक व वापसी वेदनी बुग्याल तक की यात्रा।
06. आली बुग्याल देखते हुए वाण गाँव तक की यात्रा का विवरण।
07. वाण गाँव की सम्पूर्ण (घर, खेत, खलियान आदि) सैर/भ्रमण।
08. वाण से आदि बद्री तक की यात्रा।
09. कर्णप्रयाग व नन्दप्रयाग देखते हुए, गोपेश्वर तक की ओर।
10. गोपेश्वर का जड़ी-बूटी वाला हर्बल गार्ड़न।
11. चोपता से तुंगनाथ मन्दिर के दर्शन
12. तुंगनाथ मन्दिर से ऊपर चन्द्रशिला तक
13. ऊखीमठ मन्दिर
14. रुद्रप्रयाग
15. लैंसड़ोन छावनी की सुन्दर झील
16. कोटद्धार का सिद्धबली हनुमान मन्दिर
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