अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जिसे आजादी के
समय “काला पानी की सजा” के नाम से जाना जाता था। जी हाँ, अब आपको उसी काले पानी
की यात्रा करायी जायेगी। अंडमान द्वीप समूह भारत भूमि से लगभग 1200 किमी की दूरी पर स्थित है। कलकत्ता से किमी, चैन्नई से किमी, विशाखापटनम (विजाग) से
किमी दूरी पर है। यहाँ जाने के लिये तमिलनाडु के चैन्नई
(मद्रास) 1190 किमी, पश्चिम
बंगाल का कोलकत्ता 1255 किमी, व
आंध्रप्रदेश का विशाखापट्टनम (विजाग) 1200 किमी है इस तरह देखा जाये तो अंडमान इन तीनों जगहों
से लगभग एक जैसी दूरी पर पडता है। यहाँ जाने के लिये दो मार्ग है पहला व सस्ता
मार्ग समुन्द्री यात्रा है। दूसरा वाला हवाई
मार्ग महंगा तो है लेकिन समय बचाने वाला हवाई यात्रा मार्ग यहाँ जाने के लिये सबसे
उपयुक्त साधन है। कुदरत ने अंडमान को जी भर के खूबसूरती प्रदान की हुई है। जिसे यहाँ
के लोगों के रहन-सहन ने अभी तक बचाया हुआ है। यहाँ की आबादी करीब 5 लाख है जिस कारण यहाँ की
कुदरती सुन्दरता अभी तक बची हुई है। बम्बई, चैन्नै, दिल्ली या कोलकत्ता की तरह
यहाँ की आबादी करोड तक जाने दीजिए फिर देखिये यहाँ सब कुछ कबाडा होते देर नहीं
लगेगी। जैसा कि मैंने बताया कि कुदरत ने यहाँ सब कुछ जी भर के दिया है तो उसे
देखने के लिये कम से कम 10-15 दिन यहाँ के
लिये अवश्य लेकर जाना चाहिए। हमने भी इस यात्रा की योजना 10 दिन के अनुसार बनायी थी।
यह यात्रा भारत भूमि से दूर होने के कारण थोडी महंगी पड जाती है इसलिये आमतौर पर
अधिक संख्या में घुमक्कड यहाँ नहीं आ पाते है। पर्यटकों को यहाँ बहुतायत संख्या
में देखा जा सकता है। यदि यहाँ के लिये आना-जाना थोडा सस्ता पड जाये तो भारत से कई
गुणी संख्या में यात्री यहाँ आने के लिये तैयार हो जायेंगे।
अंडमान निकोबार
यात्रा की तैयारी व प्रस्थान-
हवाई जहाज के अन्दर ऐसा दिखता है। |
अपुन ठहरे फक्कड टाइप के घुमक्कड। इस यात्रा को
निकट भविष्य में करने का, मेरे मन में कोई विचार नहीं था। लेकिन कहते है ना कि
घुमक्कडी किस्मत से मिलती है। अपने एक साथी राजेश सहरावत पर मणिमहेश यात्रा की
ट्रैकिंग सफलतापूर्वक पूरी करने के बाद अचानक दिल्ली प्रस्थान करने के कारण, इस
यात्रा का जुर्माना तय हुआ था। मणिमहेश यात्रा की सफल चढाई के बाद हमने तय किया
हुआ था कि चम्बा से साच पास होकर पांगी तक जायेंगे लेकिन मणिमहेश की ट्रैकिंग में पहाडों
का खतरनाक देखने के बाद राजेश जी चम्बा से दिल्ली चले गये थे। तब मैंने कहा था कि
राजेश जी आपने तो आगे तक साथ देने का वायदा किया था आप पर इसका जुर्माना लगेगा।
राजेश ने कहा भी था कि ठीक है आपकी यह यात्रा साच पास तक मेरी वजह से नहीं पहुँच
पायी। इसके बदले आपको मेरी ओर से पूरे भारत में एक यात्रा करायी जायेगी। बात आयी
गयी हो गयी। कई साल बीत गये। एक दिन राजेश जी का फोन आता है। राजेश जी बोले, “संदीप
जी, आज हवाई जहाज पर तीन दिनों के लिये सस्ते आफर निकले है। बैंकाक चलने के लिये
तैयार हो जाओ।“ मैंने कहा, बैंकाक तो भारत के बाहर है उसके लिये पासपोर्ट चाहिए
होगा। वीजा लेना होगा। खर्चा भी बहुत होगा। हवाई जहाज में जाना होगा। ना मेरा
जुगाड इतना नहीं कि मैं हवाई जहाज में घूमता फिरु। माँग कर घूमना या उधार लेकर
घूमना मुझे पसन्द नहीं है। मैं नहीं जा सकता। मेरे पास पासपोर्ट भी नहीं है। मैं पासपोर्ट
भी तभी बनवाऊँगा जब कैलाश मानसरोवर जाऊँगा। राजेश जी बोले आपको याद है मणिमहेश
यात्रा पर आपने मुझ पर एक जुर्माना लगाया था। जिसके बदले मुझे आपको एक यात्रा के
आने-जाने का खर्च उठाना है। हाँ जी, वो तो याद है लेकिन उसमें यह भी तो तय था कि
भारत में किसी भी जगह की यात्रा कराऊँगा, विदेश की बात नहीं हुई थी।
मनु प्रकाश त्यागी अपने घुमक्कड साथी है वो भी
उस मणिमहेश यात्रा में साथ गये थे। उन्हे भी इस बात की जानकारी थी। राजेश जी को
कहा कि यह आफर तो अंडमान निकोबार की हवाई यात्रा के लिये भी अवश्य निकला होगा। नेट
पर सर्च किया तो अंडमान के लिये भी सस्ते हवाई यात्रा का आफर मिल गया। मनु भाई को
फोन लगाया कि मनु भाई अंडमान निकोबार की हवाई यात्रा का जुगाड सस्ते में बन रहा है।
चलना है तो बोलो। मनु बोला, मैं तैयार हूँ। राजेश जी से पुन: बात हुई। उन्हे बताया
गया कि अंडमान निकोबार के लिये आप मैं और मनु तैयार हो गये है। टिकट बुक कर दीजिए।
राजेश जी बोले मुझे हवाई टिकट बुक करना नहीं आता। मैंने राजेश जी को कहा, रेल के
टिकट तो आपने बहुत बुक किये है वैसे ही होते होंगे। राजेश जी बोले, “नहीं होते,
हवाई टिकट बुक थोडा ऊँट-पटाँग है।“ मैने कहा, समझ नहीं आया। मनु को बोला तो मनु ने
कहा कि मेरे पास इतने पैसे नहीं है। राजेश जी ने उसके खाते में 33000 रुपये भेज दिये। मनु ने
हम तीनों के कोलकत्ता होते हुए निकोबार तक की हवाई यात्रा के आने-जाने के टिकट बुक
कर दिये। यात्रा के टिकट हमने मार्च में किये थे जबकि यात्रा की अवधि जून में
सस्ते टिकट होने से निकली थी।
मार्च में टिकट बुक हो गये तो अब काला पानी की यात्रा पूरी होने का सपना सच होता दिखायी देने
लगा। देखते-देखते मार्च, अप्रैल, मई का महीना भी बीत गया। जून का महीना शुरु हो
गया। 3 जून को मनु का फोन आया, मनु बोला, “जाट भाई अंडमान निकोबार यात्रा तो खटाई
में पड गयी है।“ अबे तेरी, क्या हुआ? साफ-साफ बता। मनु ने बताया कि हवाई जहाज
वालों की मेल आयी थी कि जिस फ्लाईट में आपके टिकट बुक थे वह फ्लाइट रद्ध कर दी गयी
है। ऐसे कैसे रद्ध कर सकते है। सूरमा भोपाली समझा है क्या उन्होंने हमें। उन्हे
जुर्माना देना होगा। उनसे फोन पर बात करो और बोलो कि हम तीन आदमी है कोर्ट में केस
करने जा रहे है। कुछ समाधान कर सकते हो तो करो, नहीं तो मुकदमा झेलो। साथ ही कहना
कि हवाई जहाज के टिकट बुक करने के बाद, हमने अंडमान में दस दिन के होटल व टैक्सी
भी बुक कर रखी है। कुल मिलाकर 30 हजार का बिल बता दिया। जबकि हमने कुछ बुक नहीं
किया था। मनु ने उनसे वैसे ही बात की तो उन्हे लगा कि इतने के टिकट नहीं होंगे
जितना जुर्माना कोर्ट इन्हे दिलवा देगी। बात करने वाली कोई मैडम थी। मैडम सोच में
पड गयी कि कैसे बात बने? यह पहले ही बोल दिया था कि मेरे मोबाइल में रिकार्डिंग हो
रही है आपकी बात कोर्ट में भी पेश की जायेगी।
मैडम ने अपने किसी ऊपर वाले अधिकारी से कुछ देर
बात की व उसके बाद हमें कहा कि कोलकत्ता वाले मार्ग से तो सभी फ्लाइट कैंसिल है
यदि आपका जाना जरुरी है तो आपको मुम्बई व चैन्ने होते हुए ले जाया जा सकता है उस
रुट की 10 दिन के अन्तर की तारीख बताओ। हमें वापसी 30 तक आना है। मैडम ने हमें 20 जून की जाने की व 30 जून की आने की टिकट बता
दी। यह भी अच्छा हुआ। नहीं तो
पहले जो टिकट बुक थी मनु भाई ने केवल 7 दिन के अन्तर से वापसी के टिकट बुक किये थे।
तब बहुत सारी जगह छूट रही थी। अब तीन दिन बढने से देखने लायक कई जगह भी बढ रही है।
20 जून को शाम को दिल्ली के
हवाई अडडे से बम्बई के लिये फ्लाइट थी। मैं पहले भी सरकारी खर्चे पर दिल्ली से श्रीनगर तक सपरिवार हवाई यात्रा कर चुका हूँ
इसलिये मनु भाई व राजेश जी को हवाई अडडे पर काम आने वाली आवश्यक बाते बता दी। मनु
व राजेश जी की यह पहली हवाई यात्रा होने जा रही थी।
हम तीनों ने दिल्ली में तय किया था कि राजेश जी
के घर के पास वाले मैट्रो स्टेशन पर मिलेंगे। वहाँ से राजेश जी का बडा लडका, हमें
कार से एयर पोर्ट छोड कर आयेगा। मनु और मैं मैट्रो से रोहिणी पहुँचे वहाँ से राजेश
जी का बडा लडका, हमें कार से हवाई अडडे छोड आया। हवाई अड्डे पर अपनी-अपनी टिकट व
पहचान पत्र दिखाकर हमने अन्दर प्रवेश किया। हम हवाई जहाज छूटने से करीब दो घन्टे
पहले हवाई अडडॆ पहुँच गये थे। हवाई जहाज में जाने का व टिकट काऊँटर पर पहले आने का
लाभ यह होता है कि आप अपनी पसन्द की सीट चुन सकते हो। हमने अपना-अपना सामान सीधे
ही अंडमान के लिये बुक कर दिया था। दिल्ली से हमें दो टिकट मिली। हमारी पहली टिकट
दिल्ली से बम्बई तक की थी तो दूसरी टिकट बम्बई से अंडमान तक की थी। दिल्ली से रात
को 10 बजे हमारी फ्लाइट थी जो 12 बजे मुम्बई पहुँच रही
थी। मुम्बई से हमें अगली फ्लाइट सुबह 5 बजे मिलनी थी। इस बीच के 4 घन्टे हम क्या करते।
बम्बई के रहने वाले दोस्त विशाल राठौर को अपनी
यात्रा के बारे में बता दिया था। विशाल भाई रात को 12 बजे हमारे स्वागत के
लिये बम्बई के हवाई अडडे के बाहर मिल गये। रात को हवाई अडडॆ से बाहर आकर पहले तो
विशाल भाई ने बम्बई का मशहूर बडा पाव खिलाया। उसके बाद हम बम्बई की जान जूहू
चौपाटी देखने पहुँचे। चौपाटी से बाहर निकलते ही एक टैक्सी कर वर्ली सी लिंक
की ओर घूमने निकल गये। वर्ली सी लिंक से वापसी में विशाल को स्टेशन छोडा। हमारी
फ्लाइट का समय होने वाला था इसलिये हम भी हवाई अडडॆ पहुँच गये। बम्बई से हवाई जहाज
में बैठकर चैन्नई होते हुए अंडमान पहुँचे। चैन्नई में हमारा जहाज आधा घंटा रुका
रहा। जहाज में पहले ही बता दिया गया था जो यात्री आगे पोर्टब्लेयर जायेंगे वो हवाई
जहाज से बाहर न निकले। अंडमान निकोबार पहुँचने से पहले दो घंटे की समुन्द्र के ऊपर
हवाई यात्रा के बाद जब पहली बार हवाई जहाज से अंडमान की भूमि के दर्शन हुए तो ऐसा
लगा जैसे हम किसी परी लोक की सैर कर रहे हो। हवाई जहाज से देखने पर अंडमान के टापू
अलग ही रोमांच पैदा कर रहे थे।
हवाई अडडे से बाहर निकल कर एक आटो किया जो सीधे
हमारे होटल लेकर जाने वाला था। होटल से पहले आटो वाले को कुछ देर के लिये पर्यटक
विभाग के कार्यालय ले जाने की बात की थी। पर्यटक कार्यालय से हमें आगे की कई दिन
की यात्रा के लिये होटल बुक करने थे। जिसके लिये 10% की अग्रिम राशि मनु ने
पहले ही जमा की हुई थी। यदि हमारी यह यात्रा नहीं हो पाती तो यह राशि 1500 रु बेकार हो जाती। इसके
अलावा हमने कोई राशि अग्रिम जमा नहीं की थी। जिस होटल में हम ठहरे थे वो भी मनु ने
आनलाइन ही बुक किया था। होटल में कुछ देर आराम करने के बाद अंडमान की सबसे लम्बी
बस यात्रा के टिकट बुक करने पहुँच गये। बस टिकट बुक करने के लिये होटल से 6 किमी दूर बस अडडा जाना
पडा। अंडमान में बस टिकट बुक करने के लिये भी पहचान पत्र की फोटो कापी देनी पडती
है। बडी मुश्किल से 3 सीट बुक हुई। अगर 10 मिनट देरी से आते तो यह
सीट भी नहीं मिल पाती। कल हम अंडमान में डिगलीपुर से आगे 335 किमी लम्बी बस यात्रा
करेंगे जिसमें बस दो बार पानी के जहाज चढकर समुन्द्र को पार करती है।
आज हमारे पास कई घन्टे का समय खाली है तब तक
क्या करे। तीन घन्टे में चिडिया टापू नामक छोटी सी लेकिन सुन्दर जगह देखी जा सकती
है आज चिडिया टापू का सूर्यास्त देखकर आते है। (CONTINUE)
वर्ली सी लिंक |
चंडाल चौकडी, धमाल चौकडी करते हुए। |
विशाल व मनु |
बोम्बे का हवाई यात्रायात नियंत्रक |
चैन्नई में खाली जहाज |
12 टिप्पणियां:
आपका ब्लॉग में पुनः सक्रिय देख कर बहुत अच्छा लगा! मन में एक चीज की जिज्ञासा है वह यात्रा तिथि ?
कपिल भाई हमने 19.06.2014 को दिल्ली से यह यात्रा आरम्भ की थी। 20.06.2014 को सुबह बम्बई घूमे और उसी दिन चैन्नई होते हुए, अंडमान के पोर्टब्लेयर हवाई अडडे पहुँच गये थे भाई।
आप फोटो में दो तारीख देख उलझन में आ गये होंगे।
जल्दी जल्दी लिखते रहो😊
सुन्दर यात्रा विवब
सुन्दर यात्रा विवरण
बहुत सुन्दर ...अगले अंक की प्रतीक्षा में
ati sundar! bahut acha Sandeep Bhai
शानदार यात्रा हम भी साथ है ।
वाह क्या लेखन है जीवंत कर दिया लेखन ने इस यात्रा को बहुत सुंदर यात्रा अगला भाग जल्दी लिखे प्रतीक्षा में 👍👍
आपके वृतांत पढकर मजा आ गया । कभी आपके साथ चलने का टाइम सेट करना है । सुबह उठ कर हर कहीं प्रातःकाल सैर करने निकल जाता हूँ । शुध्द शाकाहारी हूँ रात्रि भोजन भी नहीं करता ।
भाई टिकट कितने का था और अब है
बहुत दिनों के बाद दोबारा से पढ़ने का मौका मिला है अनिल भाई यादें ताजा हो गई
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