गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

Bara Bhumi temple बारा भूमि देवस्थान/मन्दिर के दर्शन करते ही ट्रेकिंग अन्त की ओर

गोवा यात्रा-19
आज हमारी गोवा के जंगलों में ट्रेकिंग का अंतिम दिन शुरु हो रहा था।अब तक हमारे ग्रुप से कई लोग छोड कर जा चुके थे। अंतिम दिन जब ग्रुप की गिनती पूरी हुई तो कुल मिलाकर 23 लोग ही बचे थे। वैसे यह ट्रेक बहुत ज्यादा तो कठिन नहीं था, लेकिन कुछ ना कुछ कारणों से कई साथी साथ छॊड़ते रहे। आखिरी दिन सफ़र में जो चल रहे थे वे सारे के सारे विजेता बनने जा रहे थे। सड़क पार करते ही हम एक बार फ़िर घने जंगलों में घुस गये थे। दो किमी चलने के बाद हमें जीप वाला रोड दिखायी दिया, इस रोड़ पर हम तीन किमी चले होंगे कि फ़िर से घनघोर जंगल में प्रवेश करना पड़ा। अब हम ऐसे जंगल से जा रहे थे, जहाँ पर बहुत ही कम लोग इस मार्ग का प्रयोग करते होंगे। गोवा के जंगलों में हमें जंगली जानवर कुछ खास दिखायी नहीं दिये थे। फ़िर भी... 

जाटदेवता संदीप पवाँर का स्टाईल कैसा लगा?

दीमक के कारण पेड जहाँ तहाँ गिरे हुए थे





मकड़ी का जाला

दीमक का घर या कोबरा का?

जंगल के छोर पर एक घर, जहाँ पर गोवा की काजू की छैनी मिलने की आशा में बात की जा रही है।
जंगल में नदी किनारे पर ही बारा भूमि नाम से एक बहुत पुराना मन्दिर बताया गया था। हमारे कैम्प लीड़र  रामफ़ल जी हरियाणा वाले भी हमारे साथ ही चल रहे थे। रामफ़ल जी का हमारे साथ चलने से हमारे ग्रुप को बहुत हुआ था। अगर वे हमारे साथ नहीं होते तो  यह निश्चित था कि हम इस मन्दिर को देखे बिना ही आगे बढ़ जाने वाले थे। यह मन्दिर भले ही नदी किनारे स्थित हो, लेकिन यह घने पेड़ों से घिरा हुआ है जिस कारण नदी किनारे से आसानी से दिखायी नहीं पड़ता है।  मन्दिर में भगवान की मूर्ति के  दर्शन करने से पहले स्नान करना अच्छा माना (कम्पलसरी नहीं) जाता है। हम आज भी (अधिकतर) सुबह को बिना नहाये ही चले थे। जैसे ही हम नदी किनारे पहुँचते रहे, वैसे ही नदी में नहाने के लिये बहते हुए चश्में में मिनरल वाटर सरीखे पीनी में कूदते रहे। जब सभी नहा लिये तो मन्दिर में दर्शन के लिये चल पडे।

एक नदी, चलो नहा ले


अब आया है कुछ सुकून


इस पेड पर सीधे पाइप देखो, पाइप नहीं जड़ है

चलो मन्दिर के अन्दर देखते है।


पढ़ लो

जय हो बाराभूमि
ऊपर वाला जो फ़ोटो आप देख रहे है, इसमें जिस भगवान की मूर्त लगायी गयी है, वहाँ लिखे अनुसार इसे बारा भूमि का मन्दिर कहा जाता है। हजारों साल पुरानी इन मूर्तियों को देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि यह किस भगवान की है। होगी जिस किसी भी भगवान की, इससे मुझे क्या लेना देना था? मन्दिर को देखकर भगवान यानि ऊपर वाला परमात्मा याद आ जाता है, अपना मूर्तियों से ले दे कर इतना ही सम्बध है। ज्यादा पूजा-पाठ करने के चक्कर में पड़ने वाला मैं जीव हूँ ही नहीं। कुछ लोग इन बेजुबान पत्थर की मूतियों में घन्टों तक चिपके रहते है, भगवान को रिश्वत रुपी दक्षिणा चढ़ाने जाते है, जबकि दान-दक्षिणा पुजारी व पुजारी के काम आती है जिनसे उनका परिवार पालन होता है। यदि किसी को दान दून देने का दिखावा करने करने का ज्यादा ही भूत सवार है तो इस दुनिया में हजारों गरीब सड़को पर कूड़े के हाल बिखरे मिल जायेंगे। मैं आपको कहाँ तो मन्दिर में लेकर गया था और ये क्या मैं आपको मन्दिर की असलियत बताने लग गया हूँ। माफ़ करना भिखारी+पुजा्री व इनके वशंज मैं दोनों के खिलाफ़ नहीं हूँ लेकिन जब सब कमा कर खा सकते है तो तुम दो विशेष महान बिरादरी वालों को भी खाना चाहिए, ना की निठल्ले बैठ खाते रहना चाहिए। पर भईया दुकानदारी ऐसी है कि बिना लागत लगाये जब अच्छी आय हो रही हो तो भला कौन उल्लू की तरह हुड़क चुल्लू बना रहे। इसे देखकर हम वहाँ से आगे चार किमी दूर हजारों पुराने भगवान शिव के मन्दिर को देखने के लिये चल दिये।
चलो सड़क की ओर

पढ़े लिखे लोग कितना महान कारनामा करते है

यह फ़ोटो सड़क से लिया गया है।

अब चलते है ताम्बडी सुरला

एक गाँव मॆं वालीबाल मैदान

अपनी ट्रेकिंग यात्रा के अंतिम घन्टे में हम हजारों साल पुराने भगवान शिव के मन्दिर ताम्बडी सुरला की ओर बढ़ रहे थे। जिसके दर्शन अगले लेख में कराये जायेंगे। इसके बाद गोवा के पुराने दो चर्च भी दिखाये जायेंगे।



गोवा यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे क्रमवार दिये गये है। आप अपनी पसन्द वाले लिंक पर जाकर देख सकते है।

भाग-10-Benaulim beach-Colva beach  बेनाउलिम बीच कोलवा बीच पर जमकर धमाल
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3 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

नदी में डुबकी लगाने का मन तो हमारा भी करता है।

Arti ने कहा…

Looks so very beautiful. The dense jungle and the water pond are such a pleasing sight. Nice temple in the wilderness. Thanks for sharing :)

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

बांरा भगवान् कुछ अजीब से नहीं लगे ....

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