हम तीनों ने एक साथ ही गोवा के यूथ हॉस्टल के कैम्प में प्रवेश किया, प्रवेश मार्ग के ठीक बाये हाथ पर ही यूथ हॉस्टल का टैंट नुमा कार्यालय बना हुआ था। हम तीनों ने इसमें अन्दर प्रवेश कर अपनी रिपोर्टिंग का कार्य करना शुरु किया। जो महिला कार्यक्रमी हमारा रिपोर्टिंग कर रही थी, उसने हमें दो-दो फ़ार्म दिये थे, जिन्हे भरकर हमने उसे वापिस कर दिये थे, यूथ हॉस्टल कैम्प के बाद समाप्त होने के बाद जो प्रमाण पत्र दिया जाता है, वह इन्ही फ़ार्म को देखकर भरा जाता है, अत: अपनी रिपोर्टिंग कराते समय दिये जाने वाले फ़ार्म बेहद सावधानी से भरने चाहिए, नहीं तो मेरी तरह बाद में नाम की स्पेलिंग सही कराने जाओगे तो आपको यह फ़ार्म दिखाकर बता दिया जायेगा कि इसमें हमारी कोई गलती है। आपने फ़ार्म में जो लिखा था इसमें वही लिखा है। कमल ने मेरा फ़ार्म भरा था जिस कारण पवाँर panwar की जगह पवार pawar हो गया था। शुक्र रहा कि पावर नहीं हुआ। फ़ार्म भरते समय हमें वहाँ रहते समय कुछ सावधानियाँ बरतने की हिदायत दी गयी। क्योंकि उस महिला कर्मी ने कमल को बताया दिया था तुम्हारी आँखे बता रही है तुम कुछ गड़बड करके यहाँ आये हो।
YOUTH HOSTEL CAMP GOA |
GOA CAMP |
कमल के पास उस समय ना तो यूथ हॉस्टल youth hostels association of India का भेजा हुआ पहचान पत्र था, ना ही मेल में आया admit card था, कमल के पास लेपटॉप था, जिसमें उसने अपने एडमिट कार्ड उस महिला कर्मी को दिखा दिया था। सब कागजी कार्यवाही paper work पूरी होने के बाद, उस कर्मी ने हमें यूथ हास्टल कैम्प में पहने जाने वाले तथा गले में लटकाने वाले फ़ोटो युक्त आई कार्ड (पहचान पत्र I card) भी दे दिये थे जो हमें इस ट्रेकिंग यात्रा में साथ रखने थे। इन फ़ोटो युक्त पहचान पत्र में हमारा नाम, ग्रुप संख्या, व राज्य लिखा था। यह पहचान पत्र हमारी पूरी यात्रा में काम आये थे। जहाँ भी हमारा रात्रि विश्राम होता था, वहाँ के कैम्प लीड़र को सभी अपना कार्ड सौंप देते थे। जो कुछ देर बार स्टैम्प व दिनांक सहित वापिस भी आ जाते थे। ट्रेकिंग करते समय चार लोगों के कार्ड बीच पर ट्रेकिंग करते हुए गिर कर गुम भी हुए थे। जिसके लिये एक अलग से ड़ायरी बनायी गयी थी।
पहचान पत्र देने के बाद, हमें हमारा टैंट बताया गया, जिसका नम्बर 10 था, यानि हम दस नम्बरी टैंट में दो रात काटने वाले थे। हम अपना सामान लेकर दस नम्बरी ( Tent No 10 ) टैन्ट में जा पहुँचे, जहाँ हमसे पहले ही कर्नाटक वाले कुछ बन्दे अपना ड़ेरा जमाये बैठे थे। जैसे ही हम अपना सामान वहाँ फ़ैला कर खाने के लिये जाने लगे तो कर्नाटक वाले बन्धु/दोस्त/साथी/अजनबी/अन्जाने बोले कि आप लोग कहाँ से आये हो? हमने जवाब में दिल्ली बता दिया, इसके बाद एक बन्दा मुझसे बोला कि क्या आप भारतीय सेना Indian Army में कार्य करते है? जवाब में मैंने कहा मेरी जैसी तोन्द/पेट सेना वालों की नहीं होती, मैं दिल्ली पुलिस में काम करता हूँ। आपको पूरे भारत में पुलिस वालों के पेट मेरे जैसे मिल जायेंगे। यह हमें बाद में पता लगा कि वे सभी हमारे ग्रुप में थे और हमारे Group ग्रुप की संख्या 17 थी।
हम अपना सामान रख पहले खाना खाने गये, उसके बाद नहाने-धोने चले गये। यहाँ सिर्फ़ नहाने व दाड़ी बनाने की आज्ञा थी, कपड़े धोने के लिये यहाँ पर पाबन्दी थी, वो अलग बात है कि अन्ड़रवियर, बनियान की छूट थी जिसकी आड़ में हमने तो वहाँ पर काफ़ी कुछ धो ड़ाला था। काफ़ी कुछ का कुछ ज्यादा गलत मतलब मत निकाल लेना। टी शर्ट, हॉफ़ पैंट ही हमने वहाँ पर धोयी थी। नहाने वाले स्थान स्नानागार हमेशा आसानी से खाली मिल जाते थे, जबकि सुबह के समय शौचालय पर लाईन लगानी पड़ती थी। ट्रेन की तरह वहाँ पर वेटिंग लगी होती थी। मैंने नहाने से पहले अपनी बढ़ी हुई दाड़ी बनायी, जिसके बाद चेहरा खिला खिला सा लगा, वैसे मैं तो हमेशा ही खिला-खिला सा रहने वाला बन्दा/इन्सान हूँ। दाड़ी बन जाने के बाद अपुन चिकने बन जाते थे। नहा धोकर हम अपने टैन्ट में आ गये थे।
नहाने के बाद हमने अपने-अपने मोबाइल चार्ज करने चाहे (जो रेल के साधारण डिब्बे में नहीं हो पाये थे) तो देखा कि जिस स्थान पर मोबाइल चार्ज करने के पाइन्ट लगाये गये थे वहाँ पर लगे बीस में से एक भी पाइन्ट खाली नहीं था। जिस कारण हम पाइन्ट खाली होने का इन्तजार करने लगे। इसी बात को लेकर मेरी और कमल की बातचीत वहाँ के कैम्प लीडर दास से हुई थी, जिन्होंने हमसे काफ़ी देर तक बातचीत की थी। इसी बातचीत के दौरान उन्होंने हमें बताया था कि यहाँ कई और जगह पर मोबाइल चार्जिंग पाइन्ट बनाये गये है। ऐसा ही एक चार्जिंग पाइन्ट कैम्प लीड़र दास ने हमें दिखा दिया था। यह पाइन्ट टैन्ट संख्या 17 के ठीक पीछे लगाया गया था। टैन्ट संख्या 17 एकदम खाली पड़ा हुआ था। उसका कोई वारिस नहीं दिख रहा था, आज शाम होने जा रही थी जिस कारण अब इस टैंट में किसी के आने की सम्भावना भी नहीं लग रही थी। हमने यह सुनहरा मौका गवाना उचित नहीं समझा, अत: हम अपना सारा सामान उठाकर इसी टैंट नम्बर 17 में आकर जम गये।
अंधेरा होने में अभी थोड़ा सा समय था सूर्यास्त होने का समय हो गया था जिस कारण हम कैम्प के ठीक पीछे मुश्किल से सौ मीटर दूर समुन्द्र किनारे जा पहुँचे थे। अनिल व कमल थोड़ी देर तक तो मेरे साथ समुन्द्र किनारे बैठे रहे, लेकिन जल्द ही कमल अपना जरुरी काम निपटाने चला गया था। यहाँ गोवा में बीयर व शराब बहुत सस्ती थी, ऐसा मुझे लग रहा था क्योंकि यहाँ लगभग हर गली में शराब व बीयर की दुकान खुली हुई दिखायी दे जाती थी। इस बात को देखकर कमल भाई का चेहरा खिल जाता था। बार-बार कमल का गायब होना यही बता रहा था कि यहाँ बीयर सस्ती है। और उसके पीने पर कोई रोक टोक भी नहीं है।
मैंने लगातार दो दिन यहाँ का सूर्यास्त देखा था, इसके बाद के अगले दो दिन तक ट्रेकिंग करते हुए भी बीच किनारे का सूर्यास्त देखा था। सूर्यास्त होने के बाद मैं वहाँ से कैम्प में आ गया था, अब तक हमने चार-पाँच घन्टे बिता दिये थे। शाम होने के बाद सभी अपने टैंट में वापिस आकर लेट गये, शाम के समय वहाँ कुछ अन्य गतिविधियाँ चल रही थी जिनसे हमारा कोई सम्बध नहीं था, वहाँ एक लाउड़-स्पीकर लगाया गया था जिस पर हर थोड़ी देर बाद कुछ न कुछ घोषणा होती रहती थी। ठीक समय पर खाना, चाय आदि तैयार होता रहता था। रात के ठीक आठ बजे खाना तैयार था, जैसे ही खाने की घोषणा हुई तो हम भी बोरिया बिस्तर/थाली प्लेट, कटोरी, गिलास, चम्मच लेकर चल दिये थे। रात को खाने में बेहद ही स्वादिष्ट सब्जी के साथ नॉन रोटी खाने को मिल रही थी, मैं अपनी खुराक से एक ज्यादा खा गया था, वैसे मेरी खुराक चार रोटियाँ खाने की है। खाने के साथ गाजर का हल्वा भी मिल रहा था। हम जैसे चटोरे बन्दे को और क्या चाहिए? सबका स्वाद अपनी चटोरी जीभ को दिया गया था। खाने के साथ सलाद का भी शानदार प्रबन्ध किया गया था। जिसने खाने का आनन्द कई गुणा बढ़ा दिया था। रात में सोने से पहले सूरत के रहने वाले एक साथी जिनका नाम मनीष पांचोली है। इस यात्रा में इन दोनों भाईयों जैसा मस्त-मनमौजी दोस्त मिलना इस यात्रा का शानदार अनुभव रहा। आगे की यात्रा में इनका कई बार जिक्र होता रहेगा। तो दोस्तों यह था पहले दिन का आँखो देखा हाल। दूसरे दिन का आँखो देखा हाल देखने के लिये आपको एक दिन का इन्तजार करना होगा।
jatdevta is comeback in his action. |
Kamal and his laptop. |
वाह सलाद |
jatdevta भोजन करो, डराओ मत। |
kamal taking food |
चाँदनी रात full moon |
गाजर का हलुवा |
अगले लेख में पढ़ना कि हमने गोवा कैम्प में रात का खाने खाने के बाद, कैम्प फ़ायर करने के साथ नये साल के लिये कैसी-कैसी रंगीनी-धमाकेदार, धूम-धड़ाकेदार अंग्रेजी नव वर्ष उत्सव का पल देखा था।
भाग-13-दूधसागर झरने की ओर जंगलों से होकर ट्रेकिंग।
भाग-14-दूधसागर झरना के आधार के दर्शन।
भाग-15-दूधसागर झरने वाली रेलवे लाईन पर, सुरंगों से होते हुए ट्रेकिंग।
भाग-16-दूधसागर झरने से करनजोल तक जंगलों के मध्य ट्रेकिंग।
भाग-17-करनजोल कैम्प से अन्तिम कैम्प तक की जंगलों के मध्य ट्रेकिंग।
भाग-18-प्राचीन कुआँ स्थल और हाईवे के नजारे।
भाग-19-बारा भूमि का सैकड़ों साल पुराना मन्दिर।
भाग-20-ताम्बड़ी सुरला में भोले नाथ का 13 वी सदी का मन्दिर।
भाग-21-गोवा का किले जैसा चर्च/गिरजाघर
भाग-22-गोवा का सफ़ेद चर्च और संग्रहालय
भाग-23-गोवा करमाली स्टेशन से दिल्ली तक की ट्रेन यात्रा। .
गोवा यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे क्रमवार दिये गये है। आप अपनी पसन्द वाले लिंक पर जाकर देख सकते है।
भाग-14-दूधसागर झरना के आधार के दर्शन।
भाग-15-दूधसागर झरने वाली रेलवे लाईन पर, सुरंगों से होते हुए ट्रेकिंग।
भाग-16-दूधसागर झरने से करनजोल तक जंगलों के मध्य ट्रेकिंग।
भाग-17-करनजोल कैम्प से अन्तिम कैम्प तक की जंगलों के मध्य ट्रेकिंग।
भाग-18-प्राचीन कुआँ स्थल और हाईवे के नजारे।
भाग-19-बारा भूमि का सैकड़ों साल पुराना मन्दिर।
भाग-20-ताम्बड़ी सुरला में भोले नाथ का 13 वी सदी का मन्दिर।
भाग-21-गोवा का किले जैसा चर्च/गिरजाघर
भाग-22-गोवा का सफ़ेद चर्च और संग्रहालय
भाग-23-गोवा करमाली स्टेशन से दिल्ली तक की ट्रेन यात्रा। .
.
.
.
.
10 टिप्पणियां:
टेंट में ठेराया. मुझे लगा कि हॉस्टल है यानी होटल जैसा कमरा होगा. कोई बात नहीं सूर्यास्त दो बार देखा आपने यहाँ . बीच पर सबसे अच्छा यही दृश्य होता है .
टैंट की मौज अलग ही है
full masti
वाह, आनन्द ही आनन्द है..ऐसे रहने में मजा ही अलग है।
बलवान भाई, घुमक्कडी बनी ही मौज-मस्ती के लिये है। यह आपने मणिमहेश ट्रेकिंग में अनुभव कर ही लिया था।
भाई वाह ! गोवा की हंसिनियाँ/ रंगीनियाँ याद आ गई।
Wah Sandeep Bhai ........Masti ki ja Rahi Goa me
......
सही ठाठ ले रहे हो भाई, पढ़कर-देखकर बहुत अच्छा लग रहा है।
वाह भई ....कैम्प में तो खाने का प्रबंध तो काफी अच्छा था ...| मीरामार बीच बहुत सुन्दर लगा.....हम लोग मिरामार चौक पर बने मिरामार रिसोर्ट में रुके थे....
बहुत मज़ा किया जा रहा है वाह !
एक टिप्पणी भेजें