OCTOBER माह में आने वाले मुख्य त्यौहार /अवकाश /तिथि निम्न है।
Oct 03 : NAVRATRA ENDS नवरात्रि समाप्त
Oct 03 : HAJJ हज
Sep 04 : BAKRA ID बकरा काट ईद
Oct 04 : DASHERA दशहरा
Oct 07 : LAXMI POOJA लक्ष्मी पूजा
Oct 11 : KARWA CHAUTH करवा चौथ
Oct 09 :
GURU RAM DAS गुरु राम दास जयन्ती
Oct 21 : DAN TERUS धन तेरस
Oct 23 : DEWALI दीवाली
बीते माह SEPTEMBER 2014 की आपबीती का विवरण नीचे दिया है।
01
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आज दिल्ली से वाण
गाँव तक बाइक से जाना हुआ। सुबह चार बजे घर से चल दिया लेकिन मुरादनगर जाकर याद आया कि बैट्री बैक अप
घर पर ही रह गया है। घर से तीस किमी दूर जाने के बाद वापिस आना पडा। घर पहुँचकर
समय देखा तो सुबह के पाँच बज चुके थे। बैट्री बैक अप लेते ही वापिस हो लिया।
सुबह के नौ बजे से पहले हरिदवार पार हो चुका था। शाम के तीन बजे तक कर्ण प्रयाग
पहुँच गया। वाण पहुँचकर समय देखा तो शाम के साढे छ: बजे थे। नीली परी हमेशा की
तरह बराबर साथ निभाती रही। पूरे दिन में एक बोतल पानी पिया गया। खाने की इच्छा
नहीं हुई। एक बिस्कुट का पैकेट कर्णप्रयाग पहुँचकर खाया गया था।
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02
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आज सुबह से वाण
में बारिश हो रही थी जिससे सुबह जल्दी चलने की इच्छा अधूरी रह गयी। सुबह करीब आठ
बजे से थोडा पहले बारिश अचानक बन्द हो गयी तो अपनी यात्रा भी शुरु हो गयी। दोपहर
के एक बजे वेदनी बुग्याल पार हो गया गया। अंधेरा होने से पहले भगुवा बासा पहुँच
गया। यहाँ पहुँचकर पता लगा कि सोने के लिये कोई इन्तजाम नहीं है। एक दुकान वाले
ने बताया कि यदि आपके पास मैट व स्लीपिंग बैग है तो आप मेरी पन्नी वाली झोपडी
में आ जाओ। शुक्र रहा कि मैं अपना मैट व स्लीपिंग साथ लाया था। रात भर बारिश
होने की आवाजे आती रही। ठन्ड काफ़ी ज्यादा थी जिससे ढंग से नीन्द ना आयी।
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03
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आज सुबह उजाला
होते ही रुपकुन्ड की ओर निकल लिया। मौसम एकदम साफ़ था। रुपकुन्ड पहुँचकर वहाँ की
हडडियाँ देखी। जो पहली यात्रा के समय बर्फ़ में दबी पडी थी। रुपकुन्ड के किनारे
कुछ देर रुकने के बाद उसके ऊपर जुनार गली से होकर पहाड की चोटी पर पहुँचकर दूसरी
तरफ़ शिला समुन्द्र में उतर गया। नन्दा देवी यात्रा शिला समुन्द्र से एक घन्टा
पहले निकल चुकी थी। नन्दा देवी के अन्तिम स्थल होमकुन्ड पहुँचकर यात्रा वापिस हो
गयी। लाटा खोपडी से आगे के मार्ग में भयंकर कीचड की खबर मिली। कीचड से बचने के
लिये मैने वापिस रुपकुण्ड की ओर से लौटने का फ़ैसला कर लिया।
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04
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आज वाण पहुँचकर देवी की डोली की प्रतीक्षा की गयी। अंधेरा
होने के बाद डोली वाण आ पायी। सबने कीचड वाली मुसीबत की बात बतायी। उनकी मुसीबत
सुनकर अपना रुपकुन्ड होकर वापिस लौटने का फ़ैसला उचित लगा। रात को वाण मन्दिर में
भन्डारा खाया गया। यहाँ कई लोग जाने पहचाने मिले जो दो साल पहले भी नजर आये थे।
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05
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आज कई दिन बाद
पुन: नीली परी (बाइक) पर सवारी करने की बारी आ गयी। कर्ण प्रयाग, रुद्र प्रयाग, उखीमठ होते हुए रांसी
(मदमहेश्वर केदार के आधार) पहुँचने में शाम हो गयी। लोहाजंग में एक बुलेट बाइक
ने एक लीटर पैट्रोल उधार माँगा कि देवाल या कर्णप्रयाग जाकर मेरी बाइक में डलवा
देगा। बुलेट वाला पता नहीं कहाँ गायब हो गया। एक घन्टा प्रतीक्षा कराने के बाद
भी नहीं आया।
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06
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आज मदमहेश्वर की
सोलह किमी यात्रा पर महमहेशवर जाने में ही दोपहर के दो बजे गये। आखिरी के दो
घन्टे फ़ोन्छू ओढकर चलना पडा। मन्दिर बन्द था। मैं बाहर से ही राम-राम कर लौटने
लगा तो मन्दिर वालों ने मन्दिर का ताला खोलकर मुझे अन्दर दर्शन कराया। जिससे खुश
होकर मैंने एक सौ एक की पर्ची कटा ली। इसके बाद वापसी में रात को अंधेरा
होते-होते रांसी पहुँच पाया। रांसी से पहले जंगल पार करते समय मन में डर बना रहा
कि कोई भालू-शालू ना मिल जाये। खतरा दोनों से ही था भालू से भी और शालू से भी?
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07
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आज रांसी से सगर
की ओर चला आया। मंडल पहुँचकर याद आया कि माता अनुसूईया का मन्दिर यहाँ से केवल
पाँच किमी की पैदल दूरी पर है। एक दुकान वाले ने बताया कि एक किमी तक बाइक चली
जायेगी। अपना बैग उस दुकान पर रख बाइक लेकर चल दिया। अब केवल आठ किमी पैदल चलना
था। अन्तिम दो किमी जोरदार चढाई वाले है। अनुसूईया मन्दिर के दर्शन कर बाइक तक
आने-जाने में कुल चार घन्टे लग गये। शाम को अंधेरा होने से काफ़ी पहले सगर गाँव
पहुँच गया।
आज एक सप्ताह बाद
अखबार पढने को मिला। अखबार से पता लगा कि नन्दा देवी की डोली अपने मुख्य शुरुआती
आधार स्थल नोटी वापिस आ गयी है। अखबार की सबसे मुख्य खबर कश्मीर घाटी में हुई
जोरदार बारिश के कारण हुआ नुक्सान था। ऊपर वाले के यहाँ देर है अंधेर नहीं। बीते
साल केदार घाटी में ऊपर वाले का तांडव देखा था।
अमरनाथ यात्रा के
भन्डारों में कुछ स्थानीय लोगों ने सिर्फ़ दो महीने पहले पेशाब किया था। कुछ
कश्मीरी भारतीय सेना पर साल भर पत्थर बरसाते रहते है। भारतीय सेना बाढ में भी
इन्हे बचाने गयी। तब भी इन्होंने अपनी नीच आदत नहीं छोडी।
रात को सगर में
बैठा सोने की तैयारी में था कि मनु का फ़ोन आया। लगभग आधा घन्टा बात हुई। मनु ने
नई वेबसाइट बनायी है। जिसमें अन्य लोगों को भी लिखने का मौका मिलेगा। चलो देखते
है इस नई साइट में क्या कुछ खास रहेगा। मनु बोला जाट भाई क्या बात है अकेले-अकेल
यात्राओं की लाईन लगा रखी है।
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08
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आज पंच केदारों
में सबसे कठिन केदार माने जाने वाले रुद्रनाथ की यात्रा सुबह उजाला होते ही
आरम्भ हो गयी। यात्रा के शुरुआत में मार्ग भटक कर घने जंगल में पहुँच गया। जहाँ
एक भालू महाराज के दर्शन होते ही वापिस लौटना पडा। जंगल से बाहर आकर पगडन्डी मिल
पायी। एक घन्टा जंगल में भटकने से खराब हो गया। पुंग से थोडा पहले चक्र घृणी की
चढाई आरम्भ होते-होते दो स्थानीय युवक साथ आ मिले। इसके बाद हम तीनों मन्दिर तक
साथ रहे। शाम को करीब पाँच बजे रुद्रनाथ पहुंचे।
शाम को रुद्रनाथ
केदार की आरती में शामिल हुआ। मेरे साथ गये दो साथी मन्दिर के मुख्य पुजारी के
जानकार थे जिस कारण पुजारी जी ने मुझे भी उनके साथ भोजन के लिये अपने मुख्य कक्ष
में बुलाया। मैंने उनके साथ भोजन किया। रात को हम तीनों मन्दिर के एक कमरे में
सो गये। पुजारी जी गोपेश्वर के निवासी है। कैमरे के अच्छे जानकार है। मेरा कैमरा
लेकर दिल्ली से अब तक के सारे फ़ोटो देखे। इन पुजारी के विचार अन्य पुजारियों से
अलग है। इनका कहना है कि अधिकतर पुजारियों ने धर्म को धन्धा बनाकर रख दिया है।
जबकि जो थोडे बहुत भगवान के प्रति समर्पित है उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है।
मैंने कहा पुजारी जी मेरे भी ऐसे ही विचार है।
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09
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आज सुबह रुद्रनाथ से अकेला वापिस चला आया। दोनों साथी पूजा पाठ के लिये
मन्दिर आये थे जिसमें उनको दस बजने थे। मुझे पूजा पाठ में शामिल नहीं होना था।
इसलिए मैं अकेला नीचे की ओर चला आया। दोपहर में ल्वीती बुग्याल उर्फ़ लुंटी में
रुककर मैगी खायी गयी। जिसके बाद तीन बजे तक सगर गांव पहुँच गया। वापसी में सगर
से पांच किमी पहले पुंग नामक जगह पर दिल्ली के दो युवक मिले। इनका तीसरा साथी कल
ही पुंग में अपनी पुंगी बजवा वापिस लौट गया था। पुंग से हम तीनों साथ ही सडक तक
आये। नीचे आकर पता लगा कि इनका साथी उसी सोनू पेईंग गेस्ट हाऊस में रुका था जहाँ
मैंने अपना बैग और बाइक खडी की थी। सोनू पेईंग गेस्ट हाऊस के मालिक एक रिटायर
फ़ौजी है। इनका मोबाइल नम्बर भी मैंने लिया है यदि किसी को जरुरत पडेगी तो ले
लेना।
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10
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आज सगर गांव ( सबसे
कठिन केदार रुद्रनाथ के आधार ) से दिल्ली तक की बाइक यात्रा की गयी। सगर से सुबह
साढे पांच बजे नीली परी पर शुरुआत की गयी। दोपहर एक बजे ऋषिकेश पहुँचा गया। वहाँ
से दिल्ली पहुंचने में शाम के छ: बज गये। इस बीच गढवाल के श्रीनगर से बच्चों के
लिये बाल मिठाई ली गयी। मैंने यहाँ दो समोसे खाये। शाम व दोपहर का खाना घर
पहुँचने के बाद ही किया गया। मेरठ तक सडक ठीक मिली। मेरठ से मुरादनगर के बीच दो
दिन पहले हुई जोरदार बारिश से सडक की हालत खराब हो गयी।
बोम्बे से विशाल भाई का
फ़ोन आया। कुछ देर पहले ही दस दिवसीय लम्बी यात्रा से घर आया था। विशाल की मेरे
साथ हिमालय में एक महायात्रा करने की प्रबल इच्छा है। विशाल भी मेरी तरह यात्रा
पर जाने से पहले उचित शारीरिक तैयारी कर लेता है जिससे उसे हिमालय में शारीरिक
दिक्कत नहीं आती। नहीं तो दूसरों को यात्रा पर बेवजह की ड्रामेबाजी दिखाई देने
लगती है।
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11
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आज दस दिन बाद
कार्यालय जाना हुआ। दस इन बाद साईकिल चलाना अच्छा लगा। कई दिनों से बाइक व पैदल
यात्रा ही हो रही थी। सामान्य कार्य के अलावा कुछ खास नहीं हुआ। हाँ एक साथी
बोला कि इस शानदार यात्रा के बारे में मुझे नहीं बताया। मैं भी चलता। वह साथी
पहले भी कई बार यह बात दोहरा चुका है। एक यात्रा में इस साथी को लेकर जाऊँगा।
उसके बाद यह उल्हाना देना बन्द कर देगा। सिर्फ़ एक यात्रा में जाने से इसे पता लग
जायेगा कि मैं पहाडों में पैसा उडाने नहीं जाता हूँ।
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12
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आज कार्यालय में कल वाले साथी से दुबारा कल वाली बात छिड गयी। अगले माह
हिमाचल में तीन दिवसीय यात्रा करने जाने की सोच रहा हूँ। भाई को बता दिया कि
तैयार रहना। बाद में नहीं कहना कि पहले से बताया नहीं। देखते है अगली यात्रा के
समय तक यह साथी क्या बहाने तैयार करता है? आज साईकिल के दोनों पहियों की गोलियाँ
व ग्रीश आदि बदलवा दिया गया। साईकिल के बहुत लाभ है। सिर्फ़ दो सौ रुपये में
साईकिल अगले छ: महीने के लिये तैयार हो गयी। अब अगले कुछ महीने कार्यालय
आने-जाने में कोई खर्चा नहीं होगा। उल्टे शरीर की फ़िटनेस बनी रहेगी।
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13
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आज कार्यालय में
लोगों का वेतन कई दिन से तैयार पडा था मेरा इन्तजार हो रहा था। आज उसे बैंक
भिजवा दिया गया। मंगलवार को उनके खातों में पहुँच जायेगा। एक कर्मचारी का वेतन
वापिस आयेगा। उसने कई महीने पहले अपने नये खाते के बारे में लिखित में जानकारी
दी थी। लेकिन कई महीनों तक उसका वेतन नहीं बना तो उसका डाटा अपडेट करना ध्यान
नहीं रहा। अबकी बार वेतन बना लेकिन डाटा पुराना ही रहा।
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आज मन में विचार आया कि चलो दीवाली पर गाँव का का एक
चक्कर लगाया जाये। ससुराल गये हुए दो साल बीत गये है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो हो
सकता है ससुराल वाले मुझे भूल ना जाये। इसलिये उनकी याददास्त जगाने के लिये साल
में एक बार अवश्य जाया करुँगा। छोटी साली की लम्बाई मुझसे भी ज्यादा हो गयी है।
उसे देख लगता है इसने जूते ज्यादा ऊँचाई के पहने है। वैसे भी मेरे ससुराल पक्ष
में मेरी पत्नी सबसे कम लम्बाई की है जिसकी लम्बाई लगभग मेरी जितनी है। मुझसे
सिर्फ़ एक/आधा सेमी कम।
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15
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आज कई दिनों से
बन्द किया गया अपना मोबाइल नम्बर चालू हुआ। कार्यालय में गलती से नम्बर सभी लोगों
को पता चल गया था जिससे फ़ोन अत्यधिक आने लगे थे। अब देखता हूँ कि लगभग दो महीने
फ़ोन बन्द रहने का क्या लाभ हुआ हुआ?
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आज फ़ेसबुक पर कुछ
लिखने का मन किया। एक अपडेट कर साइन आऊट हो गया। नेट पर ज्यादा देर बैठने का मन
नहीं कर रहा है। इसलिये कुछ लिख भी नहीं रहा हूँ। जैसे ही मन करेगा। यात्रा लेखन
फ़िर से शुरु कर दिया जायेगा। वर्डप्रेस पर नया ब्लॉग बनकर तैयार है। अब सभी
यात्रा उसी पर दिखायी जायेगी?
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आज कार्यालय से
घर वापिस आते समय एक अंग्रेजी बुढऊ से बहस हो गयी। बात यू हुई कि एक नारियल वाले
से मैं लगभग प्रतिदिन नारियल लेकर खाता हूँ आज उसके पास एक बुढढा पहले से खडा
था। मैंने अपनी साईकिल नारियल वाले के पास लगा ली तो बुढढा उखड गया और बोला कि
तुम्हे तमीज नहीं है सैंस भी कुछ चीज होती है। मैंने पहले तो नारियल लिया उसके
बाद उससे कहा, क्या हुआ सर जी? मेरी साईकिल की टक्कर लग गयी क्या। या मैंने आपको
कुछ कह दिया। वह बोला तुम्हे सोचना चाहिए कि जो आदमी पहले से खडा है उसके निकलने
का रास्ता छोडना चाहिए। मैंने कहा, अरे हां, आपको शायद कम दिखायी देता है आपके
पीछे कम से कम चार फ़ुट चौडा रास्ता बचा हुआ है। अगर आप उसमें से निकलते हुए अडो
ना तो? उसने मेरी बात सुनकर फ़िर से सैंस वाला राग अलापना शुरु कर दिया। मैंने
नारियल खाते हुए वहाँ से चलना शुरु किया और उससे कहा, श्रीमान जी लगता है इस
इलाके में नये हो। चुपचाप यहाँ से निकल लो, नहीं तो शराब का ठेका सामने है अगर
ऐसे ही प्रवचन कुछ देर और दिया तो दो-चार खाकर चुपचाप निकल जाओगे? मैं चला। उसके
बाद पता नहीं बुढऊ का क्या हुआ?
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आज राकेश बिश्नोई
का फ़ोन आया कि भाया अपना स्लीपिंग बैग व मैट एक सप्ताह के लिये दे दो। नहीं तो
हमारे साथ लाहौल-स्पीति की बाइक यात्रा पर चलो। अभी पैदल यात्रा का मूड है बाइक
यात्रा का नहीं। राकेश मुझे अपनी बाइक पठानकोट देने को तैयार है। वहाँ से मैं
उसकी बाइक लेकर दो-तीन ट्रेक करके वापिस आने की सोचने लगा।
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आज गंगौत्री व
बनारस पैदल यात्रा वाले साथी प्रेम सिंह के साथ एक लम्बी पैदल यात्रा करने पर
चर्चा हुई। प्रेम सिंह ने कहा कि अधिमास महीने में मथुरा-वृंदावन में चौरासी कोस
परिक्रमा होती है। परिक्रमा मतलब पैदल यात्रा। कब चलना है? प्रेम सिंह बोला,
शायद अगले साल। ठीक है बता देना मैं तैयार हूँ। इस साल हिमाचल में एक सप्ताह का
पैदल यात्राओं का कार्यक्रम है चलना है तो बताओ। प्रेम सिंह अपुन जैसे सरकारी
कर्मी नहीं है इसलिये उसे अवकाश की समस्या आगे आ जाती है। जबकि अपने साथ हालत
ऐसी है कि अगर एक साल भी कार्यालय ना जाऊ तो मेरा वेतन बनता रहेगा। अभी मेरे
खाते में तीन सौ अवकाश जुड चुके है।
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आज मैंने
कार्यालय में एक साथी से कहा कि मेडिकल वाली फ़ाईलों का रिकार्ड तुम अपने पास ले
लो उसने साफ़ इनकार कर दिया। उसे बताया कि साहब से बात हो चुकी है फ़िर भी उस पर
कोई फ़र्क नहीं पडा। अपुन ठहरे उल्टी खोपडी वाले। उस समय हाजिरी पुस्तिका में
सोमवार के दिन के आगे वह जगह लिख दी जहाँ अधिकृत रुप से मुझे सप्ताह में तीन दिन
जाने को लिखा है लेकिन वहाँ कोई खास कार्य ना होने के चलते मैं महीने में एक-दो
बार ही जाता हूँ। तब भी दो-तीन घन्टे बाद लौट आता हूँ। अपने कमरे वाले साथी
इन्दर पाल जी को कह दिया कि सोमवार को आजादपुर जाऊँगा। वहाँ से इन्चार्ज ने फ़ोन
करके कई बार बुला लिया है।
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आज रविवार था।
लेह व साच पास वाली बाइक यात्राओं के साथी महेश रावत का फ़ोन आया। कि संदीप भाई
हिमाचल के धर्मशाला खजियार जा रहा हूँ। कुछ जानकारी चाहिए। फ़ोन पर जो जानकारी
उसे चाहिए थी बता दी गयी।
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आज घर से लाग बाग
/ जहाँगीरपुरी पहुँचा। इन्चार्ज महोदय लाल बाग में थे। उनका सैलरी ऐरियर का एक
बिल आपत्ति लगने के कारण वापिस आया हुआ था। बिल की राशि करीब पंद्रह लाख रुपये
से ऊपर बन रही है। जिसे देख पास करने वालों के मुँह में पानी आ रहा है। मैं किसी
के लेने-देने के बीच में आता नहीं हूँ। इसलिये बिल ले जाकर इन्चार्ज के हवाले कर
दिया। इन्चार्ज महोदय को हाथ जोडकर बोल दिया कि सर आप मुझे बीते दस साल से जानते
है। यह बिल बिना लिये दिये या आपके स्वयं जाये बिना पास होना नहीं है। इस बिल को
लेखा विभाग वाले बकरा मान चुके है। मुझे बीच से हटा कर आप सीधे डीसीए के पास
पहुँच जाओ। इन्चार्ज बोले अरे भाई, अगर पाँच-सात हजार लेकर पास होता हो तो करवा
दो। मैंने फ़िर कहा कि मैं इसलिये ही तो आया हूँ कि अगर आपको कुछ देना-देना हो तो
भी मुझे बीच में मत लाओ। आप किसी ऒर के हाथों यह काम करवा लो। देखते है क्या
होगा?
सुबह के ग्यारह
बजने वाले थे मेरे मोबाइल पर फ़ोन आया कि तुम्हे अब तिमारपुर कार्यालय आने की आवश्यकता
नहीं है। आजादपुर में ही छ: दिन की डयूटी कर लेना। आजादपुर वाले इन्चार्ज भी
अमंजस में पड गये कि अचानक क्या हुआ? वे बोले तुम आज महीने भर बाद आये हो जरुर
कुछ पंगा करके आये हो? जहाँ तक मुझे याद है बीते दस बारह दिन में मेरा किसी से
कोई मन मुटाव जैसा कुछ नहीं हुआ? फ़िर ऐसा फ़ोन क्यों आया? चलो मैं आज तिमारपुर
नहीं जाता। जो होगा कल देखा जायेगा?
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23
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आज घर से
कार्यालय यह ठानकर गया था कि आज तबादला तो होकर ही रहना है इसमें तो जरा भी शक
नहीं था। कार्यालय पहुँचकर अपना थोडा बहुत सामान जो कुछ भी था समेट कर बैग में
रख लिया। जिस अधिकारी ने कल फ़ोन कर कहा था कि पूरे छ: दिन वही काम करना, आज उसके
आने की प्रतीक्षा करते हुए आधा घन्टा बीत गया। इसलिये मैं अपने कमरे वाले वरिष्ठ
साथी से बोला कि इन्दरपाल जी मैं तो जा रहा हूँ। इन्दरपाल जी बोले, अरे नहीं जब
तक साहब नहीं आ जाते तब तक नहीं जाना। मैं उनके पास जाऊँगा। साहब के पास मेरी
तरफ़ से कोई रिकवेस्ट या अनुरोध नहीं होना चाहिए। मैं यहाँ से जाने को तैयार हूँ।
अगर यहाँ इमानदारी व मेहनत का यही फ़ल मिलता हो तो मुझे तो दूसरी जगह निट्ठला
बनकर रहना ही अच्छा लगेगा।
एक घन्टे बाद
साहब आ गये। इन्दरपाल जी ने उन्हे बताया कि कल आपने संदीप का तबादला करने का तो
बोल दिया है अब उसका इतना काम कौन करेगा? उसके पास इतना काम है कि एक अकेले
बन्दे से बस से बाहर की बात है। साहब ने इन्दरपाल जी से पूछा कि कितना काम करता
है। इन्दरपाल जी बताने लगे कि संदीप ३०० सौ स्टाफ़ के वेतन को बनाकर देता है। सभी
का वेतन आनलाइन करता है। सभी के वेतन को बैंक में भेजता है। इसके अलावा डाक का
कार्य भी देख रहा है। मेडिकल फ़ाईलों का रिकार्ड वही रखता है। जरुरत पडने पर बैंक
सम्बंधी कार्य भी करता है। सबका वेतन बैंक में देने स्वयं जाता है। इन सबका आयकर
बोले तो इनकम टैक्स का लेखा जोखा भी वही रखता है। इसके अलावा नौटिंग आदि तैयार
करने में मदद करता है। अब यह सुनकर साहब से कुछ जवाब देते नहीं बना तो उन्होंने
इन्दरपाल जी से कुछ देर सोचकर कहा कि तुम सब आपस में देख लो जैसा उचित लगे वैसा
कर लो मैं बीच में नहीं आऊँगा।
इन्दर पाल वापिस
आकर बोलते उससे पहले मैंने कहा। जाऊं या रुकूँ। जाओगे कैसे? यहीं ठहरना पडॆगा।
तुम्हारा काम करने वाला कोई बन्दा आसानी से मिलने वाला नहीं है। ठीक है मैं नहीं
जाऊँगा लेकिन अब मेरी एक शर्त है कि मेडिकल फ़ाईले मैं नहीं सम्भालूँगा। मेडिकल
फ़ाईलों के चक्कर में एक साल में कई लोगों से लडाई की नौबत आ चुकी है। जब मेडिकल
फ़ाईले मैं करता नहीं हूँ तो दिन भर मात्र छ: घन्टे में बीस के करीब लोग आकर अपनी
फ़ाईलों के बारे पूछताछ करते है। जिनमें से आठ-दस अपनी फ़ाइल पास ना होने पर लम्बा
लेकचर पिला देते है। जब मैं फ़ाईल पास करने वाला नहीं हूं तो मैं किसी की क्यों
सुनू? आखिरकार मेडिकल फ़ाईलों का पंगा मेरी सीट से हट गया।
अब मेरे पास
सिर्फ़ वेतन कर्मचारियों से सम्बंधित कार्य ही मिलेंगे। इसमें भी किसी के
एमएसीपी, बकाया ऐरियर आदि जैसे अटके हुए काम इन्दरपाल जी देखेंगे। वर्तमान काम में
बजट लगाना ईसीआर में वेतन चढाना, छोटे ईसीआर में डाटा चढाना। कर्मचारियों की
छुट्टियाँ उनकी सर्विस पुस्तिका में दर्ज करना जैसे काम करने में एक पुराने साथी
विमल महाजन बीते एक माह से सहयोग करने के लिये सप्ताह में तीन आने लगे है।
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24
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आज अपने एक
वरिष्ठ अधिकारी ने अपने कार्यालय में भोजन का निमंत्रण दिया था। भोजन के बाद
मीठे के रुप में एक बडा सा बंगाली रसगुल्ला मिला। अपुन ठहरे मीठे के जानी दुश्मन
नम्बर एक, इसे पूरे मन से चट कर दिया गया। चलने की तैयारी हुई तो कोल्ड ड्रिंक आ
गया। दो गिलास ठन्डा पीने के बाद घर का रुख किया गया।
आज सुबह श्राद्
पक्ष की अमावस्या होने के चलते यमराज की बहिन यमुना नदी किनारे बने वजीराबाद पुल
पर लग भयंकर जाम से झूझना पडा। घर से चलने में पहले ही देर हो गयी थी। एक-दो
मिनट रहते पहुँचने की उम्मीद थी लेकिन जाम ने वह धरासायी कर दी। आज कार्यालय
पाँच मिनट देरी से पहुंचा। टोकने की नौबत तो नहीं आयेगी क्योंकि महीने में दो
बार एक-एक घन्टा देरी से आने की छूट दो बार मिली हुई है। लेकिन अपनी आदत इतनी
खराब है एक दिन भी देर से कार्यालय आने का मन नही मानता। इसलिये समय से पहले ही
अपुन मशीन में हाजिरी लगा देते है।
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25
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आज जयपुर से विधान चन्द्र का फ़ोन आया। करीब आधे
घन्टे से ज्यादा देर तक बातचीत हुई। विधान बोला जाट भाई नाराज हो क्या? तुमसे
नाराज? क्यों मेरी भैंस खोल कर ले गये हो क्या? विधान निजी कारणों से साल में
दो-तीन यात्रा ही कर पाता है। मेरा और विधान का कार्य लगभग एक जैसा ही है लेकिन
दिल्ली में होने के कारण मेरा वेतन थोडा ज्यादा है। विधान भी मेरी तरह शादी शुदा
बच्चों वाला बन्दा है। मैं अपने प्रत्येक में से पांच हजार अपनी यात्राओं के
लिये बचाकर रखता हूं। विधान भाई अगस्त में श्रीनगर-कारगिल-लेह-मनाली-दिल्ली मार्ग
की यात्रा करके आये है। विधान ने बताया कि इस यात्रा में उसका खर्च बीस हजार से
ऊपर पहुंच गया था। इतना खर्चा सुनकर लगा कि विधान घुमक्कडी करने नहीं पर्यटक
बनकर गया होगा। बीस हजार के खर्च में मैं अण्डमान निकोबार की दस दिनी और दस हजार
किमी की यात्रा करके आ गया था। जबकि विधान सिर्फ़ तीन हजार किमी की यात्रा करके
आया है।
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आज राकेश बिश्नोई
का फ़ोन आया। मैं सोच रहा था कि राकेश लाहौल-स्पीति की यात्रा के अन्तिम चरण में
पहुँच गया होगा लेकिन राकेश ने बताया कि वे पहली अक्टूबर को यात्रा पर निकल रहे
है। मैंने अपने फ़ेसबुक पेज पर एक स्टेट्स डाला था जिसमें एक दोस्त एकलव्य व
फ़कीरा जी ने इच्छा जतायी थी। राकेश उनका मोबाइल नम्बर जानना चाहता था। लेकिन
मेरे पास उनके नम्बर नहीं थे।
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आज राजेश सहरावत
जी कार्यालय पहुँचे। राजेश जी की एक यात्रा पुस्तक मेरे पास बीते दो साल से थी।
वैसे तो मेरे पास यात्रा की भरपूर सामग्री है लेकिन जब भी कोई पुस्तक या अखबार
दिखाई देता है उसे पढे बिना चैन कहाँ मिलता है? राजेश जी को उनकी पुस्तक उसी
स्थिति में वापिस दे दी जिस स्थिति में उन्होंने मुझे दी थी।
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आज तीन फ़िल्में
देख डाली। इनमें नाना पाटेकर की शागिर्द, मेरे डैड की मारुति के अलावा कैरी आन
जटटा देखी। कैरी आन जटटा इनमें सबसे मस्त लगी। अपुन को कामेडी फ़िल्मे अत्यधिक पसन्द
है।
आज रात मोदी का
अमेरिका के न्यूयार्क शहर में मेडिसन स्क्वायर में दिया गया भाषण सुना। अमेरिका
की जनता की मोदी के प्रति दीवानगी देखकर बहुत खुशी हुई।
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आज फ़रीदाबाद से
रोहित कल्याणा का फ़ोन आया। रोहित भाई रुपकुण्ड-होमकुन्ड यात्रा पर जाने का
इच्छुक है। उसे जो जानकारी चाहिए थी बता दी गयी। बाद में रोहित का फ़ेसबुक के
इनबाक्स में एक संदेश देखा। इतना प्यारा संदेश है कि दिल खुश हो गया।
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30
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आज सुबह-सुबह
महेश रावत का फ़ोन आया कि भाई मैं छितकुल जा रहा हूँ। कुछ जानकारी चाहिए। अरे
पिछले सप्ताह तो डलहौजी खजियार जाने की बोल रहे थे। खैर कोई बात नहीं। जो
जानकारी उसे चाहिए थे समझा दी गयी। कल से अपना कार्यालय सुबह नौ बजे से दोपहर
तीन बजे तक हुआ करेगा। अपना कार्यालय समय मात्र छ: घन्टे का होता है।
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4 टिप्पणियां:
मस्त दैनदिनी
जाट भाई राम राम,
भाई भालू का डर तो सही है पर यह शालू कौन है?
जाट भाई नया ब्लॉग कब आएगा?
ज्ञान के दूसरे भण्डार की छपाई का सीखतड़ो को इन्तजार !
बहुत बदिया डायरी ...
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