शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

Nageshwar jyotirlinga temple dwarka द्धारका का नागेश्वर ज्योतिलिंग मन्दिर

गुजरात यात्रा-5
द्धारकाधीश मन्दिर से रुक्मिणी देवी मन्दिर देखते हुए हम सौराष्ट्र के दारुकावन स्थित नागेश्वर Nageshwara Jyotirlinga ज्योतिर्लिंग पहुँच चुके थे। इस मन्दिर में घुसने से पहले ही दूर से भोलेनाथ की एक विशाल मूर्ति  दिखायी दे रही थी जैसे ही हम चारों ने मन्दिर के प्रांगन में प्रवेश किया तो हम सबसे पहले इस मूर्ति के पास ही जा पहुँचे। मूर्ति के पास जाकर पाया कि यह मूर्ति तो लगभग 40-50 फ़ीट ऊंचाई लिये हुए है।  इतनी विशाल मूर्ति बनाने में बड़ी समस्या पेश आती है।  मूर्ति देखकर हम मन्दिर के अन्दर प्रवेश करने के लिये आगे बढ़े ही थे कि गेट पर मौजूद कर्मचारी ने हमें चेताया कि मन्दिर में फ़ोटो लेना मना है। अपने कैमरा व मोबाइल अपनी जेब में घुसेड़ कर अन्दर की चल पडे।  मैं मन्दिर में कभी भी पूजा-पाठ करने के चक्कर में नहीं जाता हूँ। मैं तो मूर्ति को एक पल देखकर ही संतुष्ट होने वाला प्राणी हूँ। दुनिया में आपको ऐसे-ऐसे लोग मिलेंगे जो मूर्ति से चिपक जायेंगे। मैं तो मानता हूँ कि जो जितना बड़ा पापी होता है उतना ज्यादा ढ़ोंग करता है। असली भक्त तो पहाड़ों में गुफ़ाओं में निवास करते है हम जैसे किस खेत की मूली है?

जय हो भोले नाथ

मन्दिर का प्रवेश द्धार




मन्दिर में अन्दर जाने के लिये पाईप की चार दीवारी सी बनाई गयी है जिसके सहारे आने वाले लोगों को घेर कर शिवलिंग तक ले जाया जाता है। हम चारों भी इसी पाइप वाली दीवार के मध्य होते हुए मन्दिर में घूमते चले गये। जब हम शिव लिंग के ठीक सामने पहुँचे तो आदतन अपना सिर हमेशा की तरह श्रद्धा से झुकने वाला सिर यहाँ भी झुक गया।  मैंने मन ही मन भोले नाथ को याद किया और बाहर आने के लिये चल दिया लेकिन हमारे साथी प्रेम सिंह व अनिल तो शिवलिंग को जब तक नहा धूला कर नहीं मानते बाहर नहीं आने वाले थे। वे दोनों सीधे मन्दिर के गर्भगृह में नीचे उतर गये थे। इस मन्दिर का शिवलिंग थोड़ा सा गहराई में बनाया हुआ है। मैं वही खड़ा-खड़ा उनका तमाशा देखता रहा। पहले तो पुजारी उन्हें गर्भगृह में प्रवेश ही नहीं करने दे रहा था। लेकिन जैसे ही उन्होंने पंड़ित/पुजारी को दक्षिणा स्वरुप रिश्वत रुपी नोट दिखाया तो पुजारी भिखारी की तरह मिमयाने लगा और उसने अपने नियम कायदे कानून तुरन्त बदल दिये। मैं मन ही मन पुजारी की भीख माँगने के तरीके पर मुस्कुराता रहा। और भगवान से कहा वाह रे ऊपर वाले अपने एजेंट हर मन्दिर में छोड़ रखे है या ये अपनी  मर्जी से अपना धन्धा करने में लगे हुए है। 

मन्दिर का एक फ़ोटो

मेरी तरह दूसरा मनमौजी

भोले के दो चेले

विशाल मूर्ति


मैं तो दो-तीन मिनट बाद बाहर गया लेकिन प्रेम सिंह अनिल पता नहीं मन्दिर में पुजारी को क्या घुट्टी पिला रहे थे कि उन्हें बाहर आने में लगभग 15-20 मिनट लग गये। इस थोड़े से खाली समय का फ़ायदा मैंने मन्दिर के चारों तरफ़ घूम-घूम कर फ़ोटो लेने में ऊठाया था जो अभी आप देख रहे है। इस मन्दिर को देखते हुए मैंने पाया कि यह मन्दिर मुश्किल से 10-15 साल पुराना ही होगा। किसी भी कोण से देखने पर मुझे यह ज्योतिर्लिंग जैसा नहीं लग रहा था। सबसे बड़ा आश्चर्य तो इस बात पर हो रहा था कि जहाँ यह मन्दिर है वहाँ पर आबादी के नाम पर शून्य है। ऐसा कैसे सम्भव है कि जहाँ इतना बड़ा (12 ज्योतिर्लिंग में से एक) मन्दिर हो वहाँ आबादी ना हो। यह मन्दिर द्धारका से लगभग 15-16 किमी की दूरी पर है। यहाँ आने के लिये द्धारका से आने-जाने के लिये फ़टफ़ट वाहन मिल जाते है जिन्हें स्थानीय लोग छकड़ा कहते है। वापसी में हम भी ऐसे ही छकड़े में बैठकर द्धारका तक आये थे। यह छकड़ा भी मस्त वाहन होता है उसमें बुलेट/राजदूत बाइक जैसा इन्जिन लगा होता है पीछे रिक्शा जैसा दिखाई देता है लेकिन जब यह चलता है तो इसमें यात्रा करने का अलग आनन्द आता है। यहाँ से द्धारका पहुँचने में आधा घन्टे का समय लगा। द्धारका बस अड़ड़े पहुँचकर जूनागढ़ जाने वाली बस का पता किया तो मालूम हुआ कि तीन घन्टे बाद जायेगी। तीन घन्टे वहाँ क्या करते? इसलिये मैंने सुझाव दिया कि चलो किसी ट्रक या अन्य वाहन से जूनागढ़ चलते है तीन घन्टे में तो हम वहाँ पहुँच भी जायेंगे।


नागेश्वर मन्दिर के दर्शन कर हम सोमनाथ जाने के लिये चल पड़े।

गुजरात में बिजली उत्पादन

बताइये हम किस वाहन में बैठकर जा रहे है?

अब हमें जूनागढ़ की ओर रवाना होना था इसलिये अब हम पोरबन्दर होते हुए जूनागढ़ जा रहे है। वहाँ पर मोहनदास कर्मचन्द गाँधी का जन्म स्थान और सुदामा जी का मन्दिर देखकर आगे जाया जायेगा।


गुजरात यात्रा के सभी लेख के लिंक क्रमानुसार नीचे दिये गये है।

भाग-01 आओ गुजरात चले।
भाग-02 ओखा में भेंट/बेट द्धारका मन्दिर, श्री कृष्णा निवास स्थान
भाग-03 द्धारकाधीश का भारत के चार धाम वाला मन्दिर
भाग-04 राधा मन्दिर/ श्रीकृष्ण की अर्धांगिनी रुक्मिणी देवी का मन्दिर
भाग-05 नागेश्वर मन्दिर भारते के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक
भाग-06 श्रीकृष्ण के दोस्त सुदामा का मन्दिर
भाग-07 पोरबन्दर गाँधी का जन्म स्थान।
भाग-08 जूनागढ़ का गिरनार पर्वत और उसकी 20000 सीढियों की चढ़ाई।
भाग-09 सोमनाथ मन्दिर के सामने खूबसूरत चौपाटी पर मौज मस्ती
भाग-10 सोमनाथ मन्दिर जो अंधविश्वास के चलते कई बार तहस-नहस हुआ।
भाग-11 सोमनाथ से पोरबन्दर, जामनगर, अहमदाबाद होते हुए दिल्ली तक यात्रा वर्णन
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4 टिप्‍पणियां:

Asha Lata Saxena ने कहा…

सुन्दर चित्र , बहुत सुन्दर वर्णन |
आशा

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

वायु से बिजली बहुतायत में पैदा होती है गुजरात में।

G.N.SHAW ने कहा…

बहुत सुन्दर जानकारी | अगली पोस्ट की इंतजार |

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

छकड़ा तो जानदार निकला ....मैं भी शिव को देखते ही उसे नहलाने के चक्कर में ही रहती हूँ हा हा हा हा

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