कल गोवा यात्रा समाप्त हो चुकी है, इसलिये आज गुजरात यात्रा की शुरुआत करते है। यात्रा शुरु करने से पहले यात्रा की तैयारी के बारे में बताना बेहद जरुरी रहता है। जिससे यह पता लग जाता है कि यात्रा करने से ज्यादा परॆशानी यात्रा पर जाने की तैयारी करने में आती है। बनारस पद यात्रा से आने के बाद हमने गुजरात जाने की योजना बनायी थी। इस यात्रा में गंगौत्री से केदारनाथ यात्रा व बनारस यात्रा के साथी प्रेम सिंह ने मेरे साथ जाने की हाँ पहले से ही की हुई थी। मैं तो वैसे भी प्रत्येक महाशिवरात्रि पर बारह में से किसी एक ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने जाता ही हूँ। अब सिर्फ़ दो ज्योतिर्लिंग ही देखने को बचे हुए है। जो है बिहार/झारखण्ड़ में बाबा देवघर व दूसरा श्रीशैल्लम मल्लिका अर्जुन आंध्रप्रदेश में है। वैसे जिस दिन यह लेख प्रकाशित होगा उस दिन तक तो मैं श्रीशैल मल्लिका अर्जुन के दर्शन कर घर आ भी चुका होंगा। अत: आप यह मान लेना कि अब सिर्फ़ बाबा देवघर वाले ही बचे है देखते है वो भी जाटदेवता संदीप पवाँर (आर्य) से बचते है और कब तक बचते है? वैसे यहाँ यह भी स्पष्ट कर दे रहा हूँ कि आने वाले सावन में बाबा देवघर वाले भी बचकर नहीं जाने वाले है।
चंड़ाल चौकड़ी। या स्वर्णिम चतुर्भज |
पहचानों बिना टोपी के कौन-कौन है? तीनों पक्के ट्रेकर है। |
अरे खाली है। |
अब ठीक है। |
बात हो रही थी गुजरात की और बीच में टपक पड़े भोले नाथ, अब वो ठहरे भोले नाथ तो हम ठहरे उनके दोस्त तो दोस्त की बात को पहले नाम देना चाहिए ताकि दोस्त बुरा ना मान जाये। हाँ तो गुजरात यात्रा में मैंने रेलवे के टिकट बुक नहीं किये थे। मैं हर बार सबके टिकट बुक कर देता हूँ, जब यात्रा पर चलते है तो उस दिन टिकट की राशि अपने आधिपत्य में कर लेता हूँ लेकिन जैसा विश्वासघात मामा गंगौत्री यात्रा वाले ने बनारस यात्रा में किया था। याद नहीं आ रहा है चलो पहले उसे ही बता देता हूँ कि मैंने इलाहाबाद तक जाने के व बनारस/ काशी से वापसी के टिकट अपने ATM से बुक कर दिये थे। पैसे मैं यात्रा से पहले लेता नहीं था। लेकिन मामा ने यात्रा वाले दिन बोल दिया कि मैं नहीं जा रहा हूँ। उस मजेदार कहानी को उस यात्रा में पढ़ लो लिखी हुई है। गुजरात यात्रा पर आते-आते बीच में दूसरी बात टपक जाती है। पहले शंकर आ गये अब मामा। यहाँ पर प्रेम सिंह ने चार टिकट बुक किये थे। तीन तो ऊपर वाले फ़ोटो में बैठे है चौथा बताओ कौन? यह पक्का है कि चौथा मैं नहीं था। बनारस वाली यात्रा की तरह यहाँ भी एक पहलवान ने आखिरी मौके पर छेर (हिम्मत हार दी) दिया। मैं तो इनकी यात्रा को ही पक्की नहीं मान रहा था जिस कारण मैंने टिकट ही बुक नहीं करायी थी। मैंने यह सोचा हुआ था कि अगर किसी तरह प्रेम सिंह एन्ड पार्टी जाने भी लगी तो साधारण टिकट लेकर बैठ जाऊँगा। लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था। आखिरी दिन एक ने मना कर दी। तो मैं भी आरक्षित ड़िब्बे में बैठ कर गया।
सूर्योदय का समय है\ |
यह सूर्योदय से पहले का है। |
दिल्ली के सराय रोहिल्ला टेशन से हमारी रेल सुबह चली थी। जब हम जयपुर पहुँचने वाले थे तो मैं जयपुर में निवास करने वाले विधान चन्द्र को फ़ोन लगाया कि अगर मिलना है तो आ जाओ हम आधे घन्टे में जयपुर के स्टेशन पहुँचने वाले है। विधान का घर स्टेशन से 10 किमी से ज्यादा दूरी पर है लेकिन वह भी उत्पाती मस्त मौला जाटदेवता से मिलने का इच्छुक था इसलिये अपने एक दोस्त के साथ मिलने के लिये सही समय हाजिर हो गया था। विधान के साथ उनके एक दोस्त और थे जो बाद में हमारे साथ मणिमहेश ट्रेकिंग पर भी गये थ। अरे हाँ वो यात्रा भी तो लिखनी है। अभी बिना लिखी कम से कम 15 यात्रा शेष है। प्रतिदिन एक लेख लिखा जाये तो भी कई महीने में जाकर सभी लिखी जायेगी। लेकिन कई महीने मैं कही बाहर घूमने ना जाऊँ तो। विधान अपने साथ दो किलो संतरे लाया था। फ़रवरी का आखिरी सप्ताह चल रहा था। ट्रेन ने चलने का संकेत दिया तो हमने विधान के साथ फ़ोटो खिचवाकर उनसे विदा ली। रात का सफ़र सीट आरक्षित होने से मजे से कटा था। बात मजे की आयी है तो पता नहीं किसे, कब, कहाँ, कैसा, मजा आ जाये?
जामनगर में एक चौराहे का। |
जामनगर |
प्रेम सिंह ने टिकट पोरबन्दर का लिया हुआ था। जोड घटा गुणा भाग किया गया तो जो उत्तर आया उसने बताया कि पोरबन्दर सोमनाथ व द्धारका (ओखा) के बीच में है। हमें पहले ओखा जाने में फ़ायदा है। ताकि एक कोने से शुरु कर सोमनाथ जाकर यात्रा समाप्त की जाये। इसलिये हम पोरबन्दर वाली रेल से जामनगर ही उतर गये थे। यहाँ से हमने ओखा जाने वाली ट्रेन के बारे में पता किया जो चार घन्टे बाद आने वाली थी। चार घन्टे वहाँ बर्बाद ना करते हुए हमने बस से ओखा जाने के लिये बस स्थानक की ओर प्रस्थान कर दिया।
अगले लेख में आपको ओखा यात्रा दिखायी जायेगी।
गुजरात यात्रा के सभी लेख के लिंक क्रमानुसार नीचे दिये गये है।
भाग-01 आओ गुजरात चले।
भाग-02 ओखा में भेंट/बेट द्धारका मन्दिर, श्री कृष्णा निवास स्थान
भाग-03 द्धारकाधीश का भारत के चार धाम वाला मन्दिर
भाग-04 राधा मन्दिर/ श्रीकृष्ण की अर्धांगिनी रुक्मिणी देवी का मन्दिर
भाग-05 नागेश्वर मन्दिर भारते के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक
भाग-06 श्रीकृष्ण के दोस्त सुदामा का मन्दिर
भाग-07 पोरबन्दर गाँधी का जन्म स्थान।
भाग-08 जूनागढ़ का गिरनार पर्वत और उसकी 20000 सीढियों की चढ़ाई।
भाग-09 सोमनाथ मन्दिर के सामने खूबसूरत चौपाटी पर मौज मस्ती
भाग-10 सोमनाथ मन्दिर जो अंधविश्वास के चलते कई बार तहस-नहस हुआ।
भाग-11 सोमनाथ से पोरबन्दर, जामनगर, अहमदाबाद होते हुए दिल्ली तक यात्रा वर्णन
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8 टिप्पणियां:
राम राम जी, जय हो जय हो गरबी गुजरात, नमो नमो, संदीप जी आने वाले समय में मोदी का गुजरात नहीं, मोदी का पूरा भारत, यही एक तमन्ना हैं. वन्देमातरम.....
संदीप जी आपने नाम बदल दिया हैं क्या, बड़ा प्यारा नाम हैं. संदीप आर्य, चलो अब एक समरसता महशूस हुई आप भी आर्य मैं भी आर्य, हम सब आर्य....
बढ़िया है आदरणीय-
शुभकामनायें-
हम पछियाते रहेंगे..
wah aise hi roz likho
चलिए यात्रा मंगलमयी हो ..हम भी साथ चल रहे है हमेशा की तरह .....गुजरात भ्रमण पर .....
chalo hum bhi saath ho liye aapki is gujrat yatra me...
में गुजरात में रहता हु मगर मैंने अभी तक द्वारका और सोमनाथ नहीं देखा, विवरण द्वारा आपके साथ घुमने का मौका मिलेगा| श्री मोदीजी के तो क्या कहने, वाकई में केरीस्मटिक लीडर है|
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