नदी किनारे वाले बारा भूमि मन्दिर से यह ताम्बडी सुरला नाम का शिव मन्दिर लगभग चार किमी दूरी पर है। एक घन्टे में हमने यह दूरी आसानी से तय कर ली थी। वसे यहाँ तक पहुँचने के लिये पणजी से दिन भर में एक-दो बस ही आती है। अपने ट्रेकिंग कैम्प में यह अन्तिम स्थान है जहाँ तक हमें चल कर जाना होता है, इस मन्दिर में दर्शन करने के बाद हमारी ट्रेकिंग समाप्त हो गयी थी। यहाँ से पणजी का मुख्य कैम्प हमसे लगभग 80 किमी दूर पर हो चुका था। हम यहाँ दोपहर में ड़ेढ़ बजे पहुँच गये थे। बस यहाँ से ढ़ाई बजे जायेगी। यहाँ से कैम्प के दिनों में ही एक सीधी बस पणजी तक जाती है। पणजी क्या बल्कि यह बस हमें कैम्प के मुहाने पर छोड़कर जाती है। अगर कोई अन्य दिनों में यहाँ आ रहा है तो जरा सोच समझ कर यहाँ आना चाहिए। अब कुछ चर्चा इस मन्दिर के बारे में भी हो जाये।
TAMBDI SURLA TEMPLE |
दूसरा किनारा |
पीछे से |
एकदम पीछे |
प्रवेश द्धार |
नीचे एक नीले रंग का फ़ोटो लगाया गया है यह नीला बोर्ड़ मन्दिर के एक दरवाजे पर लगाया गया था, इसके अनुसार यह तेरहवी शती का बना हुआ है। भगभान भोले नाथ को समर्पित यह मन्दिर मुझे ऐसा एकलौता मन्दिर मिला जहाँ मुझे लूटने वाला पुजारी नहीं मिला था। इसके साथ ही दूसरा कमाल ये हुआ कि यहाँ पर मुझे भिखारी भी नहीं मिला। पुजारी=भिखारी मैं इन दोनों को बराबर मानता हूँ, एक मन्दिर के बाहर माँगता है दूसरा मन्दिर के अन्दर माँगता है। सबसे भिखारी वे जो भगवान के पास माँगने जाते है। कुछ महीने पहले एक फ़िल्म आयी थी OMG बोले तो ओ माई गोड़। क्या जबरदस्त फ़िल्म बनायी है बनाने वाले ने भी, जिसने अंधविश्वास पर जमकर कटाक्ष किये गये है। इसमें पुजारी को भगवान का दलाल जैसा ही कुछ बताया गया है। जबकि भगवान तो सर्वशक्तिमान है। परमात्मा कब किसे कहाँ टकरा जाये, कोई नहीं कह सकता।
अब चले अन्दर |
बरामदा |
नक्काशी |
शिवलिंग पर चढ़ाया दूध यहाँ आता है। |
नन्दी की मुन्डी गायब है |
गजब कलाकारी |
गर्भगृह |
जय भोले नाथ |
मन्दिर के ठीक सामने नदी बह रही है |
पणजी के मुख्य कैम्प में वापिस आते समय हमारा स्वागत जोरदार तालियाँ बजाकर किया गया था। हम सबके चेहरे पर भी सफ़ल ट्रेकिंग करने की खुशी झलक रही थी। कल सुबह यहाँ से सबको अपने-अपने घर जाना था। कुछ तीन-चार ऐसे भी थे जो अभी गोवा में दो-चार दिन और मस्ती काटकर जाने वाले थे। जिसे वापसी में जैसा रेलवे आरक्षण मिला था वो वैसे जा रहा था। शाम को कमल और अनिल बाजार से कुछ मालपानी लेने के लिये चले गये थे। जबकि मैं और गुजराती भाई व एक अन्य बुजुर्ग अंकल ने नजदीक के पार्क में एक पर्दशनी देखने का कार्यक्रम बनाया हुआ था। अनिल और कमल वहाँ पर बिलियर्ड़ खेलने में व्यस्त थे। जबकि हम वहाँ पर एक पर्दशनी देखने गये तो हमें वहाँ कुछ नया नया नहीं लगा जिस कारण हम वहाँ से जल्दी लौट आये थे।
यात्रा समाप्त, अब खेल शुरु |
अगली बार इसमें घूम कर आना है |
अगले दिन हम अपने घर दिल्ली वापस आ रहे थे। पहले हम पणजी वाली बस में बैठ गये। पणजी से हमे पुराने गोवा की बस में बैठना था, पुराना गोवा जाने वाली यह बस हमें करमाली रेलवे स्टेशन के पास उतार देने वाली थी, लेकिन यह क्या करमाली आने से पहले ही मुझे सड़क के दोनों और विशाल ईमारत दिखाई दे रही थी। हमने बस चालक से बोलकर बस रुकवाई, तीनों वही उतर कर बस से दिखाई देने वाली उस विशालकाय ईमारत देखने वापिस चल दिये।
यह चौक पुराने गोवा में है। |
गोवा यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे क्रमवार दिये गये है। आप अपनी पसन्द वाले लिंक पर जाकर देख सकते है।
भाग-14-दूधसागर झरना के आधार के दर्शन।
भाग-15-दूधसागर झरने वाली रेलवे लाईन पर, सुरंगों से होते हुए ट्रेकिंग।
भाग-16-दूधसागर झरने से करनजोल तक जंगलों के मध्य ट्रेकिंग।
भाग-17-करनजोल कैम्प से अन्तिम कैम्प तक की जंगलों के मध्य ट्रेकिंग।
भाग-18-प्राचीन कुआँ स्थल और हाईवे के नजारे।
भाग-19-बारा भूमि का सैकड़ों साल पुराना मन्दिर।
भाग-20-ताम्बड़ी सुरला में भोले नाथ का 13 वी सदी का मन्दिर।
भाग-21-गोवा का किले जैसा चर्च/गिरजाघर
भाग-22-गोवा का सफ़ेद चर्च और संग्रहालय
भाग-23-गोवा करमाली स्टेशन से दिल्ली तक की ट्रेन यात्रा। .
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5 टिप्पणियां:
स्थापत्य पुराना है, गोल पत्थर बनाने की विधि अद्भुत थी पुराने समय में।
ऐतिहासिक महत्व है इन स्थानों का, काश हम सहेज पायें |. मंदिर के सामने नदी ...यह अद्भुत दृश्य होगा ..वो फोटो भी बहुत अच्छा लगा
आनंददायक।
घर बैठे इस प्राचीन मंदिर के दर्शन करने का शुक्रिया, बम बम भोले!
जय हो जाट देवता की ....बहुत देवताओं के दर्शन हो गए ....
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