यहाँ इस तरह आराम से खड़ा होने के लिये दमदार जिगर होना चाहिए, जो ऐसे गेरे नत्थू खेरे में नहीं पाया जाता। |
गंगौत्री में गंगा जल की तूफ़ानी गति |
अपना गैंग |
मुझे पानी में देखते ही मामा (नाम से मामा है, रिश्ते में नहीं) तेजी से पानी में घुसा ही था कि मामा को ठन्डे पानी का जोरदार करंट लगा और जिस रफ़्तार से
पानी में जाने में दिखाई थी, उससे ज्यादा रफ़्तार बहार आने में लगाई। मामा का यह हाल देख कर सब पानी से दूर ही
रहना चाह रहे थे। लेकिन फ़िर भी धीरे धीरे एक को छोड़कर सभी ने स्नान कर ही लिया। जाट देवता संदीप व एक अन्य साथी (नाम याद नहीं) ने ग्यारह डुबकी लगायी थी। अन्य सभी ने डुबकी का 1 से लेकर 5 तक का औसत निकाला। बाद में मामा ने भी कई डुबकी लगायी और भाग कर अपना सर पकड़ लिया क्योंकि पूरी 7 डुबकी जो लगायी
थी। वैसे ठन्ड़ से सिर झन्झाटा खा जाता था, सिर तो सभी ने पकड़ा था, चाहे कोई माने या न माने। यहाँ पर पानी कितना ठंडा था, यह जानने के लिए कडक सर्दी में पानी की बाल्टी रात में खुले में छोड़ दो, फ़िर सुबह उसमें बर्फ मिला कर नहा लो समझ जाओगे कि यहाँ पानी की क्या हालत है?
लंका सिर्फ़ चार किमी |
भैरों गंगौत्री वाले |
सुन्दर घाटी |
घन्टे भर में सब नहा धो कर, कांवर में गंगा जल भर कर, जय भोले शंकर का
नारा लगा कर केदारनाथ की ओर रवाना हो गए, रास्ते में लंका घाटी नाम से एक सुन्दर व गहरी घाटी आती है, जो गंगौत्री से 10 किलोमीटर की दूरी पर है यहाँ पहुंचते ही एक बोर्ड़ दिखाई देता है। ठीक इसी जगह से एक
रास्ता चाइना बोर्डर को जाता है कुल 25 किलोमीटर दूरी तक सड़क है उसके बाद कुछ किमी ट्रेकिंग मार्ग है फ़िर चीन की सीमा है। यहाँ पर चीन की ओर से आने वाले नदी पर बना पुल लंका
पुल कहलाता है। इस पुल से खड़े हो कर नीचे खाई में देखने पर एक पुराना पुल भी नजर आएगा पहले जब यहाँ तक सड़के
और वाहन नहीं थे, नीचे वाले पुल से यात्री पैदल गंगौत्री तक आया-जाया करते थे। मेरी जानकारी के अनुसार यह उत्तराखंड का (बाकि भारत का कौन सा है पता नहीं?) पानी की सतह से सबसे ज्यादा
ऊंचाई पर स्थित पुल है।
चीन की ओर नेलोंग है। |
लंका पुल |
खाई में पुराना पुल, ध्यान से देखो |
सही लिखा है। |
यहाँ से 16 किलोमीटर की दूरी पर हर्षिल नाम की सुन्दर सी जगह आती है, यहाँ सेब के बगीचे है, यहाँ उगाये जाने वाले सेब की फसल इंग्लैंड से मंगाई गयी थी। इसी जगह पर हिंदी फिल्म "राम तेरी गंगा मैली" की ज्यादातर शूटिंग हुई थी। यही पास में ही वो झरना है, जिसमे फ़िल्मी अभिनेत्री मंदाकनी के नहाने के कारण इसका नाम मंदाकनी फाल पड़ गया। हर्षिल नाम की सुन्दर सी जगह पर अगर कोई जाता है यहाँ रुक कर आना चाहिए। हर्षिल का पुल सड़क से ही दिख जाता है। हर्षिल सड़क से हटकर गंगा पार है। हर्षिल से चलते हुए 6 किलोमीटर आगे जाने पर झाला नामक गाँव आता है। झाला का पुल पार करते ही हम एक कमरे में रुक गए थे। हमने रात में यही पर आराम किया।
इस पुल से मैं कई बार गया था अब यह समाप्त हो गया है। |
यहाँ हमेशा ठन्डी हवा लगती है। |
यह गंगा का सबसे अच्छा व्यू पॉइन्ट है। |
यहाँ आकर गंगा का पट चौडा हो जाता है। |
मस्त मौला है ये भोला |
नदी पार का मन्दिर |
मुखवा जहाँ सर्दियों में गंगा की पूजा होती है। |
रुकिये देखिये फ़िर कुछ कहना |
पुल पार करने पर हर्षिल दिखाई दे रहा है। |
हर्षिल के पास इस जगह से एक दर्रा पार कर हिमाचल जाया जा सकता है। |
इसके बाद अगले दिन सुक्की टॉप की जबरदस्त चढाई चढ़नी थी। हम सबकी हालत इस चढाई ने एकदम पतली कर दी थी। इसलिये पहले रात्रि आराम उसके बाद आगे प्रस्थान।
गोमुख से केदारनाथ पद यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे दिये गये है।
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3 टिप्पणियां:
हर्षिल में दो दिन रुके थे, आनन्द आ गया था।
हर्षिल का बहुत नाम सुना है , लेकिन मन्दाकिनी का नाम पहली बार सुना ! जब भी जाऊँगा जरूर देखूंगा !! मस्त फोटो , जाट देवता ऐसे ही जाट देवता नही हैं , 11 डुबकी मायने रखती हैं !!
लंका घाटी के पास से जाने वाले रास्ते पर लगभग डेढ़ किमी का ट्रैक 'गरतांग गली' सितंबर 21 में पर्यटकों के लिए खुल गया है। गाजियाबाद वाले सुभाष जी, मैं और एक अन्य मित्र प्रफुल्ल अक्टूबर में गंगोत्री गए थे तो यहां भी गेड़ा मार आए☺️
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