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बुधवार, 31 जुलाई 2013

Sugalvas-Tindi- Udaipur सुगलवास-तिन्दी-उदयपुर (बाइक की क्या औकात, दलदल नाले में ट्रक भी अटक गया)

SACH PASS, PANGI VALLEY-08                                                                      SANDEEP PANWAR
तिन्दी से पहले सुगलवास नामक जगह आती है, यहाँ पर वन विभाग की निरीक्षण चौकी बनी हुई है। सुगलवास से तिन्दी के बीच सड़क चौड़ीकरण का निर्माण कार्य चल रहा है। यही एक बोर्ड़ भी लगा हुआ था जिस पर लिखा हुआ था कि इस मार्ग पर कहाँ से कहाँ तक सप्ताह में मार्ग किस-किस दिन बन्द रहता है? हिमाचल प्रदेश में यह इलाका बेहद ही दुर्गम माना गया है कुछ वर्षों पहले तक यहाँ आने के लिये केवल पैदल मार्ग हुआ करता था अब कही जाकर यहाँ इस घाटी में गाड़ी चलने लायक कच्चा मार्ग बन पाया है। आगामी 3-4 वर्षों में यही मार्ग पक्का बन जायेगा तब यहाँ आने का अलग ही सुख होगा। कभी-कभी तो सड़क इतनी बेकार आ जाती थी कि हम सीट पर बैठे-बैठे 8-10 ईंच तक उछल जाते थे। उछलने के बाद हमें ट्रक में लदी अपनी बाइक याद आती थी कि उदयपुर पहुँचने तक बाइक चलने लायक भी रहेगी या कबाडी को बेचकर बस में बैठकर घर जाना पड़ेगा। ट्रक चालक को बोला, अरे भाई जरा कुछ देर के लिये ट्रक कही रोक लेना, पीछे जाकर बाइक की हालत देखते है। 

इस पुल से पांगी घाटी आरम्भ होती है।

मंगलवार, 30 जुलाई 2013

KILLAR TO TINDI किलाड़ से तिन्दी

SACH PASS, PANGI VALLEY-07                                                                      SANDEEP PANWAR
हम चारों सुबह आठ बजे से पहले ही पराँठे खाकर तैयार हो चुके थे। ट्रक ऊपर ही खड़ा हुआ दिखायी दे रहा था। हम चारों शार्टकट पगड़न्ड़ी से चढ़ते हुए उस ट्रक के पास जा पहुँचे। ट्रक के नजदीक जाने पर देखा कि अभी वह खाली नहीं हुआ है उसके अन्दर सीमेन्ट के कटटे रखे हुए थे। सीमेन्ट उतारा जा रहा था। तब तक हम आसपास ही घूमते रहे। इसी बीच नीचे से भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल की एक टुकड़ी गश्त करती हुई हमारे पास पहुँची। जैसे ही मैंने उनका फ़ोटो लेने के लिये कैमरा निकाला तो वे सभी पंक्ति बद्ध खड़े हो गये। महेश मलिक उन फ़ौजियों के साथ खड़े हो गये। ट्रक वाले का सीमेन्ट उतारा जा चुका था। वह बोला कि आप लोग नीचे चलो। मैं थोड़ी देर में ट्रक लेकर आता हूँ। हम उसी शार्टकट से नीचे पहुँचे। लेकिन आधा घन्टा होने पर भी जब ट्रक नीचे नहीं आया तो हमारी खोपड़ी चौकन्नी होने लगी। चूंकि वहाँ से निकलने का कोई और मार्ग नहीं था इसलिये हम इस बात से तो बेफ़िक्र थे कि ट्रक वाला भाग गया होगा।


सोमवार, 29 जुलाई 2013

Chandra Bhaga/Chenab river Bridge चन्द्रभागा/चेनाब नदी पर बना शुकराली पुल

SACH PASS, PANGI VALLEY-06                                                                      SANDEEP PANWAR
रात दस बजे के करीब पांगी घाटी की मुख्य तहसील किलाड़ कस्बे में हमारा आगमन हुआ। छोटा हाथी वाला हमारी बाइके समेत एक होटल के सामने आकर रुक गया। वहाँ उसने कमरे के लिये पता किया लेकिन जवाब मिला कि कोई कमरा खाली नहीं है। उस होटल के आसपास कई होटल और भी थे लेकिन किसी में कमरा खाली नहीं मिला। कमरा देखना छोड़कर पहले हमने गाड़ी से अपनी बाइके उतारी, उसके बाद किलाड़ में वापसी की ओर चल दिये। मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की ओर कुछ सौ मीटर वापिस आकर कमरा देखने चल दिया। यहाँ आते समय मुख्य बस अडड़े वाले मोड़ पर एक ढ़ाबे में खाना-पीना चल रहा था। हम सीधे उसी ढ़ाबे वाले के पास आये


रविवार, 28 जुलाई 2013

PANGI VALLEY-Killar पांगी वैली में हुआ पंगा

SACH PASS, PANGI VALLEY-05                                                                      SANDEEP PANWAR
मेरी बाइक (नीली परी) उस बर्फ़ीले नाले से सुरक्षित पार हो गयी, लेकिन जब साथी बाइकर की बाइक उस नाले की रफ़्तार में उलझ गयी और पानी की दिशा में उछल गयी। हम उस घटना को बाइक से दूर खड़े देख रहे थे मैंने तुरन्त अपनी बाइक साइड़ स्टैन्ड़ पर लगायी और बर्फ़ीले पानी में दूसरी बाइक को बहने से बचाने के लिय भागा। पानी के नाले के दूसरी और खड़े दोनों साथी देवेन्द्र रावत व विशेष मलिक इस घटना को देख अचम्भित थे। पल्सर बाइक को घटना के समय महेश रावत चला रहा था, पल्सर के मालिक देवेन्द्र रावत को तो लगा होगा कि बाइक भी गयी व महेश भी गया। मुझे ड़र था कि कही बाइक रोकने के चक्कर में महेश भी बहकर नीचे दूसरी ओर ढ़लान में बर्फ़ वाली दीवार में बनी गुफ़ा में ना सरक जाये। उधर पानी के दूसरी ओर से देवेन्द्र रावत जी बाइक व महेश को बचाने के लिये भागे।


शनिवार, 27 जुलाई 2013

Complete detail near Sach Pass साच पास/जोत/दर्रा के आसपास का पूरा हाल

SACH PASS, PANGI VALLEY-04                                                                      SANDEEP PANWAR
सतरुन्ड़ी नामक जगह पर बने हुए टीन की छत वाले एकमात्र ढाबे कम विश्रामालय में साथियों ने चाय पीकर अपने शरीर को काफ़ी राहत पहुँचायी होगी। मुझे तो पता ही नहीं है कि लोग चाय क्यों पीते है? चाय पीने वाले साथियों को हर 4-5 घन्टे बाद चाय की तलब लग ही जाती थी। अभी समय क्या हुआ था मोबाइल निकाल कर समय देखा तो उसमें अभी दिन के तीन भी नहीं बजे थे मौसम भी कुल मिलाकर ठीक-ठाक सा ही लग रहा था। सतरुन्ड़ी के एकमात्र ढ़ाबे वाले ने हमें बताया कि इस साल आप पहले बाइक वाले हो जो साच पास पार कर रहे हो। पहले क्यों? क्या इस साल कोई बाइक वाला यहाँ नहीं आया? उस छोटे से ढ़ाबे कम रात्रि विश्राम स्थल वाले ने बताया कि साच पास कल ही खुला है वैसे भी जुलाई में मुश्किल से ही गिने चुने बाइक वाले इसे पार करने की हिम्मत उठाते है। साच पास पार करने के लिये सितम्बर का महीना सर्वोत्तम माना जाता है। हमें अभी तक तो सब कुछ आसान ही लगता आ रहा है फ़िर कठिनाई कहाँ आयेगी? अभी आप साच पास से 12 किमी दूर हो, यहाँ से आगे कई कैंची मोड़ आयेंगे वहाँ देखना आपकी बाइके आपको रुलायेगी?


शुक्रवार, 26 जुलाई 2013

Banikhet to Saatrundi बनीखेत से सतरुन्ड़ी तक via Chamera Lake

SACH PASS-PANGI VALLEY-03                                                                       SANDEEP PANWAR
पेंचर वाला कुछ देर में ही नीचे चला आया, उसने अपनी दुकान खोली और सबसे पहले पहिये की वालबोड़ी टाइट करने वाला पेचकस ले आया। वालबोड़ी टाइट करने के बाद उसने पिछले पहिये में हवा भर दी। मैंने कहा एक बार पहिया खोलकर चैक कर लो क्या पता! पेंचर ही हो लेकिन पेंचर वाला बोला, रात में अगले पहिये को खोलकर देखा था मुझे लगता है कि हवा भरकर पहिये को कुछ देर तक छोड़ देते है यदि बारिश रुकने तक हवा कम हो गयी या निकल गयी तो फ़िर पहिये को खोलकर देखना ही पडेगा। लेकिन 15—20 मिनट तक हवा जरा सी भी कम नहीं हुई तो यह पक्का हो गया कि वालबोड़ी में ही कुछ ना कुछ गड़बड़ थी। तब तक बारिश भी लगभग रुक सी गयी थी, महेश अपनी बाइक लेकर उसकी हवा चैक करवाने आ पहुँचा। दोनों बाइकों की हवा चैक कराने के बाद हमने अपने बैग अपने कंधे पर लाद लिये और चम्बा व साच पास की ओर प्रस्थान कर दिया।
चमेरा झील/लेक 

गुरुवार, 25 जुलाई 2013

Baniket and Dalhousie बनीखेत व ड़लहौजी

SACH PASS-PANGI VALLEY-02                                                    SANDEEP PANWAR
जालंधर शहर के बाहरी इलाके में खाना खाने के बाद हम चम्बा के लिये चल दिये। यहाँ से पठानकोट की सड़क मार्ग से दूरी लगभग 110 किमी रह जाती है। जिस गति से हम चले आ रहे थे उससे यह दूरी पार करने में लगभग दो घन्टे का समय लगना तय था। ठीक 01:30 मिनट पर हमने जालंधर छोड़ दिया था। दिल्ली से सुबह 04:30 पर हमने आज की बाइक यात्रा की शुरुआत की थी। इस तरह देखा जाये तो दोपहर तक हमने काफ़ी यात्रा तय कर ली थी। दिल्ली से अम्बाला व लुधियाना आते आते तो मौसम ठीक-ठाक ही था लेकिन लुधियाना पार करने के बाद जालंधर आते-आते मौसम भी गर्म होने लग गया था। जब जालंधर से चले तो सूरज महाराज हमारी परीक्षा लेने के लिये सड़क पर ही तैयार खड़े थे।


बुधवार, 24 जुलाई 2013

Bike trip-let's go to dangerious Saach pass आओ खतरनाक/दुर्गम साच पास चले

SACH PASS-PANGI VALLEY-01                                                                     SANDEEP PANWAR
अब से ठीक एक साल पहले july 2012 में मणिमहेश यात्रा दुबारा करने गया था, मणिमहेश यात्रा करना मेरा लक्ष्य नहीं था। उस यात्रा में सबसे बड़ी गड़बड़ यह हुई थी कि मैं पहाडों की यात्रा की अपना भरोसेमन्द साथी अपनी नीली परी साथ लेकर नहीं गया था। जिस कारण चम्बा से ही वापिस आना पड़ा था। कहते है ना जो होता है अच्छे के लिये ही होता है। यदि उस यात्रा में स्कारपियों वालों के चक्कर में हम वापिस नहीं आते तो कांगड़ा घाटी का हजारों वर्ष पुराना शिला वाला मशरुर मन्दिर कैसे देखते? इसके साथ हमने पठानकोट से चलकर जोगिन्द्रनगर तक चलने वाली ट्राय ट्रेन का भी आनन्द उठाया था। इसके बाद हिमाचल के पैराग्लाइडिंग स्थल बीड़ बिलिंग व करसोग घाटी के अन्य बहुत सारे स्थल सिर्फ़ वापसी के क्रम में ही देख ड़ाले थे, जिनका कोई इरादा भी नहीं था। यदि उस समय साच पास जाते तो वे सारे स्थल देखे बिना रह जाते। साच पास जाने का मुहूर्त तो इस साल का था तो उस साल साच जोत कैसे जा पाते? चलिये अब साच पास चलते है कौन-कौन साथ चलेगा?
एक बार फ़िर चतुर्भुज (चन्ड़ाल) चौकड़ी बाइक यात्रा पर निकली है। 

मंगलवार, 23 जुलाई 2013

Mathura-Krishna Birth place and Vrindavan मथुरा कृष्ण जन्म भूमि व वृन्दावन

AGRA-MATHURA-VRINDAVAN-03                             SANDEEP PANWAR 
आगरा से मथुरा की सड़क मार्ग से दूरी लगभग 50 किमी है सड़क भी बेहतरीन है क्योंकि दिल्ली आगरा राष्ट्रीय राज मार्ग जो है। अगर यह राष्ट्रीय राज मार्ग नहीं होता तो यहाँ की सड़क की दुर्दशा भी बेहद ही बुरी होती! जैसे हमारे घर वाले मार्ग यमुनौत्री राज्य मार्ग की है। बस में आगरा निकलने तक जल्द ही इतनी भीड़ हो गयी कि एक बन्दा बोला आप बच्चों को गोद में बैठा लो। मैंने कहा क्यों तुम्हे खड़ा नहीं रहा जा रहा तो दूसरी बस में आ जाना। हम बस अड़डे से खाली सीट देखकर बैठे थे, इसलिये बैठ कर ही जायेंगे। जब उस बन्दे का सीट के कोई जुगाड़ नहीं दिखा तो उसने कन्ड़कटर को आवाज लगायी।

सोमवार, 22 जुलाई 2013

Agra- Red fort आगरे का लाल किला

AGRA-MATHURA-VRINDAVAN-02                             SANDEEP PANWAR 
हम ऊँटगाड़ी में सवार होकर ताजमहल से लगभग 2 किमी दूर स्थित आगरे के लाल किले जा पहुँचे। लाल किले पहुँचने के बाद हमारे कई साथी कम हो गये थे। यहाँ रितेश के भाई अपने घर लौट गये थे जबकि रितेश ने निरन्तर हमारा साथ निभाया था। मुकेश भालसे सपरिवार आगरा की रोमांटिक यात्रा का लाभ उठाता रहा। ताज की तरह लाल किले के टिकट लेने में भी मैं आगे रहा। टिकट लेने के बाद बकाया राशि का भुगतान तीनों परिवार ने वही कर लिया था। ना किसी का लेना एक, ना किसी को देने दो, वाली बात सबसे अच्छी रहती है। टिकट लेने के बाद हमारा काफ़िला लाल किले पर चढ़ाई करने चल दिया।


रविवार, 21 जुलाई 2013

The Taj Mahal ताज महल/तेजो महालय

AGRA-MATHURA-VRINDAVAN-01                             SANDEEP PANWAR 
भारत को दुनिया में लोग सिर्फ़ दो ही कारणों से जानते है पहला कारण ताजमहल उर्फ़ तेजो महालय (शिवालय) दूसरा कारण बाँस की तेजी से दिन रात बढ़ती हुई भारत की आबादी है जो आगामी कुछ वर्षों में दुनिया में किसी भी देश से ज्यादा होने जा रही है। इन्दौर के पास रहने वाले अपने भ्रमणकारी दोस्त मुकेश भालसे सपरिवार आगरा-मथुरा की यात्रा पर आ रहे थे। आगरा में ही रहने वाले एक अन्य भ्रमणकारी दोस्त रितेश गुप्ता भी कई बार कह चुके थे कि संदीप भाई कभी आगरा आओ ना! तो अपुन का सपरिवार आगरा मथुरा घूमने का कार्यक्रम बन ही गया। मैं अकेला एक बार कोई चार साल पहले भी आगरा का ताजमहल व लालकिला देखकर आ चुका था।



शनिवार, 20 जुलाई 2013

Kurunda नान्देड़ सचखन्ड़ गुरुद्धारा व कुरुन्दा गाँव

LTC-  SOUTH INDIA TOUR 07                                                                           SANDEEP PANWAR
हमने सुबह 9 बजे ही शिर्डी छोड़ दिया था मन्दिर से थोड़ा सा आगे बने हुए बस अड़ड़े पहुँचे तो वहाँ एक वैन वाला पीछे पड़ गया। जब हम बस अडड़े में घुस रहे थे तो हमसे वहाँ खड़े वैन वालों ने पूछा था कि कहाँ जाओगे? मैंने कहा कि मनमाड़ जाना है लेकिन बस में जाना है, वैन में चलो, ना वैन में ज्यादा किराया लगेगा, उतने पैसे हमारे पास नहीं है, लगता था कि वैन वाला भी खाली वैन लेकर मनमाड़ नहीं जाना चाहता था। उसने कहा बस में 40 रुपये लगते है आप दोनों के 100 रुपये दे देना। अरे वाह, यह तो अपने आप ही ठीक किराया माँग रहा है, लेकिन तुम कई सवारी लेकर जाओगे हमें 10:30 पर मनमाड़ से रेल पकड़नी है। वैन वाला बोला अपको आपकी ट्रेन से पहले पहुँचा दूँगा। यहाँ सिर्फ़ 5-7 मिनट देखता हूँ, सुबह के समय मुश्किल से ही सवारी मिलती है। अगर कोई और नहीं मिला तो आप दोनों को लेकर जरुर जाऊँगा। थोड़ी देर तक जब कोई सवारी दिखायी नहीं दी तो वह हम दोनों को लेकर मनमाड़ की ओर चल दिया।
केले की फ़सल

Shirdi Sai Baba शिर्ड़ी का साँई बाबा

LTC-  SOUTH INDIA TOUR 06                                                                           SANDEEP PANWAR
त्रिरुपति मन्दिर की पहाड़ी त्रिरुमला से सुबह 5 निकलने की सोच रहे थे लेकिन जब 5:20 बस अड़ड़े पर ही हो गये तो दिल में धुकड़-धुकड़ सी होने लगी थी कि अब बीस किमी नीचे जाकर ट्रेन पकड़ना मुमकिन नहीं हो पायेगा। हमने ट्रेनों का क्रमवार आरक्षण कराया हुआ था यदि गलती से एक भी ट्रेन छूट जाती है तो अगली ट्रेन तक पहुँचने के लिये हमें पापड़ बेलने की नौबत आ जायेगी। लेकिन कहते है ना ऊपर वाले के यहाँ देर है लेकिन अंधेर नहीं है। अचानक एक बस नीचे से आयी और सवारी उतारकर तुरन्त नीचे जाने को तैयार हो गयी। हमने उसके कन्ड़क्टर से पूछा कि क्या नीचे त्रिरुपति स्टेशन तक बैठा लोगो? उसके हाँ कहते ही हम उस बस में जा घुसे। अब ट्रेन चलने में 30 मिनट बाकि थे लेकिन हमारी ट्रेन से दूरी अभी भी लगभग 20 किमी बची हुई थी।


शुक्रवार, 19 जुलाई 2013

Tirumal- Tirupati Balaji Temple त्रिरुमला पर्वत पर त्रिरुपति बालाजी मन्दिर देवस्थानम

LTC-  SOUTH INDIA TOUR 06                                                                           SANDEEP PANWAR
रामेश्वरम स्टेशन से सप्ताह में एक बार चलने वाली ओखा-रामेश्वरम ट्रेन से हमने अपने टिकट त्रिरुपति तक बुक किये थे। हमारी ट्रेन रात को 8:30 मिनट पर जाने वाली थी, हम स्टेशन लगभग 6:30 बजे ही जा पहुँचे थे। दो घन्टे बैठकर प्लेटफ़ार्म पर ट्रेन लगने का इन्तजार किया। ठीक आठ बजे ट्रेन प्लेटफ़ार्म पर लगा दी गयी। अपनी-अपनी सीट देखकर उस पर अपना डेरा जमा दिया। जब हमने इस ट्रेन के टिकट बुक किये थे तो उस समय हमारी वेटिंग चल रही थी जो मात्र 2/3 ही थी इसलिये यात्रा वाले दिन से पहले ही हमारी टिकट पक्की हो चुकी थी। लेकिन इस ट्रेन में शयनयान के टिकट हमने बुक किये थे।

This is not my photo.

गुरुवार, 18 जुलाई 2013

Rameshwaram Temple and Ram Setu रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग व राम सेतू

LTC-  SOUTH INDIA TOUR 05                                                                           SANDEEP PANWAR
सुबह उठकर रामेश्वरम के लिये निकलना था। इसलिये सुबह पाँच उठकर नहा धोकर तैयार भी हो गये। बस वाले ने सुबह 6 बजे का समय दिया था। लेकिन जब सवा 6 बजे तक भी हमें लेने कोई नहीं आया तो मन में खटका हुआ कि हमें यही छोड़कर तो नहीं भाग गये? लेकिन शुक्र रहा कि ठीक 6:30 पर हमें लेने के लिये एक बन्दा आया हम उसके साथ बस तक चले गये। जिस बस से कन्याकुमारी से मदुरै तक आये वह बस मदुरै से ही वापिस कन्याकुमारी चली जाती है यहाँ से दूसरी बस में बैठकर रामेश्वरम के लिये निकलने की तैयारी होने लगी। दूसरी बस कल वाली बस से बड़ी थी या यह कहे कि आज वाली बस है कल वाली मिनी बस थी। 
दिन में

बुधवार, 17 जुलाई 2013

Madurai-Meenakshi Amma Temple मदुरै का मीनाक्षी अम्मां मन्दिर

LTC-  SOUTH INDIA TOUR 04                                                                           SANDEEP PANWAR
कन्याकुमारी से मदुरै जाने के लिये हम दोपहर में बताये गये समय पर एक मिनी बस में जा बैठे। लगभग आधा घन्टा बीतने पर भी जब बस आगे नहीं बढी तो अन्य सवारियों के साथ हम भी, ड्राइवर से चलने के लिये बोलने लगे। ड्राइवर बोला कि अभी पांच सीट खाली है थोड़ी देर में सवारी पहुँच रही है उनके आते ही हम चल देंगें। उसका विश्वास कर हम इन्तजार करते रहे लेकिन फ़िर से आधा घन्टा बीत गया लेकिन सिर्फ़ एक सवारी ही बस में आयी, अबकी बार सभी सवारियों ने एक सुर में बस चालक से बस आगे बढ़ाने को कहा तो बस वाला धीरे-धीरे बस को आगे बढ़ाने लगा। वह इतना शातिर था कि कन्याकुमारी की टेड़ी-मेड़ी गलियों से होता हुआ फ़िर से किसी नजदीक की गली में ही बस को वापिस ले आया। मैंने सोच लिया कि इससे कुछ कहना बेकार है। यह अपनी सीट फ़ुल करके ही आगे के लिये रवाना होगा।


मंगलवार, 16 जुलाई 2013

Kanyakumari Vivekanand Rock, Sunrise and Sunset कन्याकुमारी विविकानन्द रॉक सूर्यास्त व सूर्योदय

LTC-  SOUTH INDIA TOUR 03                                                                           SANDEEP PANWAR
कन्याकुमारी जाने वाली बस में बैठकर पाँच टिकट लिये। हमारी बस त्रिवेन्द्रम से कन्याकुमारी जाने वाले मुख्य हाईवे से होकर ही जा रही थी मार्ग के दोनों ओर हरियाली देखकर मन को बड़ा अच्छा लग रहा था। समुन्द्री किनारे वाले राज्यों में, शहरों में, नारियल के लम्बे पेड़ों की भरमार तो रहती ही है। कुल नब्बे किमी के मार्ग का आधा भाग आबादी से घिरा हुआ मिला। इस मार्ग में कई जगह तो सड़क इतनी तंग थी कि दो गाडियाँ मुश्किल से आ जा रही थी। लगभग दो घन्टे की यात्रा के बाद हमारी बस नगरकोईल पहुँच गयी। त्रिवेन्द्रम से नगरकोइल तक दिन में कई रेल सेवा है। लेकिन हमें यहाँ की बस सेवा के बारे में भी जानना था इसलिये हम बस से कन्याकुमारी आये थे।

विवेकानन्द रॉक

सोमवार, 15 जुलाई 2013

Trivendrum/Thiruvananthapuram (Kovalam Light house Beach) त्रिवेन्द्रम- कोवलम लाइट हाऊस समुन्द्र किनारा/बीच

LTC-  SOUTH INDIA TOUR 02                                                                           SANDEEP PANWAR
ठीक 10 बजे स्टेशन पहुँचने के लिये हम घर से घन्टा भर पहले ही एक ऑटो से निकल पड़े थे। दिल्ली के ट्रेफ़िक जाम का कोई भरोसा नहीं होता। इसलिये समय पहले घर से निकलना ही सही रहता है। सुनील रावत का घर तो स्टेशन के सामने भोगल में ही था जिस कारण वह तो ट्रेन चलने से मात्र 15-20 मिनट पहले ही आया था। इस यात्रा के समय मेरे पास रील वाला कैमरा था। सुनील ने कहा कि वह अपने साले का नया डिजीटल कैमरा लेकर आयेगा। सुनील के चक्कर में मैं अपना कैमरा घर पर ही छोड़कर आया था। सुनील के आने से पहले ही हम दोनों अपना समान अपनी सीट पर रख चुके थे। मुझे बराबर वाली दो सीट सबसे अच्छी लगती है सोने में थोड़ी सी परेशानी तो आती है लेकिन दिन भर बाहर के नजारे देखने में इससे बेहतर स्थान कोई दूसरा नहीं होता है।


रविवार, 14 जुलाई 2013

Information- Leave Travel Concession (LTC) journey पहली सरकारी यात्रा LTC पर जाने की तैयारी व जानकारी।

LTC-  SOUTH INDIA TOUR 01                                                                           SANDEEP PANWAR
यह यात्रा सन 2009 के दिसम्बर माह में की थी। सरकारी कर्मचारी को चार वर्ष में एक बार पूरे भारते में से किसी एक जगह सपरिवार आने-जाने का किराया मिलता है। अपने जैसे सिरफ़िरे यदि इन सरकारी योजनाओं के चक्कर में पड़ने लगे तो फ़िर तो हो ली घुमक्कड़ी। सरकारी यात्रा चार साल में एक बार हो सकती है जबकि हम जैसे तो साल में कम से कम 6/7 यात्रा तो कर ही ड़ालते है कुछ ऐसे भी मिल जायेंगे जो हर माह किसी ना किसी यात्रा पर निकल पड़ते है। बस या रेल में किसी जगह होकर आना ही यात्रा नहीं कहलाता है किसी स्थान पर जाकर वाहन चाहे कोई भी हो (बस, रेल आदि) यदि उस स्थान के स्थल नहीं देखे तो क्या खाक यात्रा की गयी? ऐसी यात्रा तो दैनिक यात्रा करने वाले वेतन भोगी कर्मचारी व सामान बेचने वाले भी कर लेते है।

अपुन की जोडीदार


शनिवार, 13 जुलाई 2013

Bombay to Delhi by Indian Railway बोम्बे से दिल्ली तक ट्रेन यात्रा

EAST COAST TO WEST COAST 36                                                                   SANDEEP PANWAR
विशाल के साथ दो दिन से यात्रा कर रहा था इससे पहले भी एक बार कई दिनों की यात्रा में हम साथ घूम चुके है। विशाल की आदत लगभग अधिकतर मिलती-जुलती सी है सबसे बड़ी आदत यह है कि विशाल भी हर हालत में अपने आप को ढाल लेता है। यात्रा में खर्चे तो दोस्ती पक्की लेकिन अपने-अपने वाला नियम रहता ही है इसका अपुन की तरह विसाल भी पूरा पालन करता पाया गया। विशाल के पास पहले भी एक-दो घुमक्कड़ दोस्त बोम्बे घूमने के लिये आ चुके है। शायद कोई ऐसी बात उनके बीच हुई थी कि जिसे बताने से विशाल बचता रहा। पहले तो मैं कोशिश की कि शायद बता दे लेकिन जब कई बार टटोलने पर भी वह बात को टाल गया तो मैंने भी बात आयी-गयी कर दी।



शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

Bombay/Mumbai Local Train Journey (Information) and Tennis court मुम्बई लोकल ट्रेन की सम्पूर्ण जानकारी

EAST COAST TO WEST COAST 35                                                                   SANDEEP PANWAR
बोम्बे/मुम्बई का गेटवे ऑफ़ इन्डिया व ताज होटल देखने के बाद वापसी में चर्चगेट स्टेशन पहुँचने के लिये हमने पैदल चलने की जगह टैक्सी से दो किमी की दूरी तय करने का फ़ैसला किया। स्टेशन पहुँचकर बोला संदीप भाई आज आपको एक ऐसी चीज खिलाता हूँ जो शायद आपने अभी तक नहीं खायी होगी। क्यों भाई! ऐसी क्या चीज है? जो मैंने आज 38 वर्ष का होने तक नहीं खायी है, वैसे भी मैं शाकाहारी भोजन, सादा जल, व फ़लों के लावा और किसी पदार्थ का सेवन तो करता नहीं हूँ इसलिये ऐसी बहुत सी खाने लायक वस्तुएँ है जो मैंने अभी तक नहीं खायी है। विशाल और मैं स्टेशन पर प्लेटफ़ार्म की ओर जा रहे थे कि तभी वहाँ एक दुकान पर विशाल बोला रुको, संदीप भाई! पहले रोल जैसी वो स्वादिष्ट वस्तु खाते है फ़िर ट्रेन के लिये चलेंगे। (continue)


गुरुवार, 11 जुलाई 2013

Gateway of India and Taj Hotel गेटवे ऑफ़ इन्डिया और ताज होटल

EAST COAST TO WEST COAST 34                                                                   SANDEEP PANWAR
छत्रपति शिवाजी रेलवे टर्मिनल से गेटवे जाने के लिये हमने एक बार टैक्सी का सहारा लिया। बोम्बे में छोटी दूरियाँ तय करने के लिये दो/तीन बन्दों को टैक्सी सबसे सस्ती व उत्तम सेवा प्रतीत होती है। वैसे बोम्बे में ऑटो भी चलते है लेकिन टैक्सी व ऑटो के किराये में बहुत ज्यादा अन्तर ना होने के कारण टैक्सी को ही वरीयता देनी चाहिए। हम कुछ ही देर में गेट वे आफ़ इन्डिया के पास वाले चौराहे पर जा पहुँचे। यहाँ पर कई साल पहले हुई पाकिस्तानी फ़रीकों की शांतिप्रिय घटना जिसे हम लोग आतंकवादी घटना कहते है, के कारण सुरक्षा व्यवस्था कुछ ज्यादा ही चौकस कर दी गयी है। गेट वे इन्डिया जाने के लिये अब हर किसी को पोलिस (पुलिस) जाँच से गुजरकर ही आगे जाना पड़ता है। हम भी अपनी जाँच कराकर ही आगे बढ़ पाये।


बुधवार, 10 जुलाई 2013

CST Chatrapati Shiwaji Terminas/Victoria VT छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी/वीटी)

EAST COAST TO WEST COAST 33                                                                   SANDEEP PANWAR
नरीमन पॉइन्ट से बोम्बे की बेस्ट वाली बस में सवार होकर हम बोम्बे का मुख्य रेलवे स्टेशन देखने चल दिये। यहाँ हमारी बस लम्बा चक्कर लगाकर जाने वाली थी जब बस परिचालक से हमने टिकट के लिये कहा तो उसने कहा कि यह बस बहुत घूमकर जायेगी। बस कन्ड़क्टर को दो टिकट के पैसे देकर टिकट ले लिये गये। किसी जगह घूमने के लिये वहाँ के कई चक्कर लगाये जाये इससे बेहतर और क्या हो सकता है? हमारी बस बोम्बे हाईकोर्ट के सामने से होकर निकल रही थी तो विशाल ने मुझे बताया कि यह बोम्बे हाईकोर्ट है। अगर विशाल ने मुझे नहीं बताया होता तो मैं तो यही समझता रहता कि यह कोई किला आदि जैसा कुछ इमारत है। देखने में ही हाई कोर्ट किले जैसी ही प्रतीत होती है।


मंगलवार, 9 जुलाई 2013

Girgao Chopati And and Nariman Point गिरगाँव चौपाटी से नरीमन पॉइन्ट तक यात्रा

EAST COAST TO WEST COAST-32                                                                   SANDEEP PANWAR
बस से उतरने के बाद हम दोनों गिरगाँव चौपाटी देखने के लिये सड़क पार करने लगे। यहाँ सड़क पर बहुत ज्यादा संख्या में पुलिस बल देखकर मन में शंका हुई कि दिल्ली की तरह यहाँ भी बम आदि का विस्फ़ोट तो नहीं हो गया है। दिल्ली की तरह बोम्बे में आतंकवादी घटना घटित होना दैनिक क्रिया जैसा प्रतीत होने लगता है। हमने जैसे ही सड़क पार की तो सामने ही नाना-नानी पार्क के नाम से एक छोटा सा पार्क दिखायी दिया। हम अभी दो बड़े-बड़े पार्क देखते हुए आये थे इसलिये इस छोटे से पार्क को बाहर सड़क से ही सरसरी तौर पर देखते हुए आगे बढ़ते चले गये। नाना-नानी पार्क से आगे बढ़ते ही चौपाटी दिखायी देने लगती है। वैसे बस से आते समय समुन्द्र किनारे काफ़ी दूर तक का साफ़ नजारा दिखायी देता रहता है। 


सोमवार, 8 जुलाई 2013

Kamla Nehra Park कमला नेहरु पार्क व मुम्बई की बस सेवा बेस्ट की सवारी

EAST COAST TO WEST COAST-31                                                                   SANDEEP PANWAR
जिस सड़क से होकर हम यहाँ तह आये थे। उसके ठीक सामने फ़िरोजशाह गार्ड़न है जो शायद मुम्बई का सबसे बड़ा गार्ड़न भी हो सकता है। फ़िरोजशाह मेहता गार्ड़न को ही हैंगिंग गार्ड़न भी कहा जाता है कल के लेख में आप उसे देख ही चुके है। आज कमला नेहरु पार्क देखते है कमला नेहरु पार्क भी मालाबार हिल पर ही बनाया गया है। यह पार्क भी काफ़ी बड़ा है। कमला नेहरु पार्क के नाम से भारत भर में अधिकतर बड़े नगरों में पार्क बने हुए मिल जायेंगे। कमला नेहरु पार्क की सबसे बड़ी पहचान यह है कि इसमें एक जूते के आकार का बड़ा सा दो मंजिला आकार का सीमेंटिड़ नमूना बनाया गया होता है। बताते है कि कोई औरत किसी समय एक बड़े जूते में रहा करती थी उसकी याद में जूते की आकृति ही कमला नेहरु पार्क की पहचान बना दी गयी है। इस पार्क के अन्दर तो खूबसूरत नजारे है ही लेकिन इसमें सबसे बड़ी बात यहाँ से समुन्द्र की ओर देखने पर जो हसीन नजारे दिखायी देते है उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है।


रविवार, 7 जुलाई 2013

Mumbai-Hanging Garden/ Firoz Shah Mehta Garden मुम्बई का हैंगिंग गार्ड़न/ फ़िरोज शाह मेहता गार्ड़न

EAST COAST TO WEST COAST-30                                                                   SANDEEP PANWAR
बाबुलनाथ मन्दिर देखने के बाद हम वापिस सड़क पर आये यहाँ पर विशाल ने मुम्बई की मालाबार पहाड़ी पर बने शानदार हैंगिंग गार्ड़न जिसे फ़िरोज शाह मेहता पार्क भी कहते है, में जाने का मार्ग पता किया। हमें बताया गया कि यदि आप लोग पैदल चलने की हिम्मत रखते हो यहाँ से आधा किमी पैदल मार्ग से उस पार्क में पहुँच सकते हो। यदि पैदल नहीं चल सकते हो तो बस से पूरी मालाबार हिल को कई किमी घूम कर आना होगा। हमने पैदल वाले शार्टकट से उस पार्क तक पहुँचने की योजना पर अमल करना शुरु कर दिया। जैसे हमें बताया गया था हम वैसे ही पहाड़ी पर ऊपर जाती हुई पक्की सीढियाँ चढ़ते हुए ऊपर चलते गये। कुछ देर बाद यह सीढियाँ जहाँ समाप्त हुई वहाँ पर हमें वह पार्क दिखायी देने लगा जिसे देखने हम बस से आने वाले थे।


शनिवार, 6 जुलाई 2013

Mumbai- Babulnath Temple मुम्बई का बाबुलनाथ मन्दिर

EAST COAST TO WEST COAST-29                                                                   SANDEEP PANWAR
बोम्बे के कई प्रसिद्ध मन्दिर देखने के उपराँत, यहाँ का मशहूर मन्दिर बाबुलनाथ देखने की बारी भी आ गयी थी। महालक्ष्मी मन्दिर से यहाँ पहुँचने के हमने एक टैक्सी से  इनके बीच का फ़ासला तय किया। मन्दिर सड़क से काफ़ी हटकर व अन्दर जाकर है जबकि टैक्सी ने हमें सड़क पर ही उतार दिया था। सड़क किनारे पर ही बाबुलनाथ मन्दिर चौक के नाम से एक बोर्ड़ भी लगा हुआ है। मैंने सोचा कि मन्दिर यही-कही सामने ही है लेकिन जब आसपास कही भी मन्दिर दिखायी नहीं दिया तो मैंने विशाल से कहा, क्यों महाराज बाबुलनाथ को बाबुल ने कहाँ छुपाया हुआ है? विशाल बोला थोड़ा सब्र रखो, सामने वाली गली में ऊपर चढ़ने पर मन्दिर आ जायेगा।


शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

Triyambak Mahadev, Dhakleshwar, Maha Laxmi Temple, Patali Hanumaan Temple त्रयम्बक महादेव, धकलेश्वर महादेव, महालक्ष्मी, पाताली हनुमान मन्दिर

EAST COAST TO WEST COAST-28                                                                   SANDEEP PANWAR
महालक्ष्मी मन्दिर देखने जाते समय हमने एक टेक्सी पकड़ी। बोम्बे का यह फ़ायदा है कि यदि लम्बी दूरी तय करनी हो तो बस व लोकल रेल सेवा सस्ती व सुलभ साधन है लेकिन यदि छोटी दूरी तय करनी हो तो टैक्सी सबसे अच्छा साधन है। सड़क पर हम जहाँ टैक्सी से उतरे थे उसके ठीक सामने एक मन्दिर दिखायी दे रहा था। विशाल बोला चलो संदीप भाई पहले इसी मन्दिर से शुरुआत करते है। चल भाई मन्दिर कोई भी हो उससे अपुन को कोई फ़र्क नहीं पड़ता है। भगवान यदि कही है तो वह जरुर अपने हर मन्दिर में भी निवास करते होंगे, और यदि नहीं है तो फ़िर चाहे केदारनाथ हो या अमरनाथ फ़िर कही भगवान नहीं मिलने वाले। जिस मन्दिर में हम सबसे पहले पहुँचे उसका नाम है त्रयम्बकेश्वर महादेव मन्दिर।



Mumbai-Siddhi Vinayak Temple and Haji Ali Dargah बोम्बे का सिद्धी विनायक मन्दिर व हाजी अली की दरगाह/कब्र

EAST COAST TO WEST COAST-27                                                                   SANDEEP PANWAR
बोम्बे तो वैसे मैं पहले भी एक बार आ चुका था लेकिन उस समय बोम्बे के दादर स्टेशन के अन्दर से ही दूसरी ट्रेन में बैठकर हम नेरल के लिये चले गये थे। उस यात्रा में हमने भीमाशंकर का सीढ़ी घाट मार्ग से ट्रेक सफ़लता से किया था। जिसके बारे में मैंने आपको सम्पूर्ण विवरण पहले ही बता दिया है। आज रात बोम्बे के गोरेगाँव इलाके में एक फ़्लैट में निवास करने वाले विशाल राठौर के यहाँ रात्रि विश्राम करने की योजना पहले से ही बना ली गयी थी। जैसे ही मैं दर्शन जी के घर से चला था तो विशाल को सूचित कर दिया था जिससे यह लाभ हुआ कि स्टेशन से बाहर निकलते ही विशाल मेरा इन्तजार करता हुआ मिल गया। विशाल के साथ पूरे दिन माथेरान की छोटी रेल व अन्य स्थल की ट्रेकिंग की गयी थी। कल का दिन बोम्बे के नाम रहने वाला था।



मंगलवार, 2 जुलाई 2013

Matheran to Mumbai via Vasai Road माथेरान से वसई रोड़ होकर मुम्बई की यात्रा।

EAST COAST TO WEST COAST-26                                                                   SANDEEP PANWAR
माथेरान से नेरल तक जाने वाली ट्रेन स्टेशन पर ही खड़ी थी जब हमें टिकट नहीं मिले तो हमने पैदल ही तीन किमी की दूरी दस्तूरी नाका तक तय करनी आरम्भ कर दी। हमने रेलवे लाईन के किनारे ही पद यात्रा जारी रखी, कुछ देर बाद ट्रेन हमें पीछे छोड़कर आगे बढ़ गयी। पैदल मार्ग में लगातार ढलान थी जिस कारण हमें ज्यादा समस्या नहीं आ रही थी दिन भर से हम पैदल ही चल रहे थे इसलिये पैदल चलने का मन तो नहीं था, लेकिन क्या करते दूसरी ट्रेन भी दो घन्टे बाद जाती। एक तो ट्रेन दो घन्टे बाद जाती दूसरा नेरल पहुँचने में भी दो घन्टे का समय लगाती। इस तरह कुल मिलाकर चार घन्टे बाद नेरल पहुँचना होता।



Matheran- & Echo Point इको पॉइन्ट

EAST COAST TO WEST COAST-25                                                                   SANDEEP PANWAR
झील देखने के बाद इको पॉइन्ट देखेने के लिये चलते रहे। यहाँ पहुँचने के लिये थोड़ी सी चढ़ाई चढनी पड़ी। लेकिन उससे ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। लगभग एक किमी चलने में ही इको पॉइन्ट भी आ गया। यहाँ आकर देखा कि जहाँ हम पहुँचे है वहाँ से सामने वाला पहाड़ सामने ही दिख रहा है लेकिन दोनों पहाड़ों के बीच में एक गहरी खाई है जिसे रस्सी से पार कराने के लिये रु वसूल किये जा रहे है खाई बहुत ही गहरी थी मुझे नहीं लगता कि दिन भर में 10 से ज्यादा लोग रस्सी के सहारे उस खाई को पार करते होंगे। यहाँ बिना खाई पार किये भी दूसरी ओर जाया जा सकता है लेकिन उसके लिये कम से कम दो किमी की दूरी तय करनी पड़ती है।


Matheran-Pisar Nath Temple and Charlotte Lake पिसरनाथ मन्दिर व सेरलोट झील

EAST COAST TO WEST COAST-24                                                                   SANDEEP PANWAR
वन ट्री हिल के बाद विशाल बहुत देर तक मुझे सुनाता रहा, मैंने उसकी बात एक कान से सुनी दूसरे से निकाल दी। वापिस उसी मुख्य पगड़न्ड़ी पर आ गये, जहाँ से माथेरान की अलग-अलग जगहों के लिये मार्ग अलग होते है। वन ट्री हिल की ओर आते समय पिसरनाथ मन्दिर का बोर्ड़ लगा देखा था। अब हम वापसी की ओर आते जा रहे थे। यहाँ आते समय उल्टे हाथ की ओर पिसर नाथ मन्दिर व सेरेलेट लेक/झील जाने वाली पगड़न्ड़ी पर काफ़ी दूर चलना पड़ा। जब झील किनारे पहुँच गये तो माथेरान की गर्मी से थोड़ी सी राहत मिलनी शुरु हुई। विशाल पेड़ की छाँव में बैठ गया जबकि मैं जरुरी काम से पहाड़ पर चला गया। मैंने वापिस आने के बाद देखा कि जंगल में मार्ग से हटकर बहुत सारा प्लास्टिक कचरा पड़ा हुआ था। वैसे तो पर्यावरण के नाम पर माथेरान आने वाले यात्रियों से शुल्क लेते है, लेकिन उसी पर्यावरण को बचाने के लिये सफ़ाई व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है।


Matheran-Dangerious/Adventurer One Tree Hill Point and Belvedere point खतरनाक/रोमांचक वन ट्री हिल व बेलवेडेर पॉइन्ट

EAST COAST TO WEST COAST-23                                                                   SANDEEP PANWAR
यहाँ एक बिन्दु वन ट्री हिल के नाम से जाना जाता है इसका यह नाम इसलिये है कि इस पहाड़ी पर केवल एक ही पेड़ खड़ा हुआ है। जब हम इस पहाड़ी के सामने पहुँचे और वन ट्री हिल को देखा तो दिमाग में कुछ उथल-पुथल मच गयी कि क्यों ना इस पहाड़ी पर चढ़कर देखा जाये कि वहाँ से कैसा दिखता है? मैंने इस पहाड़ पर चढ़ने के इरादा विशाल के सामने प्रकट नहीं किया। विशाल थोड़ा कमजोर दिल का मानव है अगर मैं उसे कहता कि मैं उस पहाड़ पर जा रहा हूँ तो वह मुझे कतई आगे नहीं जाने देता। मैंने विशाल से कहा, "विशाल मैं इस पहाड़ी के नीचे तक जा रहा हूँ तुम वहाँ से मेरे फ़ोटो ले लेना। विशाल ऊपर खड़ा होकर मेरे फ़ोटो लेने के लिये तैयार हो गया। जब मैं नीचे पहुँचा तो मैंने ऊपर चढ़ने से पहले हालात का जायजा लिया, जब मुझे लगा कि ऊपर जाने में बहुत ज्यादा मेहनत नहीं करनी होगी सिर्फ़ एक जगह चट्टान को सावधानी से पकड़ते हुए शरीर को ऊपर खीचना है बाकि तो पगड़न्ड़ी जैसा माहौल लग रहा है। 

Matheran-Khandala and Alexender point माथेरान का खंड़ला व अलेक्जेनड़र पॉइन्ट

EAST COAST TO WEST COAST-22                                                                   SANDEEP PANWAR
माथेरान में प्रवेश करने के बाद मैंने विशाल से कहा कैमरे में कितनी बैटरी बची हुई है कैमरा देख विशाल बोला कि बैटरी तो लगभग समाप्त होने को ही है जितनी बैटरी हमने नेरल में चार्ज की थी उतनी तो ट्रेन में बैठकर फ़ोटो लेन में खर्च कर दी है। मेरे पास मोबाइल भी जिससे मैंने पूरी की पूरी गोवा यात्रा के फ़ोटो लिये थे। लेकिन कैमरे की बात ही अलग होती है। सबसे पहले हमें कैमरे को चार्ज करने का जुगाड़ करना था। इसका तरीका यह निकाला कि किसी रेस्टोरेन्ट/भोजनालय में खाने के चला जाये, वही कैमरे की बैटरी चार्जिंग पर लगा दी जाये। वहाँ पर बैटरी चार्ज होनी शुरु हो जाये तो ऐसी चीज बनवाकर खायी जाये जिसके बनने में ज्यादा से ज्यादा समय लगे। एक बार में एक प्लेट बनवायी जाये उसे बेहद ही आराम-आराम से खाया जाये। उसे खाकर पानी पियो और बैठे रहो, जब कोई टोके तो फ़िर से एक प्लेट बनवाने को बोल दिया जाये। इसमें कुल मिलाकर पौने घन्टा का समय मानकर हम चल रहे थे।