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मंगलवार, 30 जुलाई 2013

KILLAR TO TINDI किलाड़ से तिन्दी

SACH PASS, PANGI VALLEY-07                                                                      SANDEEP PANWAR
हम चारों सुबह आठ बजे से पहले ही पराँठे खाकर तैयार हो चुके थे। ट्रक ऊपर ही खड़ा हुआ दिखायी दे रहा था। हम चारों शार्टकट पगड़न्ड़ी से चढ़ते हुए उस ट्रक के पास जा पहुँचे। ट्रक के नजदीक जाने पर देखा कि अभी वह खाली नहीं हुआ है उसके अन्दर सीमेन्ट के कटटे रखे हुए थे। सीमेन्ट उतारा जा रहा था। तब तक हम आसपास ही घूमते रहे। इसी बीच नीचे से भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल की एक टुकड़ी गश्त करती हुई हमारे पास पहुँची। जैसे ही मैंने उनका फ़ोटो लेने के लिये कैमरा निकाला तो वे सभी पंक्ति बद्ध खड़े हो गये। महेश मलिक उन फ़ौजियों के साथ खड़े हो गये। ट्रक वाले का सीमेन्ट उतारा जा चुका था। वह बोला कि आप लोग नीचे चलो। मैं थोड़ी देर में ट्रक लेकर आता हूँ। हम उसी शार्टकट से नीचे पहुँचे। लेकिन आधा घन्टा होने पर भी जब ट्रक नीचे नहीं आया तो हमारी खोपड़ी चौकन्नी होने लगी। चूंकि वहाँ से निकलने का कोई और मार्ग नहीं था इसलिये हम इस बात से तो बेफ़िक्र थे कि ट्रक वाला भाग गया होगा।


देवेन्द्र रावत (पल्सर वाले) ट्रक वाले के प्रति कुछ ज्यादा ही चिंतित/भयभीत दिखाई दे रहे थे। ट्रक वाला भी पहाड़ी, देवेन्द्र रावत भी पहाड़ी पहाडियों के चक्कर में किलाड़ में ही ना रह जाये उनकी गाड़ी। ट्रक वाला ऊपर से नीचे आने के लिये चल दिया। वे तीन ट्रक एक साथ थे हमने उनमें से एक ट्रक वाले के साथ बात की थी। एक-एक करके तीनों ट्रक निकल गये। जिस ट्रक वाले से हमने बात की थी वह भी हमारे सामने से निकल गया लेकिन वह हमें लिये बिना क्यों चला गया? हम तो उसके भरोसे यहाँ कल शाम से रुके हुए थे। उनको आगे जाता देख मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की और उनके पीछे लग गया। ट्रक वाले बहुत तेजी से चले जा रहे थे। इसलिये मुझे उनको पकड़ने में दो किमी की दूरी तय करनी पड़ी। मेरे साथ देवेन्द्र रावत भी बैठे हुए थे। हमने बाइक उनके ट्रक के आगे ले जाकर रोक दी।

बाइक रोकते ही हमने उनसे भी रुकना का ईशारा किया। ट्रक वाले ने हमसे पहले ही ट्रक रोक दिया। यहाँ मन में थोड़ी उथल-पुथल हो रही थी कि ट्रक वाला आगे क्यों नहीं रहा है? ट्रक वाले ने अपना ट्रक सड़क किनारे लगा दिया। हम उसके पास पहुँचे और कहा कि हमें किलाड़ छॊडकर क्यों जा रहे हो? ट्रक वाला बोला कि आपकी बाइक ट्रक में कैसे जा पायेगी? आपकी सारी बाइक टूट जायेगी। यह बात रात को बतानी थी ताकि हम दूसरी गाड़ी कर लेते या फ़िर सुबह बताते अब दोपहर होने जा रही है अब हमारा आज का दिन भी खराब हो जायेगा। ट्रक वाला बोला मैं यहाँ पंचर लगवाने आया हूँ पंचर लगवाने के बाद तुम्हारी बाइक लेने वापिस चलता हूँ। मैंने देवेन्द्र रावत को वही छोड़ दिया। मैं दूसरी बाइक लेने के लिये अपनी बाइक पर सवार होकर किलाड़ चला गया। 

किलाड़ से इस पंचर की दुकान तक तेज ढलान है ऊपर कमरे के पास दोनों साथी इन्तजार कर रहे थे। मेरे जाते ही बोले ट्रक वाला पकड़ में आया कि नहीं। आता कैसे नहीं, यदि मेरे पास बाइक नहीं होती तो वह कभी ना मिलता लेकिन शुक्र है कि मेरी बाइक ठीक है चलो जल्दी तैयार हो जाओ एक मेरे साथ बैठो। यहाँ से पंचर वाली दुकान तक ढ़लान ही थी जिससे खराब पल्सर को धक्का लगाने की जरुरत ही नहीं पड़ी। दोनों बाइके कुछ ही देर में ट्रक के पास जा पहुँची। अभी तक ट्रक का पहिया पंचर लगाकर बदला नहीं गया था। हमने ट्रक वाले से कहा कि ट्रक का पीछे का पल्ला खुलवा दे। हमें बाइक चढ़ानी है। ट्रक वाला बोला कि पंचर लगाने के बाद पहाड़ के साथ ट्रक लगा दूँगा, वहाँ आसानी से बाइक ट्रक में जायेगी। हमें ट्रक वाले पर विश्वास नहीं था कि वह पंचर लगने के बाद बाइक चढ़ाने के लिये रुकेगा। हमने खुद ही उसका पल्ला खोलना शुरु किया तो ट्रक वाले को अपने साथी को बोलना पड़ा कि चल मदद करवा दे।

ट्रक का पल्ला खोलने के बाद हमने उसकी लम्बी वाली रस्सी खोलकर एक तरफ़ रख दी। ट्रक में सीमेन्ट लाया जाता था उसके लिये नीचे फ़र्श पर एक बड़ी पन्नी बिछायी गयी थी उस पन्नी को खोलकर एक तरफ़ रख दिया गया। ट्रक वाले दोनों बन्दों ने बाइक ट्रक में लदवाने में पूरा मदद की। ट्रक में बाइक लदने के बाद हमने लम्बी वाली रस्सी से दोनों बाइके कसकर बाँध दी। ट्रक में बाइक लादकर ले जाने का यह पहला अवसर था इसलिये यह पता नहीं था कि ट्रक में बाइक कैसे बाँधी जाती है? ट्रक में बाइक बाँधने के लिये बाइक को ट्रक की दीवार से दूर लटकाना चाहिए, जबकि हम अनाडियों ने बाइक ट्रक की दीवार से सटाकर बाँधी थी। बाइक बाँधने के लिये हमने उस समय जो उचित लगा, बाइक का वो हिस्सा बाँध ड़ाला था।

बाइक बाँधकर हम ट्रक से नीचे उतर आये। अब तक पंचर भी तैयार हो चुका था। ट्रक वालों ने मिलकर टायर के नटवोल्ट कस दिये। इसके साथ ही ट्रक वाले ने हमारे दो साथियों को अपनी साथ वाले दूसरे ट्रक में बैठा दिया था। एक ट्रक में चालक के अलावा दो/तीन बन्दे ही आसानी से बैठ सकते है हम तो पहले ही चार बन्दे थे पाँचवा बन्दा हो गया ट्रक क्लीनर। बाइक वाले ट्रक में महेश और संदीप पवाँर का ठिकाना बना। दूसरे ट्रक में देवेन्द्र और मलिक का ठिकाना बनाया गया। तीसरे ट्रक में हमारे ट्रक का क्लीनर जा बैठा। सब आराम से बैठ गये तो हमारा ट्रक अन्य ट्रकों के साथ उदयपुर के लिये चल दिया। किलाड़ से थोड़ा आगे तक कच्ची सड़क कुछ सही सलामत हालत में थी लेकिन किलाड़ से 4-5 किमी आगे जाते ही कच्ची सड़क, पत्थर की उबड़-खाबड़ सड़क बनकर रह गयी थी।

किलाड़ से आगे निकलकर महासू नाला नामक एक नदी है जिसका महासू नाम है इसे पुल के जरिये पार करते हुए आगे बढते रहे। यहाँ पर वन विभाग का एक चैक पोस्ट बना हुआ है। एक बन्दे ने रुकने का ईशारा किया उसे बताया कि पीछे वाले ट्रक में जगह खाली है उसमें बैठ जाना। कई किमी आगे जाने पर एक जगह आयी, नाम याद नहीं आ रहा है यहाँ उस जगह एक महिला हमारे ट्रक में बैठ गयी। मैंने ट्रक चालक से कहा क्यों भाई तुमने उस आदमी को तो ट्रक में नहीं बैठाया था अब इस महिला को क्यों बैठाया? ट्रक चालक बोला यह महिला उस दुकान वाले की जान-पहचान वाली है जिससे हम आते-जाते हुए सिगरेट बीड़ी लेते हुए जाते है। उसकी जान-पहचान वाली को कैसे नहीं बैठाते?

यह महिला मेरे एकदम आगे बैठ गयी और कही बैठने की जगह नहीं बची थी। मैं बेहद आराम से बैठा हुआ था। उस महिला के आने से मेरे आराम में खलल पड़ गया था इससे मुझे बुरा लगना स्वाभाविक था। सड़क इतनी ज्यादा खराब थी कि कई बार महिला मेरे पैरों पर सरक जाती थी, मैंने कई बार उसे कहा कि यदि बैठने में ज्यादा परेशानी आ रही है तो पीछे बैठ जाओ मैं शीशे की तरफ़ आ जाता हूँ लेकिन लगता था वह महिला भी खिड़की के पास ही बैठना चाहती थी। आखिरकार पूरे 20-25 किमी की यात्रा के बाद वह महिला हमारे ट्रक से उतरी तब कही मुझे चैन मिला। इस महिला को हमने जहाँ उतारा था वहाँ पर एक गाँव था जो चारों ओर से भरपूर हरियाली से घिरा हुआ था।

आगे चलकर पांगी वैली समाप्त होने का बोर्ड़ दिखायी दिया। इस बोर्ड़ को देखकर लगा था कि खराब सड़क से शायद छुटकारा मिल जाये लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। अगला आने वाला बड़ा गाँव तिन्दी था। अभी हम तिन्दी पहुँचे भी नहीं थे कि हमारे गाड़ी के नीचे जोर की फ़ुस्स्स्स्स्स्स्स्स की आवाज आयी। ट्रक चालक ने नीचे उतर कर देखा कि जिस टायर का पंचर किलाड़ में सही कराया था उसी टायर में फ़िर से पंचर हो गया है। चूंकि ट्रक में पीछे दो-दो टायर होते है वजन हमारे ट्रक में था ही नहीं इसलिये ट्रक चालक बोला, अब एक टायर में ही ट्रक को मन्ड़ी तक लेकर जाऊँगा। यहाँ ट्रक चालक ने बताया था कि किलाड़ आते समय भी इस टायर ने बहुत रुलाया था इस एक चक्कर में ही यह 7 वां पंचर है। अब इस टायर को फ़ैकना ही ठीक रहेगा।


जिस कम्पनी का ट्रक था उसके साथ दो ट्रक और भी थे। बीच में कभी हम आगे होते थे तो कभी दूसरे ट्रक वाले आगे निकल जाते थे। इस रास्ते के बारे में किलाड़ में बताया गया था कि शाम के समय यहाँ सड़क चौड़ी करने के लिये पत्थर तोड़ने हेतू ड़ायनामाइड़ लगाया जाता है। तिन्दी में एक जगह खाना खाने के लिये रुकने के बाद हम आगे चल दिये। पांगी वैली भले ही समाप्त हो गयी, लेकिन पाँगी का पंगा अभी समाप्त नहीं हुआ है। तिन्दी से उदयपुर के बीच मिले कई तूफ़ानी नाले, ऐसे नाले तो मैने लेह वाली यात्रा में भी नहीं देखे थे। अभी हमारी मंजिल उदयपुर थी लेकिन उदयपुर पहुँचने से पहले एक बड़े भयंकर से नाले में हमारा ट्रक ही अटक कर रह गया। ट्रक ने जोर लगा लिया लेकिन वहाँ से निकल नहीं पाया। (यह यात्रा अभी जारी है)
इस साच पास की बाइक यात्रा के सभी ले्खों के लिंक क्रमवार नीचे दिये जा रहे है।



अखरोट का पेड़/ या सेब का बताओ?


किलाड़ से निकलने के बाद पहला पुल


पीछे छूटता किलाड़



सीधे चलते रहना, मार्ग ऐसा ही मिलेगा


सड़क में एक छेद, जिसमें से नीचे नदी दिखायी देती है।

यह सुराख यही पर है।

अपना मन्ड़ी वाला ट्रक चालक

ट्रक ऊपर अड़ तो नहीं जायेगा।

एक झूला पुल


ऊपर वाला पुल इसी के ऊपर है।



वह औरत यहाँ उतर गयी थी।


चलो पाँगी से पीछा तो छूटा।
इस लेख के लगभग सभी फ़ोटो ट्रक के शीशे के अन्दर से ही लिये गये है।

7 टिप्‍पणियां:

  1. अगर ट्रक भी फंस गया तो बाइक कैसे निकलती ?

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  2. यात्रा कठिनाईयों से भरी होती जा रही है।

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  3. yatra me aap ko kyi musibato se jujhna pada lakin aap sabhi musibato se nikal aaye yah kabel-e-tarrif hai.photo me vo pead apple ka h.

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  4. हे भगवान, मोटर साइकि‍ल तेा बोझ हो गई. चि‍त्र बहुत सुंदर हैं.

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