पेज

मंगलवार, 2 जुलाई 2013

Matheran to Mumbai via Vasai Road माथेरान से वसई रोड़ होकर मुम्बई की यात्रा।

EAST COAST TO WEST COAST-26                                                                   SANDEEP PANWAR
माथेरान से नेरल तक जाने वाली ट्रेन स्टेशन पर ही खड़ी थी जब हमें टिकट नहीं मिले तो हमने पैदल ही तीन किमी की दूरी दस्तूरी नाका तक तय करनी आरम्भ कर दी। हमने रेलवे लाईन के किनारे ही पद यात्रा जारी रखी, कुछ देर बाद ट्रेन हमें पीछे छोड़कर आगे बढ़ गयी। पैदल मार्ग में लगातार ढलान थी जिस कारण हमें ज्यादा समस्या नहीं आ रही थी दिन भर से हम पैदल ही चल रहे थे इसलिये पैदल चलने का मन तो नहीं था, लेकिन क्या करते दूसरी ट्रेन भी दो घन्टे बाद जाती। एक तो ट्रेन दो घन्टे बाद जाती दूसरा नेरल पहुँचने में भी दो घन्टे का समय लगाती। इस तरह कुल मिलाकर चार घन्टे बाद नेरल पहुँचना होता।





इसलिये हमने पैदल चलने का फ़ैसला किया था कि आधे घन्टे में अमन लॉज स्टेशन पार हो जायेगा। हम ठीक-ठाक गति से चल रहे थे जिससे मात्र आधे घन्टे में ही अमन लॉज नाम का स्टेशन पार हो गया। इस स्टेशन को पार करते ही पैदल यात्रियों की समस्या समाप्त होने लगती है। यहाँ से रेलवे लाईन का किनारा छोड़ दिया जाता है क्योंकि माथेरान में आने वाली गाडियाँ बस, कार, बाइक आदि यही तक आ सकती है। यहाँ रेलवे लाइन से अलग हटते ही एक काऊँटर दिखायी देता है जिस पर नेरल माथेरान लाईन पर चलने वाली गाड़ियों की सूची लगी हुई है। यहाँ का फ़ोटो लेकर आगे बढे।

आगे चलते ही दस्तूरी नाका के नाम का बोर्ड़ दिखायी दिया, यह दस्तूरी नाका वही जगह है जहाँ से आगे कोई भी वाहन ले जाना मना है। रेलवे लाईन से इस नाके की दूरी लगभग पौन किमी के आसपास है। यहाँ आते ही एक बन्दा बोला कि नेरल जाओगे, जाहिर सी बात है कि दस्तूरी नाके में पैदल आने वाला हर बन्दा नेरल के लिये या माथेरान के लिये ही आयेगा। उसने कहा कि मेरी जीप की सवारियाँ होने में अभी चार बन्दे कम है तुम कितने बन्दे हो? हम दो है। हमारी बारे सुनकर वह बोला आप वहाँ बैठ जाओ या खड़े हो जाओ या गाड़ी में बैठकर अपनी सीट पक्की कर लो, जैसे ही दो सवारियाँ और मिल जायेगी हम नेरल के लिये चल देंगे।

पहले हमने सोचा था कि बस में बैठकर नेरल तक जायेंगे। लेकिन वहाँ पर हमें कोई बस दिखायी नही दे रही थी। विशाल बोला, अभी रोको संदीप भाई, यह जीप वाला 50 रुपये प्रति बन्दे के हिसाब से किराया बोल रहा है बस में जरुर इससे आधा किराया होगा। लेकिन बस है कहाँ? विशाल ने कुछ देर बस का इन्तजार करने को कहा। विशाल का कहा सच हुआ थोडी देर में ही बस आ गयी। बस भरी हुई थी इसलिये उसमें बैठने के सवारियाँ उसके चारों ओर मक्खी की तरह चिपट गयी। दरवाजे का सबसे बुरा हाल था।

मैंने विशाल से कहा कि तुम्हारी लम्बाई मेरे से काफ़ी ज्यादा है तुम अपनी लम्बाई का फ़ायदा उठाओ, और मेरा व अपना बैग बस के पिछली तरह चालक वाली दिशा से बस में किसी सीट पर घुसा देना। बाकि तब तक मै बस में घुस कर सीट पर पहुँच जाऊँगा। हाँ जब तक मैं सीट पर ना पहुँचू तुम बस के बाहर से ही सीट पर रखे बैग पर नजर रखना। कही कोई हमारा भी फ़ूफ़ा ना निकल जाये और हमारे बैग सीट से उतार कर बैठ जाये। बस से सवारियाँ सही से उतरी भी नहीं थी कि अन्दर घुसने के लिये मारामारी होने लगी।

मैं दरवाजे से अभी तक दूर ही खड़ा था जैसे ही दरवाजे पर कुछ राहत मिली मैं भी बस में दाखिल हो गया। मुझसे पहले बस में घुसी सवारियाँ सीट लेने के फ़ेर में पड़ी हुई थी जबकि मैं फ़टफ़ाफ़ट आखिरी में पहुँच गया। अपुन की सीट तो पहले ही बैग रखने से पक्की हो गयी थी। इसलिये मेरे सीट पर जाते ही विशाल भी बस में अन्दर आने के लिये दरवाजे की ओर चल दिया। मैंने अपना बैग उठाकर अपनी गोद में रख लिया। जबकि विशाल का बैग उसकी सीट पर ही रहने दिया।

अब तक बस में बहुत भीड़ हो गयी थी जबकि परिचालक बोली (महिला) बस में सीटिंग से ज्यादा सवारियाँ नहीं जायेगी। जिसे सीट नहीं मिली है वह नीचे उतर जाये। बस में मुश्किल से चार सवारियाँ ज्यादा थी जिन्हे आपस में सीट पर एडजस्ट कर लिया गया। विशाल को बाद में आता देख कन्ड़क्टरनी बोली आप बाहर जाओ बस में पहले ही ज्यादा सवारियाँ है। जब विसाल के कहा कि मेरी सीट तो खाली पड़ी है मेरा दोस्त वहाँ बैठा हुआ है। तब कही जाकर विशाल मेरे पास आया और बस आगे के लिये चल सकी।

बस चलते ही कुछ मीटर आगे जाने के बाद एक जगह यह देखा गया कि बस में कोई खड़ा तो नहीं है सभी सवारियाँ जैसे-तैसे कर सी पर बैठ गयी थी। रेल से जहाँ 25-26 किमी की दूरी तय करने के बाद माथेरान आता है वही बस से नेरल की दूरी मात्र 9 किमी ही है यदि 3 किमी पैदल भी जोड़ लिये जाये तो कुल मिलाकर 12 किमी दूरी सड़क मार्ग से होती है। बस तेजी से नीचे नेरल की ओर भागी जा रही थी। 

एक जगह जाकर सड़क में बेहद ही तीखी ढ़लान वाले मोड़ आये जहाँ से बस ने बहुत तेजी से उतरने का क्रम जारी रखा। हम मात्र 15 मिनट में ही पहाड़ से नीचे उतर गये होंगे। पहाड़ से उतर कर कुछ दूरी तक बस समतल भूमि पर चली उसके बाद स्टेशन के नजदीक पहुँचकर बस चालक ने बस रोक दी। ज्यादातर सवारियाँ बोम्बे या उस दिशा की ही थी इसलिये अधिकतर सवारियाँ यही उतर गयी। यहाँ से स्टेशन मात्र 200 मीटर दूरी पर ही होगा। 

नेरल पहुँचकर बोम्बे जाने वाली ट्रेन का पता लगाया जो बीस मिनट बाद ही आने वाली थी। टिकट लेकर हम प्लेटफ़ार्म पर ट्रेन की प्रतीक्षा करने लगे। ट्रेन सही समय पर आ गयी। यहाँ विशाल सीधा बोम्बे जा रहा था जबकि मैं वसई रोड स्टेशन जा रहा था। विशाल अपने घर जा रहा था जबकि मैं एक वरिष्ट घुमक्कड़ महिला दर्शन कौर जी से मिलने उनके आवास स्थल पर जा रहा था। दर्शन जी से फ़ोन पर पहले ही बात हो चुकी थी। उन्होंने SMS से अपना घर का पता भेज दिया था।

नेरल से सीधी ट्रेन वसई नहीं जाती है इसके लिये पहले दादर स्टेशन पर उतरना होता है वहाँ से दूसरी ट्रेन में बैठकर वसई रोड़ स्टेशन के लिये दूसरी लाईन पर जाना होता है। विशाल दादर होता हुआ अपने घर चला गया जबकि मैंने दादर से वसई जाने के लिये दूसरी ट्रेन पकड़ी और वसई रोड़ स्टेशन जा उतरा। स्टेशन से बाहर निकल कर पहले एक दुकान से दर्सन जी के लिये थोड़ा सा मीठा लिया, हमारे यहाँ किसी के घर पहली बार जाते समय मीठा ले जाना शुभ कार्य कहलाता है। 

इसके बाद नहा कर अपना धूल भरा हुलिया ठीक करने के लिये एक स्नानघर तलाश किया, जहाँ अपने आप को ठीक किया। इसके बाद एक ऑटॊ में बैठकर सीधा दर्शन जी के घर जा धमका। दर्शन जी के घर लगभग घन्टा भर रुकना हुआ होगा। इसमें रात का खाना और ढेर सारी बाते की गयी। विशाल को रात दस बजे तक उसके घर पहुँचने की बोल आया था इसलिये दर्शन जी से आज्ञा लेकर विशाल के घर के लिये चल दिया। ठीक 9:35 की ट्रेन पकड़ गोरेगाँव स्टेशन जा पहुँचा, जहाँ विशाल मेरा इन्तजार कर रहा था।  (क्रमश:)
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के आंध्रप्रदेश इलाके की यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
15. महाराष्ट्र के एक गाँव में शादी की तैयारियाँ।
16. महाराष्ट्र की ग्रामीण शादी का आँखों देखा वर्णन।
17. महाराष्ट्र के एक गाँव के खेत-खलिहान की यात्रा।
18. महाराष्ट्र के गाँव में संतरे के बाग की यात्रा।
19. नान्देड़ का श्रीसचखन्ड़ गुरुद्धारा
20. नान्देड़ से बोम्बे/नेरल तक की रेल यात्रा।
21. नेरल से माथेरान तक छोटी रेल (जिसे टॉय ट्रेन भी कहते है) की यात्रा।
22. माथेरान का खन्ड़ाला व एलेक्जेन्ड़र पॉइन्ट।
23. माथेरान की खतरनाक वन ट्री हिल पहाड़ी पर चढ़ने का रोमांच।
24. माथेरान का पिसरनाथ मन्दिर व सेरलेक झील।
25. माथेरान का इको पॉइन्ट व वापसी यात्रा।
26. माथेरान से बोम्बे वाया वसई रोड़ मुम्बई लोकल की भीड़भरी यात्रा।
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के बोम्बे शहर की यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
27. सिद्धी विनायक मन्दिर व हाजी अली की कब्र/दरगाह
28. महालक्ष्मी मन्दिर व धकलेश्वर मन्दिर, पाताली हनुमान।
29. मुम्बई का बाबुलनाथ मन्दिर
30. मुम्बई का सुन्दरतम हैंगिग गार्ड़न जिसे फ़िरोजशाह पार्क भी कहते है।
31. कमला नेहरु पार्क व बोम्बे की बस सेवा बेस्ट की सवारी
32. गिरगाँव चौपाटी, मरीन ड्राइव व नरीमन पॉइन्ट बीच
33. बोम्बे का महल जैसा रेलवे का छत्रपति शिवाजी टर्मिनल
34. बोम्बे का गेटवे ऑफ़ इन्डिया व ताज होटल।
35. मुम्बई लोकल ट्रेन की पूरी जानकारी सहित यात्रा।
36. बोम्बे से दिल्ली तक की यात्रा का वर्णन

















1 टिप्पणी:

Thank you for giving time to read post comment on Jat Devta Ka Safar.
Your comments are the real source of motivation. If you arer require any further information about any place or this post please,
feel free to contact me by mail/phone or comment.