EAST COAST TO WEST COAST-27 SANDEEP PANWAR
बोम्बे तो वैसे मैं पहले भी एक बार आ चुका था लेकिन उस समय बोम्बे के दादर स्टेशन के अन्दर से ही दूसरी ट्रेन में बैठकर हम नेरल के लिये चले गये थे। उस यात्रा में हमने भीमाशंकर का सीढ़ी घाट मार्ग से ट्रेक सफ़लता से किया था। जिसके बारे में मैंने आपको सम्पूर्ण विवरण पहले ही बता दिया है। आज रात बोम्बे के गोरेगाँव इलाके में एक फ़्लैट में निवास करने वाले विशाल राठौर के यहाँ रात्रि विश्राम करने की योजना पहले से ही बना ली गयी थी। जैसे ही मैं दर्शन जी के घर से चला था तो विशाल को सूचित कर दिया था जिससे यह लाभ हुआ कि स्टेशन से बाहर निकलते ही विशाल मेरा इन्तजार करता हुआ मिल गया। विशाल के साथ पूरे दिन माथेरान की छोटी रेल व अन्य स्थल की ट्रेकिंग की गयी थी। कल का दिन बोम्बे के नाम रहने वाला था।
स्टेशन से बाहर आते ही हम दोनों पैदल ही विशाल के घर की ओर चल दिये, विशाल बोला संदीप भाई मेरा घर यहाँ से लगभग एक किमी दूर है ऑटो से चले या पैदल? देख भाई अगर तुम एक दो किमी दूरी तय करने के लिये मुझसे ऑटो के बारे में फ़िर कहोगे तो मुझे बुरा बुरा लगेगा। इसलिये आगे से ध्यान रखना कि मैं जितना ज्यादा हो सकता है पैदल या साइकिल पर दूरी तय करने की सोचता हूँ। स्टेशन से बाहर निकलने के कुछ कदम चलते ही विशाल बोला संदीप भाई यहाँ कल/परसों मेरी पत्नी सोनाली का मोबाइल किसी झपटमार ने झपटा मार कर उड़ा दिया। अरे! ऐसा तो हमारी दिल वाली दिल्ली में खुले तौर पर होता ही रहता है लगता है कि दिल्ली के चोर-उचके यहाँ भी पहुँच गये है। लेकिन जैसा बम्बईयाँ फ़िल्म में दिखाते है उससे लगता है कि बोम्बे पहले से ही चोरों का स्थायी ठिकाना बना हुआ है।
लगभग दस मिनट में हम विशाल के घर पहुँच गये। चूंकि मैं विशाल के घर पहली बार जा रहा था इसलिये कुछ मीठा ले जाना मेरा फ़र्ज बनता था मैंने विशाल से मिठाई की दुकान के बारे में कहा तो उसने कहा हम मोटे हो रहे है इसलिये मिठाई-सिठाई बिल्कुल बन्द है। अब कुछ ना कुछ लेकर जाना था इसलिये तय हुआ कि मिठाई को मारो गोली उसकी बहन आइसक्रीम लेकर चलते है, आइसक्रीम के नाम पर विशाल ने भी ज्यादा ना नुकर नहीं की। दूसरों का तो पता नहीं लेकिन आइसक्रीम के नाम पर मेरा जीभ लार छोड़ने लगती है। लगता था आइसक्रीम के नाम पर मेरे जैसा हाल विशाल का भी था इसलिये उसने चुपचाप मेरी बात पर सहमति दे दी। आइसक्रीम लेकर हम विशाल के घर पहुँचे। घर में घुसते ही बोल दिया गया कि आधे आइसक्रीम मेरे अकेले की है बाकि आधी आप सबकी।
घर में प्रवेश करते ही विशाल की छोटी सी फ़ैमिली से मुलाकात हुई जिसमें उसकी पत्नी के अलावा एक नन्ही सी परी जैसी बच्ची आर्या से मुलाकात हुई। आखिरकार हाथ-मुँह धोकर आराम से बैठ बाते करने की घड़ी भी आ ही गयी। इसी दौरान आइसक्रीम भी हमारे हाथों में गिलास भर कर पहुँच चुकी थी। धीरे-धीरे बातों के साथ-साथ आइसक्रीम भी हमारा साथ निभा रही थी। हमने कई घन्टे बात की, सुबह जल्दी उठकर बोम्बे दर्शन के लिये निकलना था उसके लिये रात को सोना भी जरुरी था जल्दी करते-करते भी सोने में रात के बारह बज गये थे। सुबह पाँच बजे का अलार्म लगा दिया गया था। सोने के लिये विशाल बोला कहाँ सोओगे? विशाल भाई मैं तो टांड़ पर सोता हूँ। अब विशाल ने टांड़ के बारे में सुना हो तो समझता, जब उसने कहा क्या? तो मैंने कहा, देख भाई जहाँ तुम्हारा मन करे वहाँ पटक दो, बन्दे को आम खाने से(सोने से) मतलब है पेड़ गिनने (बिस्तर) से नहीं।
सुबह जैसे ही अलार्म बजा तो फ़टाफ़ट उठकर दैनिक क्रिया कलापों से निपटने में लग गये। सोनाली (विशाल की पत्नी) को भी सुबह जल्दी घर से काम पर जाना होता है इसलिये जब हम घर से निकले तो वह भी हमारे साथ चल पड़ी। मैं कुछ बोलता उससे पहले ही विशाल बोला संदीप भाई सोनाली अपनी क्लास में जायेगी, वह हमारे साथ ट्रेन में तीन स्टेशन तक जायेगी, उसके बाद हम उसे वही उतारकर आगे निकल जायेंगे। घर से निकलते ही विशाल ने एक ऑटो रुकवाया और हम तीनों उसमें बैठ गोरेगाँव स्टेशन की ओर चल दिये। तीन मिनट में हम स्टॆशन के बाहर उपस्थित थे। सोनाली के पास रेलवे पास था विशाल ने मेरा व अपना टिकट ले लिया। आज सबसे पहले हमारी मंजिल बोम्बे के सिद्धी विनायक जी का मन्दिर था। यहाँ पहुँचने के लिये सबसे नजदीक का मुम्बई लोकल का दादर रेलवे स्टेशन पड़ता है। सोनाली तो बीच में किसी स्टेशन (शायद बान्द्रा) पर उतर कर जा चुकी थी जैसे ही दादर स्टेशन आया तो हम भी लोकल रेल से उतर कर बाहर आ गये।
दादर स्टॆशन से बाहर आते ही हमने पैदल चलना शुरु कर दिया। विशाल पहले भी सिद्धी विनायक मन्दिर आ चुका है इसलिये उसे मन्दिर के मार्ग की जानकारी थी। जैसे ही हम मन्दिर की ओर बढ़े तो विशाल ने फ़िर भी एक बन्दे मन्दिर मार्ग की सही जानकारी लेनी सही समझी। स्टेशन से मन्दिर लगभग एक किमी से ज्यादा दूरी पर रहा होगा, यह मन्दिर वीर सावरकर मार्ग पर, काकासाहेब गाड़गिल मार्ग के मोड़ के साथ लगा हुआ है। कुछ ही देर में हम मन्दिर के प्रवेश दरवाजे पर पहुँच चुके थे। मन्दिर में प्रवेश करने से पहले जबरदस्त सुरक्षा जाँच से होकर निकलना पड़ता है। मोबाइल तक अन्दर ले जाना मना है। विशाल और मैं बारी-बारी से अन्दर जाने के लिये तैयार हुए। पहले मैं अन्दर गया। विशाल बाहर ही मोबाइल कैमरा लेकर प्रतीक्षा करता। मैंने तेजी से मन्दिर में प्रवेश किया। यहाँ भी दो-तीन जगह जाँच होने के बाद मन्दिर के अन्दर प्रवेश किया गया। अन्य मन्दिरों की तरह यहाँ भी पुजारियों ने अपने हिसाब से व्यवस्था बनायी हुई है। मैंने गणेश की मूर्ति के दर्शन किये और वापिस चल दिया।
बाहर आकर विशाल से कहा जाओ तुम भी देख आओ, विशाल बोला मैं पहले भी आ चुका हूँ चलो मन्दिर के बाहर सड़क पर एक फ़ोटो लेते है उसके बाद महालक्ष्मी मन्दिर व हाजी अली की कब्र/दरगाह देखने चलेंगे। मन्दिर से बाहर आकर हम एक बस में सवार होकर कई किमी दूर वरली तक आ गये। वरली से हाजी अली ज्यादा दूर नहीं है कुछ देर में ही हमारी बस हाजी अली के पास पहुँच चुकी थी। बस से उतर कर हम पैदल ही हाजी अली की कब्र/दरगाह की ओर बढ़ चले। हाजी अली का ठिकाना समुन्द्र में 200-300 मीटर अन्दर जाकर है वहाँ तक पहुँचने के लिये पक्की पगड़न्ड़ी बनायी हुई है। हम दोनों इसी एकमात्र पगड़न्ड़ी से होते हुए इस दरगाह उर्फ़ कब्र तक पहुँचे। मेरी कब्र में कोई आस्था-वास्था नहीं है सिर्फ़ जगह देखने के लिये मैं यहाँ आया था। जगह देखकर हम वहाँ से चल दिये। यहाँ से नजदीक ही महालक्ष्मी मन्दिर है इसलिये पहले वही चलते है। उसको देखकर आगे की यात्रा बतायी जायेगी। (क्रमश:)
16. महाराष्ट्र की ग्रामीण शादी का आँखों देखा वर्णन।
17. महाराष्ट्र के एक गाँव के खेत-खलिहान की यात्रा।
18. महाराष्ट्र के गाँव में संतरे के बाग की यात्रा।
19. नान्देड़ का श्रीसचखन्ड़ गुरुद्धारा
20. नान्देड़ से बोम्बे/नेरल तक की रेल यात्रा।
21. नेरल से माथेरान तक छोटी रेल (जिसे टॉय ट्रेन भी कहते है) की यात्रा।
22. माथेरान का खन्ड़ाला व एलेक्जेन्ड़र पॉइन्ट।
23. माथेरान की खतरनाक वन ट्री हिल पहाड़ी पर चढ़ने का रोमांच।
24. माथेरान का पिसरनाथ मन्दिर व सेरलेक झील।
25. माथेरान का इको पॉइन्ट व वापसी यात्रा।
26. माथेरान से बोम्बे वाया वसई रोड़ मुम्बई लोकल की भीड़भरी यात्रा।
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के बोम्बे शहर की यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
27. सिद्धी विनायक मन्दिर व हाजी अली की कब्र/दरगाह
28. महालक्ष्मी मन्दिर व धकलेश्वर मन्दिर, पाताली हनुमान।
29. मुम्बई का बाबुलनाथ मन्दिर
30. मुम्बई का सुन्दरतम हैंगिग गार्ड़न जिसे फ़िरोजशाह पार्क भी कहते है।
31. कमला नेहरु पार्क व बोम्बे की बस सेवा बेस्ट की सवारी
32. गिरगाँव चौपाटी, मरीन ड्राइव व नरीमन पॉइन्ट बीच
33. बोम्बे का महल जैसा रेलवे का छत्रपति शिवाजी टर्मिनल
34. बोम्बे का गेटवे ऑफ़ इन्डिया व ताज होटल।
35. मुम्बई लोकल ट्रेन की पूरी जानकारी सहित यात्रा।
36. बोम्बे से दिल्ली तक की यात्रा का वर्णन
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के आंध्रप्रदेश इलाके की यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
15. महाराष्ट्र के एक गाँव में शादी की तैयारियाँ।
04. विशाखापट्टनम का कब्रगाह, और भीम-बकासुर युद्ध स्थल।
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के महाराष्ट्र यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
16. महाराष्ट्र की ग्रामीण शादी का आँखों देखा वर्णन।
17. महाराष्ट्र के एक गाँव के खेत-खलिहान की यात्रा।
18. महाराष्ट्र के गाँव में संतरे के बाग की यात्रा।
19. नान्देड़ का श्रीसचखन्ड़ गुरुद्धारा
20. नान्देड़ से बोम्बे/नेरल तक की रेल यात्रा।
21. नेरल से माथेरान तक छोटी रेल (जिसे टॉय ट्रेन भी कहते है) की यात्रा।
22. माथेरान का खन्ड़ाला व एलेक्जेन्ड़र पॉइन्ट।
23. माथेरान की खतरनाक वन ट्री हिल पहाड़ी पर चढ़ने का रोमांच।
24. माथेरान का पिसरनाथ मन्दिर व सेरलेक झील।
25. माथेरान का इको पॉइन्ट व वापसी यात्रा।
26. माथेरान से बोम्बे वाया वसई रोड़ मुम्बई लोकल की भीड़भरी यात्रा।
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के बोम्बे शहर की यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
27. सिद्धी विनायक मन्दिर व हाजी अली की कब्र/दरगाह
28. महालक्ष्मी मन्दिर व धकलेश्वर मन्दिर, पाताली हनुमान।
29. मुम्बई का बाबुलनाथ मन्दिर
30. मुम्बई का सुन्दरतम हैंगिग गार्ड़न जिसे फ़िरोजशाह पार्क भी कहते है।
31. कमला नेहरु पार्क व बोम्बे की बस सेवा बेस्ट की सवारी
32. गिरगाँव चौपाटी, मरीन ड्राइव व नरीमन पॉइन्ट बीच
33. बोम्बे का महल जैसा रेलवे का छत्रपति शिवाजी टर्मिनल
34. बोम्बे का गेटवे ऑफ़ इन्डिया व ताज होटल।
35. मुम्बई लोकल ट्रेन की पूरी जानकारी सहित यात्रा।
36. बोम्बे से दिल्ली तक की यात्रा का वर्णन
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन नहीं रहे कंप्यूटर माउस के जनक डग एंजेलबर्ट - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंjai ho... sansmaran ka to jabab nahi...
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