भीमताल देखने के लिये यहाँ चटका लगाये।
भीमताल देखने के बाद अब "नौकुचियाताल" की ओर चलते है, भीमताल के मुख्य बिन्दु के ठीक सामने से ही एक मार्ग भीमताल के विपरीत दिशा यानि कि पूर्व की ओर जाता हुआ दिखाई देता है यहाँ एक बोर्ड भी लगा हुआ है जिस पर नौकुचियाताल की दिशा में तीर बना कर जाने के बारे में लिखा हुआ भी है। यहाँ से यह ताल 5 किमी के आसपास है। भीमताल से चलते ही लगभग 100 मी की ठीक-ठाक चढाई आ जाती है। इसके बाद आगे का मार्ग साधारण सा ही है जिस पर वाहनों की रेलमपेल भी कोई खास नहीं थी। मार्ग के एक तरफ़ यानि उल्टे हाथ की ओर पहाड थे जबकि सीधे हाथ की ओर ढलान थी। मार्ग में जगह-जगह नये भवनों का निर्माण कार्य चल रहा था एक जगह तो बोर्ड भी मजेदार लगा हुआ था कि यह आम रास्ता नहीं है। बीच में एक जगह जाकर मार्ग में काफ़ी ढलान थी जिस पर वापसी में चढने में काफ़ी जोर भी लगाना पडता है। मार्ग के दोनों ओर अच्छी हरियाली थी जिसे देखता हुआ मैं अपनी मस्ती भरी चाल से आगे बढता जा रहा था। ताल से कोई दो किमी पहले एक बोर्ड नजर आया था जिस पर ताल की खूबियाँ आदि लिखी हुई थी मैं समझा कि ताल नजदीक ही है लेकिन काफ़ी दूर चलने पर भी ताल तो दिखाई नहीं दी बल्कि हनुमान जी की एक विशाल मूर्ति दिखाई दी।