भीमताल भाग 1 दिल्ली से भीमताल
भीमताल भाग 2 ओशो आश्रम
भीमताल भाग 3 ओशो दर्शन/प्रवचन
भीमताल आने के बाद रहने-खाने का प्रबन्ध तो ओशो आश्रम में हो ही गया था। पहला आधा दिन बिल्कुल ठाली बैठ कर बिताया गया था, अगले दिन सुबह का खाना खाकर मैं तो निकल पडा अपनी इच्छा पूरी करने। कल से भीमताल नजरों के सामने दिखाई दे ही रहा था अत: सबसे पहले इसे ही देखना था। सडक पर आते ही सबसे पहले इस ताल के किनारे यहाँ का भीमताल का पुलिस थाना आता है। पुलिस थाना भीमताल के एकदम सटा हुआ है बीच में सडक ही है। थाने से आगे चलते ही एक तिराहा आता है जहाँ से उल्टे हाथ जाने पर भवाँली होते हुए नैनीताल व अल्मोडा की ओर जाया जाता है भीमताल से नैनीताल व काठगोदाम 22 किलोमीटर तथा अल्मोड़ा 64 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यदि इसके विपरीत सीधे हाथ पर जाये तो भीमताल के साथ-साथ एक किमी से भी ज्यादा चलना होता है। मैंने वो सवा किमी की दूरी लगभग 30-35 में तय की होगी। मैं मजे से इस ताल के दर्शन करता हुआ आगे टुलक-टुलक बढ रहा था। पैदल टहलते हुए यह साफ़ दिखाई दे रहा था कि भीमताल एक त्रिभुजाकर आकृति/आकार की झील है। इस ताल के आखिरी छोर पर जाने के बाद एक बाँध दिखाई देता है जहाँ से गौला नदी की शुरुआत होती है जो आगे जाकर दूसरी नदी में मिल जाती है। इस बाँध पर आगे चलते हुए एक मन्दिर दिखाई देता है जिसके बारे में पता चला कि यह प्राचीन भीमेश्वर महादेव का मन्दिर है। यह मन्दिर भीम या किसी और ने व किसकी याद में बनाया, यह तो पता नहीं लेकिन यहाँ पर पूजा-पाठ लगातार हो रही है।
भीमताल कुमाऊँ क्षेत्र की सबसे बड़ी झील है। यह ताल नैनीताल से भी बड़ा है। विशाल आकार होने के कारण ही शायद इस ताल को भीमताल कहते हैं। यह झील समुद्र तल से 1332 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इसकी लम्बाई 1674 मीटर, चौड़ाई 427 मीटर और गहराई 30 मीटर के आसपास है। भीमताल सवा किमी लम्बाई में फैला हुआ काफ़ी बड़ा ताल है यहाँ पर पर्यटन विकास निगम का एक आवास गृह भी है। सरकारी विश्राम गृह के अलावा भी यहाँ पर रहने खाने की अच्छी निजी व्यवस्था भी है। नैनीताल की तरह ही इस ताल के भी दो कोने हैं जिन्हें तल्ली ताल और मल्ली ताल कहा जाता हैं। परन्तु कुछ विद्धान इतिहासकार इस ताल का सम्बन्ध पाण्डु पुत्र भीम से जोड़ते हैं। बताते है कि भीम ने ही यहाँ भूमि को खोदकर यह विशाल ताल बनाई थी। इस बाँध पर खडे होकर ताल में देखा तो वहाँ पर एक टापू दिखाई दे रहा था।
यहाँ पर इस झील के मध्य में भीमेश्वर मन्दिर के पास ही एक छोटा सा द्धीप है, जो ज्वालामुखी चट्टानों से निर्मित हुआ बताया गया है। भीमताल की झील में बने उस द्धीप में कई देशों की विभिन्न प्रजातियों की एकत्रित की हुई समुद्री मछलियाँ एक विश्व स्तरीय एक्वैरियम का निर्माण कर उसमें पाली गयी है। झील विकास प्राधिकरण की इस अनोखी पहल के कारण यह टापू पर्यटकों को आकर्षित करने के साथ उनका ज्ञानवर्धन भी कर रहा है। भीमताल के टापू पर पहले कभी रेस्टोरेंट हुआ करता था लेकिन उससे झील में गंदगी बढ़ने लगी थी। जिस कारण झील संरक्षण परियोजना के अंतर्गत यहाँ रेस्टोरेंट की जगह एक्वैरियम बनाया गया। जिसके परिणाम स्वरुप झील को प्रदूषण से मुक्ति मिली व झील के दर्शकों की संख्या में बढोतरी भी हुई। अलग-अलग रंग-बिरंगी प्रजातियों की मछली वाला यह एक्वैरियम धीरे-धीरे ही सही, लेकिन प्रसिद्धि पा रहा है। इस एक्वैरियम के निर्माण पर करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत आई थी। इसमें मछलियों को रखने के लिए 33 टैंक बनाए गए हैं। जिनमें से दो टैंकों में समुद्री जल में रहने वाली मछलियों की कई प्रजातियाँ रखी गई हैं। इस एक्वैरियम को देखने के लिए प्रति व्यक्ति सौ रुपए का शुल्क भी देना पडता है। यहाँ पर करंट पैदा करने वाली मछली ’इल’ भी देखी जा सकती है।
भीमताल में स्थित एक टापूभीमताल में किनारे पर स्थित एक प्राचीन मन्दिर
इस टापू तक आने-जाने के लिये नाव मिल जाती है। लेकिन उनका किराया भी पहले पता कर लेना चाहिए कहीं बाद में आपसे ज्यादा पैसों की माँग ना करने लगे। मैंने यहाँ पर ना झील में घुस कर नाव की सवारी की, और जब नाव में ही नहीं बैठा तो एक्वैरियम देखने का तो सवाल ही नहीं आता है। मैं कोई तीन घन्टे इस ताल के किनारे बैठा रहा। ताल के किनारे ठन्डी-ठन्डी हवा मन को बडा सुकून मिल रहा था। घडी में समय देखा तो दोपहर के एक बजने वाले थे। जब इस ताल की लगभग पूरी परिक्रमा हो गयी तो, यहाँ से आगे जाने की सोची जिस मार्ग से भीमताल थाने से यहाँ तक आया था, वो ही मार्ग यहाँ से आगे बढता हुआ नैकुचियाताल की ओर चला जाता है अत: मैं भी टहलता हुआ उसी ओर चला गया था।
काफ़ी ऊँचाई से लिया गया चित्र है
नैनीताल पुलिस की यह बात हजम नहीं हुई? हाजमोला लिया उससे भी कुछ नहीं हुआ।
अगले भाग में नौकुचियाताल के दर्शन कराये जायेंगे। आगे पढने के लिये यहाँ क्लिक करे।
भीमताल-सातताल-नौकुचियाताल-नैनीताल की यात्रा के सभी लिंक नीचे दिये गये है।
भाग-04-भीमताल झील की सैर।
भाग-08-नैनीताल का स्नो व्यू पॉइन्ट।
भाग-09-नैनीताल की सबसे ऊँची चाइना पीक/नैना पीक की ट्रेकिंग।
भाग-10-नैनीताल से आगे किलबरी का घना जंगल।
भाग-11-नैनीताल झील में नाव की सवारी।
भाग-12-नैनीताल से दिल्ली तक टैम्पो-ट्रेन यात्रा विवरण।
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ताल ही ताल।
यह तो घंटों बैठकर समय बिताने की जगह है।
जवाब देंहटाएंभीमताल में अब पानी काफी ज्यादा दिख रहा है और साफ भी । एक्वेरियम वाला टापू तो शानदार लग रहा है ।
जवाब देंहटाएंनैनीताल के आस पास बहुत ताल हैं , उन्हें भी दिखाएँ । हमें तो गए हुए १५ साल हो गए ।
बडा ही मनोरम है भीमताल!!
जवाब देंहटाएंआपकी फोटोग्राफी बेजोड़ है...बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
सुंदर चित्र ,बेजोड़ यात्रा वर्णन ...
जवाब देंहटाएंआभार!
इन द्रश्यों को देख कर लगता है की अंग्रेज यूँ ही यहाँ राज नहीं करना चाहते थे
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर चित्रों से सजाये है आपने यह पोस्ट देख कर मन प्रसन्न होगया साथ हे बढ़िया जानकारी भी मिली आभार...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://mhare-anubhav.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंदो साल पहले नैनीताल की तरफ जाना हुआ था ......सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंओह ....तो जाट देवता जी देवभूमि में विचर रहे हैं आजकल. वाकई किस्मत वाले हैं आप .....क्यों न कोई रश्क करे आपसे ?
जवाब देंहटाएंउत्तरांचल के पहाड़ी मार्गों के किनारे यातायात पुलिस के और भी रोचक साइन बोर्ड हैं. यथा, "कृपया सौन्दर्य दर्शन और वाहन चालन एक साथ न करें"
ज्ञानवर्द्धन के साथ साथ सुंदर नयनाभिराम चित्रों ने मन को मोह लिया. टापू वाली तस्वीर सबसे अच्छी लगी.
जवाब देंहटाएंहमारा एक दोस्त खास नैनीताल का ही रहने वाला है, लेकिन अब तक जा नहीं पाये हैं। जायेंगे तो हम भी जाटदेवता की तरह पैयां पैयां घूमना पसंद करेंगे:)
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा यह सफ़र! मोटरसाइकिल छोटे बच्चों को न देने की बात है।
जवाब देंहटाएंबचपन से मै कहा करती थी कि जीते जी कभी नैनीताल ना जा पायी तो अपनी वसीयत में लिख जाउंगी कि मेरी अस्थियां वहाँ विसर्जित करना :-)
जवाब देंहटाएंमगर भाग्य से २ साल पहले वहाँ जाना हुआ मगर दिल नहीं भरा था...
आपके संस्मरण पढ़ लगता है कि खुद यात्रा कर डाली..
धन्यवाद.
ati uttam sandeep bhai... Bhimtal itna sundar maine kam photos mein hi dekha hai...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंपढाई में फिसस्डी बनाता "फेसबुक"......
यह है अकेले घूमने का मजा। आज आप पहली बार अकेले निकले हो। उम्मीद है कि चार किलोमीटर दूर नौकुचियाताल भी आप पैदल अकेले ही गये होंगे। तालियां।
जवाब देंहटाएंमनोरम बहुत सुंदर चित्र.बेजोड रोमाचक यात्रा विवरण बेहतरी पोस्ट,.....
जवाब देंहटाएंवाह! आपकी प्रस्तुति गजब की मनोरम है.
जवाब देंहटाएंबहुत आनंद मिलता है आपके ब्लॉग पर आकर.
सांपला में आपसे रूबरू मिलकर हार्दिक प्रसन्नता मिली.
आपके ब्लोगर मिलन के फोटुओं का इंतजार है.
आने वाले नव वर्ष की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
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जवाब देंहटाएंनैनीताल पुलिश को मालुम नहीं था की संदीप जाट आ रहा हैं ...जो सिर्फ बाईक की भाषा ही समझता हैं हा हा हा हा
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