पेज

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

मेरे पापा की पुण्य-तिथि MY FATHER

                                                 इस पृथ्वी पर अन्तिम दिन 29-04-1997

आज दिंनाक 29 अप्रैल को मेरे पिताजी की चौदहवी पुन्यतिथि है,

पापा आज जीवित होते तो साठ साल के आसपास के  हो जाते।

मेरे पिता भारतीय थलसेना में जाट रेजीमेंट में थे।

सेना में रहते हुए दो बार पाकिस्तान से युद्द में शामिल हुए।

जिसमें एक बार एक पाकिस्तानी गोली मेरे पिता की छाती के  बीचोबीच से आर-पार हो गयी थी।

हमें दोनों तरफ का निशान दिखाया करते थे,

गोली लगने पर भी कोई खास  फ़र्क नहीं पडा, लेकिन महीने भर अस्पताल में रहना पडा।

हुआ यूँ था,(पापा की जबानी) कि जब पाकिस्तान दूसरा युद्द हार गया,

तो सेना वापिस आने के लिये चटगाँव रेलवे स्टेशन पर गाडी के इन्तजार में थी,

कि तभी वहाँ छुपे हुए दो पाकिस्तानी सैनिकों ने फ़ायरिंग कर दी थी।

पापा के एक दोस्त को तो ग्यारह गोली लगी थी,  वो तब भी बच गये।

लेकिन चार साथी किस्मत वाले नहीं थे, घटना स्थल पर ही शहीद हो गये थे।

पापा व टुकड़ी के अन्य फ़ौजियों ने कुल 45  पाकिस्तानी मार गिराये थे, इस घटना से पहले।

अपनी रेजीमेंट के टाप वेट लिफ़्टर भी रहे थे।




अमरनाथ की किस्त चार या पांच को आएगी, 

बुधवार, 27 अप्रैल 2011

पुत्री मणिका का जन्मदिन MANIKA ARYA'S BIRTHDAY



आज दिंनाक 27 अप्रैल को पुत्री मणिका का पांचवा जन्मदिन है

मेरे दो बच्चो में से मणिका बड़ी है, पवित्र दो साल छोटा है

मणिका ने नर्सरी व एल.के.जी पास कर ली है, अब पहली कक्षा में आई है।
बहुत सीधी व मासूम है। नये-नये कपडों का शौक है।
आप सब के लिए आइस-क्रीम
मणिका का जन्मदिन का उपहार व नेट पर फोटो भी

रविवार, 24 अप्रैल 2011

बाइक से लाल किला से लेह-लद्दाख यात्रा भाग 7, Fotula-Jalebi band-Kargil-Drass

लेह बाइक यात्रा-
सामने साँप की तरह ऊपर जाती हुई, बलखाती सडक दिखाई दे रही है, यहाँ से शुरु हुई फ़ोतूला टाप की वो चढाई, जिसे देख कर साँप सूंघ जाता है, जो सबका सब कुछ फ़ाड दे, अगाडी-पिछाडी, अंदर से बाहर से गाडी हो या इंसान सबका बुरा हाल था, इस चढाई को देखकर। ऐसी चढाई पर इंसान की बोलती तो बंद व गाडी की बोलती शुरु हो जाती है। लगे चढाई चढने बाईक का जोर एक बार फ़िर सारा लग गया, बाइक की स्पीड पूरे जोर लगाने पर भी 20 ज्यादा नहीं हो पा रही थी। खैर किसी तरह ये चढाई चढी, कुल तीन-चार किलोमीटर बाद कुछ हल्की चढाई का मार्ग आ गया, सबको बडी राहत मिली। ऊपर जा कर कई बार इस सडक का फ़ोटो खींचा, आप भी देखो। ये चढाई रोहतांग से भी भारी पडी(ज्यादा), लेकिन यहाँ बर्फ़ का नामोनिशान दूर तक भी नहीं था। इस 20-25 किलोमीटर के मार्ग में रंगबिरंगे सुनहरे स्वर्ण रंग रुप के पर्वत आते रहे हम फ़ोटो खींचते रहे, चलते रहे, आप भी देखो।
बस-बस-बस हम भी ऐसे ही देख रहे थे, फर्क इतना है, हम नीचे थे, 

इस चढाई को देख कर कुछ-कुछ हो रहा है, या बहुत कुछ, देखी है ऐसी चढाई

बुधवार, 20 अप्रैल 2011

बाइक से लाल किला से लेह-लद्दाख यात्रा भाग 6, MAGNETIC HILL, PATHAR SAHIB GURUDWARA

लेह बाइक यात्रा-
बीते चार दिन लगातार हमारा सामना बर्फ़बारी से हुआ था। आज हमारी यात्रा का छ्टा दिन शुरु हो चुका था। हमारे गिरोह (डाकू बदमाशों से भी ज्यादा हिम्मत दिखाई थी) के तीन सदस्यों ने अब से पहले बर्फ़ तो बहुत देखी थी, परन्तु किसी का सामना ऐसी बर्फ़बारी से नहीं हुआ था। दो महाराष्ट्र (नान्देड) वालों ने तो बर्फ़ भी पहली बार ही देखी थी, वो भी ऐसी देखी, कि जीवन भर याद भी रहेगी और दूसरों को कहेंगे, बेटे लेह को छोड दूसरे पहाड पर  मत जाना,  इस पूरे सफ़र में बर्फ़ के माहौल की सबसे बुरी जगह रात में बारालाचा ला लगी व दिन की सबसे खूबसूरत जगह भी बारालाचा ला लगी।
ये रास्ता है जिन्दगी, जो थम गये वो कुछ नहीं, ऐसे ही मार्ग है,

शनिवार, 16 अप्रैल 2011

पुत्र पवित्र आर्य का जन्मदिन BIRTHDAY PAVITRA ARYA


आज मेरे पुत्र पवित्र का तीसरा जन्मदिन है। इस मौके पर खींचे गये फोटो आपके लिये।




पवित्र का जन्म दिनांक 16-04-2008 को हुआ था।



बहुत मस्त व शैतान है।


आज तीसरे जन्मदिन से ही पवित्र ने पढाई के लिये विधालय जाना भी शुरु कर दिया है।


सोमवार, 11 अप्रैल 2011

बाइक से लाल किला से लेह-लद्दाख यात्रा भाग 5 Chang la- Pangong tso/lake

लेह बाइक यात्रा-
अभी तक आप मेरे साथ घूम चुके हो, दिल्ली से मनाली, रोहतांग दर्रा(13050), बार्रालाचा दर्रा(16500), सरचू, पाँग, तंगलंगला दर्रा(17582), उपशी, लेह, खर्दूंगला दर्रा(18380), अब बारी है, चाँगला दर्रा(17586)

आज पाँचवे दिन सुबह आराम से उठे, सब नहा धो, मेकप-सेकप कर, आज की मंजिल पेंन्गोंग सो (लद्दाखी लोग झील/लेक को सो के नाम से पुकारते है) की ओर चल दिये। उपशी से 15 किलोमीटर चलते ही, लेह से 35 किलोमीटर पहले, कारु नामक जगह आती है। यहाँ से दाये/सीधे हाथ की ओर एक रास्ता शक्ति नाम की जगह पहुँच जाता है, कारु से यहाँ तक ठीक-ठाक 15 फुट का मार्ग है, भीड के नाम पर कभी-कभार ही एक-आध इन्सान व गाडी नजर आ जाती थी।

तिडके का सड़क किनारे एक बोर्ड के सामने का फोटो,

मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

बाइक से लाल किला से लेह-लद्दाख यात्रा भाग 4 Pang-Tanglang la pass-Upsi-Khardung la Pass, World highest motarable road

लेह बाइक यात्रा-
ट्रक ड्राइवर हमारी ही उम्र का एक मस्त इन्सान रहा। जिस अनाम जगह हम रुके थे, वहाँ से तंगलंग ला (दर्रा) नजर आ रहा था। टैंट वाले ने हमें बताया कि तंगलंग ला ऊंचाई में बारालाचा ला (पहाड़ी लोग दर्रे को ला भी कहते है) से भी ऊंचा है, किन्तु यहाँ बर्फ़ बारालाचा दर्रे के मुकाबले 10% भी नहीं है। ऐसा होने की वजह तंगलंगला दर्रा में चलने वाली तेज हवाये है, जिससे यहाँ बर्फ़ ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाती हैं। हम ऐसी जगह पर थे, जहाँ से हमें 20-25 किलोमीटर तक का मार्ग ऊपर जाता हुआ दिखाई दे रहा था। ट्रक वाले ने भी जमकर ट्रक भगाया, यहाँ से चलते ही जबरदस्त धूल मिली, क्योंकि रास्ते में कार्य चल रहा था। किसी तरह धूल पार की, तो आ गई चढाई, जिस पर आसानी से ट्रक का पीछा नहीं किया जा रहा था। ट्रक लगभग खाली ही था, ट्रक में मात्र दो टन आटा ही था। वो मोडों पर भी स्पीड में मोड रहा था, जिससे हमें डर लग रहा था, कि तभी एक मोड पर चार ट्रक लाइन में मैट्रो की तरह जाते हुए मिले, ये चारों वजन से लदे हुए थे, जिससे इनकी स्पीड भी कम थी। हमारी बाइक तो बराबर में से आगे निकल गयी, पर हमारे साथ वाला ट्रक पीछे रह गया। हमने इन्हें कहा, कि कोई जल्दी नहीं है, आराम से आओ।

सामने ही हम लोग रुके हुए थे,