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भरतपुर बीच, नील द्वीप जेट्टी वाला खूबसूरत बीच |
अंडमान व
निकोबार की इस यात्रा में अभी तक, आपने मेरे साथ बहुत कुछ देखा,
जैसे पोर्टब्लेयर का चिडिया टापू, डिगलीपुर में यहाँ की सबसे ऊँची चोटी सैडल पीक, सेल्यूलर जेल, हैवलाक
द्वीप का राधा नगर बीच आदि। अब हैवलाक द्वीप के बाद,
नील पर अभी तक आपने कुदरती पुल हावडा ब्रिज व यहाँ का सूर्यास्त देखा। इस यात्रा
को पहले लेख से पढना हो तो यहाँ माऊस से चटका लगाकर सम्पूर्ण यात्रा वृतांत का आनन्द ले। इस लेख की
यात्रा दिनांक 28-06-2014 को की गयी थी
नील
द्वीप का सूर्योदय वाला सीतापुर बीच व भरतपुर जेट्टी वाला कोरल रीफ बीच SITAPUR,
SUNRISE BEACH & BHARATPUR KOREL REEF BEACH, NEEL (NEILL) ISLAND, PORT BLAIR
नील केन्द्र में व्यापारिक गतिविधियाँ
हैवलाक से नील
द्वीप आते ही हम सीधे कुदरती पुल (हावडा ब्रिज) व लक्ष्मणपुर बीच में सूर्यास्त
देखने चले गये थे। सूर्यास्त होने के उपरांत लौटते समय अंधेरा होने के कारण होटल
आना पडा। सुबह नील द्वीप का सूर्योदय (सीतापुर बीच) व भरतपुर बीच जेट्टी के कोरल
रीफ देखने जायेंगे। हम नील द्वीप में हवाबिल नेस्ट गेस्ट हाऊस Hawabill
nest guest house में रुके थे। यह सरकारी गेस्ट हाऊस
है। यह जेट्टी के एकदम नजदीक है। साफ सफाई तो गजब की है। हैवलाक के डाल्फिन
रिजार्ट की तरह यहाँ भी स्वादिष्ट भोजन मिलता है। हम यहाँ इस होटल में सिर्फ एक
रात्रि की ठहरे थे। इसी होटल के भोजनालय में ही रात का भोजन भी किया था। इस होटल
में भोजन करने के लिये एक घंटा पहले बताना पडता है। अब अपने कमरे की ओर चल्कते है।
हमारा कमरा बहुत ही शानदार है। हमारा आज का कमरा भी वातानुकुलित है। अंडमान की इस
यात्रा में हमने अधिकतर कमरे AC वाले ही लिये थे। समुन्द्री किनारे होने वातावरण में चिपचिपापन होता है जो AC कमरे में घुसते
ही गायब हो जाता है। पूरी यात्रा में यहाँ दूसरी बार अपने कपडे धो डाले गये। कमरे
के ठीक पीछे लम्बा गलियारा था उसमें कपडे सूखने के लिये रात में डाल दिये थे। सुबह
उठे तो कपडे सूखे हुए मिले। रात भर तेज हवा भी चल रही थी।
होटल के स्वागत
कक्ष में नील द्वीप की भौगोलिक स्थिति दर्शाता एक बोर्ड लगा है। इस हरे रंग के
बोर्ड से, हमें नील द्वीप के सभी मुख्य स्थल तक पहुँचने वाले मार्ग को समझने में आसानी
हुई। यहाँ के लगभग सभी बीच हमने इस यात्रा में देख लिये थे। लगता
है, रामायण का यहाँ के रहने वालों पर काफी प्रभाव है। तभी तो यहाँ लगभग सभी बीच के
नाम रामायण के मुख्य किरदारों के ऊपर ही रखे गये है। बीचों के नाम तो देखिये,
भरतपुर बीच, सीतापुर बीच, रामनगर बीच, लक्ष्मणपुर बीच। नील द्वीप बहुत ज्यादा बडा
द्वीप नहीं है। पूरे नील द्वीप की एक छोर से दूसरे छोर तक अधिकतम लम्बाई केवल 5 किमी ही है। लक्ष्मणपुर बीच नील जेट्टी से केवल दो किमी दूरी
पर है। कल सुबह हम यहाँ के दो मुख्य बीच देखने जायेंगे। पहला बीच सूर्योदय वाला
सीतापुर बीच व दूसरा वाला बीच नील जेट्टी वाला भरतपुर बीच है, जहाँ समुन्द्र में
गोताखोरी करने का मौका भी मिलता है।
नील से पोर्ट ब्लेयर लौटने के टिकट का प्रबंध
सूर्योदय देखने के लिये जाते समय हमने अपना
सामानप करके होटल में ही छोड दिया था। सीतापुर बीच व भरतपुर बीच देखने के बाद,
होटल से अपना बैग लेकर जेट्टी पहुँच जायेंगे। वैन वाले से रात में ही पोर्टब्लेयर
वापसी के फैरी टिकट बुक करने के बारे में बात हो गयी थी। वैन वाले ने बताया था कि
मैं एक बन्दे को सुबह ही टिकट खिडकी पर सबसे आगे खडा कर दूँगा। आपके टिकट सबसे
पहले बुक हो जायेंगे। प्रति सीट 50 रुपये ज्यादा
लगेंगे। सुबह हमारे पास इतना समय नहीं होगा
कि हम फैरी के टिकट की लाइन में लगने के साथ-साथ सीतापुर का सूर्योदय व भरतपुर बीच
भी देखने जा सके। वैन वाले ने हम तीनों के अलावा, दो अन्य महिलाओं के टिकट बुक करने के पैसे लिये
हुए थे। फैरी के टिकट लेने के चक्कर में एक दो घंटा पहले लाइन में जाकर खडे होने
से अच्छा रहा कि वैन वाले ने 150 रु मजदूरी पर यह
जिम्मेदारी लेकर किसी को लाइन में लगवा दिया।
सीतापुर बीच का सूर्योदय
सीतापुर बीच देखने के लिये हमें सूरज
निकलने से पहले निकलना था। इसलिये रात को सोने में देरी नहीं की। सुबह सूर्योदय
देखने के लिये जल्दी तैयार होकर होटल से बाहर आ गये। वैन वाला तय समय पर होटल के
बाहर खडा न मिला। सुबह उठते ही वैन वाले को फोन कर आने के लिये कह दिया था। दुबारा
फोन लगाया तो बोला कि बस पहुँचने वाला हूँ। नील द्वीप व हैवलाक में B.S.N.L का नेटवर्क काम करता है। यह यात्रा मैंने
सन 2014 में की थी। हो सकता
है कि अब यहाँ अन्य कम्पनी के नेटवर्क भी शुरु हो गये हो। वैन में सवार होकर, हम
सीधे सीतापुर बीच पहुँचे। सूर्योदय होने में कुछ मिनट बाकि थे। हम अपने-अपने
हथियार (कैमरे) लेकर सूरज महाराज को शूट करने के लिये तैयार थे। जैसे ही सूरज
महराज ने अपने आने की आहट दी, हमने उन्हे शूट करने में (पकडने में) देरी नहीं की। सीतापुर
बीच नहाने के लिये भी बढिया विकल्प है। किनारे के आसपास फैली हरियाली देखकर मन भी
खुश हो गया। सूर्योदय देखने के बाद, हमारा काफिला रामनगर बीच की ओर बढ चला। जून का
महीना था जिस कारण सूर्य निकलते ही गर्मी का अहसास होने लगता था। वैन वाला हमें
लेकर रामनगर बीच पहुँचा। रामनगर बीच हमें ज्यादा पसन्द नहीं आया। इसलिये हम वहाँ ज्यादा देर नहीं रुके। नील केन्द्र होकर
भरतपुर बीच आना पडता है। रात को अंधेरा होने से दुकाने बन्द हो गयी थी। इसलिये अब
लगे हाथ बाजार भी देख लेते है।
बंगाली रसगुल्ले
इस यात्रा में हमने यहाँ के सभी दर्शनीय
स्थल (नेचुरल पुल, लक्ष्मणपुर बीच सूर्यास्त के लिये, सीतापुर बीच सूर्योदय के
लिये, रामनगर व भरतपुर बीच कोरल रीफ के लिये) देख लिये है। जिसके बारे में दो लेख
में आपको विस्तार से बताया गया है। अब नील केन्द्र के बाजार में मिठाई की दुकान पर
चलते है। यहाँ बंगाली लोग अधिक संख्या में है तो जाहिर सी बात है कि बंगाली
रसगुल्ला भी यहाँ अवश्य ही मिल जायेगा। नील केन्द्र तिराहे पर मिठाई की एक बडी
दुकान है। उस दुकान पर बंगाली रसगुल्ले दिखाई दिये। हमने बंगाली रसगुल्लों पर हाथ
साफ किया। अब भरतपुर बीच चलते है।
रामनगर व भरतपुर बीच, कोरल रीफ ( korel
reef) स्कूबा डाइविंग (Snorkelling)
नील केन्द्र से भरतपुर बीच की दूरी ज्यादा
नहीं है। कुछ मिनट में भरतपुर बीच पहुँच गये। भरतपुर बीच नील जेट्टी वाला ही बीच
है। जेट्टी से आधा किमी दूर स्थित भरतपुर बीच में देखने व अनुभव करने को बहुत कुछ
है। कोरल रीफ देखने के लिये समुन्द्र के पानी में अन्दर झांकने के लिये शीशे की
तली वाली नाव भी यहाँ घंटे व चक्कर के हिसाब से किराये पर मिलती है। पानी में
अन्दर कूदकर कोरल रीफ को नजदीक से देखने के लिये अन्य जरुरी संसाधन भी मिल जाते
है। वैन वाला हमें भरतपुर छोडकर फैरी के टिकट लेने के लिये लौट गया। हमारा होटल भी
नजदीक ही है। भरतपुर बीच पर एक डेढ घंटा व्यतीत करने के बाद हम होटल लौट जायेंगे।
कुछ देर में वैन वाला हमारा टिकट देकर लौट गया।
हमें किनारे पर फोटो लेते देख एक नाव वाला
हमारे पास आया और बोला, जीवन्त कोरल रीफ नजदीक से देखने है? जीवन्त कोरल रीफ? ये
क्या बला है? किनारे पर जो कोरल रीफ आते है वो लगभग समाप्त हुए होते है। पानी के
अन्दर जो कोरल रीफ देखने को मिलेंगे वो जीव-जन्तुओं से आबाद होंगे। मनु प्रकाश
त्यागी व राजेश सहरावत जी जीते-जागते कोरल देखने के लिये एक नाव में सवार होकर
समुन्द्र में चले गये। नाव शीशे की तल वाली थी। जिसमें से मनु व राजेश जी ने कुछ
देखा या नहीं ये तो वही बता सकते है। नाव वाले ने बताया कि यदि आपकी इच्छा हो तो स्कूबा
डाइविंग (Snorkelling) का सामान थोडी देर में आ जायेगा। नाव वाले ने स्कूबा डाइविंग के लिये कुछ ज्यादा ही दाम बता दिये। इसलिये
स्कूबा डाईविंग का इरादा रद्द हो गया। मनु व राजेश जी शीशे वाली नाव में समुन्द्र
की गहारी में झांककर थोडी देर बाद लौट आये। कल शाम जब हम नील
जेट्टी पर आये थे तो उस समय किनारे पर पानी बहुत कम था। अब किनारे पर ज्वार का असर
होने से पानी लबालब भरा हुआ है। अब नील में अपना काम समाप्त हो गया है अब यहाँ से
होटल चलते है होटल से अपना सामान लेकर जेट्टी पहुँचते है। फिर सीधे पोर्टब्लेयर
चलेंगे। फैरी का टिकट भी हमारे पास पहुँच चुका है। एक ही टिकट में 5 सवारियों के नाम लिख दिये गये है।
नील द्वीप का इतिहास
नील द्वीप छोडने से पहले नील द्वीप के
इतिहास के बारे में थोडी जानकारी हो जाये। अभिलेख बताता है कि अंग्रेजों के
ब्रिगेडियर जनरल जेम्स नील 1857 में यहाँ आये थे।
उनके नाम पर इस द्वीप का नामकरण नील द्वीप हुआ। नील द्वीप की अधिकतर जनता बंग्ला भाषी है। रहन-सहन व खान-पान आदि पर भी बांग्ला भाषी लोगों का
ही अधिक प्रभाव देखा गया है। हिन्दी भाषा बोलने-लिखने-पढने-समझने में यहाँ नील
में, हैवलाक में व पूरे अंडमान में कोई समस्या नहीं है। नील द्वीप में एक ग्राम
पंचायत भी है। पंचायत का कार्यालय नील केन्द्र में ही है। यहाँ पूरे नील द्वीप में
केवल 5 ही गाँव है। यहाँ के गाँवों के नाम
सीतापुर, भरतपुर, रामनगर, लक्ष्मणपुर व नील केन्द्र है। इनमें सभी गाँवों की
आबादी तीन-चार हजार के बीच है। पूरे अंडमान में एक ही संसद सीट है। पूरे अंडमान की
आबादी पाँच लाख के आसपास है। अंडमान केन्द्र शासित प्रदेश है। पूरे भारत में अभी 7 केन्द्र शासित प्रदॆश व 29
पूर्ण राज्य है।
केन्द्रशासित प्रदॆश बहुत वर्षों से इतने ही है जबकि पूर्ण राज्यों की संख्या बढती
ही जा रही है।
यातायात (Transportation & Tourism)
नील द्वीप में घूमने के लिये आटो व छोटी
गाडियाँ कार आदि उपलब्ध है। हमने तो यहाँ आने से पहले ही फोन पर एक वैन वाले को
बुक कर लिया था। यदि कोई यहाँ आने की सोच रहा है तो उसे ऐसा करने की आवश्यकता नहीं
है। यहाँ आने के बाद भी आटो व कार आसानी से मिल जाती है। वैसे भी एक दिन में यहाँ
आने वाले पर्यटकों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं होती है। यहाँ आने के लिये
समुन्द्री मार्ग ही एकमात्र सहारा है। एक दिन में यहाँ ज्यादा से ज्यादा दो फैरी
ही आती है उनमें मुश्किल से 100-200 लोग ही यहाँ आते
होंगे। बारिश के सीजन में यहाँ आने से बचना चाहिए।
बारिश में मौसम खराब होने पर पोर्ट ब्लेयर से फैरी आने में कई बार कई-कई दिन भी
प्रतीक्षा करनी पड जाती है।
प्रतिबंधित क्षेत्र RAP (restricted area permit)
नील द्वीप में
भारतीयों के लिये तो कोई समस्या नहीं है लेकिन पता लगा कि यहाँ आने वाले विदेशी
लोगों को यहाँ आने से पहले RAP (restricted area permit) अवश्य बनवा लेना
चाहिए। यदि बिना आज्ञा के विदेशी यहाँ पकडे जायेंगे तो उनके लिये बहुत परेशानी खडी
हो सकती है। हम नील जेट्टी पहुँच चुके है। हमारी फैरी कुछ देर में आने वाली है। यह
फैरी हैवलाक होकर यहाँ आयेगी। यहाँ से सीधे पोर्टब्लेयर जायेगी। हमारी फैरी आ गयी
है। अब हम इसमें स्वार होकर पोर्टब्लेयर चलते है। अलविदा नील।
पोर्टब्लेयर
पहुँचने से कुछ दूर पहले एक लाइट हाऊस दिखाई दिया। इसे देखकर याद आया कि यह कुछ
जाना पहचाना सा लगता है। तभी किसी ने बताया कि 20 के नोट पर पीछे की तरफ इसी का
फोटो है। अरे हाँ यह तो वही है। पोर्टब्लेयर आ गया है। फानिक्स जेट्टी के पास ही
देखने लायक कई स्थल है। जैसे Rose
island, Mount hariot trek, Wandoor beach, etc. जो हमे देखने है। चलो आज हमारे पास काफी समय बचा हुआ है। होटल लौटने में
समय खराब करने से बढिया है कि आज भी एक दो स्थल देख लेते है। उसके बाद ही होटल की
ओर चलेंगे। (क्रमश:) (Continue)
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होटल में लगा नील का मानचित्र |
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होटल में हमारा कमरा |
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होटल का प्रांगण |
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सीतापुर बीच किनारे ये झोपडी |
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सीतापुर बीच |
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सीतापुर बीच पर सूर्योदय |
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नील केन्द्र |
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नील केन्द्र में बंगाली रसगुल्ले |
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शीशे की तली वाली नाव |
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भरतपुर बीच |
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हमारे दोनों जवान मोर्चे के लिये तैयार |
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भरतपुर बीच से दिखाई देता नील द्वीप जेट्टी का खूबसूरत नजारा |
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पेट की आग के लिये दूसरे का जीवन समाप्त करने की तैयारी |
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नील जेट्टी |
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हमारा टिकट |
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ताजी मछ्लियाँ लेकर बेचने जाता एक मछुआरा |
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इनमें से कुछ अभी तक तडफ रही थी। कुछ घंटों में सब पक जायेगी। |
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बंगाली मन्दिर |
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होटल के बाहर वाली सडक |
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होटल के अन्दर आंगन |
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स्वागत कक्ष |
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नील जेट्टी से दिखता भरतपुर बीच |
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यात्रियों की भीड |
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लबालब भरा जेट्टी बीच |
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लो जी आ गयी अपनी सवारी, |
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हम तो चले, पोर्ट ब्लेयर |
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पीछे छूटता नील द्वीप |
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यह फोटो 20 के नोट पर पीछे की तरफ मिलता है। |
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आ गया पोर्ट ब्लेयर |
ये कोरल रीफ क्या है स्पष्ट करना था। और एक जगह आपने 20 का नोट लिखा है जिस पर लाईट हाउस छपा है फिर 100 का नोट लिखा है मगर मुझे 100 के नोट पर कोई लाईट हाउस नहीं दिखा ।अभी 20 का नहीं देखा।
जवाब देंहटाएंफोटो में गलती से 100 लिख दिया था, आपने बताया तो ठीक कर 20 दिया गया है।
हटाएंजोरदार समुंदर तट
जवाब देंहटाएं