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सोमवार, 23 जनवरी 2017

Chatham saw mill, Biggest saw mill of Asia चाथम- एशिया की सबसे बडी आरा मिल





उत्तरी अंडमान के अंतिम छोर डिगलीपुर में यहाँ की सबसे ऊँची चोटी सैडल पीक फतह कर बस यात्रा करते हुए पोर्टब्लेयर वापिस लौट आये। लौटते ही कार्बनकोव बीच व गाँधी पार्क की यात्रा में आप साथ चलते रहे। अब इस यात्रा वृतांत पर आगे चलते है। यदि आप अंडमान की इस यात्रा को शुरु से पढना चाहते हो तो यहाँ माऊस से चटका लगाये और पूरे यात्रा वृतांत का आनन्द ले। इस लेख की यात्रा दिनांक 25-06-2014 को की गयी थी।
अंडमान निकोबार GOVERNMENT SAW MILL, CHATHAM, PORT BLAIR, ANDAMAN
अब हम अंडमान की सबसे बडी लकडी काटने की आरा मिल देखने चलते है। जो चाथम नामक द्वीप में बनी हुई है। यहाँ तक हम बस से आये थे। यह जगह मुख्य बस अडडे से मात्र 4 किमी दूर है। हम गाँधी पार्क से यहाँ तक सीधी बस में बैठ कर आये थे। चाथम द्वीप तक पहुँचने के लिये समुन्द्र के ऊपर बने सीमेंटिड पुल को जब हमारी बस पार कर रही थी तो मैने सोचा कि इस पुल पर उतर कर आसपास के फोटो लेने चाहिए। पुल के ऊपर से चाथम जेट्टी भी दिखायी दे रही थी। जेट्टी में पानी के बडे वाले समुद्री जहाज खडे हुए थे। पुल पार करते ही उल्टे हाथ मुडकर बस रुक गयी। परिचालक बोला चाथम का लकडी वाला आरा मिल आ गया है। बस अभी और आगे जायेगी। बस से उतर कर देखा वहाँ मिल जैसा कुछ नहीं था। एक स्थानीय बंदे ने बताया कि यह बस स्टैंड है आपको यहाँ से सौ मीटर पीछे जाना पडेगा। सौ मीटर पीछे जाते ही पुल का किनारा भी आ गया। पुल के ठीक सामने चाथम मिल का प्रवेश द्वार बना है।

बुधवार, 18 जनवरी 2017

Travel to Gandhi Park, Port Blair गाँधी पार्क की यात्रा



उत्तरी अंडमान के अंतिम छोर डिगलीपुर में यहाँ की सबसे ऊँची चोटी फतह कर वापिस पोर्टब्लेयर लौट आये। वहाँ से लौटते ही कार्बनकोव बीच की यात्रा में आप मेरे साथ रहे। अब यात्रा वृतांत पर आगे बढ चलते है। यदि आप अंडमान की इस यात्रा को शुरु से पढना चाहते हो तो यहाँ माऊस से चटका लगाये और पूरे यात्रा वृतांत का आनन्द ले। इस लेख की यात्रा दिनांक 25-06-2014 को की गयी थी।
अंडमान निकोबार AMUSEMENT PARK, GANDHI PARK, PORT BLAIR
अण्डमान निकोबार के पोर्ट ब्लेयर में घूमते हुए हम गाँधी पार्क के सामने आ पहुँचे। यह पार्क महात्मा गाँधी उर्फ मोहनदास कर्मचन्द गाँधी को समर्पित है। इसलिये इसका नाम गाँधी पार्क रखा हुआ है। इसके बाद हम पोर्ट ब्लेयर की खूनी व खतरनाक मानी गयी सेलुलर जेल भी जायेंगे। जहाँ पर भारत की आजादी की लडाई के महान सैनानियों को कैद किया जाता था। महात्मा गाँधी जैसे नेता उस जेल की शोभा अपने जीवन में कभी नहीं बढा सके। सेलुलर जेल में अंग्रेज उन्ही सैनानी को लाते थे जिनसे उन्हे खतरा होता था। इससे साबित हो गया कि गांधी जी से अंग्रेजों को कभी खतरा नहीं रहा। गाँधी ने अंग्रेजों के बनाये नियम कई बारे तोडने की असफल कोशिश भी की शायद, जिस कारण अंग्रेज सरकार उन्हे कुछ दिन के पकड कर अन्दर कर देती थी। उसके बाद फिर छोड देती थी कि जाओ बहुत प्रचार हो गया है। एक थे वीर सावरकर, उनसे अंग्रेज इतने डरते थे कि उन्हे पूरे दस साल तक सैलुलर जेल में कैद करके रखा था। 01 DEC 1993 को इस अमूसमैन्ट पार्क बोले तो गाँधी पार्क का उदघाटन हुआ था।

मंगलवार, 17 जनवरी 2017

KORBYN KOVE BEACH, PORT BLAIR कार्बाइन्सज कोव बीच, पोर्टब्लेयर



उत्तरी अंडमान के अंतिम छोर डिगलीपुर पहुँचकर आपने कालीपुर तट पर कछुओं का प्रजनन स्थल देखा इसके बाद यहाँ की सबसे ऊँची चोटी सैडल पीक की ट्रेकिंग भी आपने मेरे साथ ही की है। अब आगे के यात्रा वृतांत की ओर चलते है। यदि आप अंडमान की इस यात्रा को शुरु से पढना चाहते हो तो यहाँ माऊस से चटका लगाये और पूरे यात्रा वृतांत का आनन्द ले। इस लेख की यात्रा दिनांक 24-06-2014 को की गयी थी।
अंडमान निकोबार KORBYN KOVE BEACH, PORT BLAIR, कोरबायन कोव बीच
अंडमान की सबसे ऊँची पर्वत चोटी सैडल पील की सफल ट्रैकिंग के उपरांत हमारा वहाँ कुछ और देखने का मन नहीं था। ऐसा नहीं है इसके अलावा वहाँ और कुछ नहीं था। डिगलीपुर में अभी भी बहुत स्थल देखने बाकि थे जिसे रोमियो-जूलियट टापू व मड वेलकिनो (MUD VERKENO) तो हमें भी देखने थे लेकिन बारिश के मौसम में वहाँ जाने के लिये वाहन नहीं मिल पाया। हम पोर्टब्लेयर वापिस आने के लिये सुबह सवेरे ही होटल छोड निकल पडे। कालीपुर वाले होटल से डिगलीपुर आने  के लिये जो स्थानीय/ लोकल बस चलती है वह भी समय की बडी पाबन्द है। हम 25 किमी दूर से आये है। पोर्टब्लेयर वाली बस के चलने से आधा घंटा पहले डिगलीपुर पहुँच गये थे। सुबह का समय थोडा नाश्ता पानी करना भी आवश्यक था। हमारी बस दिन भर में 325 किमी की यात्रा करेगी। दोपहर में कम से कम एक दो बार कही न कही भोजन के लिये भी रुकेगी। हम होटल से भी बिना खाये पीये ही चले थे। जहाँ हमारी बस खडी थी उसके ठीक सामने कई ढाबे व होटल थे। हल्का-फुल्का नाश्ता कर वापिस अपनी सीट पर विराजमान हो गये।

सोमवार, 16 जनवरी 2017

Trekking to Saddle peak, Highest peak of Andaman Islands अंडमान की सबसे ऊंची सैडल पीक की ट्रेकिंग

ANDAMAN, PORTBLAIR YATRA-09                   SANDEEP PANWAR



उत्तरी अंडमान के अंतिम छोर डिगलीपुर पहुँचकर सबसे पहले कालीपुर तट पर कछुओं का प्रजनन स्थल वाला बीच देखा। इस लेख में आपको अंडमान निकोबार द्वीप समूह की सबसे ऊँची चोटी सैडल पीक की ट्रेकिंग वाली यात्रा करायी जायेगी। यदि आप अंडमान की इस यात्रा को शुरु से पढना चाहते हो तो यहाँ माऊस से चटका लगाये और पूरे यात्रा वृतांत का आनन्द ले। यह यात्रा दिनांक 23-06-2014 को की गयी थी।
अंडमान निकोबार LAMIA BAY, NATURE TRAIL TO SADDLE PEAK NATIONAL PARK, DIGLIPUR
हमारे होटल TURTLE RESORT, KALIPUR के सामने वाली सडक डिगलीपुर से शुरु होकर होटल से 5 किमी आगे तक जाती है। होटल डिगलीपुर से 25 किमी आगे आता है। जहाँ यह सडक समाप्त होती है। वहाँ से आगे अंडमान की सबसे ऊँची चोटी सैडल पीक तक पहुँचने के लिये 8 किमी की ट्रैंकिंग करनी पडती है। आज हम सैडल पीक की ट्रैकिंग करने जा रहे है। अपना सामान तो हमने होटल में छोड रखा है। हमें आज की रात भी इसी होटल में ही रुकना है।

गुरुवार, 12 जनवरी 2017

TRAVEL TO MAYABANDAR & KALIPUR TURTLE BEACH of DIGLIPUR



उत्तरी अंडमान के अंतिम छोर डिगलीपुर जाते समय रंगत से कुछ आगे मैंग्रोव जंगल व मनमोहक समुन्द्र तट देखने के बाद मायाबन्दर व डिगलीपुर के कालीपुर तट पर कछुओं के प्रजनन स्थल का यात्रा वृतांत इस लेख में दिया गया है। यदि आप अंडमान की इस यात्रा को शुरु से पढना चाहते हो तो यहाँ चटका लगाये और पूरे यात्रा वृतांत का आनन्द ले। यह यात्रा दिनांक 22-06-2014 को की गयी थी।
अंडमान निकोबार TRAVEL TO MAYABANDAR KALIPUR TURTLE BEACH, DIGLIPUR, मायाबन्दर तट व डिगलीपुर का कालीपुर तट
रंगत से सीधे डिगलीपुर की बस में बैठना सही होगा। यहाँ HOW BILL NEST होटल से डिगलीपुर की बस में सीट मिलना तो असम्भव है ही। बस यहाँ रुके ही, यह कहना भी मुश्किल है। इसलिये आटो वाले को पहले ही बोल दिया था कि हमें वापसी में रंगत बस अडडे छोडना है। आटो वाला हमें रंगत बस अड्डे छोड आया। रंगत से डिगलीपुर तक सीधी बस भी मिल जायेगी लेकिन हमें आज सीधे डिगलीपुर नहीं जाना है। डिगलीपुर से पहले मायाबन्दर नामक शहर आता है पहले वहाँ तक ही जाना है। रंगत से मायाबन्दर की दूरी 70 किमी है। मायाबन्दर में 1 घन्टा रुककर एक जगह देखनी है। उसके बाद आगे डिगली पुर जायेंगे। कुछ देर में एक बस आ गयी। यह बस मायाबन्दर तक ही जा रही है अच्छी बात है यदि आगे डिगलीपुर वाली बस मिलती तो उसमें ज्यादा भीड होती। हमें तो पहले मायाबन्दर तक ही तो जाना है। यहाँ कुछ देर रुककर आसपास का भ्रमण कर लेंगे। बस में ज्यादा सीट खाली नहीं थी। हम तीनों को अलग-अलग सीट मिल गयी। कल रंगत आते हुए तो कई घंटे खडे होकर बस यात्रा करनी पडी थी। आज भी हमारी बस ने समुन्द्र किनारे होते हुए अधिकतर यात्रा की थी। आखिर में मायाबन्दर पहुँचकर यह बस खाली हो गयी। मायाबन्दर भी समुन्द्र के किनारे ही बसा हुआ है।

बुधवार, 11 जनवरी 2017

Moricedera Beach & Aam Kunj Beach- Rangat रंगत के खूबसूरत बीच मोरीसिडरा व आम कुंज बीच



उत्तरी अंडमान के अंतिम छोर डिगलीपुर जाते समय बाराटाँग उतरकर पहले तो चूने की गुफा देखी, उसके बाद रंगत से कुछ आगे मैंग्रोव जंगल में पद यात्रा की, अब उसके आगे रंगत के मनमोहक समुन्द्र तट का यात्रा वृतांत इस लेख में दिया गया है। यदि आप अंडमान की इस यात्रा को शुरु से पढना चाहते हो तो यहाँ चटका लगाये और पूरे यात्रा वृतांत का आनन्द ले। यह यात्रा दिनांक 22-06-2014 को की गयी थी।
अंडमान निकोबार AAM KUNJ & MORICEDERA BEACH SHIVPURAM
रंगत से करीब 18 किमी आगे होटल HOW BILL NEST में उस दिन ठहरने वाले, हमारे अलावा एक दो रुम में ही गेस्ट थे। हमारा रंगत में घूमने के लिये दोपहर तक का समय तय था। यहाँ देखने के लिये बहुत ज्यादा नहीं है। लेकिन जितना भी है वो अंडमान यात्रा की जान है यदि किसी ने अंडमान यात्रा में रंगत छोड दिया तो समझो उसने बहुत कुछ छोड दिया। हमने रंगत के दो-तीन समुन्द्री बीच व एक-दो मंदिर ही देखने थे। सुबह आराम से सोकर उठे। नहा-धो तैयार होकर वाहन के लिये सडक पर आये। सबसे पहले हमने चार घंटे के लिये 300 रु में एक आटो बुक किया। आटो वाले को पहले ही बोल दिया कि 4 घन्टे में जो-जो देख सकते है वहाँ लेकर चल। कुछ जानकारी मनु के पास थी कुछ जानकारी आटो वाले ने दी। आटो में सवार होकर सबसे पहले एक छोटे से लेकिन बेहद ही सुन्दर जगह पहुँचे। यहाँ का समुन्द्री किनारा देख मन मचल गया। सुबह-सुबह समुन्द्र की उठती लहरे देख, किसका मन नहीं मचलेगा। इस बीच का नाम आमकुंज बीच है। आम कुंज देखने के बाद कुछ किमी आगे एक अन्य सुन्दर से बीच MORICEDERA BEACH SHIVPURAM जाना था।

मंगलवार, 10 जनवरी 2017

Dhani Nallah- Longest bench walk way of india in Mangrove beach धनी नाला भारत की सबसे लम्बी मैंग्रोव बैंच वाक



अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की इस यात्रा में हम डिगलीपुर जाते हुए बाराटाँग उतरकर चूने की गुफा देखने के बाद रंगत की ओर चल दिये। अभी तक हमने मरीना पार्क, चिडिया टापू जैसे स्थल देख चुके है। आदिमानव युग के कुछ मानव अभी भी धरती पर निवास करते है। उनका जारवा क्षेत्र होते हुए यहाँ बाराटाँग तक आये है। अब उससे आगे रंगत के समुन्द्र तट की यात्रा, यदि आप इस यात्रा को शुरु से पढना चाहते हो तो यहाँ चटका लगाये और आनन्द ले। यह यात्रा दिनांक 21-06-2014 को की गयी थी।
अंडमान निकोबार- धनीनाला बीच के मैंग्रोव वन में भारत का सबसे लम्बा लकडी वाला पैदल पथ और उस पर हमारी पद यात्रा  DHANI NALA - LONGEST BENCH WALK OF MANGROVE BEACH IN INDIA
लाइम स्टोन गुफा, चूने की गुफा से वापिस लौटकर बाराटाँग अंडमान ग्रांट ट्रंक मार्ग पर पहुँचे। किनारे पहुँचकर आगे रंगत जाने वाली अगली बस की जानकारी मिल गयी। आगे जाने वाली अगली बस करीब एक घन्टे बाद आयेगी। गुफा तक आने-जाने में हमें दो घन्टे लगे। जारवा लोगों के इलाके वाला बैरियर तीन घन्टे बाद ही खुलता है। वहाँ से 3 घन्टे बाद आने वाली बस पानी के जहाज में चढ कर इस पार आ रही है। अब हम आगे रंगत की ओर जायेंगे। हमें आज की रात रंगत से करीब 18 किमी आगे एक होटल HOW BILL NEST में रुकना है। आज हमारी बुकिंग वही पर है। रात को वहाँ रुकेंगे। इस पार आने वाली पहली बस में घुसकर बैठने की जगह देखने लगे। तीन बस आयी लेकिन तीनों में बैठने की जगह न मिली। उधेडबुन में दो बस निकल गयी। तीसरी बस भी जाने को तैयार थी। फटाफट फैसला हुआ कि जाना तो पडेगा ही, यहाँ खडे रहे तो रात यही हो जायेगी, इसके बाद अगली बस कल सुबह आयेगी। इसलिये खडे-खडे आगे की यात्रा शुरु की।

सोमवार, 9 जनवरी 2017

Baratang's lime stone cave बाराटाँग की चूना पत्थर से बनी गुफा



अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की इस यात्रा में हम डिगलीपुर जाते हुए बाराटाँग उतरकर चूने की गुफा देखने चले दिये। अभी तक हमने मरीना पार्क, चिडिया टापू जैसे स्थल देख चुके है। आदिमानव युग के कुछ मानव अभी भी धरती पर निवास करते है। उनका जारवा क्षेत्र होते हुए यहाँ आये है। अब उससे आगे की कहानी, यदि आप इस यात्रा को शुरु से पढना चाहते हो तो यहाँ चटका लगाये और आनन्द ले।
अंडमान निकोबार बाराटाँग की चूने पत्थर वाली गुफा, BARATANG’S LIME STONE CAVE  
दोस्तों, बाराटाँग आ गया है यहाँ इस बस से उतरते है। अब यहाँ से आगे की यात्रा 10 किमी की स्पीड बोट में बैठकर करनी पडेगी। आज तक स्पीड बोट में बैठना नहीं हुआ। आज पानी के जहाज में तो बैठ ही लिये लगे हाथ यह इच्छा भी पूरी हो जायेगी। LIME STONE CAVE पूरी बाराटाँग से चूने के पत्थर तक पहुँचने का एकमात्र साधन स्पीड बोट ही है वही हमें उस गुफा तक लेकर जायेगी। नीलाम्बर रेंज के अधीन यह गुफा है। पानी में डूबने से बचाने के लिये हमें जो लाइफ जैकेट पहनायी गयी थी। वो आरामदायक बिल्कुल नहीं थी सच बोलू तो अत्यधिक असुविधाजनक थी। यह जैकेट कमर व पेट पर बांधी जाये तो ज्यादा सही रहता है। अब तक मैंने MANGROVE के पेड व उनकी जड के बारे में केवल सुना ही था आज उन्हे पहली बार कई किमी तक देखना हो पाया है। अभी हम लाइम स्टोन की जिन गुफा को देखने जा रहे है। वहाँ, उन गुफा तक पहुँचने के लिये हमारी बोट मैग्रोव के घने जंगल के बीच एक छोटी सी जल की धारा से होते हुए जा रही है। पतली धारा में करीब आधा किमी अन्दर जाकर बोट से उतरना होगा।

रविवार, 8 जनवरी 2017

Travel to Baratang via Jarawa tribal area पोर्ट ब्लेयर से जरावा आदिमानव क्षेत्र की यात्रा

ऐसी खूबसूरती पूरे अंडमान में बिखरी हुई है।


अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर टापू की दक्षिण दिशा में चिडिया टापू एक सुन्दर स्थान है। जिसे आपने इससे पहले वाले लेख में देखा। आज चलते है नंग धडंग रहने वाले जारवा इंसान की ओर जो आज भी आदिमानव युग की याद दिलाते है। आज की यात्रा जारवा आदिमानव की ओर चलते है। यह आदि मानव युग के आदम और हव्वा की तरह ही अपना जीवन जीते है। इस यात्रा को शुरु से पढना चाहते हो तो यहाँ चटका लगाये और आनन्द ले।
अंडमान निकोबार का JARAWA TRIBAL RESERVE जारवा आदिमानव जनजाति-
आज जो यात्रा होने वाली है वो अन्डमान के सबसे खतरनाक इलाके से होकर जायेगी। अंडमान में एक ऐसी आदिमानव प्रजाति रहती है जो आज भी नंग-धडंग होकर अपना जीवन बिताती है। इस मानव प्रजाति में क्या बच्चा, क्या बडा, क्या लडकी, क्या बुढ्ढी, क्या जवान सबके सब बिन कपडों के रहते है। बिन कपडों के मतलब, तन पर एक भी कपडा धारण नहीं करते है। यहाँ तक की चडडी/निक्कर आदि भी नहीं पहनते है। चलो देखते है, आज इस प्रजाति के दो चार प्राणी हमें दर्शन देंगे या नहीं? इस जनजाति को जारवा (Jarawa) जनजाति के नाम से पुकारा जाता है। ये जिस क्षेत्र में पाये जाते है उसे “JARAWA TRIBAL RESERVE” कहते है। वहाँ बिना अनुमति आम नागरिकों का जाना मना है। हम सरकारी बस से इस इलाके की यात्रा कर रहे है अंडमान की जारवा जनजाति इलाके को पार करने वाली लम्बी दूरी की सरकारी बस के टिकट पहचान पत्र के बिना नहीं दिये जाते है। इसलिये सरकारी बस में यात्रा करने वालों को यह इलाका पार करने के लिये अधिकारियों से पूर्व अनुमति लेनी की आवश्यकता भी नहीं होती है। यदि आप अपने या किराये के वाहन से यहाँ इस चैक पोस्ट से आगे जाओगे तो आपको फार्म पर अपनी पूरी जानकारी भरकर उसके साथ पहचान पत्र की प्रतिलिपि भी साथ लगानी पडेगी। तभी आपको इस इलाके से होकर आगे जाने दिया जा सकता है।

शुक्रवार, 6 जनवरी 2017

Portblair- Chidiya tapu पोर्ट ब्लेयर, चिडिया टापू

चिडिया टापू जाने वाला मार्ग


अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर टापू पर स्थित चिडिया टापू एक सुन्दर स्थान है। चलिये आज उसी ओर चलते है। इस यात्रा को शुरु से यहाँ क्लिक करके ढना आरम्भ करे।

अंडमान निकोबार का चिडिया टापू व उसका सूर्यास्त
आज हमारे पास कई घन्टे का समय खाली है तब तक क्या करे। तीन घन्टे में चिडिया टापू नामक छोटी  लेकिन सुन्दर सी जगह देखी जा सकती है। आज चिडिया टापू का सूर्यास्त देखकर आते है। चिडिया टापू की हमारे होटल से 25 किमी की दूरी थी। जिस ऑटो में हम यहाँ आये थे उससे यह अंदाजा तो हो गया था कि अंडमान में लोकल में घूमना है तो आटो सबसे अच्छा रहेगा। हमने चिडिया टापू तक आने-जाने का आटो 600 रु में तय किया। एक घंटा वहाँ ठहरने का भी शामिल था। हमारा होटल पोर्ट ब्लेयर में था जबकि चिडिया टापू वहाँ से 25 किमी दूर दक्षिण दिशा में समुन्द्र किनारे पर है। हम तीनों आटो में बैठ समुन्द्र किनारे से होते हुए चिडिया टापू चलते है। चिडिया टापू तक पहुँचने वाला मार्ग दिल को खुश कर देता है। सडक ज्यादा चौडी नहीं थी। यदि सामने से एक बस भी आ जाये तो आटो को नीचे उतरना पडेगा। आटो नीचे उतारने की जरुरत ही नहीं पडती होगी। कारण, यहाँ की सडकों पर अपने दिल्ली व अन्य बडे शहरों वाली किच-किच मार धाड नहीं है। नारियल के पेड समुन्द्र किनारे की शोभा तो बढा ही रहे थे। समुन्द्र किनारे मार्ग होने से बम्बई जैसा मरीन ड्राइव जैसा अनुभव हो रहा था। समुन्द्र की लहरे सडक पर ना आये उसे रोकने के लिये एक दीवार भी बनायी गयी थी। जहाँ भी बढिया सा सीन दिखता वही आटो रुकवा दिया जाता। तीनों आटो से बाहर निकल कर कुछ देर टहलते उसके बाद आगे की यात्रा पर चल देते। यदि यहाँ बस में होते तो यह आनन्द उठाने से वंचित रहना पडता। बस अडडे से चिडिया टापू की सीधी बस सेवा है जो प्रत्येक एक घंटे के अंतराल पर चलती है।

गुरुवार, 5 जनवरी 2017

Port Blair- Marina Park, Param Vir Chakra Memorial पोर्ट ब्लेयर- मरीना पार्क-परमवीर चक्र मैमौरियल

समुन्द्र में प्लास्टिक पार्क


अंडमान और निकोबार द्वीप समूह यानि “काला पानी” की धरती पर हम पहुँच चुके है। अब काला पानी में हमने क्या-क्या देखा था उसकी यात्रा करायी जायेगी। इस यात्रा को शुरु से यहाँ क्लिक करके ढना आरम्भ करे।
अंडमान निकोबार में पोर्ट ब्लेयर से यात्रा का आरम्भ (मरीना पार्क का परम वीर चक्र मैमोरियल स्थल)-
पोर्ट ब्लेयर के आसमान से यहाँ की हवाई पटटी देखी, जो ज्यादा बडी नहीं थी। हवाई अडडा समुन्द्र तट के नजदीक ही है। हमारा हवाई जहाज समुन्द्र की ओर से हवाई पटटी पर उतरा। हवाई अडडे से बाहर निकल कर होटल के लिये एक आटो 150 रु में तय किया। हमें यहाँ की ज्यादा जानकारी नहीं थी। हम तीनों ही यहाँ पहली बार आये थे। होटल की ओर जाते समय आटो वाले को, कुछ देर पर्यटक विभाग के कार्यालय रुकने की बात उसको तय करने से पहले ही बोल दी गयी थी। पर्यटक कार्यालय से हमें आगे की डिगलीपुर तक ककई दिन की यात्रा के लिये होटल बुक करने थे। होटल बुक करने के लिये मनु भाई ने 10% की अग्रिम राशि पहले ही online जमा की हुई थी। यदि हमारी यह यात्रा किसी कारणवश नहीं हो पाती तो यह राशि (1500 रु) बेकार चली जाती। होटल के अलावा हमने इस पूरी यात्रा में कोई राशि अग्रिम जमा नहीं की थी। जिस होटल में हम ठहरे थे वो भी मनु भाई ने आनलाइन ही बुक किया था। होटल में कुछ देर आराम करने के बाद अंडमान की सबसे लम्बी बस यात्रा के टिकट बुक करने CENTRAL BUS STAND MOHANPURA पहुँच गये। बस टिकट बुक करने के लिये होटल से 6 किमी दूर जाना पडा। 

बुधवार, 4 जनवरी 2017

Travel plan to Andaman Nikobar islands अंडामान निकोबार यात्रा की तैयारी



अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जिसे आजादी के समय काला पानी की सजा के नाम से जाना जाता था। जी हाँ, अब आपको उसी काले पानी की यात्रा करायी जायेगी। अंडमान द्वीप समूह भारत भूमि से लगभग 1200 किमी की दूरी पर स्थित है। कलकत्ता से  किमी, चैन्नई से किमी, विशाखापटनम (विजाग) से किमी दूरी पर है। यहाँ जाने के लिये तमिलनाडु के चैन्नई (मद्रास) 1190 किमी, पश्चिम बंगाल का कोलकत्ता 1255 किमी, व आंध्रप्रदेश का विशाखापट्टनम (विजाग) 1200 किमी है इस तरह देखा जाये तो अंडमान इन तीनों जगहों से लगभग एक जैसी दूरी पर पडता है। यहाँ जाने के लिये दो मार्ग है पहला व सस्ता मार्ग समुन्द्री यात्रा है। दूसरा वाला हवाई मार्ग महंगा तो है लेकिन समय बचाने वाला हवाई यात्रा मार्ग यहाँ जाने के लिये सबसे उपयुक्त साधन है। कुदरत ने अंडमान को जी भर के खूबसूरती प्रदान की हुई है। जिसे यहाँ के लोगों के रहन-सहन ने अभी तक बचाया हुआ है। यहाँ की आबादी करीब 5 लाख है जिस कारण यहाँ की कुदरती सुन्दरता अभी तक बची हुई है। बम्बई, चैन्नै, दिल्ली या कोलकत्ता की तरह यहाँ की आबादी करोड तक जाने दीजिए फिर देखिये यहाँ सब कुछ कबाडा होते देर नहीं लगेगी। जैसा कि मैंने बताया कि कुदरत ने यहाँ सब कुछ जी भर के दिया है तो उसे देखने के लिये कम से कम 10-15 दिन यहाँ के लिये अवश्य लेकर जाना चाहिए। हमने भी इस यात्रा की योजना 10 दिन के अनुसार बनायी थी। यह यात्रा भारत भूमि से दूर होने के कारण थोडी महंगी पड जाती है इसलिये आमतौर पर अधिक संख्या में घुमक्कड यहाँ नहीं आ पाते है। पर्यटकों को यहाँ बहुतायत संख्या में देखा जा सकता है। यदि यहाँ के लिये आना-जाना थोडा सस्ता पड जाये तो भारत से कई गुणी संख्या में यात्री यहाँ आने के लिये तैयार हो जायेंगे।
अंडमान निकोबार यात्रा की तैयारी व प्रस्थान-
हवाई जहाज के अन्दर ऐसा दिखता है।