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मंगलवार, 14 जून 2016

Dhari Devi Temple धारी देवी मन्दिर

नन्दा देवी राजजात-रुपकुण्ड-मदमहेश्वर-अनुसूईया-रुद्रनाथ-11          लेखक SANDEEP PANWAR
इस यात्रा के सभी लेखों के लिंक नीचे दिये गये है। जिस पर क्लिक करोगे वही लेख खुल जायेगा।
 भाग-01 दिल्ली से हरिद्वार होकर वाण तक, बाइक यात्रा।
भाग-02  वाण गाँव से वेदनी होकर भगुवा बासा तक ट्रेकिंग।
भाग-03  रुपकुण्ड के रहस्मयी नर कंकाल व होमकुन्ड की ओर।
भाग-04  शिला समुन्द्र से वाण तक वापस।
भाग-05  वाण गाँव से मध्यमहेश्वर प्रस्थान।
भाग-06  मध्यमहेश्वर दर्शन के लिये आना-जाना।
भाग-07  रांसी से मंडक तक बाइक यात्रा।
भाग-08  अनुसूईया देवी मन्दिर की ट्रेकिंग।
भाग-09  सबसे कठिन कहे जाने वाले रुद्रनाथ केदार की ट्रेकिंग।
भाग-10  रुद्रनाथ के सुन्दर कुदरती नजारों से वापसी।
भाग-11  धारी देवी मन्दिर व दिल्ली आगमन, यात्रा समाप्त।
नन्दा देवी, मदमहेश्वर, अनुसूईया, रुद्रनाथ,की सफल यात्रा के उपरांत आज दिल्ली घर वापसी करनी है। सगर, गोपेश्वर से दिल्ली की दूरी करीब 450 किमी है इतनी लम्बी यात्रा पर सुबह जल्दी निकलना सही रहता है। सगर गाँव के पास भालू का डर नहीं होता तो मैं सुबह 5 बजे ही निकल पडता। मंडल से सुबह 5 बजे एक सीधी बस है जो चमोली, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग, ऋषिकेश होकर देहरादून तक जाती है। होटल मालिक ने सलाह दी थी कि सुबह सडक पर भालू या बाघ मिल सकता है इसलिये उजाला होने के बाद ही निकलना। यदि उजाला होने से पहले निकलना जरुरी हो तो देहरादून वाली बस के पीछे रहना, जब उजाला हो जाये तब भले ही आगे निकल जाना। मैं सुबह 05 बजे तैयार हो गया था। बाइक पर सामान बाँध दिया था। ठीक 05:30 पर देहरादून वाली बस आयी तो मैं उसके पीछे-पीछे अपनी नीली परी दौडा दी। बाइक फिसलने से हैंडिल तिरछा हो गया था उसे कल शाम ठीक कर लिया था। इसलिये अब हैंडिल की भी कोई दिक्कत नहीं थी। गोपेश्वर से पहले ही उजाला हो गया था। फिर भी गोपेश्वर तक मैं बस के पीछे ही चला। गोपेश्वर में बस सवारियाँ लेने रुकी तो मैं उससे आगे निकल गया। इसके बाद वो बस ऋषिकेश तक मुझसे आगे नहीं निकली।

सोमवार, 13 जून 2016

Return from Rudranath kedar Trek रुद्रनाथ केदार ट्रैक से वापसी

नन्दा देवी राजजात-रुपकुण्ड-मदमहेश्वर-अनुसूईया-रुद्रनाथ-1         लेखक SANDEEP PANWAR

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 भाग-01 दिल्ली से हरिद्वार होकर वाण तक, बाइक यात्रा।
भाग-02  वाण गाँव से वेदनी होकर भगुवा बासा तक ट्रेकिंग।
भाग-03  रुपकुण्ड के रहस्मयी नर कंकाल व होमकुन्ड की ओर।
भाग-04  शिला समुन्द्र से वाण तक वापस।
भाग-05  वाण गाँव से मध्यमहेश्वर प्रस्थान।
भाग-06  मध्यमहेश्वर दर्शन के लिये आना-जाना।
भाग-07  रांसी से मंडक तक बाइक यात्रा।
भाग-08  अनुसूईया देवी मन्दिर की ट्रेकिंग।
भाग-09  सबसे कठिन कहे जाने वाले रुद्रनाथ केदार की ट्रेकिंग।
भाग-10  रुद्रनाथ के सुन्दर कुदरती नजारों से वापसी।
भाग-11  धारी देवी मन्दिर व दिल्ली आगमन, यात्रा समाप्त।
हल्की–हल्की बारिश होने लगी तो मैंने बैग रखने के बारे में बोला। पुजारी जी ने अपने सेवक से एक कमरा खोलने को कहा। सेबक हमें लेकर एक कमरे के सामने पहुँचा। कमरे की बाहर से कुन्डी लगी हुई थी। सेवक ने कमरा खोलने के बाद कहा। आप अपना सामान रखकर थोडी देर में आ जाना। मैं और पुजारी जी शाम की पूजा की तैयारी करने वाले है। थोडी देर में शंख की आवाज सुनकर हम कमरे से बाहर निकले। कमरा ज्यादा बडा नहीं था। उसमें पूरी तरह खडा नहीं हुआ जा रहा था। जूते निकाल कर चप्पत पहन ली। कमरे से बाहर निकलते ही जबरस्त ठन्ड का अहसास हो गया। कुछ देर पहले तक सूरज निकला हुआ था तो पता नहीं लग पा रहा था सूरज गायब तो ठन्ड का प्रकोप शुरु। गर्म चददर निकाल कर ओढ ली।

रविवार, 12 जून 2016

Rudranath kedar Trek रुद्रनाथ केदार ट्रैक

नन्दा देवी राजजात-रुपकुण्ड-मदमहेश्वर-अनुसूईया-रुद्रनाथ-09           लेखक SANDEEP PANWAR
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 भाग-01 दिल्ली से हरिद्वार होकर वाण तक, बाइक यात्रा।
भाग-02  वाण गाँव से वेदनी होकर भगुवा बासा तक ट्रेकिंग।
भाग-03  रुपकुण्ड के रहस्मयी नर कंकाल व होमकुन्ड की ओर।
भाग-04  शिला समुन्द्र से वाण तक वापस।
भाग-05  वाण गाँव से मध्यमहेश्वर प्रस्थान।
भाग-06  मध्यमहेश्वर दर्शन के लिये आना-जाना।
भाग-07  रांसी से मंडक तक बाइक यात्रा।
भाग-08  अनुसूईया देवी मन्दिर की ट्रेकिंग।
भाग-09  सबसे कठिन कहे जाने वाले रुद्रनाथ केदार की ट्रेकिंग।
भाग-10  रुद्रनाथ के सुन्दर कुदरती नजारों से वापसी।
भाग-11  धारी देवी मन्दिर व दिल्ली आगमन, यात्रा समाप्त।
रुद्रनाथ भगवान भोले नाथ के पंच केदार में सबसे कठिन केदार माने जाते है। मैंने भी इसके बारे में बहुत सुना था यहाँ तक पहुँचना बहुत कठिन है। रात को सगर गाँव के सोनू गेस्ट हाऊस में ठहरा था। इस बार रुपकुन्ड यात्रा के बाद यहाँ आया हूँ। दो साल पहले मैं और मनु रुपकुन्ड यात्रा के बाद यहाँ रुद्रनाथ की यात्रा करने के लिये आये थे लेकिन दो दिन पहले रुद्रनाथ के कपाट बन्द हो गये थे तो हम दोनों वापिस लौट गये थे। रुद्रनाथ के बाद मेरा कल्पेश्वर केदार व काठमांडू का मुख्य केदार बचता है। कुछ लोग काठमांडू वाले मन्दिर को पंच केदार में नहीं मानते है जबकि देखा जाये तो असली केदार तो वही है जहाँ भोलेनाथ का चेहरा धरा से बाहर निकलना था। सोनू गेस्ट हाऊस के मालिक अवकाश प्राप्त फौजी है। उन्होंने सेना से रिटायरमेंट के बाद यह रेस्ट हाऊस बनाया था। यहाँ भी उन्होंने मुझसे मात्र 100 रु किराया लिया। व 50 रु खाने के लिये। मैंने कहा, सीजन कैसा जा रहा है उन्होंने बताया कि इस सीजन में किसी-किसी दिन तो एक भी यात्री रुद्रनाथ के लिये नहीं जाता है। केदारनाथ हादसे के बाद अभी तक यात्री पहाड पर आने में हिचक रहे है। कोई नहीं, भारत के लोग किसी घटना को ज्यादा दिनों तक याद नहीं रखते है जल्द ही लोग यहाँ जुटने लगेंगे। सुबह उजाला होने की आहट मिलते ही मैंने रुद्रनाथ की कठिन कही जाने वाली पद यात्रा की शुरुआत कर दी।

शनिवार, 11 जून 2016

Anusuya Devi and Atri Muni Ashram अनुसूईया देवी, अत्रि मुनि मन्दिर

नन्दा देवी राजजात-रुपकुण्ड-मदमहेश्वर-अनुसूईया-रुद्रनाथ-08           लेखक SANDEEP PANWAR
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 भाग-01 दिल्ली से हरिद्वार होकर वाण तक, बाइक यात्रा।
भाग-02  वाण गाँव से वेदनी होकर भगुवा बासा तक ट्रेकिंग।
भाग-03  रुपकुण्ड के रहस्मयी नर कंकाल व होमकुन्ड की ओर।
भाग-04  शिला समुन्द्र से वाण तक वापस।
भाग-05  वाण गाँव से मध्यमहेश्वर प्रस्थान।
भाग-06  मध्यमहेश्वर दर्शन के लिये आना-जाना।
भाग-07  रांसी से मंडक तक बाइक यात्रा।
भाग-08  अनुसूईया देवी मन्दिर की ट्रेकिंग।
भाग-09  सबसे कठिन कहे जाने वाले रुद्रनाथ केदार की ट्रेकिंग।
भाग-10  रुद्रनाथ के सुन्दर कुदरती नजारों से वापसी।
भाग-11  धारी देवी मन्दिर व दिल्ली आगमन, यात्रा समाप्त।
खैर रोमांचक जंगल सफारी भी समाप्त हुई। मंडल पहुँचने के बाद चाय की दुकन के आगे बाइक रोकी। उससे अनुसूईया देवी मन्दिर जाने वाले मार्ग के बारे में पूछा। चाय वाले ने (माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी नहीं समझ लेना) बताया कि यहाँ से थोडा सा पहले ऊपर की तरफ एक कच्चा मार्ग जाता हुआ दिखायी देगा। उस पर एक किमी तक बाइक चली जायेगी। एक किमी के बाद एक नदी आयेगी जहाँ से आगे की 5 किमी की यात्रा पैदल ही करनी होगी। 5 किमी में से चढाई वाले कितने किमी है। शुरु के आधे तो हल्के से ही है जबकि आखिरी का आधा भाग अच्छा खासा है। मैंने 10 किमी की ट्रेकिंग में आने जाने में 3-4 घन्टे का समय माना। बाइक का तो ताला लग जायेगा। लेकिन मेरा बैग व अन्य सामान कहाँ छोड कर जाऊँ? मैंने चाय वालो को एक गिलास दूध मीठा करने के लिये बोला। जब तक उसने दूध मीठा किया मैंने बाइक से सामान खोलकर उसकी दुकान में रख दिया। दुकान वाले ने बताया कि यदि रात को ऊपर रुकने का मन हो तो रुक जाना वहाँ रहने-खाने की कोई चिंता नहीं है सब इन्तजाम है। आपकी दुकान कब से कब तक खुलती है? उसने बताया कि अंधेरा होने पर मेरी दुकान बन्द होती है।

शुक्रवार, 10 जून 2016

Madhyamaheshwar kedar to Anusuiya Devi मध्यमहेश्वर केदार से अनुसूईया देवी

नन्दा देवी राजजात-रुपकुण्ड-मदमहेश्वर-अनुसूईया-रुद्रनाथ-07           लेखक SANDEEP PANWAR
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 भाग-01 दिल्ली से हरिद्वार होकर वाण तक, बाइक यात्रा।
भाग-02  वाण गाँव से वेदनी होकर भगुवा बासा तक ट्रेकिंग।
भाग-03  रुपकुण्ड के रहस्मयी नर कंकाल व होमकुन्ड की ओर।
भाग-04  शिला समुन्द्र से वाण तक वापस।
भाग-05  वाण गाँव से मध्यमहेश्वर प्रस्थान।
भाग-06  मध्यमहेश्वर दर्शन के लिये आना-जाना।
भाग-07  रांसी से मंडक तक बाइक यात्रा।
भाग-08  अनुसूईया देवी मन्दिर की ट्रेकिंग।
भाग-09  सबसे कठिन कहे जाने वाले रुद्रनाथ केदार की ट्रेकिंग।
भाग-10  रुद्रनाथ के सुन्दर कुदरती नजारों से वापसी।
भाग-11  धारी देवी मन्दिर व दिल्ली आगमन, यात्रा समाप्त।
3 बजे नून चट्टी पहुँच गया। यहाँ कुछ देर रुक गया। दो परांठे बनवा कर खाये गये। साढे 5 बजे बनतोली पहुँचा। बनतोली में पवाँर रेस्ट हाऊस वालों के यहाँ मेरे कमरे के बराबर में ठहरे बंगाली परिवार वाले मिले। मुझे देखकर बोले अरे तुम वापिस भी आ गये। हाँ ज्यादा कठिन नहीं है। कठिन है हम तो 10 बजे से चलकर अभी आधा घन्टा पहले ही यहाँ आये है। हो सकता है परिवार के साथ, छोटे बच्चों के साथ अठिन हो लेकिन अकेले इन्सान के लिये यह कठिन नहीं है। आप अपने साथ एक पोर्टर लाये है उससे पूछो वह दिन भर में एक चक्कर आसानी से लगा सकता है। कुछ देर उनके पास बैठकर आराम मिला। अब आगे चढाई भी चढनी है अभी 6 किमी से ज्यादा यात्रा बाकि है देखते है अंधेरा कहाँ होता है। घने जंगल में सामने से आते हुए कई ग्रामीण मिले। वे सब यही बोल रहे थे तेजी से चलते रहो नहीं तो जंगल में अंधेरा हो जायेगा। अंधेरा 50 फुट वाली सीढियों पर हो गया था। इसलिये टार्ज निकालनी पडी। ठीक साढे 7 बजे रांसी पहुँच गया।

गुरुवार, 9 जून 2016

Madhyamaheshwar kedar trek मध्यमहेश्वर केदार ट्रैक

नन्दा देवी राजजात-रुपकुण्ड-मदमहेश्वर-अनुसूईया-रुद्रनाथ-06           लेखक SANDEEP PANWAR
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 भाग-01 दिल्ली से हरिद्वार होकर वाण तक, बाइक यात्रा।
भाग-02  वाण गाँव से वेदनी होकर भगुवा बासा तक ट्रेकिंग।
भाग-03  रुपकुण्ड के रहस्मयी नर कंकाल व होमकुन्ड की ओर।
भाग-04  शिला समुन्द्र से वाण तक वापस।
भाग-05  वाण गाँव से मध्यमहेश्वर प्रस्थान।
भाग-06  मध्यमहेश्वर दर्शन के लिये आना-जाना।
भाग-07  रांसी से मंडक तक बाइक यात्रा।
भाग-08  अनुसूईया देवी मन्दिर की ट्रेकिंग।
भाग-09  सबसे कठिन कहे जाने वाले रुद्रनाथ केदार की ट्रेकिंग।
भाग-10  रुद्रनाथ के सुन्दर कुदरती नजारों से वापसी।
भाग-11  धारी देवी मन्दिर व दिल्ली आगमन, यात्रा समाप्त।
रांसी में जिस जगह मैंने रात बितायी थी। उनके घर के सामने ही बस खडी होती है यहाँ से बस रुद्रप्रयाग, हरिद्वार व ऋषिकेश के लिये चलती है। रांसी से मदमहेश्वर की दूरी करीब 16 किमी है रात में ही मैंने तय कर लिया था कि सुबह उजाला होने से पहले चल दूंगा। ताकि अंधेरा होने तक वापसी आने की उम्मीद बन सके। सुबह उजाला होने से पहले गोंडार के लिये चल दिया। रांसी से गोंडार तक, शुरु के एक किमी कच्ची सडक है। जिस पर जगह-जगह पत्थर पडे हुए थे कही जगह भूस्खलन के कारण मार्ग बन्द जैसा दिखता था लेकिन पैदल यात्री के लिये कोई समस्या नहीं थी। चौडी कच्ची सडक जहाँ समाप्त होती है वहाँ से कुछ आगे तक पहाड काटा हुआ है। करीब दो किमी बाद एक जगह से अचानक पगडन्डी गायब हो जाती है। यहाँ एक झोपडी बनी हुई है। अब पगडन्डी समानतर न होकर अचानक नीचे खाई में जाती हुई दिखायी दी। यहाँ सीढियाँ बनी हुई है जिस पर करीब 50 फुट नीचे उतरना पडा। सीढियों के समाप्त होते ही एक बार फिर समतल सी पगडन्डी आ गयी। सुबह जब से चला था तब से लगातार ढलान पर उतर रहा था। यह ढलान वापसी में रुलायेगी। सीढियों के समाप्त होते ही घनघोर जंगल भी शुरु हो जाता है। घनघोर जंगल में अकेले होने पर मन में डर सा बना रहता है कि कोई भालू-वालू ना टकरा जाये।

शनिवार, 4 जून 2016

Vaan to Madhyamaheshwar kedar trek वाण गाँव से मध्यमहेश्वर केदार यात्रा

नन्दा देवी राजजात-रुपकुण्ड-मदमहेश्वर-अनुसूईया-रुद्रनाथ-05           लेखक SANDEEP PANWAR

इस यात्रा के सभी लेखों के लिंक नीचे दिये गये है। जिस पर क्लिक करोगे वही लेख खुल जायेगा।
 भाग-01 दिल्ली से हरिद्वार होकर वाण तक, बाइक यात्रा।
भाग-02  वाण गाँव से वेदनी होकर भगुवा बासा तक ट्रेकिंग।
भाग-03  रुपकुण्ड के रहस्मयी नर कंकाल व होमकुन्ड की ओर।
भाग-04  शिला समुन्द्र से वाण तक वापस।
भाग-05  वाण गाँव से मध्यमहेश्वर प्रस्थान।
भाग-06  मध्यमहेश्वर दर्शन के लिये आना-जाना।
भाग-07  रांसी से मंडक तक बाइक यात्रा।
भाग-08  अनुसूईया देवी मन्दिर की ट्रेकिंग।
भाग-09  सबसे कठिन कहे जाने वाले रुद्रनाथ केदार की ट्रेकिंग।
भाग-10  रुद्रनाथ के सुन्दर कुदरती नजारों से वापसी।
भाग-11  धारी देवी मन्दिर व दिल्ली आगमन, यात्रा समाप्त।
अपनी बाइक नीली परी के पास चलते है। तीन दिन हो गये। उसके दर्शन नहीं हुए। बेचारी नीली परी नीचे सडक किनारे सुनसान अकेली खडी होगी। बाइक जैसी छोडकर गया था ठीक वैसी ही खडी थी। पहाडों में वैसे भी छेडछाड की घटना कम ही होती है। कुछ खुराफाती बाइकों से पैट्रोल निकाल लेते है। इसलिये पहाड में ध्यान से देखोगे तो आपको पहाड की अधिकतर बाइकों में पैट्रोल टंकी के नीचे ताला मिलेगा। टंकी के नीचे जहाँ से तेल रिजर्व लगता है या बन्द किया जाता है उसी में ताले का प्रबन्ध किया जाता है। जिसके बाद चाबी से ही तेल बन्द या रिजर्व लग पाता है। बाइक से चाबी निकालोगे तो तेल बन्द हो जाता है। इसका लाभ यह होता है बाइक से तेल चोरी होने की सम्भावना समाप्त हो जाती है। आज मेरा इरादा मदमहेश्वर के आधार स्थल रांसी से आगे के गाँव तक बाइक से पहुँचने का था। इसलिये अंदाजा लगाया कि सुबह 9 बजे भी वाण से चलूँगा तो आराम से अंधेरा होने से पहले रांसी पहुँच जाऊँगा।


Roop kund trek- Shilasamundra to Vaan रुपकुण्ड ट्रैक- शिला समुन्द्र से वाण गाँव तक

नन्दा देवी राजजात-रुपकुण्ड-मदमहेश्वर-अनुसूईया-रुद्रनाथ-04           लेखक SANDEEP PANWAR
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 भाग-01 दिल्ली से हरिद्वार होकर वाण तक, बाइक यात्रा।
भाग-02  वाण गाँव से वेदनी होकर भगुवा बासा तक ट्रेकिंग।
भाग-03  रुपकुण्ड के रहस्मयी नर कंकाल व होमकुन्ड की ओर।
भाग-04  शिला समुन्द्र से वाण तक वापस।
भाग-05  वाण गाँव से मध्यमहेश्वर प्रस्थान।
भाग-06  मध्यमहेश्वर दर्शन के लिये आना-जाना।
भाग-07  रांसी से मंडक तक बाइक यात्रा।
भाग-08  अनुसूईया देवी मन्दिर की ट्रेकिंग।
भाग-09  सबसे कठिन कहे जाने वाले रुद्रनाथ केदार की ट्रेकिंग।
भाग-10  रुद्रनाथ के सुन्दर कुदरती नजारों से वापसी।
भाग-11  धारी देवी मन्दिर व दिल्ली आगमन, यात्रा समाप्त।
शिला समुन्द्र से वापसी में मुझे जुरां गली (जुनार गली) तक ही चढाई चढनी थी जुनार गली के बाद तो वाण तक उतराई ही उतराई है। वो मार्ग देखा हुआ भी है। मैं रात को 10 बजे तक भी वाण पहुँच ही जाऊँगा। सुबह 9 बजे जुनार गली से यहाँ के लिये उतरा था वापसी में जुनार गली तक पहुँचने में 11:45 हो गये। ठीक 12:00 बजे रुपकुन्ड पहुँचा। अब यहाँ काफी लोग थे। मैं कही नहीं रुका। रुपकुन्ड चढने में मुझे समस्या नहीं आयी लेकिन यहाँ से उतरने में कई बार बैठकर उतरना पडा। दो तीन जगह फिसलने वाला मार्ग था जिस पर चढते समय बन्दा आसानी से चढ जाता है लेकिन उतराई में गिरकर चोट लगने का खतरा बन जाता है। 12:35 मिनट पर चिडिया नाग नमक जगह पहुँचा। चिडिया नाग से आगे मार्ग आसान हो जाता है। भगुवा बासा पहुँचकर समय देखा 01:29 मिनट हो गये थे। कलुवा विनायक 2 वजे तक पार हो गया। आज खोपडी खराब थी। भूख भी नहीं लगी थी। इसलिये कही रुककर क्या करना था। पातर नचौनी 3 बजे तक पहुँच गया। वेदनी पहुँचते-पहुँचते शाम के 04:30 बज गये। जिस दुकान पर कल चावल खाये थे। सोचा कि सुबह से खाली पेट हूँ कुछ बना होगा तो खा लूँ। दुकान वाला बोला पराँठे रखे है उसने पराँठे दिखाये वो शायद दोपहर के बने हुए थे। उन्हे देखकर भूख भी गायब हो गयी।

Trek to Roopkund lake's skeleton mystery रुपकुण्ड झील के रहस्यमयी नर कंकाल का ट्रैक

नन्दा देवी राजजात-रुपकुण्ड-मदमहेश्वर-अनुसूईया-रुद्रनाथ-03           लेखक SANDEEP PANWAR

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भाग-03  रुपकुण्ड के रहस्मयी नर कंकाल व होमकुन्ड की ओर।
भाग-04  शिला समुन्द्र से वाण तक वापस।
भाग-05  वाण गाँव से मध्यमहेश्वर प्रस्थान।
भाग-06  मध्यमहेश्वर दर्शन के लिये आना-जाना।
भाग-07  रांसी से मंडक तक बाइक यात्रा।
भाग-08  अनुसूईया देवी मन्दिर की ट्रेकिंग।
भाग-09  सबसे कठिन कहे जाने वाले रुद्रनाथ केदार की ट्रेकिंग।
भाग-10  रुद्रनाथ के सुन्दर कुदरती नजारों से वापसी।
भाग-11  धारी देवी मन्दिर व दिल्ली आगमन, यात्रा समाप्त।
रुपकुन्ड के कंकाल देखने के लिये दुनिया भर से लोग आते है। इन कंकाल के यहाँ होने के पीछे की असली कहानी किसी को नहीं मालूम। यहाँ के बारे में कई कहानियाँ प्रचित है। मुझे उन कहानियों से कोई मतलब नहीं है। मेरे सामने जो कपाल खोपडी दिख रही है जिसका फोटो इस लेख में लगाया गया है उसे ध्यान से देखे तो पता लगता है उसके माथे पर चोट का निशान है। यह चोट का निशाना कैसे बना यह रहस्य की बात है। रुपकुन्ड झील में मुझे काफ़ी पानी दिख रहा है जिसमें पानी के ठीक ऊपर बहुत सारी हड्डियाँ भी मिटटी के बाहर निकली हुई दिख रही है। कुछ हड्डियाँ तो फोटो लेने वालों ने निकाल कर बाहर रखी हुई है। इन हड्डियों के बीच एक चमडे की बडी चप्पल भी दिखायी देती है उसे ध्यान से देखे तो आज के दौर की नहीं लगती है यह चप्पल कई सौ साल पुरानी है। यहाँ जिन लोगों के अवशेष बिखरे हुए है उनके साथ असलियत में क्या घटना हुई होगी। यह जानना थोडा मुश्किल है। जितने मुँह उतनी बाते रुपकुन्ड के कंकाल के बारे में सुनने को मिलते है। कुछ तो वेदनी से आगे वाले पडाव घोडा लौटनी व पत्थर नाचनी को भी इन्ही कंकाल से जोड रहे है कि खैर मैं कहानी के चक्कर में नहीं पड रहा हूँ। यहाँ रुपकुन्ड में मुझे आये हुए आधा घन्टा हो चुका है अभी मेरी मंजिल रुपकुन्ड से आगे वाले पहाड पर है उसके लिये पहले जुनार गली तक पहुँचना होगा।


शुक्रवार, 3 जून 2016

Nanda Devi Rajjat Yatra 2014, Part-2 नन्दा देवी राज जात यात्रा सन 2014- भाग 2

नन्दा देवी राजजात-रुपकुण्ड-मदमहेश्वर-अनुसूईया-रुद्रनाथ-02           लेखक SANDEEP PANWAR
इस यात्रा के सभी लेखों के लिंक नीचे दिये गये है। जिस पर क्लिक करोगे वही लेख खुल जायेगा।
 भाग-01 दिल्ली से हरिद्वार होकर वाण तक, बाइक यात्रा।
भाग-02  वाण गाँव से वेदनी होकर भगुवा बासा तक ट्रेकिंग।
भाग-03  रुपकुण्ड के रहस्मयी नर कंकाल व होमकुन्ड की ओर।
भाग-04  शिला समुन्द्र से वाण तक वापस।
भाग-05  वाण गाँव से मध्यमहेश्वर प्रस्थान।
भाग-06  मध्यमहेश्वर दर्शन के लिये आना-जाना।
भाग-07  रांसी से मंडक तक बाइक यात्रा।
भाग-08  अनुसूईया देवी मन्दिर की ट्रेकिंग।
भाग-09  सबसे कठिन कहे जाने वाले रुद्रनाथ केदार की ट्रेकिंग।
भाग-10  रुद्रनाथ के सुन्दर कुदरती नजारों से वापसी।
भाग-11  धारी देवी मन्दिर व दिल्ली आगमन, यात्रा समाप्त।
इससे पहले मैं वाण से रुपकुन्ड की यात्रा का वर्णन करुँ। यह बताना आवश्यक है कि अब वाण तक पक्की सडक बन चुकी है इसका लाभ मैंने दोनों यात्राओं में उठाया था। दो साल पहले 2012 वाली यात्रा के समय लोहाजंग से वाण वाली सडक पक्की नहीं थी। अब राज जात यात्रा के समय यह सडक पक्की बना दी गयी है। पहले वाण गाँव तक बिजली भी नहीं थी अब बिजली के खम्बे भी दिखायी दे रहे थे। पहले वाले लेख में आपको बताया ही जा चुका है कि यह यात्रा कहाँ से आरम्भ होती है। नन्दा देवी राजजात लगभग 280 किमी की पद यात्रा होती है। यह उत्तराखण्ड की सबसे लम्बी पद यात्रा है। यह यात्रा वैसे तो 12 साल बाद होमकुन्ड तक जाती है लेकिन वाण आकर पता लगा कि इस यात्रा का एक छोटा रुप हर साल वेदनी कुन्ड तक आता है। 12 साल वाली राज जात यात्रा कहलाती है जो वेदनी बुग्याल व वेदनी कुन्ड से आगे रुपकुन्ड, शिलासमुन्द्र होकर होमकुन्ड तक जाती है। अब चलते है अपने यात्रा लेख पर.... बारिश रुकने के बाद मैं वाण से वेदनी की पैदल यात्रा शुरु कर पाया। वाण गाँव से ही जबरदस्त चढाई आरम्भ हो जाती है। शुरु के लगभग ढाई- तीन किमी की रणकाधार तक की चढाई आबादी के बीच से होकर चलती है। इसके बाद लगभग एक किमी हल्की हल्की उतराई है जो नील गंगा नाम की नदी के पुल तक बनी रहती है। इस पुल से आगे पीने का पानी एक दो जगह ही मिलता है इसलिये यदि बरसात के मौसम के बाद यहाँ जाना हो तो अपनी पानी की बोतले यहाँ नदी की छोटी सी जल धारा से भरना ना भूले।