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बुधवार, 27 नवंबर 2013

BENEFITS OF BICYCLE/ Cycling पैड़ल साईकिल चलाने के लाभ

SANDEEP PANWAR
दोस्तों अब तक आपने मुझे अधिकतर मोटर बाइक की यात्रा करते हुए ही देखा है, जबकि आप यह भी जानते ही है कि मुझे अपनी सेहत बनाये रखने के लिये पैड़ल साईकिल चलाना सबसे अच्छा लगता है मैं अपनी दैनिक यात्रा में मोटर बाइक का प्रयोग बहुत ही जरुरी कार्य के लिये करता हूँ मेरी नीली परी को स्टार्ट किये कभी-कभी तो महीना भर से ज्यादा भी हो जाता है। वैसे मैंने पैड़ल साईकिल से अब तक कुछ गुनी चुनी लम्बी यात्राएँ ही की है जैसे दिल्ली से शाकुम्बरी माता (सहारनपुर से आगे), देहरादून के आसपास के सारे दर्शनीय स्थल भी मैंने साईकल पर ही देख ड़ाले थे। लोनी से सोनीपत व लोनी से बहादुरगढ़ व लोनी से पालम हवाई अडड़े तक साईकल यात्रा बहुत सालों पहले कर चुका हूँ। आज से कोई 20-22 साल पहले एक बन्दे को आम साईकिल (बिना गियर) से भारत के पहाड़ी राज्यों के भ्रमण करते हुए एक अखबार से जरिये पता लगा था। आजकल तो लोग साईकिल में भी गियर का लाभ उठाते है जबकि मेरी पसन्द साधारण साईकिल ही है। कुछ दोस्त कहते है कि चलों संदीप भाई साईकिल से लम्बी यात्रा करने चलते है। उन्हें मेरा जवाब होता है अभी साईकिल से यात्रा करने का समय नहीं है क्योंकि साईकिल से यात्रा करने में खर्चा व समय ज्यादा लगता है मैं अभी इन दोनों चीजों को बचाना चाहता हूँ। वैसे साईकिल से एक धमाकेदार चक्कर लगाने की इच्छा जरुर है, लेकिन अभी नहीं? लेकिन कब? यह किसी को बताना भी नहीं है। 
फ़ोटो नेट की देन है।

मेरे साथ कार्यरत कई लोग भले ही साईकिल चलाने को लेकर मेरे बारे में कुछ भी समझते हो, उससे मुझपर कोई फ़र्क नहीं पड़ता है। कई साथी तो साईकिल को स्टेटस से जोड़कर देखते है। लोग महँगे जिमों में जाकर मशीनों पर घन्टों व्यायाम करते है। जबकि मेरे जैसे कंजूस लोग साईकिल चलाकर सेहत और पैसा दोनों बनाते है। यह बचाया गया पैसा मेरे घुमक्कड़ी करने में काम आता है। मैंने आज से 5-6 साल पहले लगभग पूरे एक साल तक कार्यालय आने जाने में एक बार भी साईकिल का उपयोग नहीं किया तो उस एक साल में मेरा वजन 8 किलो बढ़ गया था। उसी दौरान मेरा वैष्णों देवी जाना हुआ था वहाँ वापसी की यात्रा में मेरे घुटने में दर्द होने से मैंने उसी समय ठान लिया था अब दैनिक जीवन में साईकिल के अलावा और किसी वाहन का प्रयोग नहीं करुँगा। उसके बाद मैंने कार्यालय आने-जाने में कभी भी मोटर बाइक का प्रयोग नहीं किया।

जैसा कि ऊपर वाले चित्र में दर्शाया गया है कि साईकिल चलाने से कितना लाभ होता है, मेरे जैसे महाकंजूस के लिये इससे अच्छा साधन कोई दूसरा हो ही नहीं सकता है। मैं लगभग 1988 से साइकिल चलाता आ रहा हूँ। मेरा साईकिल चलाने का मासिक औसत लगभग 500 किमी भी माना जाये तो मैं बीते 25 साल में लगभग (500 गुणा 12 ) 6000 किमी सालाना की दर से बैठता है अब इसे 25 साल से गुणा करते है तो 6000*25=1,50,000 बनता है। इसमें से अवकाश के 10000-15000 हजार किमी घटाता है तो भी यह आंकड़ा किसी भी हालत में सवा लाख (1,25,000) से ज्यादा ही बैठता है। हमारे पडौस में रहने वाले एक बन्धु हर साल दिल्ली से कटरा तक अपनी आम साधारण साईकिल से ही मात्र 7-8 दिन में वैष्णों देवी दर्शन सहित आना-जाना कर लेते है। यही बन्धु बीते कुछ वर्षों तक हिमाचल की सभी नौ देवियाँ की साईकिल यात्रा अपनी साधारण साईकिल से ही करते आये है। कुछ दिन पहले ही यह अपनी इस साल की साईकिल यात्रा से आये तो मुझे यह लिखने की प्ररेणा मिली।

साईकिल नियमित चलाने से शरीर को कई लाभ होते है। दिल की बीमारी होने की सम्भावना बेहद कम रहती है। शरीर में फ़ालतू का मोटापा जमा ही नहीं हो पाता है, मांसपेशियाँ मजबूत होती है। यदि किसी को हो तो घुटने के दर्द में कमी आती है। मधुमेह की सम्भावना क्षीण हो जाती है। शारीरिक थकावट होने से अच्छी नीन्द आती है। साईकिल चलाने से सेहत पर नकारात्मक प्रभाव होने के बारे में नहीं सुना गया है। लेकिन सड़क पर चलते समय घोर लापरवाही बरतने से सड़क हादसों में साईकिल सवार सबसे ज्यादा घायल होते है। अधिक साईकिल चलाने से गुप्तांग में परेशानी होने लगती है। साईकिल चलाने से फ़ेफ़ड़े मजबूत हो जाते है, पैरों की पिंड़लियों की मांसपेशियों और जांघ भी मजबूत बनती है जिससे पहाडों पर ट्रेकिंग करने में आसानी रहती है। चिकित्सक तो कहते है कि प्रतिदिन मात्र 5-7 किमी की साईकिलिंग ही सेहत बनाये रखने के लिये काफ़ी है। शरीर से साईकिल चलाने से काफ़ी कैलोरी खर्च हो जाती है।

साईकिल चलाने में हो सके तो बिना गियर वाली आम साईकिल प्रयोग करनी चानी चाहिए। गियर का प्रयोग होने से शरीर को काफ़ी आराम मिलता है जिससे कैलोरी कम खर्च होती है। आपमें से बहुत ने बचपन में तो खूब साईकिल चलायी होगी लेकिन जवान होने पर मोटर बाइक या कार लेते ही साईकिल को राम-राम कह दिया होगा। जैसा कि मैं पहले ही बता चुका हूँ कि कुछ लोग साईकिल को अपने स्टेटस से जोड़कर देखते है। ऐसे लोग जिम में जाकर पैसे व समय खराब कर देंगे लेकिन साईकिल नहीं चलायेंगे। अगर आपके अन्दर स्टेट्स वाली बीमारी नहीं है तो एक बार अपने पुराने बचपन के दिन याद करिये और आज से ही साईकिल चलानी पुन: आरम्भ कर दीजिए।

साईकिल चलाने को अपने स्टेट्स से ना जोडिये। साईकिल चलाने से आपका मैटाबॉलिज्म बढ़ता है साईकिल चलाते हुए थकान महसूस करते है तो बीच में थोड़ा विश्राम करते रहे, लम्बी मंजिल आसानी से कट जायेंगी। साईकिल चलाते समय मोटर बाइक व कार की तुलना में हमारी गति बहुत कम होती है जिससे हम बाहर के नजारे आसानी से देखते हुए चलते रहते है। ताजी हवा और मौसम का महसूस करना साईकिल या मोटर बाइक पर ही हो सकता है। सड़क पर सुबह व शाम के समय ताजी हवा हमें बहुत सुकून देती है जिससे हमारा मूड़ मस्त रहता है। साईकिल चलाने वालों को आसानी से बीमारियाँ भी नहीं घेर पाती है। अगर कहे कि साईकिल चलाने से प्रतिरक्षी तंत्र मजबूत होता है तो कुछ गलत नहीं होगा।

आजकल दो तरह की साईकिल बाजार में मिलती है एक पुराने मॉड़ल वाली आम साईकिल जो मेरी पसन्द है दूसरी रेंजर माड़ल गियर वाली साईकिल सिर्फ़ पहाड़ों पर चढ़ने में मददगार होती है जबकि इन साईकिलों में शारीरिक आराम नाम मात्र का होता है। इनमें आयी खराबी ठीक करना भी इतना आसान नहीं होता है। हर जगह इसका सामान भी उपलब्ध नहीं होता है। घर पर पूरी तरह ठीक करना भी आसान नहीं है। जबकि आम साधारण साईकिल जिसे हम काला घोड़ा कहते है यह लम्बी दूरी तय करने में ज्यादा परेशानी नहीं करती है। इसे ठीक करना भी बेहद ही आसान होता है इसके मिस्त्री लगभग हर छोटे-मोटे शहर व गाँव में मिल जाते है। इसका सामान भी हर दुकान पर आसानी से मिल जाता है। इस प्रकार की साईकिल को ठीक कराने के बाद महीनों तक किसी मरम्मत की आवश्यकता ही नहीं पड़ती है। सामान लादने के मामले में इसका कोई तोड़ गियर वाली साईकिल में नहीं है।

फ़ोटो नेट की देन है।



13 टिप्‍पणियां:

  1. Bhyi chaudhry shaab... tamne cycile ib deela hee di........ham bhi bhiya thaari umar ke hee ho rahe hai....par thari fitness kaa jawab nahi...

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  2. बहुत बढ़िया लेख संदीपजी, मैं तो १०० % सहमत हूँ .. लोग जाने क्यूँ साइकिल से चलने वालों क बारे में गलत सोच रखते है, मुझसे भी लोग कहते है ८० रू लीटर का पेट्रोल झेल नहीं जा रहा क्या??
    ऐसे मैं भी कहता हूँ " मामू जो चाहो सोचो सोचने क लिए ही ऊपर वाले ने दिमाग दिया है . और जितना दिया है उतना ही सोच सकते हो .. हिम्मत है तो मेरे साथ १२५ - १५० कि . मी . साइकिल पर साथ चल के दिखाओ।
    सड़क पर साइकिल वाले को ये कार वाले और मोटरसाइकिल वाले कुछ समझते ही नहीं इसीलिए दुर्घटनाएं होती है ....

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    1. प्रदीप जी, ड़ायलोग मारने वाले लोग, हम-आप लोगों के साथ चलने की हिम्मत कहां से लायेंगे? बुजदिल लोग बोलते बहुत ज्यादा है करके दिखाने को तैयार नहीं होते?

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  3. बंधु अच्छी बातें जानते तो सब हैं...पर क्रियान्वयन में उसे ला पाना बहादुरी है... सलाम...

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  4. सँदीप भाई जी के इस जज्बे को सलाम नही राम राम है (क्योकि अपना धर्म हिन्दू है जब बाकी धर्म के लोग अपने धर्म के प्रति कट्टर और संवेदनशील होते है तो हमे भी रहना चाहिए) क्योकि साईकिल चलना आज के समय मे एक बहुत बडा काम है। क्योकि स्टेटस मेनटेन नही होता लेकिन सँदीप भाई जी सादगी भरा जीवन जीते है और इनके शरीर मे आलसय नही सुबह 05:00 बजे उठने का मतलब 05:00 बजे ही होता है। नही तो आराम की जिँदगी हर एक व्यक्ति चाहता है।

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  5. मोटरसाइकिल खरीदने के बाद दो-तीन साल तो मेरा साइकिल चलाना बिलकुल ही बन्द हो गया था पर अब कभी-कभार चला लेता हूँ।

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  6. बचपन से जवानी तक साइकिल चलाई--- पहले जेंट्स साईकिल से ही काम चलाया खुद कि थी ही नहीं पर जब पापा ने कहा कि १० वी फस्र्ट क्लास करोगी तो साईकिल मिलेगी---और फिर साईकिल मिल गई -- रोज़ सुबह कालेज इसी पर जाती थी और अपने आप को किसी शहजादी से कम नहीं समझती थी --- फिर ७९ में शादी हो गई और साइकिल भी विदा हो गई --लेकिन जब भी पीहर जाती तो अपनी प्यारी लेडिस साईकिल कि ही सवारी करती थी --

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