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रविवार, 10 मार्च 2013

Hemkunth Sahib to Kedar Nath highest Jyotirlinga गोविदघाट से रुद्रप्रयाग/गौरीकुंड़ तक

बद्रीनाथ-फ़ूलों की घाटी-हेमकुन्ठ साहिब-केदारनाथ यात्रा-05


हम दोनों गोविन्दघाट से अपनी बाइक पर सवार होकर जोशीमठ की ओर चल दिये। आगे बढ़ने से पहले हम जोशीमठ का वह मठ देखना चाहते थे, जिसके कारण इस जगह का नाम जोशीमठ पड़ा। यहाँ पर बद्रीनाथ भगवान (विष्णु के अवतार) के भारत में चार धाम में से सर्वोत्तम धाम बद्रीनाथ के कारण इसका महत्व कुछ ज्यादा हो जाता है। जैसा कि भारत के चार कोनों में चार मठ व चार धाम बनाये गये है। पहला तो उत्तर भारत में यह बद्रीनाथ धाम है ही, इसके अलावा पश्चिम में द्धारकाधीश गुजरात में समुन्द्र किनारे, पूर्वी भारत में उड़ीसा में समुन्द्र किनारे जगन्नाथ पुरी और दक्षिण में समुन्द्र किनारे रामेश्वरम धाम है। रामेश्वरम धाम ऐसा धाम है जो 4 धाम में भी गिना जाता है और 12 ज्योतिर्लिंग में भी शामिल होता है। मैंने इनमें से सिर्फ़ पुरी के दर्शन नहीं किये है लेकिन आगामी 14 व 15 मार्च को पुरी में उपस्थित रहने के कारण यह कार्य भी सम्पन्न हो जायेगा। 11 ज्योतिर्लिंग पहले ही पूरे हो चुके है। जल्द ही 12 के 12 भी पूरे हो जायेंगे। हमने अपनी बाइक जोशीमठ के मठ के ठीक सामने खड़ी कर, पैदल ही मठ में भ्रमण करने के लिये चल दिये। वहाँ हमने बहुत सारे साधु महात्मा देखे। उस समय वहाँ के बगीचे के पेड़ पर नाशापाति लगी हुई थी। एक साधु ने एक नाशपाति खाने के लिये मुझे भी दी। मेरा इस मठ में आने का असली कारण यहाँ पर शहतूत का वह पेड़ देखना था जिसको कल्पवृक्ष के नाम से पुकारा जाता है। इस पेड़ का तना एक कमरे के आकार के बराबर है। इसकी पेड़ की उम्र लगभग 2000-2500 वर्ष बातयी जाती है। असलियत क्या है? मैं नहीं जानता। लेकिन इसके तने का आकार देखकर यह अंदाजा लगाना आसान हो जाता है कि इतना मोटा पेड़ होने के लिये हजार साल का समय तो लगता ही है।

अब चलते है केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की पहली बाइक यात्रा पर।


जोशीमठ देखकर हमारी बाइक हमें लेकर चमोली की ओर बढ़ चली। अभी हम पीपल कोटी से कुछ 6-7 किमी पहले ही पहुँचे थे कि बाइक के पिछले पहिया की हवा निकलती चली गयी। बाइक से उतरकर पिछला पहिया देखा गया। खूब ध्यान से देख लिया लेकिन पहिया में ना तो कोई कील घुसी मिली, ना कील का कोई नन्हा-मुन्ना बच्चा। पहिया में रत्ती भर हवा नहीं बची थी इसलिये अब बाइक पर तो हम दोनों नहीं जा सकते थे। शाम होने जा रही थी, सबसे पहले यह पता किया कि पेंचर बनाने वाला कितनी दूरी पर मिलेगा। इसका जवाब मिला 7 किमी पीपल कोटी में पेंचर वाला मिलेगा। मैंने अपने साथी को हेमकुंठ साहिब के दर्शन कर वापसी आ रहे एक सिख परिवार की जीप गाड़ी को रुकने का इशारा किया। उन्हें बताया कि हम हेमकुन्ठ सहिब के दर्शन कर वापसी जा रहे है। हमारी बाइक का पिछला पहिया पेंचर हो गया है। क्या आप मेरे साथी को 7 किमी बाद पीपल कोटी या उससे पहले किसी पेंचर की द्कान तक छोड़ सकते हो? उन्होंने तुरन्त पीछे बैठने का ईशारा किया, वैसे तो उस गाड़ी में सीटे पहले से ही भरी हुई थी, लेकिन उन्होंने हमारी परेशानी देखते हुए, खुद परेशान होकर मेरे साथी को पीपल कोटी पेंचर की दुकान तक छोड़ दिया था। इसे कहते है मदद करना और आप किसी अन्य इलाके में इस प्रकार की मदद की उम्मीद ना करे तो बेहतर रहेगा। क्योंकि आजकल लोग इस प्रकार की मदद करके मुसीबत में फ़ँस जाते है। 

मैं अपनी बाइक पर सवार होकर पेंचर वाली दुकान की ओर चल दिया। आगे जाकर एक जगह हल्का सा जाम मिला था, जिसमें से अपनी बाइक आसानी से आगे निकल गयी थी। यहाँ पर वह गाड़ी जिसमें अपना साथी बैठा हुआ था पीछे जाम में अटक गयी थी। मैं उनसे पहले ही पीपल कोटी वाली पेंचर की दुकान में पहुँच चुका था। मैंने दुकान वाले को बोला कि टयूब बदल दो। पेंचर वाले ने पिछले टायर को खोलकर उसकी टयूब निकालकर देखी तो उसमें कोई पेंचर नहीं मिला। मेरी बाइक में टायर भी नया था, टयूब को में हवा भरकर चैक किया तो उसमें एक पुराना पेंचर लगा हुआ था वही से टायर की हवा निकल गयी थी। 7 किमी बाइक बिना हवा के चलाने के कारण टयूब की वाल बोड़ी थोड़ी सी खराब हो गयी थी। टयूब चल सकती थी फ़िर भी मैंने नई टयूब ड़लवानी बेहतर समझी। जब तक टयूब ड़ालकर पुन: बाइक चलाने लायक हुई तो तब तक काफ़ी अंधेरा हो चुका था। अब हमने रात में आगे जाने की बजाय वही-कही नजदीक ही रात रुकने का ठिकाना तलाश करना था। हमने पेंचर बनाने वाले से कोई नजदीकी कमरा बताने को कहा तो उसने वही पास में ही एक बढ़िया सा कमरा बता दिया। हमने उसी कमरे में रात भर ठहरने का इरादा कर अपना सामान वही पटक दिया। पेंचर वाले ने हमें बताया था कि रात में आप यहाँ बाहर मत घूमना, क्योंकि रात में यहाँ बाघ आ जाता है इसलिये अगर बाहर आना जरुरी हो तो पहले चारों ओर एक नजर घूमाकर देख लेना। दो दिन पहले ही बाघ यहाँ से एक कुत्ता उठाकर ले गया था।

अभी रात के आठ के आठ बजे थे। सोने से पहले पेट पूजा करने के लिये नजदीक के एक ढ़ाबे में जाकर खाना खाया गया। खाना खाने के बाद लगभग 9 बजे तक हम लोग सोने के लिये बिस्तर पर लेट गये थे। घांघरिया के मुकाबले यहाँ ठन्ड़ बहुत कम थी। इसलिये यहाँ पर हम कमीज में ही घूम रहे थे। अगले दिन सुबह-सुबह ठीक 4 बजे लगाया गया अलार्म बजते ही हम उठ गये। जरुरी कार्य से निपट कर नहा-धोकर हम सुबह 5 बजे आगे की यात्रा पर चल दिये। वापसी में हमें केदारनाथ मन्दिर होकर भी जाना था। इसलिये मैंने सोचा कि क्यों ना गोपेश्वर, चोपता होकर गौरीकुन्ड़ तक पहुँचा जाये। इसी बहाने यह रुट भी देख लिया जायेगा। जब हम चमोली पहुँचे तो मैंने एक पुलिस वाले से पता किया कि गौरीकुन्ड़ जाने के लिये चोपता वाला रुट ठीक रहेगा या रुदप्रयाग होकर जाना सही रहेगा। पुलिस वाले ने बताया कि अगर आपको जल्दी जाना है तो रुद्रप्रयाग वाला रुट सही रहेगा। यदि आपको कुदरती नजारे देखकर यात्रा/सफ़र करने का शौक हो तो चोपता वाला रुट हर रुट से बेहतरीन है। अभी यह बात हो ही रही थी। कि मेरे साथी के मोबाइल पर उसके भाई का फ़ोन आया कि आज शाम तक हर हालत में घर पहुँच जा। जैसे ही साथी की बातचीत समाप्त हुई तो उसने कहा कि वह केदारनाथ नहीं जायेगा। मैंने कहा कि आज का दिन ही तो है आज केदारनाथ का आना-जाना करने के बाद हम कल शाम तक दिल्ली पहुँच ही जायेंगे।

रुद्रप्रयाग तक मैंने उसको खूब समझाया इस समझाने का उस पर क्या असर हुआ इसका पता आपको अगल लेख में चलेगा, कि वह केदारनाथ गया या सीधा दिल्ली गया। यह जानने के लिये अगले लेख पर जाना होगा।



बद्रीनाथ-माणा-भीम पुल-फ़ूलों की घाटी-हेमकुंठ साहिब-केदारनाथ की बाइक bike यात्रा के सभी लिंक नीचे दिये गये है। 
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4 टिप्‍पणियां:

  1. पहाड़ों के ऊपर मोटरसाइकिल के साथ फोटो खिंचवाने का मजा ही कुछ और है..

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  2. बढ़िया यात्रा.... कभी-कभी अपने वाहन में खाराबी आने के कारण परेशानी का सामना करना पद जाता हैं...

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  3. दर्शन कौर जी भाग 4 का लिंक सही कर दिया गया है। बताने का धन्यवाद।

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