गोवा यात्रा-भाग-01
GOA-गोवा-गोवा-गोवा। गोवा जाने का भूत कई महीनों से
सिर चढ़कर बोल रहा था इस साल गोवा जरुर जाना है इस कारण कई महीने पहले से ही यहाँ
जाने के लिये पक्का विचार बनाया हुआ था। अब गोवा जाना हो और दिल्ली की ठन्ड से
बचने का अवसर भी साथ हो तो इससे बेहतरीन बात और क्या हो सकती थी? गोवा जाने और वहाँ जाकर ठहरने के लिये कौन सा साधन सस्ता व
उचित रहेगा, पहले इस बात पर विचार किया गया तो सब मिलाकर यह
पाया गया कि YHAI यूथ हास्टल ऐसोसिएसन इन्डिया
के पैकेज के अन्तर्गत गोवा घूमने का अवसर सबसे उचित लग रहा था। जिसे बुक करने के
लिये कमल को गोवा यात्रा अग्रिम बुकिंग के लिये दी जाने वाली राशि कई महीने पहले
ही सम्पूर्ण राशि अग्रिम दे दी गयी थी। लेकिन जिस बात का ड़र था आखिरकार वही हुआ।
मैंने गोवा को साईकिल पैकेज से देखने का सोचा हुआ था। जबकि कमल ने उसे बुक करने के
लिये इतनी देर कर दी कि उसकी बुंकिग ही बन्द हो गयी। आखिरकार दिसम्बर माह की पहली
तारीख को जाकर कमल ने गोवा यात्रा का दूसरा पैकेज बुक कर दिया, लेकिन यहाँ भी एक गड़बड हो गयी कि कमल ने जो पैकेज बुक किया
था वह पैकेज साइकिलिंग का ना होकर ट्रेंकिग वाला था। ट्रेकिंग से अपुन को तो कोई
समस्या नहीं थी। इससे एक बात पर असर पड रहा था कि साइकिल से हम उतने ही दिनों में
ज्यादा गोवा देख सकते थे जबकि ट्रेकिंग करते समय उतना गोवा देखना मुमकिन नहीं था।
दिल्ली की बस का दोपहर में एक फ़ोटो। |
यहाँ मैंने कमल को कहा कि भाई मेरे घर के सामने
वाले घर से एक लड़का भी हमारे साथ जाना चाह रहा है, अत: लगे हाथ उसका भी पैकेज बुक कर देना, चूंकि
मेरे पैसे तो पहले ही कमल के पास थे अत: मैंने अनिल के पैसे लेकर अपने पास रख लिये
ताकि जैसे ही कमल से मुलाकात हो या उसका बैंक नम्बर मिले तो उसके खाते में जमा
कराया जा सके। जब कई दिन तक इन्तजार देखने के बाद भी कमल ने अनिल का पैकेज बुक
नहीं किया तो मैंने कहा कि क्या हुआ नारद जी? कमल को मैं नारद कहकर ही बुलाता हूँ। कमल ने
कहा कि उसके पास इतने पैसे नहीं बचे हुए है कि वह कार्ड से अनिल की बुकिंग करा
सके। जिस कारण मैंने अपने कार्ड से अनिल की मैंम्बरसिप बुक करने की कोशिश कई बार
की, लेकिन
हर बार कुछ ना कुछ तकनीकी लोचे से अनिल की सदस्यता नहीं हो पायी, आखिरकार
8 दिसम्बर
को मैंने कार्यालय से समय निकाल कर अपनी साईकिल चाणक्य पुरी स्थित यूथ हॉस्टल के
मुख्यालय की और दौडा दी। मेरा वर्तमान कार्यालय वजीराबाद पुल दिल्ली के पास स्थित
है। यहाँ से मैं तीस-हजारी, लाहौरी गेट, जीबी रोड (जी हाँ, यह
वही जीबी रोड है जहाँ आज भी औरते अपने जिस्म का सौदा खुले आम सड़क पर करती हुई
मिलती है।) सिविक सेन्टर (यहाँ मैंने इसकी 18 वीं मंजिल पर कुछ समय कार्य किया था) यहाँ से
कनॉट प्लेस होते हुए, राष्ट्रपति
भवन के आगे से होकर मैं अशोक होटल के सामने से होता हुआ चाणक्य पुरी जा पहुँचा था।
मैंने पहले भी यहाँ का यह हॉस्टल देखा हुआ था अत: मुझे किसी से इसके बारे में
पूछताछ नहीं करनी पडी थी।
मैंने अपनी साईकिल बाहर सड़क पर एक खम्बे से बाँध दी थी। मैं मोटर बाइक पर जाते हेल्मेट बाँधने के लिये जिस तार युक्त नम्बर वाले ताले का प्रयोग करता हूँ उसी तार वाले ताले को मैं साईकिल पर जाते समय साइकिल पर साथ रखता हूँ। यहाँ अनिल का सदस्यता नम्बर लेने के लिये मुझे मात्र दस मिनट ही लगे थे। मैं अपने साथ अनिल के रुपये भी लाया था कि अगर हो सका तो उसका पैकेज भी यही से बुक कराता हुआ, वापिस आ जाऊँगा। लेकिन यहाँ पैकेज बुक कराने में मुझे निराशा हाथ लगी क्योंकि यहाँ पर मुझे बताया गया कि गोवा वाला पैकेज यहाँ से बुक नहीं हो सकता है। उसके लिये आपको ऑन-लाइन या फ़िर गोवा में ही सम्पर्क करना पडेगा। इनकी यह बेसिर पैर की बाते सुनकर अपनी खोपड़ी खराब होने लगी थी। मैं वहाँ से वापिस कार्यालय आने के लिये निकल लिया।
जैसे ही मैंने वहाँ से अपनी साइकिल वापिस कार्यालय की और दौडायी तो मन में अचानक विचार आया कि चलो रेल मयूजियम देख आऊँ। रेल म्यूजियम यहाँ दिल्ली में चाणक्यपुरी में दिल्ली में रिंग रेलवे के किनारे स्थित है। चाणक्य पुरी स्थित इस संग्रहालय को मैं बचपन में एक बार देखा था जिस कारण यहाँ की ज्यादतर यादे तो लगभग मिट ही चुकी है। याद है तो बस यहाँ चलने वाली छोटी सी रेल की यादगार सवारी, जिस पर शायद एक सुरंग भी बनायी गयी थी। जब मैं इस संग्रहालय के प्रवेश द्धार पर पहुँचा तो देखा कि यहाँ तो एक बन्दा भी इसे देखने के लिये मौजूद नहीं है। जब मैं टिकट खिड़की के पास पहुँचा तो पता लगा कि आज सोमवार है, अरे हाँ सोमवार को लगभग सारे संग्रहालय, पुराने धरोहर जैसे ताज, लाल-किला, कमल मन्दिर आदि बन्द रहते है। मुझे इसके बन्द रहने से कोई निराशा हाथ नहीं लगी थी क्योंकि मैं उस समय यहाँ केवल इसे देखने नहीं आया था। मैंने एक बार फ़िर अपनी साईकिल अपने कार्यालय की और दौडा दी। तीन घन्टे में लगभग 45 किमी साइकिल चलाकर मैं लंच से पहले अपने कार्यालय पहुँच चुका था। कई लोग साइकिल चलाने में बड़ा आलस महसूस करते है जबकि कई लोग साइकिल चलाने में हीन भावना महसूस करते है। कई लोग तो सिर्फ़ इस कारण साइकिल नहीं चलाते है कि इससे उनकी साख पर बुरा असर पड़ेगा लोग क्या कहेंगे? जबकि मैं साइकिलिंग से अच्छा व्यायाम कोई दूसरा नहीं मानता हूँ। इसलिये मुझे जब भी मौका मिलता है मैं अपनी पसंदीदा सवारी साइकिल पर निकलना पसन्द करता हूँ। मैं प्रतिदिन आमतौर पर लगभग 30 किमी साइकिल चला ही लेता हूँ।
कार्यालय पहुँचकर मैंने अपने कार्ड से अनिल का पैकेज बुक कर दिया था। पैकेज बुक हो जाने के बाद मेरे कार्ड से 3010 रुपये की राशि काटने का संदेश भी मेरे मोबाइल पर आ गया था। जिसके बाद मैंने रेल टिकट बुक करने के नेट चालू किया। नेट पर जाकर मालूम हुआ कि 29 दिसम्बर को स्लीपर में 373 की वेटिंग चल रही है। वापसी में 8 जनवरी 2013 वाले दिन स्लीपर की स्थिती बता रही थी कि R.A.C. 17-18-19 मिल सकती है जिस कारण मैं वापसी के टिकट तुरन्त बुक कर दिये। जिसकी सूचना मैंने कमल को दे दी कि आने के तीनों के टिकट मैंने बुक कर दिये है जाने की जिम्मेदारी तुम्हारी है। कमल ने कहा कि मेरे कार्ड में पैसे नहीं बचे है जाने के टिकट भी जाटदेवता को ही करने होंगे। आखिरकार जाने के टिकट भी मैंने घर से ही बुक कर दिये थे। जिसकी वेटिंग बढ़कर 397 तक पहुँच गयी थी। मैंने एक बार फ़िर कमल से कहा कि एक बार जाने से एक दिन पहले तत्काल में कोशिश कर लेना, नहीं तो मैंने टिकट घर से बुक किये है, अगर सीट कनफ़र्म नहीं हुई तो टिकट कैंसिल हो जायेगी और हमें साधारण ड़िब्बे में बैठकर भूसे की तरह घुसकर गोवा तक जाना होगा।
इस यात्रा के सभी फ़ोटो मोबाइल से लिये गये है। |
ना कमल ने, ना ही मैंने, तत्काल के लिये कोई कोशिश नहीं की, इसके दो मजबूत कारण हमारे पास थे। मेरे दो जानने वाले रेल विभाग में कार्य करते है, एक अपने नेट वाली साथी है जिन्होंने आश्वासन दिया था कि कोशिश करके देखता हूँ, उनकी कोशिश क्या रंग लायी? यह अगले लेख में बताया जायेगा। इसके साथ ही रेल मंत्रालय में कार्यरत एक जानकार ने तो गोवा एक्सप्रेस रेल के बारे में लम्बी चौडी ढींगे मारी थी कि इस रेल में बडी मुश्किल से टिकट कन्फ़र्म होता है। लेकिन जब आपने कहा है तो आपकी बात तो माननी ही पडेगी, आपकी एक सीट तो कन्फ़र्म करानी ही पडेगी। दिनांक 29/12/2012 को हम दोपहर में गोवा वाली ट्रेन से गोवा जाने के लिये अपने-अपने घर से निकल पडे।
जब मैं घर से चला था तो उस समय तक चार्ट बनकर तैयार नहीं हुआ था। चूंकि कमल को निजामुददीन स्टेशन आने में एक घन्टा ही लगता है इस कारण मैंने कमल से कहा कि घर से चलने से पहले एक बार नेट पर यह देख लेना कि हमारी कोई सी सीट कनफ़र्म हुई है या नहीं। कमल ने कहा, मैं अपना लेपटॉप लेकर साथ आ रहा हूँ। स्टेशन पर ही आकर देख लूँगा। कि सीट मिली या वेटिंग धरी की धरी रह गयी तो मैं निश्चिंत हो गया था। घर से निजामुददीन स्टेशन आने के लिये आनन्द विहार होते हुए आना आसान रहता है क्योंकि दिन के समय वजीराबाद पुल पर भयंकर जाम लग जाता है। घर के नजदीक से ही बाहरी मुद्रिका नामक बस सेवा उपलब्ध है जो दिल्ली की सबसे लम्बी दूरी तय करने वाली स्थानीय बस सेवा है। मैंने और अनिल ने बाहरी मुद्रिका से निजामुददीन तक का सफ़र तय कर लिया था।
अगले लेख में आपको बताया
जायेगा कि हमने रेल से गोवा यात्रा करने के लिये कितनी-कितनी मजेदार बातों से
सामना करना पडा था। अगले लेख में मैं खोलूँगा रेल की पोल?
भाग-13-दूधसागर झरने की ओर जंगलों से होकर ट्रेकिंग।
भाग-14-दूधसागर झरना के आधार के दर्शन।
भाग-15-दूधसागर झरने वाली रेलवे लाईन पर, सुरंगों से होते हुए ट्रेकिंग।
भाग-16-दूधसागर झरने से करनजोल तक जंगलों के मध्य ट्रेकिंग।
भाग-17-करनजोल कैम्प से अन्तिम कैम्प तक की जंगलों के मध्य ट्रेकिंग।
भाग-18-प्राचीन कुआँ स्थल और हाईवे के नजारे।
भाग-19-बारा भूमि का सैकड़ों साल पुराना मन्दिर।
भाग-20-ताम्बड़ी सुरला में भोले नाथ का 13 वी सदी का मन्दिर।
भाग-21-गोवा का किले जैसा चर्च/गिरजाघर
भाग-22-गोवा का सफ़ेद चर्च और संग्रहालय
भाग-23-गोवा करमाली स्टेशन से दिल्ली तक की ट्रेन यात्रा। .
गोवा यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे क्रमवार दिये गये है। आप अपनी पसन्द वाले लिंक पर जाकर देख सकते है।
भाग-14-दूधसागर झरना के आधार के दर्शन।
भाग-15-दूधसागर झरने वाली रेलवे लाईन पर, सुरंगों से होते हुए ट्रेकिंग।
भाग-16-दूधसागर झरने से करनजोल तक जंगलों के मध्य ट्रेकिंग।
भाग-17-करनजोल कैम्प से अन्तिम कैम्प तक की जंगलों के मध्य ट्रेकिंग।
भाग-18-प्राचीन कुआँ स्थल और हाईवे के नजारे।
भाग-19-बारा भूमि का सैकड़ों साल पुराना मन्दिर।
भाग-20-ताम्बड़ी सुरला में भोले नाथ का 13 वी सदी का मन्दिर।
भाग-21-गोवा का किले जैसा चर्च/गिरजाघर
भाग-22-गोवा का सफ़ेद चर्च और संग्रहालय
भाग-23-गोवा करमाली स्टेशन से दिल्ली तक की ट्रेन यात्रा। .
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अगर बे-सिरपैर की बातों से रेल की पोल खोलोगे, तो देख लेना।
जवाब देंहटाएं:)
हटाएंजो लिखूँगा, सच ही लिखा जायेगा।
हटाएंसंदीप जी, साइकिल की सवारी ही आपकी फिटनेस का राज हैं...वन्देमातरम..
जवाब देंहटाएंजी प्रवीण जी,
हटाएं
जवाब देंहटाएंढोल की पोल का इंतज़ार .बढ़िया वृत्तांत .
सही कहा प्रवीण जी, साईकिल चलाने से सेहत के लिये अलग से समय निकालने की जरुरत ही नहीं होती है।
जवाब देंहटाएंगोकि गोवा गजब है, साथ साथ लूँ घूम |
जवाब देंहटाएंदमड़ी पकडे दांत से, यह रविकर है सूम ||
खूबसूरत गोवा -
दिल्ली की सड़कों पर साईकल ..बड़ा कलेजा है भाया.....चलो गोवा देख आएंगे तुम्हारे बहाने भी..
जवाब देंहटाएंसंदीप जी....गोवा मेरा घूमा हुआ....मैं भी गोवा एक्सप्रेस से गया था....|
जवाब देंहटाएंताजमहल सोमवार को नहीं बल्कि शुक्रवार को बंद रहता हैं....
रितेश जी ताज का बताकर अच्छा किया। इसे सही कर लेता हूँ।
जवाब देंहटाएंmaja aa re la hai!!
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