दशनोक स्थित चूहों वाला मन्दिर देखने के उपरांत हम अपनी उसी कार में सवार होकर वापिस बीकानेर की ओर रवाना हो गये, जिस कार से चूहे वाला मन्दिर देखने गये थे। यह तो पिछले लेख में ही बता दिया गया था कि दशनोक का अपना रेलवे स्टेशन भी है। अत: जो भाई/बन्धु रेल से यहाँ जाने का इच्छुक होगा रेल से चला जायेगा। पिछले लेख में रेल की पटरी का एक फ़ोटॊ लगाया था वह फ़ोटो कार को बीच फ़ाटक में रोक कर लिया गया था। हमारे साथ प्रेम सिंह कार में सवार थे। प्रेम सिंह जी बीकानेर में होटल उद्योग से जुड़े हुए है। प्रेम सिंह जी ने बीकानेर पहुँचने से पहले ही अपने जानकार गाईड़ को फ़ोन कर पहले ही जूनागढ़ किले पर आने के लिये कह दिया था।
यह मत समझना कि मैं आपको कार बता कर बाइक से वहाँ घूम रहा था। |
जिस गाईड़ को प्रेम सिंह ने बुलाया था वह अपनी बाइक से जूनागढ़ तक आये थे। मुझे बाइक मिले और उसके साथ एक फ़ोटो ना ऐसा कैसे हो सकता है? बाइक पर एक फ़ोटो लेने के बाद ही गाईड़ महाराज का पीछा छोड़ा था। इस किले का इतिहास आदि आप नेट पर विकिपीड़िया आदि से पढ़ लेना, मुझे इस मामले में परेशान मत करना।
वैसे तो इस किले का काफ़ी इतिहास यहाँ इस बोर्ड़ पर भी लिखा धरा है अगर आपकी आँख में इतनी ताकत हो तो जरुर पढ़े नहीं तो मेरी तरह चुपचाप अगले फ़ोटो की ओर बढ़ चले।
नीचे वाला किले की चारदीवारी के अन्दर ही एक शानदार ईमारत का है गाईड़ ने इसका नाम-पता तो बताया था लेकिन अभी याद नहीं आ रहा है। किले में अन्दर जाने के लिये यहाँ भी टिकट लेना पड़ता है। यह बात ध्यान देने वाली है कि राजस्थान के ज्यादातर किले आज भी उन्ही राजाओं के अधीन ही है जिनके अधीन आजादी मिलने से पहले हुआ करते थे। अन्तर इतना है कि सरकार के अधीन होने से बचाने के लिये चालाक राजाओं ने चैरिटी संस्था बनाकर खुद उसके संरक्षक बन बैठे है। इसे कहते है कानून का फ़ायदा उठाना। इस तरह की चालबाजी से सरकार इनकी सम्पत्ति पर कब्जा नहीं कर सकती है।
नीचे जो चित्र आप देख रहे है, यह किले के भीतरी हिस्से में जाने का मुख्य प्रवेश द्धार है।
किले में प्रवेश करते ही ऊपर के चित्र में दिखाई दे रहे दरवाजे में बैठे कर्मचारी ने हमारे टिकट देखकर ही हमें अन्दर जाने दिया था। अरे हाँ एक जरुरी बात यहाँ बतानी सही रहेगी कि इस किले में बिना गाईड़ के आपको अन्दर नहीं जाने दिया जायेगा। अगर आपके पास गाईड़ नहीं है किले की तरफ़ से मौजूद गाईड़ लेकर आप आगे जा पाओगे, बिना गाईड़ अन्दर जाना मना है।
किले में अन्दर जाते ही ऊपर वाले चित्र की शानदार नक्काशी दिखायी थी, हम काफ़ी देर तक इसे देखते रहे।
इसके बाद एक बारीक सी गली से ऊपर चढते हुए हम किले के आगे वाले भाग को देखने के लिये चलते रहे।
सामने जो सफ़ेद सा स्थान दिख रहा है हमारे गाईड़ ने बताया था कि यहाँ पर राजा-महाराजा आम जनता के साथ होली मिलन का त्यौहार खेला करते थे।
इसी जंजीर वाले दरवाजे से होकर हम आगे चलते गये थे। इस प्रकार के दरवाजे सुरक्षा के हिसाब से बनवाये जाते थे ताकि कोई चुपचाप अन्दर ना आ सके।
राजा इसी ऊपर वाले चित्र में बने ठिकाने पर बैठा करते थे आम जनता बारी-बारी से आकर उनपर रंग ड़ालती जाती थी। सारा रंग नीचे बने गड़्ड़े में एकत्र होता जाता था।
ऊपर वाले चित्र में धरातल से ऊपर वाली मंजिल पर आपको जो जाली नुमा गैलरी दिख रही है वहाँ से रानी व उसकी सहेलियाँ होली मिलन का त्यौहार देख आनन्द उठाती थी। नीचे आम जनता बैठी रहती थी।
इस खिड़की पर जो टाइल लगायी गयी है वह भारत में लगने वाली पहली टाईल मानी जाती है।
यह राजा के महल का अन्दरुनी हिस्सा आ गया है यहाँ तक आम जनता को आना मना था। वो तो शुक्र है कि देश कहने को आजाद है वरना आज भी यहाँ तक नहीं आने दिया जाता।
छ्त और दीवार की बात भी छॊड़ दे तो भी फ़र्श की कलाकारी कहती है कि यह महल बहुत रंग बिरंगा रहा होगा।
इस महल में चाँदी का दरवाजा भी देखने को मिला था तो सोचा कि एक फ़ोटो आपके लिये भी ले लेता हूँ। आजकल तो इस दरवाजे को लोहे के सरिया के पीछे बन्द किया हुआ है क्या पता कोई इसे उखाड़ ले भागे?
एक फ़ोटो इस रंग-बिरंगे महल में दो मस्ताने रंगीलों का भी हो जाये।
हम महल देखते हुए महल के काफ़ी ऊपर बल्कि कह सकते है सबसे ऊपरी हिस्से तक पहुँच गये थे जहां से चारों और का नजारा शानदार दिखाई दे रहा था। महल के अन्दर की चित्रकारी तो आपको अगले लेख में दिखाऊंगा लेकिन इसी लेख में आप महल के बाहर लेकिन चारदीवीरी के भीतर वाले हिस्से में ऊपर वाले फ़ोटो में वह भाग देख सकते है जहां राजा अपने सैनिक रखा करता था। नीचे वाले फ़ोटो में आपको हरियाली से भरा हुआ फ़ोटो दिख रहा होगा जिसमें आपको महल का वह भाग दिखाया जा रहा है जहाँ राज परिवार का फ़ूलों का बाग हुआ करता था। आजकल तो यहाँ बहुत कम फ़ूल देखने को मिले थे।
छत पर जाने के बाद एक जगह से हमें जालीदार जगह से महल के भीतर का नजारा दिख रहा था जहाँ से बताया जाता है जब राजा ऊपर सबसे ऊपर छत पर जाकर आराम किया करता था तो वहाँ पर तैनात राजा के खास सेवक या स्वयं राजा-रानी नीचे महल में घुसने वाले मुख्य दरवाजे पर नजर ड़ाल कर देख लिया करते थे कि कोई आ जा तो नहीं रहा है। जब हम यहाँ सबसे ऊपरी मंजिल पर आये थे तो हम एक बेहद बारीक सीढ़ियों वाले जीने से होकर यहां तक पहुँचे थे इसके बारे में बताया गया कि यदि दुश्मन किसी तरह यहाँ पर पहुँच भी जाये तो एक बार में एक आदमी ही लाईन में लगकर यहाँ तक पहुँच सकता था जिसके लिये ऊपर तैनात एक सैनिक भी काफ़ी देर तक उनका मुकाबला कर सकता था।
आज आपको किले के ज्यादातर भाग दिखा दिये है, लेकिन यह किला अपनी चित्रकारी के लिये जाना जाना है अत: चित्रकारी वाले चित्र अगले भाग में, आप कह सकते है किले का अंदरुनी भाग अगले लेख में दिखाया जायेगा।
राजस्थान यात्रा-
भाग 1-जोधपुर- जोधपुर शहर आगमन
भाग 2-जोधपुर का मेहरानगढ़ दुर्ग
भाग 3-जोधपुर कायलाना झील व होटल लेक व्यू
भाग 4-जोधपुर- मन्डौर- महापंडित लंकाधीश रावण की ससुराल
भाग 5-जोधपुर- होटल कैन्डी राजपूताना व उम्मेद भवन
भाग 6-जोधपुर- होटल द गेट वे जो किसी महल से कम नहीं
भाग 1- जैसलमेर का किला (दुर्ग)
भाग 2- जैसलमेर में राजा की हवेली व पटुवों की हवेली
भाग 6-जोधपुर- होटल द गेट वे जो किसी महल से कम नहीं
भाग 1- जैसलमेर का किला (दुर्ग)
भाग 2- जैसलमेर में राजा की हवेली व पटुवों की हवेली
भाग 3- जैसलमेर सम/सैम रेत के टीले
भाग 4- जैसलमेर सूर्यगढ़ पैलेस महल जैसा होटल
भाग 5- जैसलमेर आदिनाथ मन्दिर व सुर सागर तालाब
भाग 6- जैसलमेर रामदेव/रामदेवरा बाबा की समाधी
भाग 5- जैसलमेर आदिनाथ मन्दिर व सुर सागर तालाब
भाग 6- जैसलमेर रामदेव/रामदेवरा बाबा की समाधी
- जोधपुर-यात्रा का पहला भाग यहाँ से देखे जोधपुर शहर आगमन
- जैसलमेर यात्रा का पहला भाग यहाँ से देखे जैसलमेर का किला (दुर्ग)
- बीकानेर यात्रा का पहला भाग यहाँ से देखे दशनोक वाला करणी माता का चूहों वाला मन्दिर
राजस्थान यात्रा-
बीकानेर- 1 दशनोक स्थित करणीमाता का चूहे वाला मन्दिर
बीकानेर- 2 जूनागढ़ किला
बीकानेर- 4 हेरिटेज होटल महाराजा गंगा सिंह पैलेस व राज विलास पैलेस
बीकानेर- 5 राजनिवास के संग्रहालय में भ्रमण
बीकानेर- 6 राजनिवास का वह भाग जिसे होटल बना दिया गया है।
बीकानेर- 7 एक शानदार सुन्दर व विशाल रिजार्ट
बीकानेर- 8 कुछ अन्य शानदार होटलबीकानेर- 5 राजनिवास के संग्रहालय में भ्रमण
बीकानेर- 6 राजनिवास का वह भाग जिसे होटल बना दिया गया है।
बीकानेर- 7 एक शानदार सुन्दर व विशाल रिजार्ट
बीकानेर- 9 रायसर रेत के टीलों पर एक रंगीन सुहानी मदहोश नशीली शाम दिल्ली वापसी
जूनागढ़ की चित्रकथा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चलते चलो..
जवाब देंहटाएंrochak yatra..
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर किला है यह . इस सीरीस में एक से बढ़कर एक पोस्ट है पता नहि कौनसी सर्वश्रेष्ठ है .
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