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बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

बाइक से लाल किला से लेह-लद्दाख यात्रा (भाग 1) Bike Trip- Delhi To Manali

लेह-लद्दाख यात्रा-
 मोटर बाईक से लाल किला से लेह-लद्दाख यात्रा सुनने में ही कठिन लगने वाला शब्द वास्तव में हकीकत में साकार हो गया। जब हम छ बन्दे तीन बाइक पर लाल किले से लेह तक घूम कर आये। लाल किले से लेह तक जाने वाले एक साल में 50 से ज्यादा सनकी(लोग) नहीं होते। लाल-किला से लेह की दूरी वाया मनाली लगभग 1025 किलोमीटर है। लाल-किला से लेह की दूरी वाया श्रीनगर लगभग 1425 किलोमीटर है। हमने दोनों मार्गो का प्रयोग किया।

इस यात्रा का पहला फ़ोटो अम्बाला पार करने के बाद लिया गया था।

मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

Gaumukh to Kedarnath trekking गौमुख से केदारनाथ पैदल यात्रा

गंगौत्री से केदारनाथ पदयात्रा/ट्रेकिंग-1
सावन के महीने में दिल्ली और आस पास के क्षेत्र से हजारों (लाखों हरिदवार से ही लाते है) लोग गौमुख गंगा जल लेने जाते है। इन हजारों में से भी केवल 300-400 लोग ही केदारनाथ जाते हैं। कुल दूरी है 250 किलोमीटर, पैदल जाने में पूरे 9-10 दिन लग जाते है, व बस से यही दूरी लगभग 400 किलोमीटर हो जाती है। हमने भी पैदल जाने की पक्की ठान रखी थी। हम तय तिथि को दिल्ली के अ.रा.ब.अ. से रात के ठीक 9 बजे, दिल्ली से उत्तरकाशी के बीच चलने वाली उतराखंड की एकमात्र (एक ही जाती है) बस में बैठ गए। यह बस हमको सुबह 9 बजे उत्तरकाशी पहुँचा देती है। दिल्ली से उत्तरकाशी की कुल दूरी 400 किलोमीटर है। उत्तरकाशी से गंगोत्री तक दूरी 98 किलोमीटर है और रास्ता बड़ा खतरनाक, केवल 12-15 फुट चौडा ही है। समय लगता है लगभग 4 घंटे, खैर हम भी दोपहर बाद 3 बजे तक गंगोत्री पहुँच गए। मुझको बस में पूरी रात नींद नहीं आई थी। बात ये है, कि मुझे बस में कभी नींद नहीं आती है, लेकिन गजब ये कि रेल में नींद आ जाती हैं। इसलिए गंगौत्री पहुँचते ही फटाफट एक आश्रम में सोने का ठिकाना तलाशा। किराया कुछ नहीं देना था, जो अपनी इच्छा आये वो दे देनी थी। मैं तो जल्दी सो गया, पर मेरे मामा का छोरा जो पूरे रास्ते बस में सोता आया था, लगता था कि देर से सोया था

क्या मजबूत व डरावना पुल है, पानी की स्पीड 40 किलोमीटर से कम न थी

मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011

बाइक से नचिकेता ताल व गंगौत्री यात्रा, Nachiketa Taal/Lake & Gangotri bike trip


बर्फ़ का बिस्तर

मैं नितिन कुमार बाइक पर घूमने का इतना शौकीन हूँ कि मुझे इसके अलावा और किसी भी वस्तु में वो मजा नहीं आता है जो कि बाइक पर पहाडों में घूमने में आता है।

सोमवार, 14 फ़रवरी 2011

दिल्ली का जंगल, Forest in Delhi


मैं ड्यूटी पर दोपहर में लंच करके बैठा ही था। कि सोचा चलो आज सामने वाले वन में घूम कर आते हैं। जबकि मैं यहां पर पांच साल से काम कर रहा हूं, लेकिन कभी यहां जाने का ख्याल ही मन में नहीं आया | मेरा कैमरा हाथ में देख कर मेरे साथी बोले "अरे भाई किधर चले" मैं बोला चलो आज कुछ दिखा कर लाता हूं। वे बोले पहले ये बताओ कि कितना समय व पैसा लगेगा मैंने कहा "कंजूस के साथ हो तो पैसा की चिन्ता काहे करते हो" तथा बात रही समय की तो सिर्फ़ एक घंटा लगेगा इतना सुनकर मेरे साथ तीन  साथी भी चल दिये। मैं उन्हे लेकर २०० मीटर दूर जंगल कम पार्क में ले गया। यह जंगल हिंदुराव अस्पताल के एकदम बराबर में हैं।

पहला फोटो हमारे कार्यालय का है।

यह फोटो हिंदुराव अस्पताल जाने वाली सडक का हैं।

ये आ गया जंगल का प्रवेश द्वार।

लो जी पडोस के जंगल के नजारे।

अरे यहां तो एक झील भी हैं।

ये लो जंगल है तो जंगली जानवर भी हैं।

पानी का स्रोत भी है।

चल भाई पेड पर चढ़ जा।

मैं बन्दर का फोटो खीचना चाहता था पर बन्दर खिचवाना  ही ना चाह रहा  था। मैं पीछे-पीछे बन्दर आगे-आगे।  मैं भी फोटो खीच कर ही माना ।

ये देखो 25 फुट का केक्टस हमने पहली बार देखा है |



  (फोटो सारे डिलीट हो गए थे ये मोबाइल से खीचे है, जब भी मौका मिला फिर खींच लाऊंगा )