मैं ड्यूटी पर दोपहर में लंच करके बैठा ही था। कि सोचा चलो आज सामने वाले वन में घूम कर आते हैं। जबकि मैं यहां पर पांच साल से काम कर रहा हूं, लेकिन कभी यहां जाने का ख्याल ही मन में नहीं आया | मेरा कैमरा हाथ में देख कर मेरे साथी बोले "अरे भाई किधर चले" मैं बोला चलो आज कुछ दिखा कर लाता हूं। वे बोले पहले ये बताओ कि कितना समय व पैसा लगेगा मैंने कहा "कंजूस के साथ हो तो पैसा की चिन्ता काहे करते हो" तथा बात रही समय की तो सिर्फ़ एक घंटा लगेगा इतना सुनकर मेरे साथ तीन साथी भी चल दिये। मैं उन्हे लेकर २०० मीटर दूर जंगल कम पार्क में ले गया। यह जंगल हिंदुराव अस्पताल के एकदम बराबर में हैं।
पहला फोटो हमारे कार्यालय का है।
यह फोटो हिंदुराव अस्पताल जाने वाली सडक का हैं।
ये आ गया जंगल का प्रवेश द्वार।
लो जी पडोस के जंगल के नजारे।
अरे यहां तो एक झील भी हैं।
ये लो जंगल है तो जंगली जानवर भी हैं।
पानी का स्रोत भी है।
चल भाई पेड पर चढ़ जा।
मैं बन्दर का फोटो खीचना चाहता था पर बन्दर खिचवाना ही ना चाह रहा था। मैं पीछे-पीछे बन्दर आगे-आगे। मैं भी फोटो खीच कर ही माना ।
ये देखो 25 फुट का केक्टस हमने पहली बार देखा है |
(फोटो सारे डिलीट हो गए थे ये मोबाइल से खीचे है, जब भी मौका मिला फिर खींच लाऊंगा )
सुन्दर जंगल !
जवाब देंहटाएंदिल्ली में इस तरह के बहुत स्थान मिल जाते हैं .ग्रेटर कैलाश के पास जहाँपनाह फोरेस्ट , कट्वारिया सराय में संजय वन. घूमिये और हमें भी ब्लोग द्वारा दिखाईये .
जवाब देंहटाएंsandeep ji delhi ka jangal dekhna ho to aaja mere gam me daryapur bawane te aagla gam hai janglee janwar to yade neel gay jisne deshi bhasha me roj bhee kah de hain
जवाब देंहटाएंpanwar sahab bura mat man na neeraj jaat ji ke blog dekhan ke chhakkar me aapka blog bhee badhiya laga jaatan ke balak bhee tarraki karan lag rahe hain aap bhee neeraj jaat ji ki tariya jaat devta ho. panwar sahab likhte raho badhiya laga hai.
जवाब देंहटाएं