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मंगलवार, 13 अगस्त 2013

4 Chaar Dhaam mandir-Ujjain उज्जैन का चार धाम झाकियों वाला मन्दिर

UJJAIN-JABALPUR-AMARKANTAK-PURI-CHILKA-06                              SANDEEP PANWAR
चार धाम मन्दिर देखने के लिये सबसे पहले मन्दिर के बाहर बनी दुकान पर जूते-चप्पल उतार कर आगे बढ़े। हम इस मन्दिर को देखते भी नहीं यदि इस मन्दिर के बाहर लगे बोर्ड़ पर यह लिखा ना होता कि विधुत चलित झाँकियाँ का दर्शन करे। चार धाम मन्दिर के प्रांगण में घुसते ही सीधे हाथ पर हरा-भरा छोटा सा मैदान है। अगर हमें कही और ना जाना होता तो इस पार्क में बैठा जा सकता था। मन्दिर देखने के लिये आगे बढ़ चले। मुख्य मन्दिर तक पहुँचे ही थे कि वहाँ पर लगे एक बोर्ड़ से पता लगा कि यहाँ कि झाकियाँ देखने के लिये थोड़ा सा खर्च करना पडेगा। एक बार तो सोचा, छोड़ो झाकियाँ-वाकियाँ। इन मन्दिरों वालों ने कमाई का जरिया बनाया हुआ है। लेकिन फ़िर सोचा चलो 5 रुपये की ही तो बात है। अगर कुछ अच्छा मिला तो 5 रुपये वसूल भी हो जायेंगे।


अपने-अपने टिकट खरीदने के बाद हम वहाँ से आगे बढ़े। आगे बढ़ते ही अपना कैमरा छुपा दिया गया। वैसे इस यात्रा में मेरे पास कैमरा था ही नहीं, मैंने इस यात्रा के सभी फ़ोटो 5 MP वाले मोबाइल से ही लिये है। इसी कैमरे से मैंने गोवा वाली यात्रा की थी। उस यात्रा के फ़ोटो भी इसी मोबाइल वाले कैमरे की देन थे। इस साल फ़रवरी माह में की गयी, विशाखापट्टनम, श्रीशैल मल्लिकार्जुन, परलीबैजनाथ, बोम्बे, माथेरान यात्रा में भी इसी मोबाइल से फ़ोटो लिये गये थे। कैमरे से फ़ोटो लेने के लिये अलग से 10 रुपये का शुल्क लगाया गया था। अपुन के पास मोबाइल था। साथियों के पास कैमरा था। लेकिन उन्होंने भी कैमरा प्रयोग करने का शुल्क जमा नहीं किया था।

सबसे पहले वाली झांकी में श्रीकृष्ण जी गोवर्धन पर्वत को अपनी एक अंगुली पर उठाये हुए दिखायी देते है। पहली झांकी देखकर ही मन खुश हो गया। काफ़ी मेहनत से इसे तैयार किया गया होगा। इसके बाद अगले मुख्य झांकी राम-लक्ष्मण वाली रही जिसमें लक्ष्मण मूर्छित अवस्था में दिखाये गये है। इसके बाद विष्णु और उनकी पत्नी तुलसी जी दिखायी गयी है। यहाँ बहुत सारी झांकी और भी थी लेकिन मैंने सिर्फ़ कुछ ही झांकी के फ़ोटो लगाये है। 

सबसे बढिया झांकी लगी श्रीकृष्ण के बचपन की एक घटना दर्शाती हुयी। जिसमें कन्हैया जी ताड़का अरे नहीं पुतना राक्षसी का दूध पीते हुए दिखाये गये है। बाद में श्रीकृष्ण जी ने इसी राक्षसी का वध कर दिया था। आगे चलकर कृष्ण-सुदामा और राधा-कृष्ण की झांकिया भी अच्छी लगी। सबसे आखिर वाली झांकी जिसमें महादेव शिव शंकर भोलेनाथ और एक ऋषि को दिखाया गया है। महादेव वाली झांकी ने मन मोह लिया था। झांकी देखकर बाहर निकले। अब मन्दिर की मुख्य मूर्तियाँ देखने की बारी आ गयी थी। 

यहाँ भारत के चार धाम की तर्ज पर बद्रीनाथ-द्धारकाधीश-रामेशवरम-जगन्नाथ पुरी के मन्दिर भी बनाये गये है। चूंकि मैने भारत के सभी 12 ज्योतिर्लिंग व सभी 4 धाम देखे हुए है इसलिये मुझे इन्हे पहचानने में ज्यादा मुश्किल नहीं आयी थी। वैसे पुरी मैं इस यात्रा के आखिरी में ही गया था। चार धाम मन्दिर को देखने के बाद हम मन्दिर से बाहर निकल आये। मन्दिर के बाहर गाड़ी वाला मनोज हमारी प्रतीक्षा करता हुआ मिला। मनोज की गाड़ी में प्रति सवारी 50 रुपये का भाड़ा तय करने के उपराँत हमारा काफ़िला उज्जैन के अन्य स्थलों को देखने चल दिया। अब अगला स्थल जो आने वाला है उसका नाम है राजा भृतहरि की गुफ़ा जहाँ उसने अपनी रानी पिंगला की बेवफ़ाई के बाद सन्यास लेकर तपस्या की थी। (उज्जैन यात्रा अभी बाकि है)

उज्जैन यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे दिये गये है।

05हरसिद्धी शक्ति पीठ मन्दिर, राजा विक्रमादित्य की आराध्य देवी।
06- उज्जैन का चार धाम मन्दिर व बिजली से चलने वाली झाकियाँ।
07- राजा भृतहरि की गुफ़ा/तपस्या स्थली।
08- गढ़कालिका का प्राचीन मन्दिर
09- शराब/दारु पीने वाले काल भैरव का मन्दिर
10- श्रीकृष्ण, सुदामा, बलराम का गुरुकुल/स्कूल संदीपनी आश्रम।
11- उज्जैन की महान विभूति सुरेश चिपलूनकर जी से मुलाकात व उज्जैन से जबलपुर प्रस्थान






















अपना मैजिक चालक मनोज व उसकी गाड़ी।

 उज्जैन रेलवे पुल

2 टिप्‍पणियां:

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