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बुधवार, 5 जून 2013

Araku Valley- Chaaparai fall अरकू वैली का छापाराई झरना

EAST COAST TO WEST COAST-08                                                                   SANDEEP PANWAR
अरकू घाटी का पदमपुरम गार्ड़न देखने के बाद हम वहाँ से 15 किमी आगे छापाराई नामक एक झरने तक चलने की तैयारी करने लगे। गार्ड़न से बाहर आकर मुख्य सड़क पर आने के बाद सीधे हाथ उसी दिशा में चलते रहे जहाँ पर विशाखापट्टनम से आते समय जा रहे थे। अरकू गाँव से आगे निकलते ही एक बन्दे से उस झरने के बारे में पता किया तो उसने कहा कि आगे जाने पर उल्टे हाथ एक मार्ग आयेगा जो उस झरने के आगे से होकर जायेगा। यह झरना अरकू से 25 किमी दूरी पर है इसलिये हमारी कार उस दिशा में तेजी से दौड़ती चली गयी। अरकू वाली सड़क से जब हमारी कार उल्टे हाथ वाले मार्ग पर मुड़ी तो मार्ग की चौड़ाई कम होने के कारण कार की गति सीमित करनी पड़ी। यह सड़क मात्र एक वाहन चलने लायक ही बनायी गयी है। दो कार एक साथ आ जाये तो उन्हें एक-एक पहिया सड़क से नीचे उतारना पड़ जाता है।




जैसे ही छापाराई का झरना आया तो वहाँ सड़क किनारे थोड़ी सी चहल-पहल दिखायी दी जिससे यह पक्का यकीन हुआ कि यही हमे रुकना है। गाड़ी को सड़क से उतार कर एक किनारे खड़ा करने के बाद हमने अपने-अपने कैमरे लेकर मोर्चा सम्भालते हुए। इस झरने पर हमला बोल दिया। सड़क से काफ़ी नीचे उतरने के बाद झरने के दर्शन होते है। इसलिये हम सावधानी से बड़ी-बड़ी पक्की सीढियों पर उतरते जा रहे थे। पक्की सीढियों किनारे सामान बेचने वाले भी बैठे थे। यही एक बुजुर्ग भी लोगों से कुछ नगद नारायण मिलने की उम्मीद में बैठा हुआ था। अपने नारायण जी ने उसको उसकी इच्छा से अधिक नगद नारायण दिया था जिससे उसके चेहरे की चमक देखते ही बनती थी।

इस छापाराई झरने के फ़ोटो लेते-लेते हम काफ़ी गहराई तक चले गये। ऊपर से नीचे फ़ोटो लेते समय हमने वहाँ बहुत कुछ देखा। इस झरने का पानी बहुत साफ़ नहीं था पानी में धुंधलापन था जिससे यह अंदाजा आसानी से लगाया जा रहा था कि यह झरना किसी ना किसी गाँव से होकर आ रहा है जहाँ से इसमें यह गन्दगी मिलकर आ रही है। नारायण जी ने बताया कि वह बहुत साल पहले यहा‘ आये थे तब इसमें बहुत पानी था। हो सकता है कि नारायण जी बरसात के मौसम में यहाँ आये होंगे। अभी बरसात गये व आने में कई महीने बाकि थे अत: पानी की भरपूर मात्रा होनी की उम्मीद करना बेकार था। झरने के पानी में घुसकर देखा गया उसमें ठन्ड़क अभी भी बाकि थी। जब झरने को देखते हुए काफ़ी समय हो गया तो वहाँ से वापिस चल दिये।

छापाराई झरने को देखने के बाद अरकू गाँव होते हुए ही वापिस आना था। इसलिये अरकू तक उसी मार्ग से आते रहे जिससे होकर छापाराई तक गये थे। सड़क पर एक बस आने के बाद हमें कार को नीचे कच्चे में उतारना पड़ा। आगे आने के बाद एक बड़ा सा पुल आता है जिसके किनारे पुराने वाला छोटा सा पुल भी सही सलामत खड़ा दिखायी दे रहा था। कार ऊपर सड़क पर छोड़कर मैं कैमरा लेकर पुल के नीचे जा पहुँचा। यहां नदी में से रेत जैसा कुछ निकाल कर ट्रक की भरायी की जा रही थी। फ़ोटो लेने के बाद अपुन एक बार फ़िर से कार में सवार होकर आगे चल दिये। यहाँ वापसी में सड़क किनारे लगे पेड़ बहुत ही सुन्दर नजारा बना रहे थे। चलती कार में उनके फ़ोटो लेते रहे और आगे बढ़ते रहे। जैसे ही अरकू का रेलवे स्टेशन दिखायी दिया तो कार उधर मोड़ दी। (क्रमश:)
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के आंध्रप्रदेश इलाके की यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
विशाखापटनम-श्रीशैल-नान्देड़-बोम्बे-माथेरान यात्रा के बोम्बे शहर की यात्रा के क्रमवार लिंक नीचे दिये गये है।
































1 टिप्पणी:

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