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शुक्रवार, 3 मई 2013

Haldwani and Almora हल्द्धानी व अल्मोड़ा तक बाइक यात्रा

ROOPKUND-TUNGNATH 01                                                                             SANDEEP PANWAR

जाना था चीन, पहुँच गये जापान, हाँ जी हाँ जी हाँ। आप सोच रहे होंगे कि यह जाट भाई को आज क्या हो गया जो गाना गाना शुरु कर दिया। जी हाँ बात ही ऐसी है कि कई बार यात्रा शुरु करने से पहले मन में सोचा जाता है कि यहाँ जायेंगे, वहाँ जायेंगे। लेकिन किस्मत का खेल निराला होता है किसे कब कहां ले जाये कोई नहीं जानता। मैंने इस यात्रा के समय पहले से ठाना हुआ था कि पंच बद्री, पंच केदार, पंच प्रयाग की यात्रा करके आऊँगा। समय भी था, बाइक भी, मौसम भी, कहने की बात यह है कि किसी किस्म की कोई परॆशानी नहीं थी, लेकिन होनी बड़ी बड़ी बलवान है यात्रा की तय तिथि से 3-4 दिन पहले से ही मेरी कमर व गर्दन में चिनके जैसा दर्द आरम्भ हो गया। मैंने सोचा कि रविवार आने में अभी तो कई दिन बाकि है तब तक ठीक हो जायेगा। लेकिन जब यात्रा वाले दिन की पूर्व वाली रात में भी दर्द पूरी तरह ठीक नहीं हो पाया तो यात्रा केंसिल करने के अलावा और कोई चारा नहीं था। इस बाइक वाली यात्रा में मेरे साथ बाइक वाले महान घुमक्कड़ मनु प्रकाश त्यागी साथ जाने वाले थे। आखिरकार मनु भाई को मना किया गया जिसके बाद उन्हें अकेले ही यात्रा पर जाना पड़ा।~
भीमताल

मनु भाई रविवार की सुबह को यात्रा पर रवाना हो गये। रविवार की रात तक मेरी कमर व गर्दन के दर्द में भी बहुत राहत मिल चुकी थी। इसलिये मैंने सोचा कि चलो एक दिन देर से ही सही, यात्रा पर कल निकल जाऊँगा। रात में मनु भाई का फ़ोन आया कि संदीप भाई दर्द कैसा है? जब मैंने कहा कि अब दर्द में बहुत आराम है। मेरी बात पूरी सुने बिना ही मनु ने कहा, तो कल सुबह आ रहे हो ना। मैंने अनमने मन से कहा "हाँ आ रहा हूँ।" मैंने मनु से कहा आज कहाँ तक पहुँचे हो? जब मनु ने कहा कि वह अल्मोड़ा के अनाशक्ति आश्रम में या उसके आसपास ही ठहरा हुआ है। मनु के मुँह से अल्मोड़ा का उच्चारण सुनकर दिमाग में जोर का घन्टा घनघना गया। मैंने तुरन्त मनु से पूछा अरे भाई हम तो गढ़वाल क्षेत्र की पंच महिमा की यात्रा करने वाले थे लेकिन तुम कुमाऊ कैसे पहुँच गये। मनु ने कहा संदीप भाई जब आपने साथ जाने से मना कर दिया तो मैंने भीमताल सहित अन्य ताल देखने का कार्यक्रम बना ड़ाला। आज मैं भीमताल, नौकुचियाताल व सातताल देखता हुआ अल्मोड़ा तक पहुँचा हूँ। यहाँ रात होने के कारण रुकना पड़ा नहीं तो और आगे निकल जाता।

एक दिन में इतना सफ़र गजब है भाई, अगर यही यात्रा बस की की गयी होती तो क्या यह सम्भव था। शायद नहीं ना। अगर साईकिल पर पहाड़ या मैदान की यात्रा की जाये तो इसी एक दिन की यात्रा को कम से कम चार दिन में जोर लगाकर कर पायेंगे, साथ ही थक कर बुरा हाल अलग से हो जायेंगा। उसके बाद घूमने के नाम की ऐसी-तैसी। मैंने मनु को कल आने के लिये हाँ तो कर दी थी लेकिन 4-5 दिन से कमर दर्द के कारण बाइक की सर्विस भी नहीं करा पाया था। सर्विस की तो छोड़ो। उसका तो इंजिन आयल बदल कर काम चल जायेगा। बाइक की चैन भी काफ़ी पुरानी हो गयी उसका बदला जाना बहुत जरुरी था। इसलिये अगले दिन सुबह दुकान खुलने का इन्तजार करना पड़ा। सुबह पहले नौकरी पर आना-जाना किया गया अगले सप्ताह के अवकाश के बारे में अपने अधिकारी को सूचित कर दिया गया। अब नौकरी वाले साथी भी मेरे घूमने की आदत से परॆशान होने लगे है इसलिये मैं कहाँ जा रहा हूँ इस बारे में कुछ नहीं पूछते है?

दोपहर के एक बजे तक बाइक की सर्विस की जा चुकी थी। चैन बदली जा रही थी कि तभी मनु का फ़ोन आया कि संदीप भाई कहाँ तक पहुँचे हो? मैंने कह दिया कि मैं मुदाराबाद पहुँच गया हूँ एक बाइक की दुकान पर रुककर चैन बदलवा रहा हूँ। चैन काफ़ी पुरानी हो गयी है रुद्रपुर से आगे पहाड़ आरम्भ हो जायेंगे। वहाँ पुरानी चैन तंग करेगी। मैंने मनु को आश्वस्त कर दिया कि मैं घर से चल चुका हूँ। जबकि अभी मैं घर के पास ही मिस्त्री की दुकान पर बैठा बाइक की चैन बदल वा रहा था। चैन बदलवाने के बाद घर पहुँचा और नहा धोकर चलने में दोपहर बाद के 3:10 मिनट हो चुके थे। अपना नीला बैग कंधे पर लाधा, जो मेरे साथ बीते 22 साल से हर यात्रा में मेरा साथ निभाता चला आ रहा है। मैं शाम होने तक मुरादाबाद बाई पास पार कर चुका था। आज की रात हलद्धानी शहर में अपने एक दोस्त के यहाँ रुकने का विचार बनाया गया था। दोस्त को फ़ोन कर आने की सूचना दी। रामपुर से उल्टॆ हाथ मुड़कर नैनीताल वाला मार्ग है। रामपुर से आगे कई किमी तक सड़क की हालत बेहद खस्ता हुई पड़ी थी जिससे हलद्धानी पहुँचने में रात के साढ़े आठ बज गये।

रात को दोस्त के हाथ का बनाया हुआ खाना खाया था। इसी दोस्त की इसी माह की 13 तारीख को हल्द्धानी में ही शादी हो रही है। अपना दोस्त मनोज जोशी ओरिएंटल बैक आफ़ कामर्स में कार्यरत है। सुबह 5 बजे अगले दिन की यात्रा आरम्भ कर दी गयी। भीमताल के किनारे से होता हुआ, भवाली चौराहे जा पहुँचा। यहाँ से सीधा मार्ग अल्मोड़ा जा रहा है। मैं इसी मार्ग पर चलता रहा। इसी मार्ग कैंची धाम नाम की जगह आती है। बाइक सड़क किनारे रोक कर कुछ मिनट इसके नाम लगा दिये। कैंची धाम भी धन्य हो गया कि जाट देवता ने दर्शन दिये। अल्मोड़ा पार करने के बाद कौसानी से होता हुआ अपना "जाट देवता का सफ़र" आगे चलता रहा। आगे जाकर एक बोर्ड़ देखा जिस पर लिखा था। बैजनाथ धाम। जाऊ या ना जाऊ? क्या फ़ैसला हुआ अगले लेख में।(क्रमश:)

रुपकुन्ड़ तुंगनाथ की इस यात्रा के सम्पूर्ण लेख के लिंक क्रमवार दिये गये है।
01. दिल्ली से हल्द्धानी होकर अल्मोड़ा तक की यात्रा का विवरण।
02. बैजनाथ व कोट भ्रामरी मन्दिर के दर्शन के बाद वाण रवाना।
03. वाण गाँव से गैरोली पाताल होकर वेदनी बुग्याल तक की यात्रा।
04. वेदनी बुग्याल से पत्थर नाचनी होकर कालू विनायक तक की यात्रा
05. कालू विनायक से रुपकुन्ड़ तक व वापसी वेदनी बुग्याल तक की यात्रा।
06. आली बुग्याल देखते हुए वाण गाँव तक की यात्रा का विवरण।
07. वाण गाँव की सम्पूर्ण (घर, खेत, खलियान आदि) सैर/भ्रमण।
08. वाण से आदि बद्री तक की यात्रा।
09. कर्णप्रयाग व नन्दप्रयाग देखते हुए, गोपेश्वर तक की ओर।
10. गोपेश्वर का जड़ी-बूटी वाला हर्बल गार्ड़न।
11. चोपता से तुंगनाथ मन्दिर के दर्शन
12. तुंगनाथ मन्दिर से ऊपर चन्द्रशिला तक
13. ऊखीमठ मन्दिर
14. रुद्रप्रयाग 
15. लैंसड़ोन छावनी की सुन्दर झील 
16. कोटद्धार का सिद्धबली हनुमान मन्दिर


कैंची धाम








कौसानी आश्रम







8 टिप्‍पणियां:

  1. एक नयी पोस्ट की बेहतरीन शुरुआ़त....वन्देमातरम...

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  2. बहुत भकाया आपने संदीप भाई पर एक बात है कि जब आप आ गये तो मन लग गया ।
    उस दिन मैने 436 किलोमीटर बाइक चलायी थी 12 घंटे में पर आपने भी कोई कम नही खींची

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  3. aachi shuruzat.. Photo acche lage...camare se khiche hain ya mobile se...

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  4. thode me bahot ,sandip bhai congret apki ye shubh yatra ke liyew ,bahosal pahele ham--sar pass,chandrakhaii,goumukh ,char khambh,amarnath.glesiyar.,fulokibadi,ganditalab ,.etc/magar tracking me pakitarah nahi your agreat -- ''''''''' himayaya is the great '''''''''''''

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    Jim Corbett National Park

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