काला टोप से अन्य सबसे पहले ही पैदल चलने का लाभ यह हुआ कि हम वहाँ के वन जीवन को नजदीक से देखते हुए एक किमी से ज्यादा दूरी तय कर गये थे। मराठे अपनी बाइक पर हमारे पास आ पहुँचे, हम दोनों मराठों की बाइक पर लद लिये, यहाँ आते समय मैंने के विशाल पेड़ गिरा हुआ देखा था। इसलिये वापसी में उस पेड़ के साथ उलजुलूल हरकत करने को जी चाह रहा था। जैसे ही हमारी बाइक उस पेड के पास पहुँची तो मैं बाइक से कूद गया। मैंने कहा जाओ मैं नहीं जा रहा तुम्हारे साथ, मैं तो गाड़ी में बैठ कर आऊँगा। मराठे अपनी बाइक लेकर जैसे ही चलने को तैयार हुए तो मैंने कहा ओये ताऊ जरा रुक जा यहाँ और आधे घन्टे रुक कर देख जाट की खोपड़ी क्या गुल खिलाती है? मराठे अभी कुछ समझ पाते मैं भाग कर इस गिरे हुए पेड़ पर जा चढ़ा। मुझे पेड़ पर चढ़ता देख मराठे अपनी बाइक बीच कच्ची सड़क में छोड़कर मेरे पास दौड़े चले आये। हम पेड़ पर बैठकर मस्ती काट ही रहे थे कि स्कारपियो वाले भी वहाँ आ पहुँचे। अब कुल बारह मनमौजी में से आधे मनमौजी तो पेड़ पर चढ़े मस्ती कूट रहे थे, इन्हें मजे लेते देख बाकि के गाड़ी में भला कैसे बैठे रहने वाले थे? सारे के सारे पेड़ पर टूट पड़े।
गाड़ी की सवारी में क्या आनन्द आया होगा? |
चलो हाजिरी लगाओ |
बाइक वाली टोली |
इसे कहते है जीवन्त फ़ोटोग्राफ़, चेहरे सब कुछ बता रहे है। |
अरे रुक जा भाई रुक जा। |
कूदो |
लो आ गये फ़िर जमीन पर |
अब इसे उठाकर पटक ही ड़ालो। |
आज के लेख में ज्यादा मजा पढ़ने में नहीं आयेगा। असली आनन्द तो फ़ोटॊ देखने में आ रहा है इसलिये आज मैंने ज्यादा नहीं लिखा है। हमने लगभग आधा घन्टा वहाँ उस विशाल पेड़ पर धमालचौकड़ी करने के उपरांत वहां से आगे खजियार जाने के प्रस्थान कर दिया। अभी हमने कुछ किमी ही तय किये होंगे कि हमें एक मोड़ से नीचे खाई में एक हरे भरे मैदान के दर्शन होने लगे। आगे कुछ मीटर चलते ही एक बोर्ड लगा देखा, उसपर लिखा हुआ था कि यहाँ से आप खजियार के पहले दर्शन कर सकते हो। हमारे पूरे ग्रुप के लिये तो खजियार का पहला ही दर्शन था। गाड़ी एक किनारे लगा कर हम सड़क किनारे खड़े होकर खजियार को देखने लगे। हम सीधे खजियार के मैदान में ही जा रहे थे लेकिन दूर पहाड़ के ऊपर से खजियार देखने का अलग ही मजा था। हम एक पहाड़ के ऊपर ज चढ़े, पहाड़ के ऊपर से हमने खजियार के और भी अच्छे तरीक से दर्शन किये। दूर से खजियार देखने के बाद हमने अपनी अपनी सवारी में सवार होकर खजियार को नजदीक से देखने के लिये उतावले हो गये थे। जब खजियार ऊपर से लगभग 12 किमी सड़क दूरी से इतना शानदार दिखायी दे रहा था तो सोचो जब हम खजियार पहुँचेंगे तो हमारी खुशी का क्या हाल रहा होगा? अगले लेख में खजियार में भ्रमण करा दिया जायेगा। (क्रमश:)
खजियार अभी कई किमी नीचे है। |
बिना कैमरे का जूम किये |
थोड़ा सा जूंम |
पीरपंजाल पर्वत माला व खजियार की पहली झलक यहाँ से मिलती है। |
जाट देवता का सफ़र, मस्ताना सफ़र। |
हिमाचल की इस यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे दिये गये है।
01. मणिमहेश यात्रा की तैयारी और नैना देवी तक पहुँचने की विवरण।
02. नैना देवी मन्दिर के दर्शन और भाखड़ा नांगल डैम/बाँध के लिये प्रस्थान।
03. भाखड़ा नांगल बांध देखकर ज्वालामुखी मन्दिर पहुँचना।
04. माँ ज्वाला जी/ज्वाला मुखी के बारे में विस्तार से दर्शन व जानकारी।
05. ज्वाला जी मन्दिर कांगड़ा से ड़लहौजी तक सड़क पर बिखरे मिले पके-पके आम।
06. डलहौजी के पंजपुला ने दिल खुश कर दिया।
07. डलहौजी से आगे काला टोप एक सुन्दरतम प्राकृतिक हरियाली से भरपूर स्थल।
08. कालाटोप से वापसी में एक विशाल पेड़ पर सभी की धमाल चौकड़ी।
09. ड़लहौजी का खजियार उर्फ़ भारत का स्विटजरलैंड़ एक हरा-भरा विशाल मैदान
10. ड़लहौजी के मैदान में आकाश मार्ग से अवतरित होना। पैराग्लाईंडिंग करना।
11. ड़लहौजी से चम्बा होते हुए भरमौर-हड़सर तक की यात्रा का विवरण।
12. हड़सर से धन्छो तक मणिमहेश की कठिन ट्रेकिंग।
13. धन्छो से भैरों घाटी तक की जानलेवा ट्रेकिंग।
14. गौरीकुन्ड़ के पवित्र कुन्ड़ के दर्शन।
15. मणिमहेश पर्वत व पवित्र झील में के दर्शन व झील के मस्त पानी में स्नान।
16. मणिमहेश से सुन्दरासी तक की वापसी यात्रा।
17. सुन्दरासी - धन्छो - हड़सर - भरमौर तक की यात्रा।
18. भरमौर की 84 मन्दिर समूह के दर्शन के साथ मणिमहेश की यात्रा का समापन।
19. चम्बा का चौगान देखने व विवाद के बाद आगे की यात्रा बस से।
02. नैना देवी मन्दिर के दर्शन और भाखड़ा नांगल डैम/बाँध के लिये प्रस्थान।
03. भाखड़ा नांगल बांध देखकर ज्वालामुखी मन्दिर पहुँचना।
04. माँ ज्वाला जी/ज्वाला मुखी के बारे में विस्तार से दर्शन व जानकारी।
05. ज्वाला जी मन्दिर कांगड़ा से ड़लहौजी तक सड़क पर बिखरे मिले पके-पके आम।
06. डलहौजी के पंजपुला ने दिल खुश कर दिया।
07. डलहौजी से आगे काला टोप एक सुन्दरतम प्राकृतिक हरियाली से भरपूर स्थल।
08. कालाटोप से वापसी में एक विशाल पेड़ पर सभी की धमाल चौकड़ी।
09. ड़लहौजी का खजियार उर्फ़ भारत का स्विटजरलैंड़ एक हरा-भरा विशाल मैदान
10. ड़लहौजी के मैदान में आकाश मार्ग से अवतरित होना। पैराग्लाईंडिंग करना।
11. ड़लहौजी से चम्बा होते हुए भरमौर-हड़सर तक की यात्रा का विवरण।
12. हड़सर से धन्छो तक मणिमहेश की कठिन ट्रेकिंग।
13. धन्छो से भैरों घाटी तक की जानलेवा ट्रेकिंग।
14. गौरीकुन्ड़ के पवित्र कुन्ड़ के दर्शन।
15. मणिमहेश पर्वत व पवित्र झील में के दर्शन व झील के मस्त पानी में स्नान।
16. मणिमहेश से सुन्दरासी तक की वापसी यात्रा।
17. सुन्दरासी - धन्छो - हड़सर - भरमौर तक की यात्रा।
18. भरमौर की 84 मन्दिर समूह के दर्शन के साथ मणिमहेश की यात्रा का समापन।
19. चम्बा का चौगान देखने व विवाद के बाद आगे की यात्रा बस से।
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सच में बड़ा मज़ा आया था वहाँ पर
जवाब देंहटाएंचाचा रौनकी राम हो पूरे, जहाँ रहते हो, रौनकें लगी रहती हैं:)
जवाब देंहटाएंपेड़ वाली तस्वीरें वाकई मजेदार हैं।
वाकई मजा आ गया :)
जवाब देंहटाएं(जाट जी आज तो आपकी मस्ती देख मैं आपने आपको कमेन्ट करने से ना रोक सका। इसी तरह घुमक्कड़ी करते रहो, शानदार लेख हमारे लिये लिखते रहो।)
जवाब देंहटाएंविराट वृक्ष ने धराशायी होकर आपके मजे को विराट कर दिया…
जवाब देंहटाएंयादें ताजा कर दी
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