गोवा यात्रा-18
पिछले लेख में आपको बताया गया था कि हमने सबको किट-किट का भय क्या दिखाया, सभी डेटॉल नारियल तेल लेकर लगाने बैठ गये। उनको तेल मालिश करते देख हमारी हँसी रुक नहीं पा रही थी इस कारण हम वहाँ से कैम्प के लिये फ़ुर्र हो गये। तीन चार मिनट की दूरी पर ही कैम्प था। सबसे पहले हमने एक टैन्ट में अपना सामान रखा, चूंकि सुबह से नहाये नहीं थे, इसलिये सबसे पहले हमने वहाँ पर नहाने के साधन के बारे में पता किया, उसके बाद ही कही आसपास घूमघाम कर आने की सोची। आज हमारा कैम्प एक पुराने गाँव के बचे हुए अवशेष पर स्थापित किया हुआ था। सालों पहले यहाँ कोई गाँव हुआ करता था, उसके बचे हुए अवशेष यहाँ बिखरे हुए थे। यहाँ पर दो कुएँ भी बने हुए थे, एक कुआँ जिसमें साफ़ पानी था पीने के लिये उपयोग में लाया जाता था। दूसरा कुआँ जिसका पानी पहले कुएँ की अपेक्षा में थोड़ा गन्दा दिखाई देता था। इसलिये इस कुएँ के पानी को नहाने धोने के लिये प्रयोग करते थे। दिल्ली के मुकाबले वहाँ मौसम बहुत गर्म था। सबसे पहले हम नहाने के लिये पहुँच गये। जिन लोगों ने तेल लगाया हुआ था, उनके लिये नहाना तो और भी जरुरी था।
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साफ़ पानी वाला कुआँ |
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पनघट पर पनिहारी मोबाइल वाली |
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पिला दे भाई पानी पिलाने से भला होता है। वैसे भी दिल्ली वाली है। |
नहाने के बाद मैं और अनिल आसपास घूमने के लिये सड़क की ओर जाने लगे तो कमल भी हमारे साथ हो लिया, थोडी दूर जाने के बाद कमल लौट आया, उसका लौटने का कारण पता चला कि उसके पास जूते चप्पल नहीं है सड़क किनारे तीन किमी दूर कोई बाजार है, वहाँ जाकर अपने लिये चप्प्ल (?????) लेने जा रहा है। बाद में पता लगा कि उसे वहाँ चप्पल (जुगाड़ मिल गया था) नहीं मिली। मैं और अनिल सड़क पर पहुँच गये, इस सड़क पर वाहन बहुत सीमित संख्या में ही आवागमन कर रहे थे। हम दोनों दिशाओं में काफ़ी दूर-दूर तक जाकर देख आये। लेकिन वहाँ जंगल के अलावा और ज्यादा कुछ नहीं दिख रहा था। लौंडा की ओर जाने वाले दिशा में जरुर एक जगह कुछ वाहन खडे दिखायी दिये थे। अन्यथा दूसरी दिशा फ़ोंड़ा की दिशा में दूर-दूर तक कुछ नहीं दिख रहा था।
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कर्नाटक की ओर |
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गोवा की ओर |
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पुराना पुल जीर्ण शीर्ण हालत में |
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कैम्प वाला मार्ग |
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कल की अन्तिम ट्रेकिंग में यही से होकर जाना है। |
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सही है |
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कोई कुटी बनी है |
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कही लोंडा है कही फ़ोंडा है |
घन्टा भर से ज्यादा उछल कूद करने के बाद हम दोनों वहाँ से वापिस आने लगे तो देखा कि हमारे ग्रुप के दो बन्दे वापिस घर जाने के लिये सड़क की ओर चले आ रहे है। उन्होंने बताया कि बस हमारी यात्रा यही तक थी अब हम अपने घर जा रहे है। उन्हें अलविदा कह कर हम कैम्प में लौट आये। कैम्प के चारों और घना जंगल था जिसमें जगह-जगह पेड गिरे पडे थे, यहाँ हमने बाँस के बहुत से झुन्ड के झुन्ड गिरे हुए देखे थे। पता नहीं बाँस से दीमकों को क्या प्यार था कि झुन्ड के झुन्ड सुखा दिये थे। अंधेरा होने से पहले हम आसपास और कुछ देख लेना चाहते थे। इस यात्रा में जंगल में मोबाइल नेट्वर्क काम नहीं कर रहा था। कैम्प लीडर ने बताया कि यहाँ पर एक वाच टावर है हो सकता है कि वहाँ पर मोबाइल के टावर काम करने लगे। हममें से ज्यादातर टावर की ओर चल दिये।
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आम के पेड के नवनिर्मित पत्ते |
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कुदरती रंग |
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क्या हालत हो गयी है?????? |
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अरे तु यहाँ कैसे आया? |
जब हम मोबाइल सिंगनल की तलाश में वाच टावर की ओर आ रहे थे तब हमें एक खाली खेत से होकर जाना था जहाँ पर महवीर वन अभ्यारण बनने के बाद कोई खेती नहीं हुई थी। खेत की मेंढ़/डोल भी आज भी ऐसी लग रही थी जैसे कुछ दिन पहले कोई बनाकर गया हो। वाच टावर पेडों के झुरमुट में छिपा हुआ था। जब तक हम इसके पास नहीं पहुँच गये, यह हमें तब तक दिखायी ही नहीं दिया था। इस टावर के ऊपर चढने के बाद हम काफ़ी देर तक मोबाइल मिलाने की कोशिश करते रहे, लेकिन अफ़सोस मोबाइल नेट्वर्क होता तो मिलता ना। टावर के आसपस काजू के बहुत दे पेड दिख रहे थे, जहाँ हम कल रुके थे वहाँ भी काजू के बहुत सारे पेड थे। वैसे घर पर हमने बोला हुआ था यहाँ मोबाइल कई-कई दिन तक मिलना मुश्किल होगा, अत: ज्यादा परेशानी नहीं होना। कल हमारी यात्रा का आखिरी दिन था। इसलिये यात्रा में जोश भी आया हुआ था।
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उजडे गाँव के उजडे खेत |
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फ़ूल ही फ़ूल है। |
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जंगल में वा्च टावर |
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जंगल में वाच टावर |
आज का सफ़र यही समाप्त होता है, कल आपको गोवा ट्रेकिंग यात्रा में अन्तिम दिन की ट्रेकिंग करते हुए एक हजारों साल पुराने मन्दिर के दर्शन कराये जायेंगे।
गोवा यात्रा के सभी लेख के लिंक नीचे क्रमवार दिये गये है। आप अपनी पसन्द वाले लिंक पर जाकर देख सकते है।
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पश्चिमी घाटों के जंगल में मंगल..
जवाब देंहटाएंजरा उजड़ी बस्ती का पता करना था, किसकी थी और क्यों उजड़ी?
जवाब देंहटाएंमेरा काफी छूट गया है अब दोबारा से पढना शुरू किया है पीछे से
जवाब देंहटाएंपर एक बात तो है कि यूथ हास्टल का ये कार्यक्रम मजेदार रहा और आगे आपके साथ जरूर जाना होगा
जंगल में मंगल .....
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