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शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

Dwarka- Lord Sri Krishna's wife Rukmini Devi temple श्रीकृष्ण की धर्मपत्नी रुकमणी देवी का मन्दिर

गुजरात यात्रा-4
द्धारका dwarka में हम जिस तीन बत्ती नामक चौराहे के पास रुके थे उससे कुछ दूरी पर ही यहाँ की नगर पालिका Dwarka Nagar Palika की उस बस का कार्यालय है जो उस समय मात्र 60 रुपये में ही वहाँ के कई स्थानों के दर्शन कराया करती थी। आज हो सकता है कि यह किराया कुछ बढ़ गया हो। यह बस सुबह 8 बजे चलकर दोपहर  2 बजे वापस आती है। इसके रुट में Nageshwar Jyotirlinga, Gopi Talab, Bet Dwarka, Rukmani Devi Temple जैसे स्थान आते है। भद्रकाली रोड़ पर ही भद्रकाली मन्दिर में इसका कार्यालय है। हमें केवल रुकमणी देवी मन्दिर व नागेश्वर ज्योतिर्लिंग ही देखने थे जिस कारण हम इस बस में नहींण गये थे। हाँ पहले दिन ही इसकी बुकिंग करवा लेनी सही रहेगी। नहीं तो पता लगा कि टिकट है ही नहीं, फ़िर क्या करोगे?

यह रुकमणी देवी मन्दिर है, कुछ इसे राधा मन्दिर भी कहते है।



यहाँ भिखारी का भीख माँगने का तरीका जबरदस्त लगा।

हम चारों तीन बत्ती वाले चौराहे पर स्थित अपने कमरे से अपना सामान उठाकर चल दिये। हम होटल वाले से नागेश्वर जाने के बारे में पता कर बाहर आये ही थे कि एक वैन गाड़ी सवारी भरकर गोपी तालाब की ओर सवारी लेने के लिये आवाज लगाती हुई मिल गयी। हमने भी अपुन चारों की नागेश्वर तक जाने की बात की, और बातचीत करते हुए पता लगा कि यह वैन रुकमणी मन्दिर के दर्शन करती हुई ज्योतिर्लिंग के दर्शन कराकर गोपी तालाब तक जायेगी। हम चारों इसमें बैठ गये। यह वैन कुछ दूर तक तो हाईवे पर ओखा की ओर चली, उसके बाद सीधे हाथ पर एक सड़क पर मुड़ गयी। इस सड़क पर कुछ दूर जाने पर हमें एक मन्दिर के दर्शन करने के लिये वैन रोक दी गयी। अपुन तो मन्दिर में घुसते ही दर्शन कर तुरन्त बाहर निकलने के आदी है, लेकिन अपने दो साथी अनिल और प्रेम सिंह इस मामले में थोडे बल्कि ज्यादा लापरवाह है। वैन की सभी सवारियाँ तो फ़टाफ़ट दर्शन करने के बाद वैन में आकर बैठ गयी थी। जबकि अपने दोनों साथी पता नहीं क्यों मन्दिर में अटके हुए थे। मैंने अन्दर जाकर देखा तो उस समय मन्दिर में आरती हो रही थी जिस कारण वे वहाँ जमे हुए थे। इधर बाहर सड़क पर वैन वाला उन पर आग बबूला हो रहा था। वैन वाला मुझे कहता कि अपने साथी को जल्दी बुला लाओ, नहीं तो मैं जा रहा हूँ। मैंने कहा जा ताऊ जा, वे तो आरती पूरी होने के बाद ही आयेंगे। वैन वाला अपना किराया मुझसे माँगने लगा तो मैंने कहा कि यह तो मेरा किराया उनका किराया वे अपने आप देंगे। अब वैन वाला मुझसे चारों का किराया माँगने लगा तो मैंने कहा कि देख ताऊ मैं उनके साथ आया हूँ इसका मतलब यह नहीं कि उनका हर्जाना भी मैं ही दू, अभी वे आने वाले होंगे, अगर तेरे में ज्यादा हिम्मत है तो ले लियो किराया। जैसे ही वे तीनों वहाँ आये तो वैन वाला उनसे देर करने के कारण बाते सुनाने लगा।

द्धारका मन्दिर से रुकमणी मन्दिर तक जाने वाला नीला मार्ग है।

यह नीला मार्ग द्धारकाधीश से नागेश्वर जाने वाला है।

यह नीला मार्ग ओखा से नागेश्वर जाने वाला मार्ग है।

जब हम रुकमणी देवी मन्दिर से बाहर आ रहे थे तो मैंने देखा कि वहाँ पर सड़क के दूसरी ओर बहुत सारे भिखारी जैसे दिखने वाले लोग बैठे हुए है। यहाँ पर माँगने वाले तो बहुत सारे लोग वैठे हुए थे लेकिन उन्होंने  भीख लेने के लिये केवल एक बन्दे को सबसे आगे बैठाया हुआ था जो वहाँ आने वाले लोगों से पैसे एकत्र करता जाता था जिसे शाम को वे सब आपस में बाँट लिया करते होंगे। खैर यहाँ से किसी तरह नागेश्वर ज्योतिर्लिंग तक पहुँचे। वहाँ पहुँचने पर वैन वाला हमें भुगतने की धमकी दे रहा था। जिस पर हमने पुलिस स्टेशन मोबाइल से फ़ोन करने का झूठ-मूठ का ड्रामा किया। जिससे उसने चुपचाप अपने किराये के पैसे ले लिये। इसके बाद हमने भारत में बताये गये कुल 12 ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिये मन्दिर में प्रवेश करने लगे। यहाँ पर वैन वाले ने हमें कुछ नहीं कहा, हम सोच रहे थे कि अगर यह हमसे कोई पंगा करेगा तो इसका पूरा दिन खराबा कराकर रहेंगे। क्योंकि जिस प्रकार वह जल्दी-जल्दी का शोर मचा रहा था उससे हमें लग रहा था कि अपना दिन खराब होते देख यह भाग जायेगा। देखिये हुआ भी वैसा ही।


लो जी अपुन आ गये है, एक ऐसे ज्योतिर्लिंग के ठीक बाहर, जिसके बारे में थोड़ा मतभेद है। जिसके बारे में अगले लेख में बताया जायेगा।


गुजरात यात्रा के सभी लेख के लिंक क्रमानुसार नीचे दिये गये है।

भाग-01 आओ गुजरात चले।
भाग-02 ओखा में भेंट/बेट द्धारका मन्दिर, श्री कृष्णा निवास स्थान
भाग-03 द्धारकाधीश का भारत के चार धाम वाला मन्दिर
भाग-04 राधा मन्दिर/ श्रीकृष्ण की अर्धांगिनी रुक्मिणी देवी का मन्दिर
भाग-05 नागेश्वर मन्दिर भारते के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक
भाग-06 श्रीकृष्ण के दोस्त सुदामा का मन्दिर
भाग-07 पोरबन्दर गाँधी का जन्म स्थान।
भाग-08 जूनागढ़ का गिरनार पर्वत और उसकी 20000 सीढियों की चढ़ाई।
भाग-09 सोमनाथ मन्दिर के सामने खूबसूरत चौपाटी पर मौज मस्ती
भाग-10 सोमनाथ मन्दिर जो अंधविश्वास के चलते कई बार तहस-नहस हुआ।
भाग-11 सोमनाथ से पोरबन्दर, जामनगर, अहमदाबाद होते हुए दिल्ली तक यात्रा वर्णन
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8 टिप्‍पणियां:

  1. मैप देखकर लग रहा है कि यह भूखण्ड पहले मिला हुआ था।

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  2. बस इसी तरह के अनुभव मेरे रहे है द्वारका भ्रमण के, वैन की बात को छोड़कर.

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  3. Sandeep bhai, mujhe apni family ko lekar jana hai in sabhi jagah par. Thanks for writing it.

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  4. धर्मपत्नी शब्द से क्या सिद्ध होगा,केवल पत्नी होना काफी है !

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  5. बहुत सुन्दर जानकारी के साथ सुन्दर यात्रा प्रस्तुति हेतु धन्यवाद....

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  6. उपयोगी जानकारी। मुझे भी जाना है गुजरात यात्रा पर

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