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बुधवार, 11 जनवरी 2012

SANDEEP PANWAR (JAT DEVTA) संदीप पवाँर (जाट देवता) की पसंद के लिंक

आज कोई पोस्ट नहीं लिख रहा हूँ आपको कुछ बात बता रहा हूँ जिसे जानने पर आपको लगेगा कि ये मेरी पसंद की बात क्यों है?

पहली बात यह है कि उस वेबसाइट का जो अपने आप में अपने क्षेत्र में एक विशेषज्ञ वेबसाइट की हैसियत रखती है, जिसने मुझे अपनी वेबसाइट में लिखने की छूट प्रदान कर दी है। यानि अब मैं वहाँ का मान्यता प्राप्त लेखक बन गया हूँ। वहाँ पर अभी तक 300 लेखक है जिनमें से Top 10 में सबसे ऊपर मेरा स्थान भी आता है।

दूसरी बात भी उसी वेबसाइट का ही है जिसमें मुझे दो और बन्दों (एक बन्दा+एक बन्दी) के साथ वर्ष 2011 का सबसे रोमांचक घुमक्कड चुना गया है।




मैंने सोचा कि आप सब के साथ यह खुशी बाँटनी चाहिए। 
उपरोक्त दोनों सम्मान मुझे मिले इसमें नीरज जाट जी का मुख्य रोल है जिनकी वजह से मैं इन्टरनेट पर लिखने लगा।

बीते 13 दिन से कोई लेख नहीं लिख पाया क्योंकि मेरे मामा जी (49 वर्ष) का देहांत हो गया था। 



अब मैं सोच रहा हूँ कि मैं ब्लॉग पर लिखने की बजाय सिर्फ़ उस वेबसाइट पर ही लिखा करूँ, ब्लॉग मेरा सफ़र शुरु होने की पहली मंजिल थी। मुझे सलाह दीजिए कि मुझे क्या करना चाहिए, हो सकता है कि आपकी कोई सलाह मेरे बहुत काम आ जाये। 
जो आपके मन में हो कह देना, मैंने कोई माडरेशन नहीं लगाया हुआ है।

मेरा आखिरी फ़ैसला यह हुआ है कि इस साल के आखिरी तक मैं दोनों जगह लिखूँगा, इसके बाद नये साल से मैं सिर्फ़ अपने ब्लॉग पर ही लिखा करूँगा।



50 टिप्‍पणियां:

  1. संदीप जी
    सबसे पहले तो शुभकामनायें स्वीकार करें।
    आपका ब्लॉग भी एक साईट है और वो साईट भी एक तरह का ब्लॉग ही है। वहां दूसरी साईट वाले आपके लेखों से पैसा कमायेंगे।
    वहां भी लिखिये और ब्लॉग पर भी लिखते रहिये।
    दूसरी बात आपने यहां ब्लॉग में आने का नीरज जाटजी को श्रेय दे दिया, लेकिन इंटरव्यू में आप उनका नाम नहीं लेना चाहते थे, ऐसा मुझे लगता है।

    प्रणाम

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    1. अन्तर सोहिल जी जो पैसा कमाना चाहता है कमाये। मुझे उस बात से कोई मतलब ही नहीं है। ब्लाग पर नीरज ने शुरु कराया था इसलिये उसका नाम दिया, लेकिन उस साइट पर मैंने अपनी मर्जी से शुरु किया, नीरज ने तो अब जाकर वहाँ लिखना शुरु किया है, इसलिये वहाँ नीरज का नाम नहीं दिया था।

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  2. उक्त साईट के टॉप 10 लेखकों में आने पर बधाई
    पर एक साईट पर मुफ्त में केवल लिखने की अनुमति मिलना कोई बहुत बडी उपलब्धि की बात नहीं लगी मुझे।
    हां अगर कुछ कमाई का हिस्सा आपको भी दें तो बात बने।

    प्रणाम

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    1. --कमायी तो यहाँ ब्लाग पर बहुत हो रही है, इतनी काफ़ी है।

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  3. जाट भाई !राम-राम ..
    गम और खुशी ..ये ही जीवन है !
    आप के मामा श्री की बिदाई का अफसोस....
    आप की उपलब्दी पर बधाई स्वीकारें.....
    स्वस्थ रहें !

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  4. bhai वाह ! मुबारक हो ।
    यूँ ही घुमते रहो । लेकिन अपनी पहचान , अपने ब्लॉग पर लिखना मत छोडो ।

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  5. धन और यश सबको आकर्षित करता है!कहा जाये तो ये कई लोगों की कमजोरी भी होती है!! मैंने ये इंटरव्यू पहले भी पढ़ा था. लेकिन आप जैसे लोग इन चक्करों (सम्मान वगैरह) में आ जाएँ तो बड़ा विचित्र लगता है. अगर आप सम्मान, नाम और पैसे के लिए लिख रहें है तो फिर कोई बात नहीं, लेकिन यदि आप सच्चे घुमक्कड़ और प्रकृति प्रेमी हैं तो आप इसको (प्रकृति प्रेम) लक्ष्य बनायें, बाकि सब चीजें तो पीछे- पीछे आ जाएँगी.

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    1. विधान भाई मैं तो अलग तरह का प्रकृति प्रेमी घुमक्कड हूँ, पैसों व मान सम्मान की(गलत तरीके से) कभी उम्मीद नहीं की, लेकिन जब कोई अपने इन छोटे-छोटे कारनामे की बढाई करता है तो खुश होना तो बनता है कि नहीं...... रही बात लिखने की वो सिर्फ़ इसलिये है कि कोई हमारी बाते पढकर कुछ जान पाये बस यही उम्मीद है।
      अब देखियेगा हम और आप जब सम्पूर्ण राजस्थान बाइक से घूम कर आयेंगे तो कितने ही हमें व आपको बधाई देंगे तो खुशी तो होगी ही। अरे हाँ ऐसे भी मिल जायेंगे जो हमें पागल, मूर्ख, सनकी, और ना जाने क्या-क्या कहेंगे।

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  6. मामाजी के बारे में जानकर दुख हुआ।

    आपकी घुमक्कड़ी अनुकरणीय है।

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  7. जो आपको उचित लगे वही कीजिये ......जिन्दगी है मुकाम आते रहते हैं ....लेकिन जहाँ से आप इस मुकाम तक पहुंचे हो उससे किनारा करना ????? .

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  8. आपके दिवंगत मामाश्री को विनम्र श्रद्धांजलि.

    आप अपने ब्लॉग पर भी लिखते रहें,मेरी तो
    यही सलाह है आपको.

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  9. आपके दिवंगत मामाश्री को विनम्र श्रद्धांजलि

    ब्लॉग और वेब साईट में कोई फर्क नहीं होता आपका ब्लॉग आपकी वेब साईट है मेरी सलाह यही है कि आप अपने ब्लॉग पर ही लिखें, आखिर ब्लॉग ने ही आपको इन्टरनेट पर पहचान दी है|
    दूसरी वेब साईट वाले तो आपको लिखने का न्योता देकर आपकी मेहनत का सिर्फ दोहन करना चाहते है|

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    1. रतन जी ना तो उन्होंने नयौता दिया, ना ही कोई लालच।

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  10. अरे भाई, यह क्या सोच रहे हो? जिसने आपको जाट देवता बनाया, आप उसी से भागने की कोशिश कर रहे हो? बिल्कुल गलत।
    जब मैंने घुमक्कड.कॉम पर पहला लेख लिखा था, तो एक कमेण्ट यह भी आया था कि ’आपके आने से घुमक्कड पर चार चांद लग जायेंगे।’ सोचो मुझे कितना अच्छा लगा होगा। एक ने कहा था ’ब्लॉग जगत में तहलका मचाने के बाद आप यहाँ भी तहलका मचाने वाले हैं।’
    ऐसी उत्साहवर्द्धक टिप्पणियां मिलने का मतलब यह नहीं है कि हम अपने ब्लॉग को भूल जायें। आपको जो भी पहचान मिली है, वो आपके अपने ब्लॉग ने दी है, किसी घुमक्कड ने नहीं।
    कहीं घुमक्कड ही आपको ब्लैकमेल तो नहीं कर रहा कि आप अपने ब्लॉग पर लिखना छोडकर केवल घुमक्कड पर लिखें। बता देना, अगर ऐसा है तो भाड में जाये घुमक्कड, मैं आज से ही वहां जाना छोड दूंगा।
    और अन्तर सोहिल भाई, आप सही कह रहे हो। भाई मुझे भूल गये थे। मैंने ही एक बार याद दिलाया था कि भाई, हम भी हैं। हमारे भाई प्रसिद्धि के भूखे हैं, अगर वे दूसरे की वाह वाह के चक्कर में आकर अपने ही ब्लॉग को भूल रहे हैं, तो हम कौन हैं।

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    1. नीरज भाई, पहली बात तो ब्लाग में आकर मुझे जाट देवता नहीं कहा गया है मुझे दोस्तों ने सन 2000 से पहाडों में ज्यादातर घूमने के कारण जाट देवता कहते आये है, घुमक्कड ने मुझे कभी कही भी लिखने के बारे में कुछ नहीं कहा है।
      अब बात आती है, नेट पर जान पहचान की, इसमें ब्लाग का महत्व हमेशा याद रहेगा। अब बात आती है प्रसिद्धि की तो भाई इस बारे में बता दूँ कि मुझे घुमक्कडी करते हुए 20 वर्ष हो गये है, यानि जब आप मात्र 4 वर्ष के थे जब से यह पसंदीदा कार्य मैं करता आ रहा हूँ। अब मात्र 10 महीनों में ब्लाग से जो प्यार मिला व घुमक्कड से जो मान-सम्मान, तो इस पर खुश होने में क्या बुराई है?

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  11. पहले तो बधाई आपको, आपके श्रम को महत्व प्राप्त हुआ।
    दिवंगत मामाश्री को विनम्र श्रद्धांजलि।
    घुमक्कड हैं तो, यहाँ भी लिखो, वहाँ भी लिखो और लेखन घुमक्कडी से लोगों को अपने अनुभव बांटते रहो!!मित्र!!

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  12. यह तो बहुत बड़ी उपलब्धि है ....आपको बहुत -बहुत बधाई ,कृपया ब्लॉग भी लिखते रहें ...

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  13. मामाजी को हार्दिक श्रद्धांजलि और आपको बधाई !

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  14. आपके दिवंगत मामा जी को विनम्र श्रद्धांजलि..उपलब्धियो पर बहुत बधाई ...

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  15. मजा आ गया , जात देवता ,

    आपकी टक्कर देने हम आ गएँ हैं :D मार्केट में ...

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    1. कमल भाई अब आयेगा असली मजा इस रोमांचक खेल में।

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  16. संदीप जी बड़ी दुखद सुचना आपसे मिली की आपके मामा जी गोलोक को चले गए

    भगवान् उन्हें शान्ति प्रदान करे

    बाकी "अब मैं सोच रहा हूँ कि मैं ब्लॉग पर लिखने की बजाय सिर्फ़ उस वेबसाइट पर ही लिखा करूँ, ब्लॉग मेरा सफ़र शुरु होने की पहली मंजिल थी। मुझे सलाह दीजिए कि मुझे क्या करना चाहिए,"

    इसके बारे मैं ना सोचो सिर्फ वही करो जो मन को अच्छा लगे

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    1. फ़कीरा भाई सच में आपने भी मेरे मन की बात कह दी है अब वही करूँगा जो मेरा मन कहेगा।

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  17. मामा जी के देहांत का बड़ा दुःख है, इश्वर उनकी आत्मा को शांति दे.

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  18. बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फासला रखना...
    जहाँ दरिया समंदर से मिला वहां दरिया नहीं रहता...

    मै तो भाई आपका मुरीद हूँ...आप कहीं भी रहे मै पहुँच जाऊंगा...लेकिन जाट देवता का अंदाज़-ए-बयां कुछ और ही है...

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  19. संदीप भाई ब्लॉग पर लिखने या वेबसाइट पर लिखने का फैसला तो आपका अपना है. मैं तो इतना कहूँगा कि नदी को रास्ता बताया नहीं जाता उसका बिंदासपन तभी रहता है जब अपने बनाये रास्ते पर चले. बताये रास्ते पर चले तो नदी, नदी नहीं रहती नहर बन जाती है.

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  20. नीरज जी,
    घुमक्कड़ डोट कॉम एक साफ़ सुथरी छवि वाली वेबसाइट है और कभी किसी को ब्लेकमेल या गुमराह नहीं करती है, लेखकों की मेहनत को ख़ूबसूरत ढंग से पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करती है और लेखकों को समय समय पर प्रोत्साहित एवं सम्मानित करती है.
    दूसरी बात है की घुमक्कड़ डोट कॉम के पास एक बड़ा पाठक वर्ग है जो की प्राइवेट ब्लोग्स पर मुश्किल से ही मिलता है. ब्लोग्स पर सारे ब्लोगर्स पोस्ट को बिना पढ़े एक दुसरे को जनरल कमेंट्स करते रहते हैं तथा खुश होते रहते हैं और अन्य पाठकों को अपने अपने ब्लॉग पर आमंत्रित करने की जद्दोजहद करते रहते हैं.
    मैंने भी अपना ब्लॉग शुरू किया था, लेकिन कुछ समय बाद मुझे पता चल गया की कोई मतलब वाली बात नहीं है, अगर हाथ पैर मार कर मैंने पंद्रह बीस फोलोवेर्स इकट्ठे कर भी लिए तो कोई बहुत बड़ी फायदेवाली बात नहीं है, इससे तो घुमक्कड़ पर लिखना ही बेहतर है.
    वैसे आप दोनों (नीरज & संदीप) के ब्लोग्स अपेक्षाकृत ज्यादा पॉपुलर हैं और मैं स्वयं भी आप दोनों के ब्लोग्स नियमित रूप से पढता हूँ तथा अपने जानने वालों को आपके ब्लोग्स के बार में बताता भी हूँ. लेकिन यह भी बहुत बड़ा सत्य है की ब्लोग्स को ब्लोगर्स ही पढ़ते हैं (पता नहीं पढ़ते भी हैं या ऐसे ही कमेन्ट पेल देते हैं) आम जनता नहीं, और एक ब्लोगर का दुसरे ब्लोगर का ब्लॉग पढने के पीछे एकमात्र मंशा होती है लोगों से अपने ब्लॉग पढने की भीख मांगना.
    खैर संदीप जी को कहाँ लिखना चाहिए यह पूरी तरह से उनकी मर्जी पर निर्भर करता है, मैं संदीप जी का बहुत बड़ा फैन हूँ, वे जहाँ लिखेंगे हम वहां पढने पहुँच जायेंगे.
    धन्यवाद.

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    उत्तर
    1. मुकेश भाई आपके इस बेबाक स्पष्टीकरण ने तो अब कुछ कहने के लिये छोडा ही नहीं है।
      यहाँ ब्लॉग पर ज्यादातर ऐसा ही हो रहा है जैसा आपने बताया है, कहीं ब्लॉगर अपने-अपने गिरोह(गुट) बना कर बैठे है, कहीं एक दूसरे पर पक्षपात महसूस कर रहे है।
      सबसे ज्यादा गुस्सा तो तब आता है जब कोई महाशय बिना पढे( पोस्ट से सम्बंधित नहीं) अपना कमैन्ट पेल जाता है और साथ ही अपने ब्लॉग पर आने का Invitation भी दे जाता है।
      आप भले ही मेरे व नीरज के फ़ैन हो लेकिन मैं भी आपका बडा पंखा हूँ। (पंखा बोले तो प्रशंसक)

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    2. मामाजी को हार्दिक श्रद्धांजलि और आपको बधाई। घूमते भी रहिये और लिखते भी। ब्लॉग पर भी रहिये और वैब साइट्स पर भी। बल्कि यदि सम्भव हो तो प्रिंट मीडिया आदि में भी लिखिये। मित्रों से मित्रवत तकरार ठीक है, लेकिन जहाँ तक सम्भव हो इन बातों को परे खिसकाकर लिखते रहिये, पढने वाले बहुत हैं। यात्रा वृत्तांत के लिये मैं नीरज जाट को भी पढता हूँ, आपको भी और "मुसाफ़िर हूँ यारों वाले मनीष के साथ साथ मल्हार वाले सुब्रामण्यन जी को भी। शुभकामनायें!

      हटाएं
  21. जहां भी रहो जाओ लिखो गुणों ऐसे ही इच बिंदास रहो .

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  22. सबसे पहले मुकेश भालसे साहब की बात का जवाब दूंगा, फिर सन्दीप भाई की बात का।
    @ मुकेश भालसे
    मैं घुमक्कडी के मामले में दो साइटों को बेहतरीन साइट मानता हूं- एक है indiamike.com और दूसरी है वही अपनी ghumakkar.com, हालांकि ‘घुमक्कड’ के मुकाबले ‘इण्डियामाइक’ ज्यादा प्रसिद्ध है। उस पर फोरम की सुविधा भी है जहां पाठक लोग ही समस्याएं रखते हैं और समाधान करते हैं। मैं नियमित रूप से ‘इण्डियामाइक’ पर काफी समय से लिखता आ रहा हूं जबकि ‘घुमक्कड’ पर अभी लिखना शुरू किया है।
    आपने एक बात कही कि ‘यह भी बहुत बड़ा सत्य है कि ब्लोग्स को ब्लोगर्स ही पढ़ते हैं (पता नहीं पढ़ते भी हैं या ऐसे ही कमेन्ट पेल देते हैं) आम जनता नहीं’। इसके जवाब में मेरा एक गणित है, उसे समझने की कोशिश करिये।
    मैं अपने ब्लॉग पर तकरीबन चार दिन में एक पोस्ट लिखता हूं। रोजाना औसतन 500 हिट आते हैं यानी चार दिन में 2000 हिट। मेरे ब्लॉग को लगभग 200 लोग फॉलो करते हैं। जब भी मैं कोई नई पोस्ट लिखता हूं तो इन 200 लोगों के पास इसकी सूचना तुरन्त चली जाती है। वैसे सभी फॉलोवर मेरे ब्लॉग को खोलकर नहीं देखते, फिर भी मान लो कि सभी 200 लोग पोस्ट छपने वाले दिन हिट करते हैं, उनमें से 10-15 लोग कमेण्ट भी करते हैं। अगले तीन दिन तक ये लोग कोई हिट नहीं करेंगे। यानी चार दिनों में जो 2000 हिट आते हैं, उनमें से मात्र 200 हिट ही फॉलोवरों के होते हैं, बाकी 1800 हिट कौन करता है?
    इसका जवाब है- आम जनता। मेरे ब्लॉग के साइडबार में feedjit के नाम से एक चीज लगी हुई है। इससे मुझे पता चलता है कि ब्लॉग पर कहां से लोग आ रहे हैं। करीब 70 प्रतिशत लोग गूगल के माध्यम से आते हैं। वे गूगल में शिमला ढूंढते हैं, तो मेरे यहां भी पहुंच जाते हैं; चोपता तुंगनाथ ढूंढते हैं, जयपुर-उदयपुर ढूंढते हैं, तब पहुंच जाते हैं। मैं शर्त लगाकर कह सकता हूं कि अगर कोई नया आम आदमी पहली बार मेरे ब्लॉग पर पहुंच गया तो वो एक हिट से काम नहीं चलायेगा, बल्कि इसे ज्यादा से ज्यादा पढने की कोशिश करेगा। मेरे पास हर दूसरे दिन एक नया फोन आता है, जो उसी आम आदमी का होता है जिसे आप कह रहे हैं कि वो ब्लॉग नहीं पढता।
    मैं 200 फॉलोवरों के लिये नहीं लिखता बल्कि 1800 आम आदमियों के लिये लिखता हूं। एकाध ब्लॉगों को छोडकर मैं कहीं भी टिप्पणी नहीं करता। अपने मन से यह बात निकाल दीजिये कि आम आदमी ब्लॉग नहीं पढते। सन्दीप भाई ने भी जब मेरे ब्लॉग को पहली बार देखा था तो वे ब्लॉगर नहीं थे, बल्कि आम आदमी थे। उन्होंने गूगल पर ‘जाट’ टाइप किया और मेरे यहां जा पहुंचे। उन्होंने मुझे फोन किया था और बताया था कि वे मेरी हर पोस्ट को अपने कम्प्यूटर में वर्ड में सेव करके रखते हैं और वो फाइल कई एमबी की हो गई थी। हालांकि ब्लॉगरों में बहुत कुत्ताघसीट मची रहती है, लेकिन कुछ ब्लॉगर इससे दूर रहते हैं, मैं भी उनमें से एक हूं।

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  23. @ सन्दीप पंवार,
    भाई, प्रसिद्ध होना बुरा नहीं है। मैं भी इसी चक्कर में कम्प्यूटर पर कई कई घण्टे ‘बर्बाद’ करता हूं। एक पते की बात सुनो, काम आयेगी। प्रसिद्ध होने के लिये एक प्लेटफार्म की जरुरत पडती है, घर बैठे बैठे, बिना कुछ करे ही प्रसिद्धि नहीं मिलती। अब तक आपका ब्लॉग आपका प्लेटफार्म था, इसमें दूसरा प्लेटफार्म ‘घुमक्कड’ भी जुड गया है। इधर मैं, अपने ब्लॉग और ‘घुमक्कड’ पर लिखने के अलावा इण्डियामाइक, india rail info, घुमक्कडी जिन्दाबाद पर भी लिखता हूं। फेसबुक भी खुद को स्थापित करने का एक प्लेटफार्म है। और कोई प्लेटफार्म मिलेगा, मैं वहां भी चला जाऊंगा। यही सलाह आपको दे रहा हूं। आपको ‘घुमक्कड’ के रूप में दूसरा प्लेटफार्म मिला है, आप पहले प्लेटफार्म को मत छोडिये बल्कि कोशिश करिये कि इनके अलावा और भी प्लेटफार्म मिले। आप जितनी ज्यादा जगहों पर उपस्थित रहेंगे, आपको फायदा भी उतना ही मिलेगा। ब्लॉगरों पर टिप्पणियां करने में टाइम लगाओगे, तो आपको टिप्पणियां मिलेंगी लेकिन आप देख ही रहे हो कि कैसी टिप्पणियां मिलती हैं। दूसरों को घास डालोगे तो वे भी आपके पास पहुंचते रहेंगे, जिस दिन घास डालना बन्द कर दोगे, देखना आपको कोई ब्लॉगर पूछेगा भी नहीं। सबका यही हाल है। ब्लॉगर आपकी घुमक्कडी की तारीफ नहीं करते बल्कि वे आपकी टिप्पणियों के जवाब में टिप्पणी देने आते हैं। हालांकि कुछ गिने-चुने ब्लॉगर इसके अपवाद भी हैं।
    और हां, मैप पर अपनी लोकेशन मत बताया करो। इससे पोस्ट खुलने में ज्यादा टाइम लगता है। अगर नक्शा लगाना ही है तो गूगल मैप या गूगल अर्थ का फोटो लेकर पेण्ट या फोटोशॉप में जाकर जरूरी बदलाव करके भी लगा सकते हो, एक फोटो के रूप में।

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  24. संदीप भाई तीर्थ स्थलों पर होने वाली धोखा धडी ज्यादा अखरती है .खान पान के मामले हरिद्वार खरा है ,बनारस भी .अखरोट पर आपकी टिपण्णी से असहमत होना मुमकिन ही नहीं है .दोबारा पांच से १४ फरवरी के दरमियान कर्बला ,जोर बाग़ मेट्रो के बिलकुल निकट बी के दत्ता कोलोनी में उपलब्ध रहूँगा १५ फरवरी को दोबारा मुंबई वापसी है .

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  25. संदीप भाई अपनी विविधता बनाए रहें ऐसे ही इच चौकन्ने बने लिखतें रहें .लिखा दोस्त खुल कर ही जाता है लिखने में शरमोहया कैसी .हमारा टीचर हम पर हावी रहता है एक टीचर ही है जिसके पास आत्म बल है कुछ भी कहने का निस्संकोच .वह भी किसी विषय पर बेबाक नहीं बोल सकता तो कोई नहीं बोल सकता .

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  26. बिना कोई कमिशन माँगे सलाह दे रहा हूँ कि अपना ब्लॉग बंद न करें. वहाँ लिखे यात्रा विवरण यहाँ कॉपी पेस्ट यहाँ करके काम चल जाएगा. याद रखें यह आपका अपना ब्लॉग है जिसे आप आगे चल कर वेबसाइट में बदल भी सकते हैं.

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  27. बहुत बड़ी उपलब्धि है ... बहुत बहुत बधाई

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  28. वेबसाइट पर भी लिखे पर
    अपना ब्लॉग बंद न करें संदीप भाई घूमते रहे और अपने अनुभव लोगों में बांटते रहे ! हमारी तो यही सलाह है

    राम-राम
    संजय भास्कर

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  29. सुख दुख साथ साथ आते हैं, मामाजी के निधन के दुख और आपके सम्मान के सुख के बीच संतुलन बना रहे। सम्मान आपके काम की पहचान है, असल चीज तो कर्म ही है। कर्म होता रहेगा तो सम्मान वगैरह खुद बखुद मिलते रहेंगे। घुमक्कड़ी का और लिखने का असली उद्देश्य क्या है, इस हिसाब से अपने लिखने की प्राथमिकतायें तय करो। और सब से क्या पूछते हो, या तो उनसे पूछो जिनके पास किसी फ़ोरम से जुड़ने का अनुभव है या सुनो अपने दिल की। जो भी करोगे, हमारी शुभकामनायें साथ हैं।

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  30. Sandeep bhai ram-ram.........
    SUNO SAB KI KARO AAPNE MAN KI |
    BHAI SAMYA KI KAMI KE KAARN AAPKI PICHLI KAFI POST NAHI PADH PAYA AB DHIRE-DHIRE PADH RAHA HOON.

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  31. अपना ब्लॉग छोड़ना यानी अपना घर छोड़ने जैसा हैं .....तुम नाम बहुत रोशन करो पर अपना ब्लॉग मत छोड़ना ....क्योकि इस बुलंदी की पहली सीढ़ी वही हैं ...

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  32. apne blog par bhi likhte rahen ,apnaa blog fir apnaa hai .aaj googal bhaai saahab lipiyaantaran ke mood me nahin hain ,translitration service is not showing.So the comments being made are in hindi .

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  33. अपना ब्लॉग फिर अपना है हमारे ब्लड ग्रुप की तरह विशेष .आपकी टिपण्णी हमारे लेखन की ऊर्जा है सं.

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  34. lijiye bhai sahab 100th follower aa gaya aapse milne..:) meri salah hai, aap apna blog barabar banaye rakhen....

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  35. संदीप जी आपके जितना तो नही पर हां पहाडो में खासतौर पर उत्तराखंड के चारो धाम बाइक पर किये हैं वैसे तो 29 की उम्र में 15 साल से बाइक चला रहा हूं और अब तक सवा लाख​ किलोमीटर बाइक चला भी चुका हूं पर वो बात नही जो आप की है । आपने अगर किसी लायक समझा तो जहां कहोगे चल पडूंगा । याद कर लेना जी और मेरी भी राय यही है कि अपना ब्लाग मत छोडो चाहे सारी दुनिया में लिखो

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  36. अरे भाई जाट
    क्यों मचाई है ये मार काट??

    मैं ब्लाग पर देर से ही आता हूँ समयाभाव के कारण ..वेबसाइट और ब्लॉग के विवाद को समझ नहीं पाता क्यूकी अल्पज्ञानी हूँ...
    बस इतना ही कहूँगा की आसमान छूना उपलब्धि है मगर उससे भी बड़ी और वास्तविक उपलब्धि है की हम आसमान छू लें और हमारे पैर जमीन से भी न हटे..
    कहीं भी लिखें लिखते रहें ..हम भी समय निकलकर आप को ढूंढ़ ही लेंगे..
    इश्वर आप की लेखनी को प्रखर करे..

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  37. मामाश्री को विनम्र श्रद्धांजलि.

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  38. मामाजी का निधन दुखद रहा... ईश्वर परिवार पर प्रसाद बनाये रखे.. आप दोनों तरफ लिखते रहिये... एक की जगह दो वेबसाईट खोलने पर खर्चा नहीं लगता... और पढने को भी अधिक मिलेगा...

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