पेज

रविवार, 15 मई 2011

बाइक से लाल किला से लेह-लद्दाख यात्रा भाग 9, DAL LAKE, JAWAHAR TUNNEL

लेह बाइक यात्रा-
अमरनाथ जी के दर्शन व जाट देवता से परमात्मा का मिलन तो कल हो गया था, आज आठवे दिन बारी थी श्रीनगर शहर व आसपास के इलाकों की, हमारा अब तक का सफ़र बडा शानदार रहा है। हमने भारत के सभी टाप दर्रों को आसानी से पास कर लिया था, हाँ बर्फ़बारी की वजह से चार सबसे ऊँचे दर्रों खर्दुन्गला, चांग ला, बारालाचा ला, गाट्टा लूप के बाद, पर थोडी-घनी सी परेशानी अवश्य आयी थी, वो अब बीती बात बन चुकी है, आज ऐसा कुछ नहीं है।
बाल्टाल के पास का नजारा


सुबह ठीक छ: बजे हम चलने को तैयार थे। सब जरुरी काम निपटा के अपनी-अपनी बाइक के पास जा पहुँचे, पेंचर वाले के पास हमारे कपाल सुरक्षा कवच जमा थे, वह सो रहा था, उसे उठाया, अपना सामान लिया, बदले में 50 रु भी दे दिये, उसने चुपचाप रख लिये, चू-चपट भी नहीं की। यहाँ एक अजीब बात, पल्सर वालो की बाइक भी हमारी बाइक के पास ही खड़ी थी, चलने से पहले हमने अपने पल्सर वालों से मोबाइल पर सम्पर्क करना चाहा। परन्तु सब बेकार रहा, उनका मोबाइल अभी भी पहुँच से बाहर था। अब हम सोच में पड गये कि वे रात में यहाँ बाल्टाल तक आ पाये होंगें कि नहीं या रात बीच के किसी भंडारे पर काटी होगी। लेकिन चाँगला दर्रा वाली बात याद आ जाती थी। इसलिये हम चल पडे।

इस साहसिक यात्रा को शुरु से पढ़े यहाँ क्लिक करे  
डल-झील का नजारा 

आज हमें श्रीनगर या गुलमर्ग दोनों में से किसी एक जगह रुकना था, हम अपनी-अपनी बाइक पर सवार हो चल दिये कुछ ही किलोमीटर बाद सोनमर्ग की हरी-भरी घाटी शुरु हो गयी, ये घाटी भी काफ़ी शानदार है। हम इस जगह के नजारों का आनंद लेते हुए आराम से चलते रहे, मार्ग में जहाँ-कहीं किसी को कोई खूबसूरत नजारा नजर आता था, तो वह वही रुक जाता था, हम भी साथ-साथ रुक जाते व नजारे को नजर भर निहार कर ही आगे जाते थे। इस शानदार घाटी को कब पार किया पता ही नहीं चला।

 बाल्टाल से श्रीनगर के बीच कई गाँव व कस्बे आते-जाते रहे, हम उन्हे निहार कर आगे बढते रहे, हमने ये 115 किलोमीटर का सफ़र तीन घंटे में पार कर लिया, जब हम श्रीनगर बाइपास पर पहुँचे तो वहाँ पर मौजूद सेना के जवानों से हमने उस दिन के हालात के बारे में जानना चाहा कि हम यहाँ एक-दो दिन रुके या फ़िर कटरा की ओर निकल जाये। सेना के जवानों ने हमें वहाँ रुकने की सलाह तो बिल्कुल नहीं दी, जवानों ने हमें कहा कि शहर के बीच में से भी मत जाना डलझील के बाहर-बाहर से ही निकल जाना, वहाँ पर कोई खतरा नहीं है।

ले खिंच ले
अबे आँख खोल
इस चादर को उतारना नहीं
आओ चले
चल भाई चले
हमारा भी इंतज़ार तो करते, तुमने किया था
झील में काई जमी हुई है
लेट लतीफ़
हाउस बोट , सब सुविधा है इन पर
जाट व मराठा
दो-दो जाट
शिकारे कर लो सैर

डल-झील मैंने तो पहले भी देखी थी, एक रात यहाँ हाउस बोट में बितायी थी। एक शिकारे पर दो-तीन घंटे खूब सैर भी की थी इस झील की। हम सब विश्व भर में मशहूर इस झील के किनारे घंटा भर रहे यदि उन दिनों वहाँ के हालात सही होते तो एक दो दिन वहाँ जरुर बिताते, खैर कोई बात नहीं, हम यहाँ फ़ोटो-सोटो खीच-खाच कर ही मन को तसल्ली दे रहे थे कि हम यहाँ पर आये थे, यहाँ रुकने का फ़िर कभी सोच कर, ये शहर भी पीछे छोड दिया। हम आगे बढते रहे की जो बाई-पास हमने पीछे छोडा था, वो फ़िर से आ गया यहाँ से भी गुलमर्ग जाया जा सकता था, पर हालात तो, इस शहर के खराब थे, मन नहीं किया गुलमर्ग जाने का अंत अनंतनाग शहर आ पहुँचे। यहाँ पर मार्ग टी-पोइंट आकार में है एक मार्ग पहलगाँव, एक श्रीनगर व एक जम्मू की ओर चला जाता है। यहाँ व आगे तक रेलवे लाइन बनी हुई है। इस शहर में व आसपास क्रिकेट के बल्ले बनाये जाते है, बहुत सी दुकाने व कारखाने है यहाँ पर। श्रीनगर से जवाहर सुरंग तक मार्ग एकदम मस्त है, हमने खूब बाइक भगाई,

बाईपास के पास
बाई पास से दूरी
कश्मीरी बच्चे
काजिकुंड में बादाम आदि मिलते है
बोर्ड दूरी वाला
घाटी का पहला कह लो या आखरी नजारा बात एक ही है
सुरंग से  ठीक पहले

जवाहर सुरंग पार करने के बाद अमरनाथ यात्रा पर आने वालों के लिये भंडारे लगे हुए रहते है, हम भी पहुँच गये बढे स्वादिष्ट व्यंजन बने हुए थे, मजा आ गया अरे भाई सुबह से कुछ खाया भी नहीं था।

धीरे-धीरे आगे बढते रहे यहाँ से आगे पहाडी मार्ग शुरु हो गया था। जिससे अपनी रफ़तार कम हो गयी थी, इस मार्ग में एक जगह पर जबरदस्त जाम लगा हुआ था अगर हम बाइक की जगह कार या बस में सवार होते तो कई घंटे बर्बाद होने तय थे, लेकिन बाईक का यहाँ फ़ायदा भी हुआ हम आगे-पीछे दाये-बाये जहाँ-तहाँ से रास्ता मिला वहीं से निकलते रहे, पूरे दो किलोमीटर लम्बा जाम था।

मार्ग में कई छोटे-बडे शहर गाँव आते रहे हम चलते रहे, पटनी टाप अभी 15 किलोमीटर दूर था कि मेरे मोबाइल पर पल्सर वालों की काल आयी जब हमने कहा कि कहाँ तक आये उन्होने कहा हम अभी पटनी टाप से २० किलोमीटर की दूरी पर है। मैने कहा आ जाओ हम पाँच किलोमीटर दूरी पर एक पैट्रोल पम्प पर रुके हुए है, वे पाँच-सात मिनट में ही आ गये। सब छ: मुस्टन्डे पटनी टाप पर आ गये थे,
एक फोटो विशेष मलिक का

अगले भाग में वैष्णो माता के दर्शन करना न भूले, हमारी हिम्मत देखना,  सवा चार सो किलोमीटर बाइक चला कर, बिना आराम किये, सिर्फ नहा धो-खा पी  कर, रात में दो बजे माता के दर्शन भी कर लिए,
  


इस यात्रा के आगे का भाग के लिये यहां क्लिक करे


लेह वाली इस बाइक यात्रा के जिस लेख को पढ़ना चाहते है नीचे उसी लिंक पर क्लिक करे।

भाग-01-दिल्ली से चड़ीगढ़, मन्ड़ी, कुल्लू होते मनाली तक।
भाग-02-मनाली, रोहतांग दर्रा पार करके बारालाचा ला/दर्रा तक
भाग-03-बारालाचा पार कर, सरचू, गाटा लूप, होते हुए पाँग से आगे तक।
भाग-04-तंगलंगला दर्रा, उपशी होते हुए, लेह में दुनिया की सबसे ऊँची सड़क तक।
भाग-05-चाँग ला/दर्रा होते हुए, पैंन्गोंग तुसू लेक/झील तक।
भाग-06-चुम्बक वाली पहाड़ी व पत्थर साहिब गुरुद्धारा होते हुए।
भाग-07-फ़ोतूला टॉप की जलेबी बैंड़ वाली चढ़ाई व कारगिल होते हुए द्रास तक।
भाग-08-जोजिला पास/दर्रा से बालटाल होकर अमरनाथ यात्रा करते हुए।
भाग-09-श्रीनगर की ड़लझील व जवाहर सुरंग पार करते हुए।
भाग-10-पत्नी टॉप व वैष्णौ देवी दर्शन करते हुए।
भाग-11-कटरा से दिल्ली तक व इस यात्रा के लिये महत्वपूर्ण जानकारी।
.
.
.
.

33 टिप्‍पणियां:

  1. रोचक सफरनामा है आपका. बाद में अन्य पोस्ट्स भी पढूंगा.

    जवाब देंहटाएं
  2. सारी फोटो अच्छी ...... इस सुंदर साहसी यात्रा की शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  3. अद्भुत नज़ारा!
    साहसिक यात्रा।

    जवाब देंहटाएं
  4. अरे माता के दर्शन...
    पटनी टॉप कहां है। बस, बालटाल से पटनी टॉप की एण्ट्री तक ही पहुंचे हो। आज मजा नहीं आया।

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रिय दोस्तों! क्षमा करें.कुछ निजी कारणों से आपकी पोस्ट/सारी पोस्टों का पढने का फ़िलहाल समय नहीं हैं,क्योंकि 20 मई से मेरी तपस्या शुरू हो रही है.तब कुछ समय मिला तो आपकी पोस्ट जरुर पढूंगा.फ़िलहाल आपके पास समय हो तो नीचे भेजे लिंकों को पढ़कर मेरी विचारधारा समझने की कोशिश करें.
    दोस्तों,क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना......... भारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से
    श्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी लगाये है.इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है.मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
    क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ.
    अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा?
    यह टी.आर.पी जो संस्थाएं तय करती हैं, वे उन्हीं व्यावसायिक घरानों के दिमाग की उपज हैं. जो प्रत्यक्ष तौर पर मनुष्य का शोषण करती हैं. इस लिहाज से टी.वी. चैनल भी परोक्ष रूप से जनता के शोषण के हथियार हैं, वैसे ही जैसे ज्यादातर बड़े अखबार. ये प्रसार माध्यम हैं जो विकृत होकर कंपनियों और रसूखवाले लोगों की गतिविधियों को समाचार बनाकर परोस रहे हैं.? कोशिश करें-तब ब्लाग भी "मीडिया" बन सकता है क्या है आपकी विचारधारा?

    जवाब देंहटाएं
  6. रोचक संस्मरण प्रस्तुत किये हैं आपने ,जिनसे अच्छी जानकारी भी हों रही है.चित्र भी उम्दा हैं.
    प्रभु का आशीर्वाद सैदेव आप पर बना रहें.

    जवाब देंहटाएं
  7. सार्थक लेख के लिए आभार संदीप जी ! मोटर साईकिल से इतनी लम्बी यात्रा और वह भी खतरनाक. मै आप से बहुत प्रभावित हूँ. उ० प्र० में जाट एक जाति होती है किन्तु गढ़वाल में जाट उसे कहा जाता है जो उज्जड़ या अनाड़ी काम करे और चतुर लोगों की नज़र में- जिसे अक्ल कम होती है. परन्तु आपका काम जाटों वाला काम नही है बल्कि प्रेरक है.
    आभार ........ अनेकानेक शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  8. ''परन्तु आपका काम जाटों वाला काम नही है बल्कि प्रेरक है.''
    सुबीर रावत जी,
    ऐसा कोई काम नहीं जो जाटों वाला ना हो। जाट जो भी कुछ दिल से करते हैं, वही दूसरों के लिये प्रेरणा बन जाता है।

    जवाब देंहटाएं
  9. यात्रा का ये भाग भी बाकी की तरह अविस्मर्णीय लगा...लोग जाटों को अंडर एस्टीमेट कर लेते हैं...बेवकूफी और बहादुरी में ज्यादा फर्क नहीं होता...सयाने तो बस फायदा नुकसान ही देखते हैं...वो भी सिर्फ अपना...आप लोगों की बहादुरी को सलाम...

    जवाब देंहटाएं
  10. आप लोगो की हिम्मत की दाद देता हुं, सभी चित्र एक से बढ कर एक , चलिये आप ने माता रानी के दर्शन भी कर लिये, माता आप सब को ओर हिम्मत दे , धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत बढ़िया!
    ऐसा लगता है हम भी लेह-लद्दाख में ही घूम रहे हैं!

    जवाब देंहटाएं
  12. आहा! आनंद आ गया पढ़ कर. मैं चाहूँगा की आप ये पढ़ें, आपको अच्छा लगेगा, Spiti Valley

    पेज ज़ीरो पे क्लिक करें और नयी पोस्ट की ओर बढ़ते जायें

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत ही सुन्दर यात्रा वह भी सचित्र

    जवाब देंहटाएं
  14. मुझे भी अपना सफर याद आ रहा है मैं चार बार अमरनाथ बाबा के दर्शन कर चुकी हूं और मन में यही है कि फिर जाऊं....
    बहुत रोचक वृतांत....

    जवाब देंहटाएं
  15. i am santosh tidake from maharastra .jatdevtaji ram ram ...aur aap sab ka dil se sukriya ...aap ne hame aapne best wishes di ..ham aap sab ko nahi jante phri bhi hamere itne pass ho .. i am toor mamber in leah yatra ..visit my blog durgamata-sandhya.blogspot.com thank you...thanks and wish you all the best ....

    जवाब देंहटाएं
  16. अत्यंत रोमांचत यात्रा । आनंददायी , सजीव चित्र। आगे की यात्रा के लिए शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  17. खा गई आदमी की करनी "डल झील "को भी .इस सफरनामे के सहयात्री हम भी रहें हैं .मुबारक आपके होसले को .

    जवाब देंहटाएं
  18. आप भी भाई साहब नित नै मंजिलें तय कर रहें हैं .एक शैर इस सफ़र की नजर :
    अभी तो और भी रातें सफ़र में आयेंगी ,
    चरागे शब मेरे महबूब ,संभाल के रख .

    जवाब देंहटाएं
  19. क्या आप हमारीवाणी के सदस्य हैं? हमारीवाणी भारतीय ब्लॉग्स का संकलक है.


    अधिक जानकारी के लिए पढ़ें:
    हमारीवाणी पर ब्लॉग पंजीकृत करने की विधि

    हमारीवाणी पर ब्लॉग प्रकाशित करने के लिए क्लिक कोड लगाएँ

    जवाब देंहटाएं
  20. Daring...!! chitron sahit sundar varnan ...apna safar bhee yaad aa gaya ...:)

    जवाब देंहटाएं
  21. भाई हिम्मत है यार इतनी दूर बाइक पर घूमना |

    जवाब देंहटाएं
  22. चर्चा -मंच पर आपका स्वागत है --आपके बारे मै मेरी क्या भावनाए है --आज ही आकर मुझे आवगत कराए -धन्यवाद !२०-५-११ ..
    http://charchamanch.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  23. चर्चा -मंच पर आपका स्वागत है --आपके बारे मै मेरी क्या भावनाए है --आज ही आकर मुझे आवगत कराए -धन्यवाद !२०-५-११ ..
    http://charchamanch.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  24. यात्रा का सचित्र वर्णन मन को छूगया … अच्छा लगा। धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  25. सभी चित्र सुन्दर हैं…All the Best….

    जवाब देंहटाएं
  26. कमाल की साहसिक यात्राएं की हैं आपने...
    बहुत ही रोचक रहा,यात्रा वृत्तांत
    आज तो कई पुरानी पोस्ट्स की ख़ूबसूरत तस्वीरें देखीं...सारी पोस्ट्स भी पढनी है एक दिन.

    जवाब देंहटाएं
  27. भाईसाहब !संदीपजी हो या नीरज जी जाट,जातों ने लठ्ठ गाढ़ रखें हैं .

    जवाब देंहटाएं
  28. beautiful pics
    houseboat
    like the one liners which you wrote near each photo
    open your eyes
    lol

    जवाब देंहटाएं

Thank you for giving time to read post comment on Jat Devta Ka Safar.
Your comments are the real source of motivation. If you arer require any further information about any place or this post please,
feel free to contact me by mail/phone or comment.