सोमवार, 24 जून 2013

Neral to Matheran Journey by Toy Train नेरल से माथेरान तक ट्राय ट्रेन की सवारी

EAST COAST TO WEST COAST-21                                                                   SANDEEP PANWAR
नेरल स्टेशन पर पहले पहुँचने की जल्दबाजी में मैं और विशाल बिना प्लेटफ़ार्म वाली दिशा में कूद गये और सबसे पहले टिकट काऊँटर पर पहुँच गये। नेरल से माथेरान वाली पहाड़ी पर जाने वाली ट्राय ट्रेन के टिकट नेरल के प्लेटफ़ार्म पर एक कोने में बने काऊँटर पर ही मिलते है। नेरल से माथेरान के लिये वैसे तो कई ट्रेन है लेकिन सबसे पहली ट्रेन के चलने का समय सुबह 6:45 मिनट का बताया गया था जिस पहली ट्रेन से हम यहाँ पहुँचे थे उसके यहाँ पहुँचने का समय सुबह 6:25 का है। इसलिये हम टिकट की जल्दबाजी कर रहे थे कि कही टिकट की लम्बी लाईन लग गयी तो फ़िर अगली ट्रेन से जाना होगा। यहाँ इस ट्रेन में टिकट अग्रिम आरक्षित नहीं कराये जा सकते है। ऊटी (उदगमण्ड़लम) शिमला, व दार्जीलिंग वाली कुछ ट्रेनों में आरक्षण की व्यवस्था दी हुई है जिससे दूर से आने वाले यात्री पहले से ही अपने टिकट बुक करा कर ही आते है।

शनिवार, 22 जून 2013

Train Journey- Nanded to Mumbai/Bombay (Neral) नान्देड़ से नेरल (मुम्बई/बोम्बे) तक ट्रेन यात्रा

EAST COAST TO WEST COAST-20                                                                   SANDEEP PANWAR
मैंने एक मौका लेने की सोचकर ट्रेन के साथ भागना आरम्भ किया, मुझे ट्रेन के साथ भागते देख कई लोग बोले छोड़ दे, अगली ट्रेन से चले जाना, पूरी ताकत लगाकर मैं भागा था मुझे दरवाजे के नजदीक आते देख, दरवाजे पर खड़े बन्दे वहाँ से पीछे हट गये। भागते-भागते मेरा ध्यान दरवाजे के पाइप के साथ सुरक्षा पर भी था। एक हाथ से खिड़की का पाइप पकड़कर मैंने कुछ कदम तय किये जब यह उम्मीद हुई कि अब सुरक्षित रुप से दरवाजे में प्रवेश किया जा सकता है तो मैंने अपने आप को दरवाजे से अन्दर धकेल दिया। दरवाजे से अन्दर घुसते समय मेरे सामने आगरा कैन्ट की एक घटना घूम गयी थी मुझे याद है जब मैं पहली बार ताजमहल देखने गया था तो वहाँ स्टेशन पर एक दुर्घटना घटित हुई थी जिसमें एक महिला ग्वालियर या झांसी नौकरी करने जाया करती थी, एक दिन ठीक मेरी तरह उसकी ट्रेन चल चुकी थी उस औरत ने ट्रेन पकड़ने के लिये ट्रेन के साथ दौड़कर दरवाजे का पाइप तो पकड़ लिया था लेकिन बदकिस्मती से वह दरवाजे में पैर रखते समय चूक गयी, जैसे ही उसने दरवाजे में पैर रखा तो उसका पैर फ़िसल गया। अगर उसने उसी समय दरवाजे पर पकड़ा हुआ पाइप छोड़ दिया होता तो वह प्लेटफ़ार्म पर गिर जाती लेकिन होनी-अनहोनी के आगे किसी की नहीं चलती। पाइप पकड़ने के कारण वह महिला ट्रेन के साथ घिसटती चली गयी जिससे वह ट्रेन व प्लेटफ़ार्म के बीच पिसती चली गयी। जब तक ट्रेन ने प्लेटफ़ार्म पार किया उस महिला की दर्दनाक दयनीय हालत हो चुकी थी। खैर ट्रेन कोई बस तो है नहीं जो चिल्लाने से रुक जाये जब गार्ड़ ने दुर्घटना देखी तो उसने ट्रेन रुकवायी लेकिन उस औरत की इतनी बुरी हालत हो चुकी थे कि वह कुछ देर में ही दम तोड़ गयी।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...